ईरान ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की उस योजना का सख्त विरोध किया है, जिसमें ग़ज़्ज़ा पट्टी के फ़िलिस्तीनियों को जबरन जॉर्डन और मिस्र भेजने का प्रस्ताव है। ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माईल बाघाई ने इसे फ़िलिस्तीनियों को उनकी ज़मीन से हटाने की साजिश बताते हुए कहा कि यह योजना अमेरिका के हथियारों, राजनीति, ख़ुफ़िया और फंडिंग के सहारे लंबे समय से चलाई जा रही है।
बाघाई ने कहा कि इस्राईल के 15 महीने लंबे हमले फ़िलिस्तीनियों को उनकी ज़मीन से हटाने में नाकाम रहे हैं और राजनीतिक दबाव या जनसंख्या में बदलाव की कोशिशें उन्हें वहां से जाने के लिए मजबूर नहीं कर सकतीं। उन्होंने कहा कि यह उनकी मातृभूमि है और वे आज़ादी और आत्मनिर्णय के अपने संघर्ष को जारी रखने के लिए बड़ी कुर्बानियां दे चुके हैं।
ट्रम्प की इस योजना का मिस्र, जॉर्डन, सऊदी अरब, कतर, फिलिस्तीनी प्रशासन और अरब लीग समेत कई अरब देशों ने भी विरोध किया है। इन देशों ने एक संयुक्त बयान में कहा कि फिलिस्तीनियों को हटाने से क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ेगी और संघर्ष और गहरा सकता है।
संयुक्त राष्ट्र ने भी इस प्रस्ताव को खारिज करते हुए कहा है कि वह किसी भी ऐसी योजना के खिलाफ है जो जबरन विस्थापन या नस्लीय सफाई की ओर ले जाती है।
फिलिस्तीनी नेताओं और गाजा के निवासियों ने भी इस योजना की आलोचना की है। वे इसे 1948 के नकबा जैसी एक और बड़ी त्रासदी मानते हैं और अपनी ज़मीन पर डटे रहने की कसम खा चुके हैं।