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इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़मेनेई ने कहा कि जबकि अमरीका हर जगह अपनी अशांति, हिंसा और अराजकता से भरी उपस्थित दर्ज किए हुए है वह निरंतर क्षेत्र में ईरान की उपस्थिति के बारे में शंका फैला रहा है।

गुरुवार को पैग़म्बरे इस्लाम की सुपुत्री हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा के शुम जन्म दिवस के अवसर पर हज़ारों की संख्या में शायरों, कवियों और कवियत्रियों ने इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता से मुलाक़ात की।

इस मुलाक़ात में वरिष्ठ नेता ने क्षेत्र में अमरीकी और यूरोपीय अधिकारियों द्वारा ईरान की उपस्थिति के बारे में दिए गये बयानों पर जवाब देते हुए कहा कि क्या हमको क्षेत्र में उपस्थित होने के लिए अमरीका से अनुमति लेना होगा? 

वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान को क्षेत्र में अपनी उपस्थिति के लिए  क्षेत्रीय सरकारों से बात करनी चाहिए न कि अमरीकियों से? जब हम अमरीका में उपस्थिति दर्ज करेंगे तो आपसे वार्ता करेंगे।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने क्षेत्र में उपस्थिति के बारे में ईरान से वार्ता करने के रूझान पर आधारित यूरोपीय अधिकारियों के बयान पर कहा कि इसी बात पर मैं फिर बल देता हूं और कहता हूं कि इस बात से तुम्हें क्या लेना देना है।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने बल दिया कि ईरान, क्षेत्रीय राष्ट्रों से वार्ता करता है, समझौता करता है और आगे भी वार्ता करता रहेगा। 

उन्होंने कहा कि ईरान के दुश्मन कुछ महीने पहले एक थिंक टैंक में बैठे और अगले तीन महीने के लिए योजना बना कि अपनी सोच में अगले तीन महीने में ईरान का काम तमाम कर देंगे।

 

तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा के इमाम ने कहा कि क्षेत्र में ईरान की उपस्थिति का किसी भी बाहरी ताक़त कोई लेना देना नहीं है और ईरान किसी भी बाहरी ताक़त को हस्तक्षेप की अनुमति नहीं देगा।

तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा के इमाम हुज्जतुल इस्लाम काज़िम सिद्दीक़ी ने नमाज़े जुमा के ख़ुतबों में कहा कि यह बात कदापि स्वीकार्य नहीं है कि कोई यूरोपीय देश अमरीका का दल्लाल बनकर आए और हमसे यह कहे कि इस इलाक़े में आपको कुछ करने के लिए हमसे अनुमति लेनी होगी। उन्होंने कहा कि ईरान ने आज तक किसी भी बाहरी शक्ति को हस्तक्षेप की अनुमति नहीं दी है और भविष्य में भी किसी ताक़त को हस्तक्षेप की इजाज़ नहीं दी जाएगी।

तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा के इमाम ने कहा कि इलाक़े में ईरान की उपस्थिति और प्रभाव अमरीका के हिंसा और फ़ितना फैलाने वाले तत्वों पर अंकुश लगाने के लिए है।

हुज्जतुल इस्लाम काज़िम सिद्दीक़ी ने ईरान को नुक़सान पहुंचाने में विश्व सम्राज्यवाद की विफलता का हवाला देते हुए कहा कि सारी साज़िशें ईरान में उपद्रव और अराजकता पैदा करने के लिए थीं जिन्हें जनता की दूरदर्शता और ईश्वर की कृपा तथा इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता के विवेकपूर्ण नेतृत्व की मदद से नाकाम बना दिया गया।

तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा के इमाम ने पैग़म्बरे इस्लाम की सुपुत्री हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा के शुभ जन्म दिवस की बधाई दी और महिला दिवस या माता दिवस का हवाला देते हुए हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा को सारी दुनिया के एकेश्वरवादियों और इस्लामी जगत तथा ईरानी जनता के लिए आदर्श बताया। उन्होंने कहा कि हज़रत फ़ातेमा ज़हरा उन सभी इंसानों के लिए संपूर्ण मानवीय आदर्श हैं जो मानवीय मूल्यों पर आस्था रखते हैं।

 

वरिष्ठ नेता ने कहा है कि वर्तमान समय में सीरिया, प्रतिरोध के मोर्चे की अग्रिम पक्ति पर है।

सीरिया के वक़्फ़मंत्री ने गुरूवार को तेहरान में इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता से मुलाक़ात की।  इस भेंटवार्ता में आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ातेमी ने सीरिया के वक़्फ़मंत्री और उनके साथ आए प्रतिनिधिमण्डल के साथ भेंट में कहा कि यदि देशों के राष्ट्राध्यक्ष और राष्ट्र, कड़े प्रतिरोध का प्रण कर लें तो फिर शत्रु कुछ भी नहीं कर सकता।  उन्होंने कहा कि इस समय सीरिया प्रतिरोध के मोर्चे की अग्रिम पक्ति पर मौजूद है इसलिए हमें सीरिया का समर्थन करना चाहिए।

आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा कि सीरिया के राष्ट्रपति बश्शार असद एक महान प्रतिरोधकर्ता के रूप में उभरे हैं।  उन्होंने कहा कि प्रतिरोध के मार्ग में वे एक क़दम भी पीछे नहीं हटे।  वरिष्ठ नेता का कहना था कि यह बात किसी राष्ट्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस समय कुछ राष्ट्र, बहुत ही अपमान जनक जीवन व्यतीत कर रहे हैं।  इसका कारण यह है कि उनके शासक नीच हैं।  किसी राष्ट्र के नेता यदि प्रतिरोधी होते तो एेसे में उनके राष्ट्र, सम्मान का आभास करते।  एेसे राष्ट्रो का शत्रु कुछ नहीं बिगाड़ सकता।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा कि इस्लामी क्रांति अब 40वें वर्ष में प्रविष्ठ हो चुकी है।  उन्होंने कहा कि ईरान की इस्लामी क्रांति के आरंभ से ही उसके सारे शत्रुओं ने एकजुट होकर क्रांति के विरुद्ध षडयंत्र रचे।  उन्होंने कहा कि अमरीका, सोवियत संघ, नैटो और क्षेत्र के रूढ़ीवादी अरब देशों ने मिलकर हमारे ख़िलाफ़ प्रयास किये किंतु वे हमे मिटा नहीं सके बल्कि हम बाक़ी रहे।  इसका मतलब क्या है? वरिष्ठ नेता ने कहा कि इसका एक अर्थ तो यह है कि जो कुछ बड़ी शक्तियां चाहती हैं वही हो एेसा नहीं है।

आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा कि इससे यह बात भी समझ में आती है कि यदि क्षेत्र के प्रतिरोधी लोग दृढ़ता के साथ प्रतिरोध करें तो फिर शत्रु हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता।

आयतुल्लाह अहमद ख़ातेमी ने कहा है कि ईरान की रक्षा क्षमता एेसा विषय है जिसके बारे में किसी से वार्ता नहीं

तेहरान के इमामे जुमा ने कहा है कि ईरान, अपनी प्रतिरक्षा क्षमता को मज़बूत करने के उद्देश्य से मिसाइल सहित अन्य सैन्य उपकरण बनाता रहेगा।  उन्होंने कहा कि देश की प्रतिरक्षा के बारे में दूसरों से वार्ता संभव नहीं है।

आयतुल्लाह ख़ातेमी ने जुमे के ख़ुत्बे में इस्लामी गणतंत्र ईरान की रक्षा क्षमता को अधिक मज़बूत बनाने पर आभार व्यक्त करते हुए कहा है कि ईरान इस बारे में किसी देश से अनुमति नहीं लेगा।  उन्होंने कहा कि हम अपनी प्रतरोधक क्षमता बढ़ाते रहेंगे।

आयतुल्लाह ख़ातेमी ने रोहिंग्या मुसलमानों के जन संहार की ओर संकेत करते हुए कहा कि इसमें अतिवादी बौद्ध चरमपंथियों का हाथ है।  उन्होंने संयुक्त राष्ट्रसंघ और मानवाधिकार संगठनों से मांग की है कि वे रोहिंग्या मुसलमानों के जनसंहार को तत्काल रुकवाने के लिए गंभीर क़दम उठाएं।

 

इराक़ के विदेशमंत्री ने अपने देश में अमरीकी सैन्य छावनी बनाए जाने का विरोध किया है।

इब्राहीम जाफ़री ने कहा कि हम इराक़ में अमरीकी सैन्य छावनी बनाए जाने का विरोध करते हैं।  इराक़ी विदेशमंत्री ने शुक्रवार की रात माॅस्को में कहा कि बग़दाद सरकार अपनी संप्रभुता के बारे में किसी से समझौते के लिए तैयार नहीं है।

उन्होंने कहा कि इराक़ ने आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष में जब सन 2014 में सुरक्षा परिषद से अन्तर्राष्ट्रीय सेना की मांग की थी तो उसी समय बग़दाद ने यह स्पष्ट कर दिया था कि यह सैन्य सहायता  एेसी हो जिसमें इराक़ की संप्रभुता का सम्मान किया जाए।  उन्होंने कहा कि हमने उस समय कह दिया था कि एेसा न हो की इस सैन्य सहायता की आड़ में बाद में इराक़ में सैन्य छावनी बनाए जाने की बात सामने आए।

इराक़ के विदेशमंत्री इब्राहीम जाफ़री ने कहा कि द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद अमरीका ने जिन देशों में सैन्य छावनियां बनाई थीं वे आज भी मौजूद हैं जैसे दक्षिणी कोरिया, जापान और तुर्की के अतिरिक्त कई अन्य देशों में।  उन्होंने कहा कि यह काम इन देशों की संप्रभुता का खुला उल्लंघन है।  इब्राहीम जाफ़री का कहना था कि इराक़ की संप्रभुता हमारी रेड लाइन है इसके बारे में किसी से भी बात नहीं होगी।

इस्लामी गणतंत्र ईरान की संसद मजलिसे शूराए इस्लामी के प्रतिनिधि मंडल ने भारतीय संसद के प्रतिनिधि मंडल से मुलाक़ात की।

हमारे संवाददाता की रिपोर्ट के अनुसार दोनों देशों के संसदीय प्रतिनिधि मंडल ने नवीकरणीय सौर ऊर्जा, सौर्य ऊर्जा बनाने वाली कंपनियों, संयुक्त जांच समिति के गठन तथा व्यापारिक और आर्थिक संबंधों में विस्तार जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की।

नई दिल्ली में होने वाली इस महत्वपूर्ण मुलाक़ात में ईरान के संसदीय प्रतिनिधि मंडल को ईरान दौरे का निमंत्रण दिया। इसी प्रकार दोनों देशों के प्रतिनिधि मंडलों ने महत्वपूर्ण क्षेत्रीय व अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर भी विचार विमर्श किया।

ईरान और भारत के संसदीय प्रतिनिधि मंडलों ने पिछले वर्ष भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ईरान दौरे और ईरान के राष्ट्रपति डाक्टर हसन रूहानी के हालिया भारत दौरे की ओर संकेत करते हुए इन दौरों के दौरान होने वाले समझौतों के क्रियान्वयन पर बल  दिया।

ईरान के संसदीय प्रतिनिधि मंडल ने भारतीय प्रतिनिधि मंडल के साथ मुलाक़ात में बल दिया कि ईरान और भारत के बीच प्राचीन सांस्कृतिक संबंध हैं और इन संबंधों में विस्तार के लिए अधिक प्रयास करना चाहिए।  

वरिष्ठ नेता ने कहा है कि इस्लामी क्रांति के दौरान श्रमिको ने बहुत ही सम्मानीय ढंग से भूमिका निभाई।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता का कहना है कि श्रमिकों ने इस्लामी क्रांति के दौरान की घटनाओं और पवित्र प्रतिरक्षा के दौरान  सम्मानीय ढंग से दूरदर्शिता के साथ अपनी उपस्थति दर्ज कराई।

आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने श्रमिकों के बलिदान का उल्लेख करते हुए कहा कि जब कभी भी स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी युद्ध के मोर्चे पर जाने के लिए जनता से आह्वान किया करते थे तो श्रमिक, पूरे उत्साह से मोर्चों पर पहुंचकर देश की रक्षा करते थे।  उन्होंने कहा कि समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों ने इस्लामी क्रांति और पवित्र प्रतिरक्षा के दौरान शहादत पेश की किंतु उनमें श्रमिकों को विशेष स्थान प्राप्त है।  वरिष्ठ नेता का कहना था कि क्रांति के दौरान शत्रु, देश के श्रमिकों को ईरान के विरुद्ध उकसाते थे किंतु उन्होंने हर प्रकार के दुष्प्रचार से बचते हुए इस्लामी क्रांति के हित में काम किया।

वरिष्ठ नेता ने यह बात 5 फ़रवरी 2018 को आयोजित एक कांफ्रेंस में कही जिसका शीर्षक था, "चौदह हज़ार शहीद सम्मेलन"।  आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई का संदेश आज 26 फ़रवरी को सम्मेलन स्थल से प्रसारित किया गया।

 

ख़िज़्र हबीब, फिलीस्तीनी इस्लामिक जिहाद आंदोलन के एक वरिष्ठ नेता, 200 हाफ़िज़ाने कुरान का सम्मान समारोह में बोलते हुऐ जोकि गाजा क्षेत्र "Shejaiya" की "Qzmry" मस्जिद में आयोजित किया गया था, कहाः कि हाफ़िज़ाने कुरान की एक नई और अनोखी पीढ़ी का प्रशिक्षण, ज़ियानवादी बस्तियों और क़ुद्स शरीफ यहूदी धर्म में बदलने के लिए इजरायल की योजनाओं और विचारों के खिलाफ एक ठोस हथियार है।
उन्होंने इस जोर देते हुऐकि नई कुरानिक पीढ़ी, अल-कास्सी मस्जिद को ग़ासिबों के विलुप्त होने से खत्म करने की कोशिश करेगी, स्पष्ट कियाः जब मैने सुना कि भगवान की पुस्तक के हाफ़िज़ों की एक नई पीढ़ी के स्नातकों ने एक बार फिर प्रतिरोध और जिहाद का झंडा उठाया है, हम ने इसे एक अच्छा फ़ाल शुमार किया।
हबीब ने इस समारोह में जो कि इस्लामिक जिहाद के वरिष्ठ नेताओं और कई फिलीस्तीनी धार्मिक और कुरानिक की उपस्थिति के साथ आयोजित हुआ, कहा: पवित्र कुरान राष्ट्र को जागृत करता है और संस्कृतियों को बढ़ाता है, इस तरह कि पैगंबर पर कुरान के उतरने से पहले अरब लोग उत्पीड़न और भ्रष्टाचार में रहते थे, लेकिन कुरान के उतरने के साथ, अरब राष्ट्र जाग उठा और जीवन के सभी पहलुओं में अज्ञान से विज्ञान और नवीनता से बदल गया।
उन्होंने जोर दिया कि अरब और इस्लामी समुदाय और विशेष रूप से फिलीस्तीनी लोगों को पीढ़ी,बच्चों और भविष्य की पीढ़ियों के दिलों में इस्लाम और नैतिकता के सिद्धांतों को सीखाने और इस्लामी अवधारणाओं को मजबूत करने की आवश्यकता है।

 

संस्कृति और इस्लामिक रिलेशन्स संगठन की जानकारी डेटाबेस के हवाले से,मुंबई में ईरान संस्कृति हाउस ने, संस्कृति और इस्लामिक रिलेशन्स संगठन के इस्लामी विज्ञान और इस्लामी मआरिफ़ के प्रकाशन व अनुवाद संयोजित समन्वय केंद्र के साथ "टाप" परियोजना लागू करने के रास्ते में हुज्जतुल इस्लाम मोहसिन क़िराअती की लिखी पुस्तक "Tawheed" का उर्दू भाषा में अनुवाद करने का प्रयास किया है
यह पुस्तक तौहीद की अवधारणा और इसके विभिन्न रूपों और शर्क और शिर्क व इसके उदाहरणों की पहचान करने के तरीकों के बारे में 200 पृष्ठों पर शामिल है, जिसमें यह धर्म के विशेषाधिकारों, धर्म की दक्षता, धर्म का गलत विश्लेषण, धर्मशास्त्र के तरीके, एकेश्वरवाद के सत्य और आयाम और ... पर बहस की गई है।
 
प्रोफेसर क़िराअती ने इस पुस्तक में तौहीदे इबादत के प्रकार और तौहीदे अस्मा और सिफ़ात की व्याख्या की है, और श्रिके अकबर और उसके विभिन्न रूपों और प्रत्येक एक की कारणों का एक बहुत सरल और चालू विवरण प्रस्तुत किया है। इसी तरह मानव वजूद में तौहीदी विचार और विश्वासों को हिफ़्ज़ करने के तरीके बताऐ है।

 

ग़ज़्ज़ा में जनता ने प्रदर्शन करके अमरीकी दूतावास तेल अवीव से बैतुल मुक़द्दस स्थानांतरित करने के फ़ैसले की निंदा की है।

रविवार को ग़ज़्ज़ा पट्टी में विभिन्न लेबर संघों और व्यापारी संगठनों की अपील पर हज़ारों फ़िलिस्तीनियों ने अमरीका विरोधी प्रदर्शनों में भाग लिया। इस रिपोर्ट के अनुसार प्रदर्शनकारी ग़ज़्ज़ा शहर के अज्ञात सैनिक के नाम से प्रसिद्ध चौराहे पर एकत्रित हुए और अमरीकी दूतावास तेल अवीव से बैतुल मुक़द्दस स्थानांतरित करने के अमरीकी फ़ैसले की निंदा की।

ग़ज़्ज़ा के लेबर और व्यापारियों की परिषद के प्रवक्ता अब्दुल करीम ख़ालेदी ने बताया कि इस रैली का उद्देश्य, बैतुल मुक़द्दस की पहचान और उसकी धार्मिक, राष्ट्रीय और सांस्कृतिक हैसियत के विरुद्ध की जाने वाली हर साज़िश का विरोध करना है।

उन्होंने कहा कि बैतुल मुक़द्दस, फ़िलिस्तीन की राजधानी है और उसकी यह पहचान ख़त्म नहीं की जा सकती।

अब्दुल करीम ख़ालेदी ने कहा कि अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने अपना दूतावास तेल अवीव से बैतुल मुक़द्दस स्थानांतरित करने की घोषणा करके, वाशिंग्टन की ओर से ज़ायोनी शासन के खुले समर्थन का प्रमाण पेश किया है।

ज्ञात रहे कि अमरीकी सरकार ने 14 मई को नकबा दिवस के अवसर पर अपना दूतावास तेल अवीव से बैतुल मुक़द्दस स्थानांतरित करने की घोषणा की है।