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इज़रायल मानवीय सहायता का इस्तेमाल ब्लैकमेलिंग के लिए कर रहा है।सऊदी अरब
सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर ग़ाज़ा में मानवीय सहायता की आपूर्ति रोकने के लिए इज़रायली शासन के फ़ैसले की निंदा की है।
सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर ग़ाज़ा में मानवीय सहायता की आपूर्ति रोकने के लिए इज़रायली शासन के फ़ैसले की निंदा की है।इज़रायली मीडिया ने रिपोर्ट दी है कि इस शासन ने ग़ाज़ा में मानवीय सहायता की आपूर्ति को पहले चरण के संघर्ष-विराम समझौते की समाप्ति के साथ रोक दिया है।
इज़रायल के प्रधानमंत्री कार्यालय ने घोषणा की है कि प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने आज सुबह से ग़ाज़ा पट्टी में सभी सामानों और सहायता की आपूर्ति को रोकने का निर्णय लिया है।
इसी बीच इज़रायली शासन के टेलीविज़न चैनल 14 ने बताया कि ग़ाज़ा में सहायता भेजने पर रोक लगाने का निर्णय एक परामर्श बैठक में लिया गया जिसकी अध्यक्षता नेतन्याहू ने कल की थी।
इस चैनल ने यह भी बताया कि ग़ाज़ा में सहायता पैकेजों को रोकने का फ़ैसला अमेरिकी पक्ष के समन्वय से लिया गया है। सऊदी अरब ने कहा कि वह इज़रायली शासन द्वारा सहायता का उपयोग एक ब्लैकमेलिंग टूल और फ़िलिस्तीनी जनता को सामूहिक दंड देने के रूप में किए जाने की निंदा करता है।
इज़राईल शासन के ग़ाज़ा पर हमलों की फिर से शुरुआत संभव
हिब्रू भाषा के मीडिया ने संकेत दिया है कि इस्राइली शासन आने वाले 10 दिनों में ग़ज़ा पट्टी पर अपने हमलों को फिर से शुरू कर सकता है।
हिब्रू मीडिया ने बताया है कि अगर इस्राइली शासन और हमास के बीच क़ैदियों की रिहाई को लेकर कोई समझौता नहीं हुआ तो इस्राइल अगले 10 दिनों में ग़ज़ा पट्टी पर हमले फिर से शुरू कर देगा।इस्राइली चैनल 12 न्यूज़ के अनुसार, वर्तमान में वार्ता गतिरोध में पहुंच चुकी है।
दूसरी ओर हमास ने बार-बार इस बात पर ज़ोर दिया है कि उसने संघर्षविराम समझौते की शर्तों का पालन किया है जबकि तेल अवीव इस प्रक्रिया में बाधा डाल रहा है।
एक इस्राइली सूत्र ने यह भी बताया कि ग़ाज़ा पर हमलों की दोबारा शुरुआत इस्राइली सेना के नए प्रमुख की नियुक्ति के कारण कुछ समय के लिए टल सकती है।
सीरिया, लेबनान और फ़िलिस्तीन पर ज़ायोनियों के ताज़ा हमले
पश्चिम एशिया में अपने अपराधों को जारी रखते हुए, ज़ायोनी शासन ने सीरिया, लेबनान और जॉर्डन नदी के पश्चिमी तट के क्षेत्रों को निशाना बनाया।
ज़ायोनी शासन ने सोमवार शाम को पश्चिमी सीरिया के तरतूस शहर के बाहरी इलाक़े को निशाना बनाया।
अल-आलम चैनल की रिपोर्ट के मुताबिक, इस हवाई हमले के बाद क़ुनैतरा शहर के वेस्ट में स्थित बलाता पुल से धुआं उठते हुए देखा गया। यह विस्फोट तरतूस-बानियास राजमार्ग के पास एक सैन्य ठिकाने पर इज़राइली हवाई हमले के कारण हुआ था।
दूसरी ओर सोमवार की रात ज़ायोनी सैनिकों का एक ग्रुप भारी उपकरणों के साथ दक्षिण पश्चिम सीरिया के क़ैनैतरा प्रांत के मसरह शहर में दाखिल हुआ।
इस कार्रवाई में जिसे हेलीकॉप्टरों और ड्रोनों की मदद से अंजाम दिया गया, ज़ायोनियों ने मसरह और अल-तैहा की बस्तियों के बीच की सड़क के संपर्क को ख़त्म कर दिया।
लेबनान में, ज़ायोनी शासन के युद्धक विमानों ने सोमवार रात पूर्वी लेबनान के बालाबक अल-हरमिल प्रांत के जुन्ता शहर के पहाड़ी इलाकों पर बमबारी की। इस हमले के लक्ष्य और संभावित हताहतों या क्षति के बारे में अभी तक कोई रिपोर्ट सामने नहीं आ सकी है।
दूसरी ओर, फ़िलिस्तीनी सूत्रों ने सोमवार रात को बताया कि अतिग्रहणकारी ज़ायोनी सेना ने वेस्ट बैंक के उत्तर में स्थित जेनिन शहर के इलाकों पर हमले किये। इज़राइली बक्तरबंद गाड़ियों ने जेनिन के पूर्व में हमला किया और साथ ही, इज़राइल के बुलडोज़रों ने भी इस क्षेत्र के बुनियादी ढांचे को नष्ट करना शुरू कर दिया।
फ़िलिस्तीनी रेड क्रिसेंट संगठन ने घोषणा की: जिहाद अलावना नामक एक फ़िलिस्तीनी युवा को सोमवार रात जेनिन के पूर्व में ज़ायोनी सैनिकों ने गोली मार कर शहीद कर दिया।
सीरिया/ अल-जूलानी सरकार ने 15 हज़ार सीरियाई कर्मचारियों को निकाल दिया
सीरिया से आने वाली एक ख़बर में कहा गया है: सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स ने सत्तारूढ़ सीरियाई सरकार के प्रमुख अल-जूलानी की सरकार द्वारा 15 हज़ार सीरियाई कर्मचारियों को बर्खास्त करने और इस देश में इंतेक़ामी कार्रवाई में तेज़ी आने के बारे में चिंताओं की सूचना दी है।
सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स ने एलान किया है कि जूलानी सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने तीन हजार शिक्षकों को निकाल दिया। इस सरकार ने शिक्षा मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय और लाज़ेक़िया बंदरगाह के 12 हज़ार कर्मचारियों को बर्खास्त करने की भी घोषणा की है।
मक़बूज़ा क्षेत्रों से खबर है कि ज़ायोनी सेना के ऑपरेशन विभाग के कमांडर "ओडिड बसियुक" ने 7 अक्टूबर के ऑपरेशन में बड़ी विफलता के बाद अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया है। ज़ायोनी सूत्रों के अनुसार, ज़ायोनी सेना के संयुक्त स्टाफ के नए प्रमुख "इयाल ज़मीर" ने यह इस्तीफा स्वीकार कर लिया है।
यमन/ अंसारुल्लाह ने फ़िलिस्तीन के लिए समर्थन की मांग की
यमन से हासिल होने वाली एक रिपोर्ट में बताया गया है: यमन के अंसारुल्लाह आंदोलन ने एक बयान में अरब देशों से फिलिस्तीन का समर्थन करने का आह्वान किया। अंसारुल्लाह ने इस बात पर ज़ोर दिया कि ज़ायोनी शासन के अपराध और आक्रामकता बिना किसी अपवाद के सभी मुस्लिम देशों को निशाना बनाती है।
यमन के अंसारुल्लाह आंदोलन ने काहिरा बैठक में अरब लीग के सदस्य देशों के नेताओं से ज़ायोनी शासन की बदमाशी, ग़ुंडागर्दी और अहंकार के खिलाफ गंभीर रुख अपनाते हुए फ़िलिस्तीन का समर्थन करने की अपील की है।
सुरक्षा बैठक के दौरान नेतन्याहू के कार्यालय में बहस और हंगामा
इज़राइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू के कार्यालय में सुरक्षा बैठक के दौरान बहस और हंगामे की खबर हैं नेतन्याहू ने हमास के साथ बंधकों की रिहाई के लिए एक समझौते की घोषणा की थी इस समझौते के तहत, गाजा पट्टी में युद्धविराम लागू किया गया और दर्जनों बंधकों की रिहाई सुनिश्चित हुई।
इज़रायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू प्रमुख रोनीन बार तथा इज़रायली सेना में बंधकों के मामले के प्रभारी जनरल नित्सान एलोन के बीच अविश्वास का संकट जारी है। नेतन्याहू लगातार इन दोनों अधिकारियों की विश्लेषणात्मक क्षमताओं पर संदेह और अपमानजनक टिप्पणियाँ कर रहे हैं। यह तब हो रहा है जब नेतन्याहू ने एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए वार्ता दल को बदल दिया है।
रविवार रात इज़रायली चैनल 13 ने अब तक के सबसे लंबे युद्ध के संचालन, खासकर बंधकों की रिहाई और हमास के खिलाफ जारी युद्ध जैसे संवेदनशील मुद्दों पर नई जानकारी दी बैठक के दौरान, रोनीन बार ने इस मामले के प्रबंधन को लेकर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा,जनमत को गुमराह किया जा रहा है।
मैं यह मानना चाहता हूँ कि यह केवल अज्ञानता है। यह असंभव है कि हम अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से कहें कि वह इस युद्ध को समाप्त कर दें क्योंकि यह कभी भी एजेंडा का हिस्सा नहीं रहा है और न ही ऐसा होगा।
इसके विपरीत, नेतन्याहू के करीबी और वार्ता का नेतृत्व संभाल रहे मंत्री रॉन डर्मर ने इस विचार का विरोध करते हुए कहा,हम एक दिन के लिए भी हमास को सत्ता में नहीं रहने देंगे। हम इसे एक मिनट भी बर्दाश्त नहीं कर सकते तुम हकीकत को नहीं समझ रहे हो। हमास एक समूह’ है जिसने 7 अक्टूबर को हम पर हमला किया था।
दूसरी ओर जनरल नित्सान एलोन, जो युद्ध की शुरुआत से ही बंधकों के मामले की देखरेख कर रहे हैं ने अलग दृष्टिकोण पेश करते हुए मंत्रियों से कहा,अगर हमास की शर्तों पर चर्चा करने से इनकार करेंगे तो बंधकों की रिहाई के मामले में कोई प्रगति नहीं होगी और न ही कोई बंधक रिहा होगा हमें कुछ बंधकों को छुड़ाने के लिए यथार्थवादी दृष्टिकोण अपनाना होगा अमेरिकी मध्यस्थों के जरिए द्वितीय चरण की वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए दबाव बना रहे हैं।
इज़रायली सेना के प्रवक्ता ने इस बैठक पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और कहा,हम बंद कमरों में होने वाली बैठकों की चर्चाओं पर टिप्पणी नहीं करते वहीं नेतन्याहू के कार्यालय ने एक संक्षिप्त बयान जारी कर कहा कि इस मुद्दे पर वह कोई टिप्पणी नहीं करेगा
रमज़ान उल मुबारक का महीना नेकियों की प्राप्ति का साधन
हज़रत इमाम हसन मुजdतबा (अ) ने रमज़ान उल मुबारक के महीने को विश्वासियों के लिए अच्छे कर्मों को प्राप्त करने में एक दूसरे से आगे निकलने का साधन बताया है।
निम्नलिखित रिवायत "तोहफ़ अल-उक़ूल" पुस्तक से ली गई है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
قال الامام المجتبیٰ علیه السلام:
إنَّ اللّه َجَعَلَ شَهرَ رَمضانَ مِضمارا لِخَلقِهِ فَیستَبِقونَ فیهِ بِطاعَتِهِ إلى مَرضاتِهِ
हज़रत इमाम हसन मुज्तबा (अ) ने फ़रमाया:
अल्लाह तआला ने रमज़ान उल मुबारक के महीने को अपनी सृष्टि के लिए (अच्छे कर्मों को प्राप्त करने के संदर्भ में) एक प्रतियोगिता बनाया है, ताकि वे अपने रब की आज्ञाकारिता में एक-दूसरे से आगे निकल जाएं और उसकी प्रसन्नता की तलाश करें।
तोहफ़ उल उक़ूल, पेज 236
माहे रमज़ान की बहुत सारी विशेषताएं
रमज़ान का महीना अपनी विशेषताओं की वजह से ख़ास अहमियत रखता है, जिसमें इंसान की ज़िंदगी और आख़ेरत दोनों को संवारा जाता है, इसलिए अगर कोई इस मुबारक महीने के आदाब को नहीं जानेगा तो वह इसकी बरकतों और नेमतों से फ़ायदा भी हासिल नहीं कर सकेगा।
रमज़ान का महीना अपनी विशेषताओं की वजह से ख़ास अहमियत रखता है, जिसमें इंसान की ज़िंदगी और आख़ेरत दोनों को संवारा जाता है, इसलिए अगर कोई इस मुबारक महीने के आदाब को नहीं जानेगा तो वह इसकी बरकतों और नेमतों से फ़ायदा भी हासिल नहीं कर सकेगा।
जिस तरह कुछ जगहें होती हैं जहां इंसान के आने जाने के लिए कुछ आदाब होते हैं जिनका वह ख़याल रखता है जैसे मासूमीन अलैहिमुस्सलाम के रौज़े, मस्जिदें, मस्जिदुल हराम, मस्जिदुन नबी और दूसरी जगहें, इसी तरह माहे रमज़ान के भी कुछ आदाब हैं जिनका ख़याल रखना बेहद ज़रूरी है, विशेषकर उन लोगों के लिए जो रमज़ान की बरकतों और रहमतों से फ़ायदा हासिल करना चाहते है।
माहे रमज़ान अपनी विशेषताओं की वजह से ख़ास अहमियत रखता है, जिसमें इंसान की ज़िदगी और आख़ेरत दोनों को संवारा जाता है, इसलिए अगर कोई इस मुबारक महीने के आदाब को नहीं जानेगा तो वह इसकी बरकतों और नेमतों से फ़ायदा भी हासिल नहीं कर सकेगा।
ध्यान रहे ग़फ़लत वह बीमारी है जो हमारे हर तरह के मानवी और रूहानी फ़ायदे को हम तक पहुंचने से रोक देती है या कम से कम पूरी तरह से फ़ायदा हासिल नहीं करने देती है। इसीलिए हमारे इमामों ने इस मुबारक महीने की तैयारी के सिलसिले में कुछ आदाब बयान किए हैं जिनको हम यहां पेश कर रहे हैं।
दुआ, तौबा, इस्तेग़फ़ार, क़ुरआन की तिलावत, अमानतों की वासपी, दिलों से नफ़रतों का दूर करना
अब्दुस-सलाम इब्ने सालेह हिरवी जो अबा सलत के नाम से मशहूर हैं उनका बयान है कि मैं माहे शाबान आख़िरी जुमे में इमाम अली रज़ा अलैहिस्सलाम की ख़िदमत में हाज़िर हुआ, उन्होंने फ़रमाया: ऐ अबा सलत! माहे शाबान का महीना लगभग गुज़र चुका है और आज आख़िरी जुमा है इसलिए अब तक जो कमियां रह गई हैं उन्हें दूर करो ताकि बाक़ी बचे हुए दिनों में इस महीने की बरकत से फ़ायदा हासिल कर सको, बहुत ज़ियादा दुआ पढ़ो, इस्तेग़फ़ार करो, क़ुरआन पढ़ो, गुनाहों से तौबा करो ताकि जब अल्लाह का मुबारक महीना आए तो तुम उसकी बरकतों और रहमतों से फ़ायदा हासिल करने के लिए पूरी तरह तैयार रहो और किसी भी तरह की कोई अमानत भी तुम्हारे ज़िम्मे न हो और ख़बरदार! किसी मोमिन के लिए तुम्हारे दिल में नफ़रत बाक़ी न रह जाए, ख़ुद को हर किए गए गुनाह से दूर कर लो, तक़वा अपनाओ और अकेले में हो या सबके सामने केवल अल्लाह पर भरोसा करो क्योंकि उसका फ़रमान है कि जिसने अल्लाह पर भरोसा किया अल्लाह उसके लिए काफ़ी है।
इस मख़सूस दुआ को पढ़ना:
जिसमें बंदा अल्लाह से इस तरह दुआ करता है कि ख़ुदाया! अगर इस मुबारक महीने शाबान में अगर अब तक मुझे माफ़ नहीं किया है वह आने वाले दिनों में मेरी मग़फ़ेरत फ़रमा, क्योंकि अल्लाह माहे रमज़ान के सम्मान में अपने बंदों को जहन्नम से आज़ाद कर देता है।
रोज़ा रखना
एक और अहम चीज़ जो इंसानों को माहे रमज़ान की बरकतों और रहमतों से फ़ायदा हासिल करने के क़ाबिल बनाता है वह रोज़ा रखना है, ख़ास तौर से माहे शाबान के आख़िरी दस दिनों में रोज़ा रखने पर बहुत ज़ोर दिया गया है।
पैग़म्बरे इस्लाम (स) से सवाल किया गया कि कौन से रोज़े का सबसे ज़ियादा सवाब है? आपने फ़रमाया: जो रोज़े शाबान के महीने में माहे रमज़ान के सम्मान में रखे जाते हैं वह सबसे ज़ियादा अहमियत रखते हैं।
इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) फ़रमाते हैं: जो शख़्स माहे शाबान के आख़िरी तीन दिनों में रोज़ा रखते हुए माहे रमज़ान से मिला दे तो अल्लाह उसे दो महीनों के रोज़े का सवाब देता है। (जिन लोगों पर पिछले रमज़ान के क़ज़ा रोज़े हैं वह अगर क़ज़ा की नीयत से रखेंगे फिर भी उन्हें यह सवाब मिलेगा)
हराम निवाले से परहेज़
माहे रमज़ान की बरकतों और नेमतों से फ़ायदा हासिल करने के लिए ख़ुद को तैयार करने के लिए एक और अहम बात यह है कि इंसान ख़ुद को हराम निवाले से बचाकर रखे, क्योंकि हराम निवाला इंसान की सारी इबादत और आमाल को बर्बाद कर देता है।
पैग़म्बरे इस्लाम (स) ने फ़रमाया: क़यामत के दिन एक गिरोह आएगा जिसकी नेकियां पहाड़ की तरह होंगी लेकिन अल्लाह किसी एक नेकी को भी क़ुबूल नहीं करेगा और फिर अल्लाह हुक्म देगा कि इसके आमाल नामे में नेकी न होने की वजह से इसे जहन्नम में डाल दो! जनाबे सलमान फ़ारसी ने पूछा या रसूलल्लाह (स) यह कौन लोग होंगे? आपने फ़रमाया कि यह वह लोग होंगे जिन्होंने रोज़े रखे, नमाज़ें पढ़ीं और रातों को जाग कर अल्लाह की इबादत भी की लेकिन जब कभी हराम निवाला दिखाई देता तो ख़ुद को रोक नहीं पाते हैं। (यानी खाने पीने में हलाल हराम का ख़याल नहीं करते हैं)
आयतुल्लाह मोहसिन क़राती के अनुसार हवाई जहाज़ हर पेट्रोल से नहीं चल सकता बल्कि उसके लिए विशेष तरह का पेट्रोल होता है उसी तरह हमारे नेक आमाल भी हैं जिन्हें हर हराम निवाला अल्लाह की बारगाह तक पहुंचने से रोकता है इसीलिए अगर कोई अपनी इबादतों और नेक आमाल का सवाब चाहता है तो उसे पाक और हलाल निवाले की तरफ़ ही हाथ बढ़ाना चाहिए।
ख़ुम्स और ज़कात का अदा करना अपनी दौलत को पाक करने के साथ साथ हराम निवाले से भी बचाता है। आज समाज की बहुत बड़ी मुश्किल माली हुक़ूक़ का अदा न करना है, यानी ख़ुम्स और ज़कात अदा करने से फ़रार करना जबकि ख़ुम्स और ज़कात का अदा करना न केवल हमारे माल को पाक करता है बल्कि हमें हराम निवाले से भी बचाता है।
लोगों को माफ़ करना ताकि अल्लाह हम सबको माफ़ करे
तौबा और इस्तेग़फ़ार के महीने के आने से पहले बेहतर है कि दूसरे सभी लोगों की ग़लतियों को माफ़ कर के ख़ुदा की मग़फ़ेरत के लिए ख़ुद को तैयार करें क्योंकि अगर हम किसी की ग़लतियों को माफ़ नहीं कर सकते तो अल्लाह से कैसे अपने लिए मग़फ़ेरत की उम्मीद कर सकते हैं। इसीलिए माहे रमज़ान के आदाब में से है कि उसके आने से पहले हम सभी की ग़लतियों को माफ़ कर के अल्लाह की रहमत और मग़फ़ेरत के मुंतज़िर रहें
रमज़ान उल मुबारक का महीना अच्छे शिष्टाचार सीखने का सबसे अच्छा अवसर
ईरान के उत्तरी खुरासान प्रांत के एक मदरसे के शिक्षक ने कहा, "रमज़ान उल मुबारक का महीना अच्छे शिष्टाचार सीखने का सबसे अच्छा अवसर है।" हमें रमज़ान उल मुबारक के महीने में पैगम्बर (स) की इस दुआ को शामिल करने का प्रयास करना चाहिए: "اَللّهُمَّ حَسِّنْ خُلْقی ... ऐ अल्लाह, हमें अच्छा चरित्र प्रदान कर..."
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन हुसैन अब्दुल्लाही ने हौजा न्यूज़ एजेंसी से बात करते हुए इस महीने से आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करने के महत्व पर जोर दिया और कहा: यह महीना व्यक्तिगत और सामूहिक अच्छे नैतिकता का अभ्यास करने का सबसे अच्छा अवसर है।
उन्होंने आगे कहा: यदि कोई व्यक्ति अच्छे चरित्र के मूल्य और महत्व को जानता है, तो उसे आश्चर्य नहीं होगा कि हज़रत इमाम अली (अ) ने इतना स्पष्ट रूप से क्यों कहा है: "حُسْنُ الْخُلْقِ رَأْسُ کُلِّ بِرٍّ हुस्नुल ख़ुल्क़े रासो कुल्ले बिर्रिन" (यानी, अच्छा चरित्र सभी अच्छाई और सद्गुणों की नींव है), और इससे भी अधिक, " الإْسْلامُ حُسْنُ الْخُلْقِ अल इस्लामो हुस्नुल ख़ुल्क़े" (यानी, इस्लाम अच्छे चरित्र का नाम है)।
हुज्जतुल इस्लाम हुसैन अब्दुल्लाही ने कहा: मनुष्य को अनैतिकता की बुराई से ईश्वर की शरण लेनी चाहिए, क्योंकि हदीस में कहा गया है: "إِنَّ سُوءَ اَلْخُلُقِ لَیُفْسِدُ اَلْإِیمَانَ... इन्ना सूअल ख़ुल्के लायुफ़सेदुल ईमाना..." अनैतिकता ईमान को नष्ट कर देती है।
उन्होंने कहा: ईमान इंसानियत की बुनियाद है और इसे नुकसान पहुंचाना बहुत खतरनाक है। इसीलिए जब नबी (स) को एक ऐसी औरत के बारे में बताया गया जो रात में इबादत करती है और दिन में रोज़ा रखती है, लेकिन बदचलन है और अपनी ज़बान से अपने पड़ोसियों को नुकसान पहुँचाती है, तो नबी (स) ने फरमाया: "उसमें कोई अच्छाई नहीं है, वह जहन्नम वालों में से है।" यानी इस औरत में कोई अच्छाई या भलाई नहीं है और वह जहन्नम वाली है।
हुज्जतुल इस्लाम अब्दुल्लाही ने कहा: रिवायतों में वर्णित है कि एक आदमी अल्लाह के रसूल (स) के पास आया, उनके सामने खड़ा हुआ और पूछा: धर्म क्या है? हज़रत ने कहा: अच्छे आचरण। यह व्यक्ति पैगम्बर के दाहिनी ओर से आया और पूछा: धर्म क्या है? पैगम्बर ने कहा: "अधिमान्य नैतिकता।" फिर वह पैगम्बर के बायीं ओर से आया और पूछा: धर्म क्या है? हज़रत ने कहा: अच्छा चरित्र क्या है? फिर वह पैगम्बर के पीछे से आया और पूछा: धर्म क्या है? पैगम्बर ने उसकी ओर मुड़कर कहा: धर्म का अर्थ है अपने क्रोध और गुस्से पर नियंत्रण रखना।
उन्होंने कहा: जब इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) से अच्छे चरित्र और अच्छे व्यवहार की सीमा के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा: "अपने पक्ष में नरमी बरतो, अपने भाषण में दयालुता बरतो, और अपने भाई को शुभ सूचना के साथ बधाई दो।" अच्छा चरित्र लोगों के साथ दयालुता और नम्रता से व्यवहार करना है। उनसे अच्छे लहजे में बात करो और अपने भाइयों से प्रसन्न मुख से मिलो।
धार्मिक अध्ययन शिक्षक ने निष्कर्ष निकाला: "ईश्वर का यह महीना अच्छे नैतिक मूल्यों का अभ्यास करने का सबसे अच्छा अवसर है।" इस महीने के दौरान, हमें पवित्र पैगंबर (स) की दुआ को अपने जीवन में शामिल करने का प्रयास करना चाहिए: "اَللّهُمَّ حَسِّنْ خُلْقی ... ऐ अल्लाह, हमें अच्छा चरित्र प्रदान कर..."।
लेबनान के राष्ट्रपति की सऊदी अरब और मिस्र पहली यात्रा
लेबनान के राष्ट्रपति अपनी पहली विदेशी यात्रा के तहत सऊदी अरब जाएंगे और इसके बाद अरब देशों के नेताओं के आपातकालीन शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए मिस्र की यात्रा करेंगे।
लेबनान के राष्ट्रपति जोसेफ आउन सोमवार आधिकारिक यात्रा पर सऊदी अरब जाएंगे और इसके बाद काहिरा में होने वाले अरब नेताओं के आपातकालीन शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे।
यह लेबनान के राष्ट्रपति की पहली आधिकारिक विदेश यात्रा होगी जो सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के निमंत्रण पर की जा रही है।मिस्र के विदेश मंत्रालय ने भी घोषणा की है कि 4 मार्च को फिलिस्तीन की स्थिति पर चर्चा के लिए अरब नेताओं का आपातकालीन शिखर सम्मेलन आयोजित किया जाएगा।
गौरतलब है कि 9 जनवरी को लेबनान की संसद ने देश की सेना के कमांडर जोसेफ आउन को नया राष्ट्रपति चुना। यह निर्णय तब लिया गया जब पूर्व राष्ट्रपति मिशेल आउन का कार्यकाल अक्टूबर 2022 में समाप्त हो गया था जिसके बाद 14 महीनों तक देश राजनीतिक अस्थिरता और आधिकारिक सरकार के अभाव में था। अब, नए राष्ट्रपति के चयन के साथ लेबनान में एक नई सरकार का गठन हो चुका है।
सीरिया में झड़पों के दौरान 6 लोगों की मौत, 12 अन्य घायल
सीरिया में स्थानीय सूत्रों ने बताया कि हमा प्रांत के एक मस्जिद के सामने गोलीबारी हुई जिसमें 6 लोगों की मौत जबकि 12 अन्य घायल हो गए।
अलमयादीन ने बताया कि हमा के ग्रामीण क्षेत्र में स्थित हियालीन गांव की एक मस्जिद के सामने कल रात गोलीबारी की घटना हुई।
इस हमले में कम से कम 6 लोगों की मौत हो गई जबकि 12 अन्य घायल हो गए बताया जा रहा है कि बशर अलअसद सरकार को गिराने के बाद से सीरिया में सशस्त्र झड़पें तेज हो गई हैं।
इसके अलावा बीते दिन सूत्रों ने जानकारी दी कि आतंकवादी गुट अलजोलानी ने 32 आतंकवादियों को रिहा कर दिया जिनमें से आधे विदेशी नागरिक थे।
एक रिपोर्ट के अनुसार, यह आतंकवादी पांच सीरियाई शहरों में अलवी समुदाय के नरसंहार में शामिल थे लेकिन पिछले तीन दिनों में इन्हें रिहा कर दिया गया है।
तक़वा और शिक्षा उच्च पद प्राप्त करने का मार्ग
आयतुल्लाहिल उज़्मा वहीद ख़ुरासानी ने कहा: जो लोग उच्च पद प्राप्त करते हैं वे वह होते हैं जो शिक्षा को तक़वा के साथ जोड़ते हैं। जितना अधिक तक़वा होगा, ग़ैब से उतनी ही अधिक सहायता मिलेगी।
आयतुल्लाहिल उज़्मा वहीद खुरासनी ने एक लेख में "उच्च पदों पर पहुंचने" के विषय पर बात की और कहा:
धार्मिक ज्ञान सशर्त है। शर्तें क्या हैं? हर तकनीक मुफ़्त है, वह सशर्त है। आप डॉक्टर बनना चाहते हैं। एक यहूदी, एक ईसाई, या एक मजूसी जो चिकित्सा का अध्ययन करता है वह चिकित्सक बन जाता है। यदि आप गणित का अध्ययन करते हैं, तो आप गणितज्ञ बन जाते हैं। जब आप गणित, फ़ीजिक और रसायन शास्त्र का अच्छी तरह अध्ययन करते है, तो विज्ञान का मास्टर बन जाते है। लेकिन दीन का ज्ञान शर्तों पर निर्भर है। "ذلِکَ الْکِتَابُ لَا رَیْبَ فِیهِ هُدًی لِلْمُتَّقِینَ ज़ालेकल किताबो ला रैबा फ़ीहे हुदन लिल मुत्तकीन" यही वह किताब है, जिसमें कोई संदेह नहीं, यह नेक लोगों के लिए मार्गदर्शन है। (सूरा बक़रा: 2) और यह मार्गदर्शन है मुत्तकी के लिए।
जो लोग शिक्षा को तक़वा के साथ जोड़ते हैं वे उच्च पदों पर पहुंचते हैं। जितना अधिक तक़वा होगा, ग़ैब से उतनी ही अधिक सहायता मिलेगी। शेख अंसारी जो सबसे शेख आज़म और ताज उल फ़ुक़्हा वल मुजतहेदीन बन गए, कैसे शेख, शेख अंसारी बन गए। परिश्रम, प्रयास और तक़वा को जोड़ा गया और शेख अंसारी का जन्म हुआ।