हिजाब का कांसेप्ट: सभी धर्में में पर्दे की अलग-अलग शक्लें

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हिजाब का कांसेप्ट: सभी धर्में में पर्दे की अलग-अलग शक्लें

अलग-अलग मज़हबों में हिजाब

हिजाब यानी पर्दा या कवर करने का कांसेप्ट कई मज़हबों में मौजूद है। हर मज़हब में इसका मतलब और तरीका थोड़ा अलग हो सकता है। आइए देखते हैं कि हिजाब या पर्दा अलग-अलग रिलिजंस में कैसे माना जाता है।

इस्लाम

इस्लाम में औरतों और मर्दों दोनों को पर्दे की तालीम दी गई है। औरतें आमतौर पर हिजाब, दुपट्टा या चादर से अपने बाल और बॉडी को ढकती हैं। कुरआन (सूरह नूर, आयत 31 और सूरह अहज़ाब, आयत 59) में हिजाब का ज़िक्र आता है। मर्दों को भी नज़रें नीची रखने और शरीफाना लिबास पहनने की हिदायत दी गई है।

क्रिश्चियनिटी

क्रिश्चियनिटी में पहले औरतें चर्च में सर ढकती थीं। बाइबल (1st Corinthians, Chapter 11) में लिखा है कि औरतों को प्रेयर के दौरान अपना सर कवर करना चाहिए। कुछ ईसाई ग्रुप्स जैसे अमिश और मेनोनाइट्स की औरतें आज भी ट्रेडिशनल हेड कवर पहनती हैं। नन्स (ईसाई मज़हब की इबादतगुज़ार औरतें) भी स्पेशल हिजाब जैसा पहनावा रखती हैं।

यहूदियत (ज्यूडाइज़्म)

ज्यूडिज़्म में शादीशुदा औरतों को अपने बाल कवर करने का हुक्म दिया गया है। यह कवरिंग शाल (Tichel), टोपी (Hat) या विग (Sheitel) के जरिए हो सकती है। ऑर्थोडॉक्स यहूदी औरतें खासतौर पर इस रिवाज को फॉलो करती हैं।

ज़रथुश्त्र (पारसी धर्म)

ज़रथुश्त्री मज़हब में औरतें इबादत के वक्त सर कवर करती हैं। पुराने फारसी नक़्शों में भी औरतों को दुपट्टे या हिजाब जैसे कपड़ों में दिखाया गया है।

हिंदू धर्म

हिंदू कल्चर में भी औरतें दुपट्टे या साड़ी के पल्लू से सर ढकती हैं, खासकर शादीशुदा औरतें। मंदिरों में जाने के वक्त या धार्मिक फंक्शन्स के दौरान कुछ औरतें सिर ढकती हैं।

बौद्ध धर्म

बौद्ध धर्म में नन्स (भिक्षुणियां) स्पेशल हेड कवरिंग और सिंपल कपड़े पहनती हैं, जिससे वो अपनी जिंदगी को सादगी और इबादत के लिए समर्पित कर सकें।

नतीजा

दुनिया के बहुत से रिलिजंस में हिजाब या सर ढकने का रिवाज है। हर मज़हब में इसका मकसद अलग हो सकता है, लेकिन आमतौर पर इसे तहज़ीब, इज़्ज़त और रिलीजन की पहचान से जोड़ा जाता है।

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