चुनाव में भागीदारी ईरानी राष्ट्र का अधिकार है

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ईरान की इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनई ने अगले राष्ट्रपति पद के चुनाव में जनता की भव्य उपस्थिति को रोकना शत्रु का रहस्मय लक्ष्य बताया।

उन्होंने मंगलवार की सुबह तेहरान के दक्षिण में स्थित क़ुम के हज़ारों लोगों से भेंट में बल दिया कि ईरान में आगामी चुनाव के भव्य आयोजन को रोकने के लिए शत्रु का एक षड्यंत्र यह है कि वह चुनाव के दिनों में लोगों को राजनैतिक, आर्थिक या सुरक्षा संबंधि घटनाओं में उलझाना चाहता है किन्तु ईरानी राष्ट्र शत्रु के झांसे में आने वाला नहीं है। वरिष्ठ नेता ने इस बात का उल्लेख करते हुए कि ग्यारहवें राष्ट्रपति चुनाव को निर्धारित समय पर आयोजित होना चाहिए और इस चुनाव के संबंध में उन्होंने विदेशियों के लक्ष्य व शैली की व्याख्या में कहा कि सभी लोग यहां तक कि जो चुनाव के संबंध में सहानुभूति के साथ सार्वजनिक अनुशंसा करना चाहते हैं वे इस ओर से सावधान रहें कि शत्रु उनकी बात से लाभ न उठा ले।

आयतुल्लाहिल उज़मा सय्यद अली ख़ामेनई ने उन लोगों की आलोचना करते हुए, जो लोगों में यह भ्रांति फैलाने का प्रयास कर रहे हैं कि चुनाव पारदर्शी नहीं हैं, इस प्रकार की बातों व व्यवहार को साम्राज्यवादी सरकारों के लक्ष्यों को व्यवहारिक बनाने में सहायता करने वाली एक शैली बताया और स्पष्ट किया कि चुनाव को पूरी पारदर्शिता व ईमानदारी से होना चाहिए और सरकारी व ग़ैर सरकारी अधिकारियों को चाहिए कि वे क़ानून का पालन करते हुए ईमानदारी से पारदर्शी चुनाव आयोजित कराएं।

उन्होंने चुनाव के पारदर्शी आयोजन के लिए क़ानून में वर्णित मार्गों व शैलियों की ओर संकेत करते हुए कहा कि इन मार्गों व क़ानून का पालन पारदर्शी चुनाव की गारेंटी है सिवाए इसके कि कुछ लोग ग़ैर क़ानूनी मार्ग अपनाएं जैसा कि वर्ष 2009 के चुनाव में कुछ लोगों ने ग़ैर क़ानूनी मार्ग अपनाया और वे जनता के लिए कष्ट और अपने दुर्भाग्य का कारण बने। ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने चुनाव में भाग लेने को एक अधिकार और एक दायित्व बताया। उन्होंने कहा कि जो लोग चुवाव में प्रत्याशी बनना चाहते हैं उन्हें चाहिये कि वे अपनी ज़िम्मेदारी का आभास करें और उन बातों पर ध्यान दें जिनका वर्णन राष्ट्रपति पद की योग्यता संबंध में संविधान में किया गया है। ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने तेहरान के विरुद्ध अन्यायपूर्ण प्रतिबंधों को जारी रखने हुए साम्राज्यवादी सरकारों के मध्य सांठगांठ की ओर संकेत करते हुए कहा कि ये सरकारें ईरानी राष्ट्र को घुटने टेकने व थका देने के लिए प्रतिबंधों को जारी रखने पर बल दे रही हैं परंतु ईरानी जनता का लगाव, इस्लाम और क्रांति के आधारों और ईरानियों की राष्ट्रीय प्रतिष्ठा में दिन प्रतिदिन वृद्धि हो रही है और यह ठीक वही चीज़ है जिसे शत्रु बिल्कुल पसंद नहीं करते।

 

 

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