हिंदुस्तान में शादीशुदा महिलाओं का संरक्षण और घरेलू हिंसा की चुनौतियाँ

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हिंदुस्तान में शादीशुदा महिलाओं का संरक्षण और घरेलू हिंसा की चुनौतियाँ

समाज तभी मज़बूत और शांतिपूर्ण होगा जब शादी को प्यार, सम्मान और सुकून का रिश्ता समझा जाए, न कि अत्याचार और शोषण का साधन। इस्लाम का संदेश बिल्कुल स्पष्ट है,शादी प्यार और रहमत का रिश्ता है, ज़ुल्म और जबरदस्ती का नहीं।

महिलाएं किसी भी समाज की बुनियादी स्तंभ और पारिवारिक व्यवस्था की आधार होती हैं। शादी के बाद उनकी जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं और वे परिवार की शांति, परवरिश और पीढ़ियों के पालन-पोषण की जिम्मेदार बन जाती हैं।

लेकिन भारत जैसे बड़े लोकतांत्रिक देश में आज भी लाखों शादीशुदा महिलाएं घरेलू हिंसा, दहेज की मांग, मारपीट, मानसिक प्रताड़ना और यौन उत्पीड़न का शिकार हैं।

यह न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन है बल्कि सामाजिक संतुलन को बिगाड़ने वाला एक गंभीर संकट है जिसके परिणामस्वरूप परिवार टूटते हैं, महिलाएं आत्महत्या को मजबूर होती हैं और बच्चे वंचिताओं का शिकार रहते हैं।

घरेलू हिंसा और कानून

भारत में घरेलू हिंसा विभिन्न रूपों में प्रकट होती है जैसे दहेज की मांग, शारीरिक उत्पीड़न, मौखिक गालियां, वित्तीय शोषण और यौन जबरदस्ती। सरकार ने इस समस्या के समाधान के लिए कई कानून बनाए हैं जिनमें घरेलू हिंसा अधिनियम 2005, दहेज निषेध अधिनियम 1961 और आईपीसी की धारा 498A शामिल हैं।

हालांकि यह कानून कागज पर महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करते हैं, लेकिन व्यावहारिक रूप से प्रभावी साबित नहीं हुए हैं क्योंकि ज्यादातर महिलाएं सामाजिक दबाव या अज्ञानता के कारण शिकायत दर्ज नहीं कराती हैं, और अक्सर मामले न्याय के बजाय समझौते या दबाव में खत्म कर दिए जाते हैं।

इस्लामी दृष्टिकोण

इस्लाम ने महिला को अतुलनीय सम्मान, गरिमा और सुरक्षा दी है। कुरान कहता है,और उनके साथ अच्छे तरीके से रहो" यानी पत्नियों के साथ अच्छा व्यवहार करो। पैगंबर मुहम्मद (स.अ.व.) ने फरमाया,तुम में सबसे अच्छा वह है जो अपनी पत्नी के लिए सबसे अच्छा हो।

इस्लाम के अनुसार शादी मन की शांति, इज्जत की हिफाजत, नस्ल की निरंतरता और धर्म की पूर्ति का साधन है। इसलिए महिला पर अत्याचार और हिंसा न केवल नैतिक पतन है बल्कि एक गंभीर पाप भी है। दुर्भाग्य से भारतीय समाज में शादी के इस पवित्र रिश्ते को दहेज और घरेलू अत्याचारों ने विकृत कर दिया है।

सुझाव और निष्कर्ष

भारत में महिलाओं की सुरक्षा के लिए जरूरी है कि दहेज विरोधी कानूनों को सख्ती से लागू किया जाए, घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं के लिए हर जिले में संरक्षण केंद्र स्थापित किए जाएं, शादीशुदा महिलाओं की शिक्षा और कौशल को बढ़ावा दिया जाए और सामाजिक जागरूकता अभियान चलाए जाएं।

सरकार को एक पारदर्शी डिजिटल प्रणाली भी स्थापित करनी चाहिए ताकि महिलाओं की समस्याओं का प्रभावी समाधान निकाला जा सके। नतीजतन, समाज तभी मजबूत और शांतिपूर्ण होगा जब शादी को प्यार, सम्मान और सुकून का रिश्ता समझा जाए, न कि अत्याचार और शोषण का साधन। इस्लाम का संदेश बिल्कुल स्पष्ट है शादी प्यार और रहमत का रिश्ता है, ज़ुल्म और जबरदस्ती का नहीं।

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