हज़रत अली (अ) के फ़ज़ाइल को गिनना नामुमकिन

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हज़रत अली (अ) के फ़ज़ाइल को गिनना नामुमकिन

मेलबोर्न ऑस्ट्रेलिया के इमाम जुमा ने सभा को संबोधित करते हुए कहा: हज़रत अली (अ) के फ़ज़ाइल को गिनना संभव नहीं है, क्योंकि मौला ए काएनात फ़ज़ाइल और मनाक़िब का शहर है। हज़रत अली (अ) न केवल रूहे काबा है, बल्कि रूहे क़ुरआन और ईमान भी हैं।

मौलूद  ए काबा का जशन 13 रजब 1446 हिजरी को मशहद में इमाम अली रजा (अ) की पवित्र दरगाह के सहने ग़दीर में मनाया गया। इस अवसर पर आस्ट्रेलिया के मेलबर्न स्थित इमाम जुमा एवं आस्ट्रेलिया के शिया उलेमा काउंसिल के अध्यक्ष हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मौलाना सय्यद अबुल कासिम रिजवी ने अपने विचार रखे।

उन्होने अपने संबोधन मे कहा कि हज़रत अली (अ) के फ़ज़ाइल को गिनना संभव नहीं है, क्योंकि मौला ए काएनात फ़ज़ाइल और मनाक़िब का शहर है। हज़रत अली (अ) न केवल रूहे काबा है, बल्कि रूहे क़ुरआन और ईमान भी हैं मौलानी रिजवी ने इमाम रज़ा (अ) और मौला ए काएनात के साझा गुणो पर प्रकाश डालते हुए कहा कि दोनो के नाम अली है, उपनाम मुर्तज़ा और उपाधी अबुल हसन है। एक मुशकिल कुशा है तो दूसरा ज़ामिन है।

मेलबर्न के इमाम जुमा ने कहा कि ग़ैबत ए कुबरा के दौरान शियो की सर बुलंदी का उल्लेख करते हुए कहा कि ईरान की इस्लामी क्रांति के बाद शियावाद को जो सम्मान मिला वह इस क्रांति का परिणाम है, आज पूरे विश्व मे अलीयुन वलीयुल्लाह की गूंज सुनाई दे रही है और शिया तक़य्ये के बिना अपने विश्वासो और आस्थाओ को ज़ाहिर कर रहे है।

 

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