رضوی

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पैग़म्बरे इस्लाम (स.अ.व.व) की तरह हमारे आइम्मा अलैहिमुस्सलाम भी लोगों की तालीमो तर्बियत मे हमेशा कोशीश करते रहते थे। आइम्मा अलैहिमुस्सलाम का तरीकाऐ तालीम और तरबियत को तालीमी और तरबियती इदारो की सरगर्मियों पर क्यास नहीं किया जा सकता है। तालीमी इदारे खास औक़ात में तालीम देते हैं और बकीया औकात मोअत्तल रहते हैं। लेकिन आइम्मा अलैहेमुस्सलाम की तालीमो तरबियत के लिये कोई खास वक्त मोअय्यन नहीं था। आइम्मा अलैहिमुस्सलाम लोगों की तालीमो तरबियत मे मसरूफ रहते थे। आइम्मा अलैहिमुस्सलाम का हर गोशा , उन की रफ्तारो गुफ्तार , अवाम की तर्बियत का बेहतरीन ज़रिया था। जब भी कोई मुलाक़ात का शरफ हासिल करता था। वो आइम्मा के किरदार से फायदा हासिल करता था और मजलिस से कुछ न कुछ ले कर उठता था। अगर कोई सवाल करना चाहता था तो उसका जवाब दिया जाता था।

वाज़ेह रहे कि इस तरह का कोई मदरसा दुनिया मे कहीं मौजूद नहीं है। इस तरह का मदरसा तो सिर्फ अम्बिया अलैहेमुस्सलाम की ज़िन्दगी मे मिलता है ज़ाहिर सी बात है कि इस तरह के मदरसे के असारात फायदे और नताएज बहुत ज़्यादा ताज्जुब खैज़ हैं। बनी अब्बास के खलीफा ये जानते थे कि अगर अवाम को इस मदरसा की खुसूसियात का इल्म हो गया और वो उस तरफ मुतावज्जेह हो गए तो वो खुद-बखुद आइम्मा अलैहिमुस्सलाम की तरफ खिंचते चले जाएगे और इस सूरत मे ग़ासिबों की हुकूमत खतरो से दो-चार हो जाएगी। इस लिये खलीफा हमेशा ये कोशिश करते रहे कि अवाम को आइम्मा अलैहेमुस्सलाम को दूर रखा जाए और उन्हे नज़्दीक न होने दिया जाए। सिर्फ इमाम मौहम्मद बाक़िर (अ.स) के ज़माने मे जब उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ की हुकूमत थी और इमाम जाफर सादिक़ (अ.स) के इब्तेदाई दौर में जब बनी उमय्या और बनी अब्बास आपस मे लड़ रहे थे और बनी अब्बास ने ताज़ा ताज़ा हुकूमत हासिल की थी और हुकूमत मुस्तहकम नहीं हुई थी। उस वक्त अवाम को इतना मौका मिल गया कि वो आज़ादी से अहलेबैत से इस्तेफादा कर सकें। लेहाज़ा हम देखते हैं कि इस मुख्तसर सी मुद्दत में शागिर्दों और रावियों की तादाद चार हज़ार तक पहुंच गयी।

( रेजाल शैख तूसी , पेज न 142 , 342 )

लेकिन इसके अलावा बक़िया आइम्मा के ज़मानो मे शागिर्दों की तादाद बहुत कम नज़र आती है। मसलन इमाम मौहम्मद तक़ी (अ.स) के शागिर्दों और रावियों की तादाद 110 है।

(रेजाल शैख तूसी , पेज न. 397 , 409)

इससे ये पता चलता है कि इस दौर मे अवाम को इमाम (अ.स) से कितना दूर रखा जाता था। लेकिन इस मुख्तसर सी तादाद में भी नुमाया अफराद नज़र आते हैं। यहा नमूने के तौर पर चन्द का ज़िक्र करते हैः

अली बिन महज़ियार

इमाम मौहम्मद तक़ी (अ.स) के असहाबे खास और इमाम के वकील थे। आप का शुमार इमाम रज़ा (अ.स) और इमाम अली नक़ी (अ.स) के असहाब मे भी होता है। बहुत ज़्यादा इबादत करते थे , सजदे की बना पर पूरी पेशानी पर घट्टे पड़ गए थे। तोलूवे आफताब के वक्त सर सजदे मे रखते और जब तक एक हज़ार मोमिनो के लिये दुआ न कर लेते थे। उस वक्त तक सर ना उठाते थे। और जो दुआ अपने लिये करते थे वही उन के लिये भी।

अली बिन महज़ियार अहवाज़ मे रहते थे , आप ने 30 से ज़्यादा किताबें लिखी हैं।

ईमानो अमल के उस बुलन्द मर्तबे पर फाएज़ थे कि एक मर्तबा इमाम मौहम्मद तक़ी (अ.स) ने आप की कद्रदानी करते हुए आप को एक खत लिखाः

बिसमिल्ला हिर्रहमा निर्रहीम

ऐ अली। खुदा तुम्हे बेहतरीन अज्र अता फर्माए , बहिश्त मे तुम्हे जगह दे दुनियाओ आखेरत की रुसवाई से महफूज़ रखे और आखेरत मे हमारे साथ तुम्हे महशूर करे। ऐ अली। मैंने तुम्हे उमूर खैर , इताअत , एहतराम और वाजेबात की अदाएगी के सिलसिले मे आज़माया है। मैं ये कहने मे हक़ बजानिब हुं कि तुम्हारा जैसा कहीं नहीं पाया। खुदा वंदे आलम बहिश्ते फिरदोस मे तुम्हारा अज्र करार दे। मुझे मालूम है कि तुम गर्मियों , सर्दियों और दिन रात क्या क्या खिदमत अन्जाम देते हो। खुदा से दुआ करता हूं कि जब रोज़े कयामत सब लोग जमा होंगे उस वक्त रहमते खास तुम्हारे शामिले हाल करे। इस तरह कि दूसरे तुम्हे देख कर रश्क करें। बेशक वो दुआओ का सुनने वाला है।

(ग़ैबत शैख तूसी पेज न. 225 , बिहारुल अनवार जिल्द 50 पेज न. 105)

अहमद बिन मौहम्मद अबी नस्र बरनती

कूफे के रहने वाले इमाम रज़ा (अ.स) और इमाम मौहम्मद तक़ी (अ.स) के असहाबे खास और उन दोनो इमामो के नज़्दीक अज़ीम मन्ज़ेलत रखते थे , आपने बहुत-सी किताबें तहरीर की। जिनमे एक किताब अल जामेआ है। ओलामा के नज़्दीक आपकी फिक्ही बसीरत मशहूर है। फोक़्हा आप के नज़रयात को एहतरामो इज़्ज़त की निगाह से देखते हैं।

(मोअज्जिम रेजाल अल हदीस जिल्द 2 पेज न. 237 वा रेजाल कशी पेज न. 558)

आप उन तीन आदमियों मे हैं जो इमाम रज़ा (अ.स) की खिदमत मे शरफयाब हुए और इमाम ने उन लोगो को खास इज़्ज़तो एहतराम से नवाज़ा।

ज़करया बिन आदम कुम्मी

शहरे क़ुम मे आज भी उनका मज़ार मौजूद है। इमाम रज़ा (अ.स) और इमाम मौहम्मद तक़ी (अ.स) के खास असहाब मे से थे। इमाम मौहम्मद तक़ी (अ.स) ने आपके लिये दुआ फर्मायी। आपको इमाम (अ.स) के बावफा असहाब मे शुमार किया जाता है।

(रजाल कशी पेज न. 503)

एक मर्तबा इमाम रज़ा (अ.स) की खिदमत मे हाज़िर हुए। सुब्ह तक इमाम ने बातें की। एक शख्स ने इमाम रज़ा (अ.स) से दर्याफ्त कियाः मैं दूर रहता हूं और हर वक्त आपकी खिदमत मे हाज़िर नहीं हो सकता हूं। मैं अपने दीनी एहकाम किससे दर्याफ्त करुं।

(मुन्तहल आमाल सवानेह उमरी इमाम रज़ा (अ.स) पेज न. 85)

फर्मायाः ज़कर्या बिन आदम से अपने दीनी अहकाम हासिल करो। वो दीनो दुनिया के मामले मे अमीन है।

(रिजाल कशी पेज न. 595)

मौहम्मद बिन इस्माईल बिन बज़ी

इमाम मूसा काज़िम , इमाम रज़ा और इमाम मौहम्मद तक़ी अलैहिमुस्सलाम के असहाब मे ओलामा शिया के नज़्दीक मोअर्रिद एतमाद ,बुलंद किरदार और इबादत गुज़ार थे। मोतदिद किताबें तहरीर की हैं। बनी अब्बास के दरबार मे काम करते थे।

(रिजाले नजाशी पेज न. 254)

इस सिलसिले मे इमाम रज़ा (अ.स) ने आपसे फर्मायाः

सितमगारों के दरबार मे खुदा ने ऐसे बंदे मुअय्यन किये हैं। जिन के ज़रीये वो अपनी दलील और हुज्जत को ज़ाहिर करता है। उन्हे शहरों मे ताकत अता करता है ताकि उनके ज़रीये अपने दोस्तो को सितमगारों के ज़ुल्मो जौर से महफूज़ रखे। मुसलमानो के मामलात की इस्लाह हो। ऐसे लोग हवादिस और खतरात मे साहेबाने ईमान की पनाहगाह हैं। हमारे परेशान हाल शिया उन की तरफ रुख करते हैं और अपनी मुश्किलात का हल उन से तलब करते हैं। ऐसे अफराद के ज़रिये खुदा मोमिनो को खौफ से महफूज़ रखता है। ये लोग हक़ीकी मोमिन हैं। ज़मीन पर खुदा के अमीन हैं। उन के नूर से क़यामत नूरानी होगी। खुदा की क़सम ये बहिश्त के लिये और बहिश्त इन के लिये है। नेमतें इन्हें मुबारक हों।

उस वक्त इमाम (अ.स) ने फर्मायाः तुममे से जो चाहे इन मक़ामात को हासिल कर सकता है।

मौहम्मद बिन इस्माईल ने अर्ज़ किया। आप पर क़ुर्बान हो जाऊ। किस तरह हासिल कर सकता हूं।

इमाम ने फर्मायाः सितमगारों के साथ रहे। हमें खुश करने के लिये हमारे शियों को खुश करे। (यानी जिस ओहदा और मनसब पर हो। उस का मकसद मोमिनो से ज़ुल्मो सितम दूर करना हो।)

मौहम्मद बिन इस्माईल ,जो बनी अब्बास के दरबार मे वज़ारत के ओहदे पर फाएज़ थे। इमाम ने आखिर में उन से फर्मायाः ऐ मौहम्मद। तुम भी इन मे शामिल हो जाओ।

(रिजाले नजाशी पेज न. 255)

हुसैन बिन खालिद का बयान है कि एक गिरोह के हमराह इमाम रज़ा (अ.स) की खिदमत मे हाज़िर हुआ। दौरान गुफ्तगू मौहम्मद बिन इस्माईल का ज़िक्र आया। इमाम (अ.स) ने फर्मायाः मैं चाहता हूं कि तुममे ऐसे अफराद हों।

(रिजाले नजाशी पेज न. 255)

मौहम्मद बिन अहमद याहिया का बयान है कि मैं , मौहम्मद बिन अली बिन बिलाल , के हमराह मौहम्मद बिन इस्माईल बज़ी की कब्र की ज़ियारत को गया।मौहम्मद बिन अली कब्र के किनारे क़िबला रुख बैठे और फर्माया कि साहिबे क़ब्र ने मुझ से बयान किया कि इमाम मौहम्मद तक़ी (अ.स) ने फर्मायाः जो शख्स अपने बरादर मोमिन की क़ब्र की ज़ियारत को जाए , क़िबला रुख बैठे और क़ब्र पर हाथ रख कर 7 मर्तबा सूरह इन्ना अन्ज़लना की तेलावत करे , खुदा वंदे आलम उसे क़यामत की परेशानियों और मुशकलात से नजात देगा।

(रेजाल कशी पेज न. 564)

मौहम्मद बिन इस्माईल की रिवायत है कि मैने इमाम मौहम्मद तक़ी (अ.स) से एक लिबास की दरख्वास्त की कि अपना एक लिबास मुझे इनायत फर्माए ताकि उसे अपना कफन करार दूं। इमाम ने लिबास मुझे अता फर्माया और फर्मायाः इस के बटन निकाल लो।

(रेजाल कशी पेज न. 245-564)

मौला हज़रत अली असगर (अ) का 10 रजब, 60 हिजरी को जन्म हुआ। हज़रत उम्मे रबाब की शाखे तमन्ना पर जो कली मुस्कुराई, उसने हकीमे कर्बला के होठों पर मुस्कान बिखेरी; खानदाने इस्मत व तहारत मे शमे फ़रहत व मुसर्रत रोशन हो गई।

लेखक: मौलाना गुलज़ार जाफ़री

मौला हज़रत अली असगर (अ) का 10 रजब, 60 हिजरी को जन्म हुआ। हज़रत उम्मे रबाब की शाखे तमन्ना पर जो कली मुस्कुराई, उसने हकीमे कर्बला के होठों पर मुस्कान बिखेरी; खानदाने इस्मत व तहारत मे शमे फ़रहत व मुसर्रत रोशन हो गई। सभी नौजवानों और रईसों के चेहरे खिल गए, कर्बला की धरती को सबसे कम उम्र का शहीद मिला, वो शहजादा जिसकी पलकों पर इस्लाम धर्म का खौफ सजता था, अपनी मुस्कुराहट के साथ इस दुनिया में कदम रखता है और करीब 18 दिन बाद, जब इस्मत का यह कारवां अपने सफर पर निकला तो हकीमे कर्बला ने भी कर्बला की महान त्रासदी के लिए एक 18 दिन के निहत्थे सगीर को चुना, कारण यह था कि किसी भी विभाग में कोई भी आदेश तब तक स्वीकार्य नहीं होता जब तक उस पर छोटी सी मुहर न हो। मुहर होती तो छोटी सी है, लेकिन पूरे कागज़ का ऐतेबार बढ़ाती है। शायद इसीलिए हुसैन इब्न अली (अ) हज़रत अली असगर (अ) को अपने साथ ले गए थे, ताकि अली के नाम की आखिरी मुहर बन सके शहादत की सूची को स्वीकार करने के लिए मुहर का छोटा होना आवश्यक था, इसलिए अली असगर को अंत में पेश करके हुसैन (अ) ने उनके नाम पर हस्ताक्षर किए और इस तरह शहादत की सूची को स्वीकार करने की गारंटी हज़रत बाब अल-हवाईज के नहीफ कंधों पर रखी गई थी।

यह ज्ञान और अंतर्दृष्टि वाले लोगों के लिए, कलम और कागज़ वाले लोगों के लिए, चेतना और भावना वाले लोगों के लिए चिंतन का क्षण है; हज़रत अली असगर (अ) के बाब अल-हवाइज की तरह ब्रह्मांड में किसी भी व्यक्ति की आयु इतनी छोटी और इतनी गहरी और रहस्यमयी नहीं होगी। उम्र कम है, बुद्धि और ज्ञान आश्चर्य और विस्मय में खो गए हैं, कलम विचारों में व्याकुल है। चेतना की झीलों में एक अजीब सी उछाल है, उड़ती कल्पना प्रेम और जुनून के अंतरिक्ष में उड़ने में असमर्थ लगती है, विचारों की घाटी में एक अजीब सी खामोशी है, जब एक छोटा बच्चा, एक शिशु, एक ऐसे बच्चे का अनमोल जीवन नष्ट कर देता है जिसके वली के माथे पर उसके साहस की टूटन में "शक्ति, क्रूरता और बर्बरता" के शब्द लिखे होते हैं। जिसकी आँखों में सफलता और उपलब्धि की चमक देखी जा सकती है। गालों की लालिमा इस्लाम की नसों में बहते खून के प्रवाह का प्रतीक है। उसके सूखे होंठ शरिया की सर्वोच्चता को व्यक्त करते हैं। उसके छोटे हाथों की तहों के माध्यम से इस्लामी आस्था की सुंदरता और भव्यता देखी जा सकती है। उसकी भुजाएँ हैं इस्लाम की ताकत का अंदाजा उसकी ताकत से लगाया जा सकता है। इसकी मुबारक गर्दन पर लगा तीर शहादत की शमा का प्रतीक है जिसे किसी भी दौर की कोई बुराई नहीं बुझा सकती। इसने शहादत की शमा को अपनी मुबारक गर्दन के खून से भर दिया और आग लगा दी। आने वाली पीढ़ियों के लिए क़यामत के दिन तक शहादत का जुनून। उन्होंने आकांक्षाओं को पोषित किया, और उनके होठों पर मुस्कान ने जीवन के वृक्ष को प्रकट किया।

यह पहला अवसर था कि मृत्यु के माथे पर पसीना था, तीन नुकीले तीर अपनी लंबाई के बावजूद बौने लग रहे थे, धनुर्धर का कौशल और चालाकी धरती पर दिखाई दे रही थी, मुस्कुराते हुए शहज़ादे ने शहादत की बाहों में हथियार डाल दिए। महानता, शहादत और अनंत जीवन की निश्चितता का संदेश मानवता के लोगों के मन तक पहुँचाया गया। कर्बला की त्रासदी से परिचित हर विवेकशील व्यक्ति इस शहादत की शाश्वतता, स्थायित्व और अनित्यता को जानता है, जिसके खून की बूंदें मासूमियत का चेहरा प्रकट करती हैं, जिसकी लाली कर्बला के बुद्धिमान व्यक्ति को आशूरा की रात से लेकर ईद के दिन तक शर्मिंदा कर देती है। आशूरा, जो पालता है मैं शहादत के जुनून में अपनी भटकती चेतना को जगाता रहा हूँ, और नैनवा के रेगिस्तान में, अपने खून की धारा से आज़ादी के शब्द लिखकर, मैं इस धूल को उपचार की धूल में बदल देता हूँ, और फिर यह धूल आसमान के सातों पर्दों को फाड़ देती है और आसमान को चीर देती है। हां, रजब के दस दिनों से लेकर मुहर्रम के आशूरा तक जो लोग जिंदगी में नहीं चले, उनके पदचिह्न आज भी ज्ञान के विद्यालयों में जीवन के प्रतीक बने हुए हैं।

होठों की खामोशी से वाणी की नदियाँ बह निकलीं; हुस्न और नज़ाकत की दौलत ने हिदायत, रहमत और रहमत का सोता छोड़ा। एड़ियाँ घिसीं मगर ज़मज़म का चश्मा न फूटा। प्यास ने शहादत की शमा जलाई। अमल में आने की कोशिश कामयाब न हो सकी, मगर इस एहसास के बिना , प्रयास को कागज पर स्वीकार्य नहीं लिखा जा सकता।

ज़मज़म की बज़्म इबादत का विकास है, लेकिन नैनवा के मैदान पर शहादत का चढ़ना इसकी जगह है। माथे पर जोश का तीर तीन दिशाओं से शहादत का शब्द है, होठों पर मुस्कान की निशानी सबूत है, कर्बला शहादत का प्रतीक है और अली असगर (अ) का छोटा जीवन इसका सबूत है। रहस्यमय प्रभाव विचारशील लोगों के लिए चिंता का विषय हैं।

अल्लाह हमें सोचने, समझने और कार्य करने की क्षमता प्रदान करें।

हज़रत अली असगर (अ) के शुभ जन्म दिवस पर सभी मवालीयान ए हैदर कर्रार को बधाई!

नजफ अशरफ में हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन सय्यद अबू अल-कासिम रजावी की जामेअतुल इमाम अमीर अल-मोमिनिन (अ) नजफी हाउस के छात्रों के साथ बैठक।

ऑस्ट्रेलिया के प्रसिद्ध धर्मगुरु और उपदेशक और मेलबर्न के इमाम जुमा, ऑस्ट्रेलिया के शिया उलेमा काउंसिल के अध्यक्ष, हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन सय्यद अबू अल-कासिम रिज़वी ने हाल ही में इराक की यात्रा के दौरान नजफ़ अशरफ़ में जामेअतुल इमाम अमीर अल-मोमिनिन (अ) नजफी हाउस के छात्रों से मुलाकात की।

यह बैठक एक आध्यात्मिक और शैक्षणिक सत्र के रूप में आयोजित की गई, जहां मौलाना सैयद अबुल कासिम रिजवी ने छात्रों को संबोधित किया और धर्म के प्रचार के महत्व और आवश्यकताओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "धर्म का प्रचार करना केवल कर्तव्य नहीं बल्कि पैगम्बरों और इमामों की विरासत है और हमें इसे पूरी जिम्मेदारी और ईमानदारी के साथ निभाना चाहिए।"

 मौलाना ने अपने भाषण की शुरुआत दिवंगत शिक्षकों हुज्जतुल इस्लाम वा मुस्लेमीन शेख नासिरी और हुज्जतुल इस्लाम वा इस्माइल रजबी के लिए फातेहा पढ़कर की। मौलाना रिजवी ने मृतकों की क्षमा के लिए प्रार्थना की और उनकी विद्वत्तापूर्ण एवं मिशनरी सेवाओं के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की।

उन्होंने छात्रों को सलाह दी कि "शिक्षकों का सम्मान ज्ञान के आशीर्वाद का कारण है, और प्रत्येक छात्र के लिए शिक्षक का सम्मान और आदर करना अनिवार्य है। अल्लाह, रसूल और इमामों ने शिक्षक की भूमिका को महत्व दिया है, और हमें भी उनका अनुसरण करना चाहिए।" "हमें उनके पदचिन्हों पर चलना चाहिए।"

बैठक के दौरान मौलाना अबू अल-कासिम रिजवी ने छात्रों के सवालों के जवाब भी दिए और उनसे धर्म की सेवा के लिए अपना जीवन समर्पित करने का आग्रह किया।

अंत में मौलाना ने दुआ की कि अल्लाह तआला मृतक को दया के दायरे में स्थान प्रदान करें तथा वर्तमान छात्रों को ज्ञान और कर्म के मार्ग पर सफलता प्रदान करें।

 

यह बैठक विद्यार्थियों के लिए एक यादगार अवसर साबित हुई, जिसने उन्हें धर्म प्रचार के क्षेत्र में और अधिक लगन व समर्पण से काम करने का संकल्प दिलाया।

 

मौलाना मुज़म्मिल हुसैन के अनुसार, कोहाट समझौते पर हस्ताक्षर होने के बावजूद 80 गाड़ियों के राहत सामग्री का काफिला चार दिनों में भी पाराचिनार नहीं पहुँच सका जिसके कारण अभी तक कई लोगों की जान चली गई।

एक रिपोर्ट के अनुसार , अपर कुर्रम के चेयरमैन मौलाना मुज़म्मिल हुसैन ने बताया कि कोहाट समझौते पर हस्ताक्षर के बावजूद 80 गाड़ियों का राहत सामग्री काफिला चार दिनों में भी पाराचिनार नहीं पहुँच पाया।

शांति समझौते के बावजूद न तो मुख्य सड़क खुली और न ही काफिले आगे बढ़ सके जिससे राहत सामग्री के ट्रक रास्ते में ही खड़े हैं।मुख्य मार्ग पर सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक कर्फ्यू लागू है केपी सरकार ने कर्फ्यू का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है।

पुलिस ने अंजुमन-ए-तहफ़्फुज़ दुकानदारान सद्दा के अध्यक्ष मोहम्मद इरशाद को बाजार बंद करने और कर्फ्यू तोड़ने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है बताया गया कि वह मंदोरी में धरने में शामिल होने जा रहे थे। उनकी गिरफ्तारी के बाद व्यापारियों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए बाजार और दुकानें बंद करने का ऐलान किया है।

खैबर पख्तूनख्वा सरकार के सूचना सलाहकार बैरिस्टर सैफ ने कहा कि कुर्रम की मुख्य सड़क पर सुरक्षा कड़ी की जा रही है और रास्ते को सुरक्षित बनाकर जल्द ही ट्रकों का काफिला रवाना किया जाएगा। उन्होंने कहा कि 1 फरवरी तक बंकरों और हथियारों का सफाया सुनिश्चित किया जाएगा साथ ही कुर्रम के लोगों से प्रशासन का सहयोग कर शांति बनाए रखने की अपील की।

गौरतलब है कि पाराचिनार का मुख्य मार्ग पिछले 93 दिनों से हर तरह की आवाजाही के लिए बंद है, जिससे अपर कुर्रम की 4 लाख की आबादी क्षेत्र में फंसी हुई है शहर में नागरिकों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। सभी दुकानें खाली हो चुकी हैं बाजार बंद हैं और ज़रूरी वस्तुओं का भंडार पूरी तरह खत्म हो चुका है।

ट्रेड यूनियन के अध्यक्ष हाजी इमदाद ने कहा कि लंबे समय तक रास्तों के बंद होने से मानवीय संकट पैदा हो चुका है लोगों को भूखमरी का सामना करना पड़ रहा है चेयरमैन मौलाना मज़मिल हुसैन ने कहा कि राज्य को तुरंत और गंभीरता से रास्ते खोलने के उपाय करने चाहिए।

 

इस बीच दवाओं की अनुपलब्धता और बेहतर इलाज न मिलने के कारण 3 और बच्चों की मौत हो गई है अब तक कुल 147 बच्चों सहित 221 लोगों की जान जा चुकी है।

 

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वक्फ बोर्ड और वक्फ संपत्तियों के मामले में अपना सख्त रुख जाहिर करते हुए कहा है कि वक्फ के नाम पर कब्जा करने वालों से एक-एक इंच जमीन वापस ली जाएगी।

एक रिपोर्ट के अनुसार ,उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वक्फ बोर्ड और वक्फ संपत्तियों के मामले में अपना सख्त रुख जाहिर करते हुए कहा है कि वक्फ के नाम पर कब्जा करने वालों से एक-एक इंच जमीन वापस ली जाएगी।

योगी ने कहा कि कुंभ मेला क्षेत्र में वक्फ की जमीन होने का कोई औचित्य नहीं है क्योंकि कुंभ की परंपरा वक्फ से बहुत पुरानी है।

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उनकी सरकार ने वक्फ एक्ट में संशोधन किया है और एक-एक इंच जमीन की जांच कराई जा रही है वक्फ के नाम पर जमीनों पर कब्जा करने वालों से जमीन वापस ली जाएगी और इन जमीनों का उपयोग गरीबों के लिए घर, शैक्षिक संस्थान और अस्पताल बनाने में किया जाएगा।

उत्तर प्रदेश स्थित संभल की शाही मस्जिद को लेकर हिन्दू पक्ष की ओर से खड़े किए गए विवाद को

लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला करत हुए निचली अदालत मे इस मामले की सुनवाई पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने संभल की जिला कोर्ट में चल रहे मुकदमे की सुनवाई पर रोक लगा दी है।

संभल की शाही जामा मस्जिद की इंतजामियां कमेटी की तरफ से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निचली अदालत मे सुनवाई पर रोक लगाई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सभी पक्षकारों से जवाब दाखिल करने को कहा है। 

उत्तर प्रदेश के अमेठी में रेलवे स्टेशन के सामने नमाज़ पढ़ने के वीडियो सामने आने के बाद भाजपा नेताओं ने हंगामा खड़ा कर दिया है।

अमेठी रेलवे स्टेशन के सामने नमाज़ पढ़ते हुए एक व्यक्ति का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जिसमें एक शख्स पुलिस स्टेशन के सामने नमाज पढ़ता दिख रहा है। वीडियो सामने आने के बाद स्थानीय नेताओं ने इस पर आपत्ति जताई है, और पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।

ज़िले के बीजेपी नेताओं ने पब्लिक प्लेस पर नमाज अदा करने पर कड़ी आपत्ति जताई है, और इसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की है।वहीं पुलिस अधीक्षक ने कार्रवाई के लिए जीआरपी को डायरेक्शन दिया है।

कोरोना की तरह ही एक बार फिर दुनिया को नए वायरस का खतरा सता रहा है। नए वायरस HMPV के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। HMPV वायरस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। भारत मे अब तक आठ मरीजों में इसकी पुष्टि हो चुकी है।  कहने को तो ये वायरस पुराना है, लेकिन इस बार तेजी से फैल रहा है। चीन, मलेशिया और भारत में वायरस के मामलों में इजाफा हो रहा है। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि एचएमपीवी के वायरस में बदलाव हुआ है।

 HMP वायरस के कुछ मामले पहले भी आते रहे हैं, लेकिन ऐसा पहली बार है जब इतनी संख्या में मामले रिपोर्ट किए जा रहे हैं। इस बार खांसी-जुकाम के लक्षणों के साथ जो बच्चे अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं उनके सैंपल लेकर एचएमपीवी की जांच भी की जा रही है, जिसमें कुछ बच्चे पॉजिटिव मिल रहे हैं। पहले की तुलना में ज्यादा केस आने से ऐसी आशंका है कि इस वायरस में कुछ बदलाव हुआ है यानी वायरस ने म्यूटेट होकर खुद को बदल लिया है तभी ये तेजी से फैल रहा है। कोविड के साथ भी ऐसा ही हुआ था, कोरोना वायरस ने अपना स्ट्रेन बदला था और उसके डेल्टा वेरिएंट ने दुनियाभर में तबाही मचाई थी।

अलजज़ीरा नेटवर्क ने बुधवार रात रिपोर्ट दी कि हाल के घंटों में इज़राइल के हमलों में ग़ाज़ा में 60 फ़िलिस्तीनी शहीद हो गए और दर्जनों घायल हो गए।

एक रिपोर्ट के अनुसार , फ़िलिस्तीनी सूत्रों ने बुधवार रात जानकारी दी कि ग़ाज़ा के विभिन्न इलाकों पर ज़ायोनी सेना के अपराधी हमले जारी हैं।

अलजज़ीरा नेटवर्क ने ग़ाज़ा पट्टी के चिकित्सा स्रोतों के हवाले से बताया,पिछले 24 घंटों में ग़ज़ा के विभिन्न इलाकों पर बमबारी के परिणामस्वरूप शहीदों की संख्या 49 हो गई है।

अलजज़ीरा के रिपोर्टर ने बताया कि बुधवार के शुरुआती घंटों में भी कब्ज़ा करने वाली सेनाओं के हमलों में 11 फ़िलिस्तीनी शहीद और दर्जनों घायल हो गए।

अलमयादीन नेटवर्क ने बताया कि जबालिया इलाके में एक रिहायशी इमारत पर ज़ायोनी हमले के कारण 5 लोग शहीद और 20 से अधिक घायल हो गए।

रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण ग़ाज़ा के अलज़ैतून मोहल्ले में मस्जिद बिलाल के पास एक घर पर कब्ज़ा करने वाली ज़ायोनी सेना के हमले में 5 लोग शहीद और 6 घायल हो गए।

इजरायल की एक सरकारी मीडिया ने यह बयान किया है कि नेतन्याहू ने बजट और सेना को मजबूत करने पर सिफारिशें देने वाली नगल समिति की बैठक में कहा कि ईरान चाहे सीधे तौर पर हो या अपनी प्रॉक्सी ताकतों के जरिए इज़रायल के लिए सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है।

एक रिपोर्ट के अनुसार ,इजरायल की एक सरकारी मीडिया ने यह बयान किया है कि नेतन्याहू ने बजट और सेना को मजबूत करने पर सिफारिशें देने वाली नगल समिति की बैठक में कहा कि ईरान चाहे सीधे तौर पर हो या अपनी प्रॉक्सी ताकतों के जरिए इज़रायल के लिए सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है।

अरब 48 के अनुसार, नेतन्याहू ने कहा कि यह समिति इज़रायल को भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करने में मदद करेगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि इज़रायल को हर पल संभावित खतरों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए क्योंकि ईरानी गठजोड़ अभी भी मजबूत है और इसके अलावा अन्य ताकतें भी इस क्षेत्र में सक्रिय हो रही हैं।

नेतन्याहू ने यह भी बताया कि इस समिति ने आक्रामक और रक्षात्मक क्षमता बढ़ाने और भविष्य के युद्धों के लिए तैयारी पर चर्चा की है। उन्होंने कहा,इज़रायल कई क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है और हमें ऐसी सेना बनाने की जरूरत है जो किसी भी खतरे का तेज़ी और ताकत के साथ जवाब दे सके।

जनरल याकूब नगल ने कहा कि सिफारिशों में ईरान को मुख्य खतरे के रूप में पहचानने हवाई रक्षा को मजबूत करने, सीमाओं की सुरक्षा बढ़ाने और दूरस्थ इलाकों में खतरों से निपटने की क्षमता बढ़ाने पर जोर दिया गया है।

इज़रायल को अपनी सैन्य निर्भरता को बाहरी देशों पर कम करना चाहिए और हथियारों के मामले में आत्मनिर्भरता को बढ़ाना चाहिए इसके साथ ही, सेना में मानव संसाधन को मजबूत करने और भविष्य के युद्धों के लिए तैयारी की सिफारिश की गई है।

प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी बयान में कहा गया कि यह रिपोर्ट नेतन्याहू को उनके कार्यालय में एक बैठक के दौरान दी गई इस बैठक में रक्षामंत्री इजराइल काट्ज़, वित्त मंत्री बेजालेल स्मोट्रिच और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।