हज़रत अबूल्फ़ज़लिल अब्बास की शहादत करबला के इतिहास में होने वाली मुसीबतों मे से बहुत ही महान और गंभीर संकट माना जाता है।
हज़रत अबूल्फ़ज़लिल अब्बास की व्यक्तित्व और शहादत के बारे मे शेख़ सदूक़, शेख मुफीद, अबुल्फ़रज इस्फ़हानी तबरसी सैय्यद इब्ने ताऊस, अल्लामा मज़लिसी और शेख अब्बास क़ुम्मी, जैसे विद्वानों ने इस प्रकार बयान किया है कि एक दिन अमीरूलमोमेनीन अली ने अपने भाई अक़ील बिन अबी तालिब से (जो अंसाब अरब को खूब जानते थे) कहा
ارید منک ان تخطب لی امراءۃ من ذوی البیوت و الحسب و النسب و الشجاعۃ " "
मैं चाहता हूँ कि तुम मेरा विवाह ऐसी स्त्री से कराओ कि जो परिवार हस्ब, नसब, और बहादुरी मैं पूरे अरब पर गर्व करता हो.
"لکی اصیب منھا ولداً "
ताकि एक ऐसा बच्चा जन्म ले
" یکون شجاعاً عضداً "
जो शुजा और बहादुर हो
" ینصر ولدی الحسین لیواسیہ لنفسہ فی طفّ کربلا ",
ताकि जब मेरा लाल हुसैन करबला की धरती पर नरग़ए आदा में घिरा हो तो वो अपनी जान निछावर कर उसकी मदद करे, हज़रत अक़ील ने फ़ातिमा कलाबया से जिनका उपनाम उम्मुलबनीन था अमीरुल मोमेनीन का विवाह करा दिया उन से आपके चार पुत्रो क़मरे बनी हाशिम हज़रत अबूल्फ़ज़लिल अब्बास, अब्दुल्ला, जाफर, उस्मान ने जन्म लिया जब हज़रत अबूल्फ़ज़लिल अब्बास ने देखा कि सरकार इमाम आली मक़ान के ज्यादातर बावफ़ा असहाब शहीद हो गए हैं आप ने अपने भाइयों से कहा,
" یا بنی امّی تقدموا "
ऐ मेरे भाइ बन्धुऔ! आगे बढ़ो! क्योंकि मैं जानता हूँ कि तुम लोग ख़ुदा, अल्लाह, के लिए यहाँ आए हो तुम्हारे तो कोई औलाद नहीं है तुम लोग अभी जवान हो
" تقدّموا بنفسی انتم "
मेरी जान तुम पर कुर्बान हो उठो!
" فحامواعن سیّدکم حتّیٰ تموتو دونہ "
आगे बढ़ो! और सैयद व सरदार की रक्षा करो, और उनके सामने अपनी जान कुर्बान कर दो यह सुन कर वह सबसे बाकमाल शौक मैदान में गए और हुसैनी मार्ग में शहीद हो गए।
विद्वानों ने हज़रत अबूल्फ़ज़लिल अब्बास के बारे में लिखा है,
" کان فاضلاً ،عالماً ،عابداً،زاھداً، فقیھاًٍٍ تقیّاًًٍ "
आप बाफज़ीलत,ज्ञानी, आबिद, ज़ाहिद, फ़क़ीह और परवर दिगार से अधिक भय रखने वाले थे।
आपके उपनामो में सबसे प्रसिद्ध उपनाम क़मरे बनी हाशिम के बारे में विद्वानों का बयान है कि क्योंकि आपके पुर प्रकाश और आध्यात्मिक चेहरा मुबारक ने आसमान निर्देश के तीन आफ़्ताबों इमाम अली, इमाम हसन, और इमाम हुसैन से कस्बे ज़िया की थी इसलिए आपको क़मर बनी हाशिम कहते हैं।
इसके अलावा आपके अलकाब मे से बाबुलहवायज एक उपनाम है क्योंकि जो व्यक्ति किसी मुश्किल में गिरफ्तार हो और अल्लाह की बारगाह में आपके तवस्सुल से दुआ करे तो उसकी सारी कठिनाईया आसान हो जाता है, इसके अलावा शहीद, अब्दुस्सालेह , सक़्क़ा, अलमुसतजार, क़ाएदूल जैश, अलहामी, अलमुस्तफ़ा, ज़ैग़म भी आप ही के उपनाम हैं।
शेख़ सदूक़ अपनी किताब अलख़ेसाल में इमामे ज़ैनुलआबेदीन का यह क़ौल नक़्ल करते हैं:
" رحم اللہ عمّی العباس فلقد آثر و ابلیٰ و فدیٰ اخاہ بنفسہ "
ख़ुदा मेरे चचा अब्बास पर अपनी रहमत नाज़िल करे उन्होंने राह खुदा में अपनी जान को निसार करके, महान युद्ध प्रदर्शन करके अपने भाई पर फिदा हो गए
" حتّیٰ قطعت یداہ "
यहाँ तक कि उनके दोनों बाज़ू अल्लाह की राह में कट गए
" فابدلہ اللہ عزّوجل بھما جناحین "
अल्लाह ने उन्हें हाथों के बदले दो पंख अता किये हैं
کۃ فی الجنۃ "
जिनके ज़रिए वह अल्लाह के मुकर्रब स्वर्गदूतों के साथ स्वर्ग में उड़ान करते हैं
इसके बाद हज़रत फ़रमाते हैं:
" انّ للعباس عند اللہ تبارک و تعالی منزلۃ یغبطہ بھا جمیع الشھداء یوم القیامۃ "
हज़रत अब्बास का अल्लाह के नज़दीक इतना बुलंद स्थान है कि क़यामत के दिन जिस पर सभी शोहदा ए ईर्ष्या करेंगे।
सादिक़ आले मुहम्मद इरशाद फ़रमाते हैं:
"کان عمّنا العباس نافذ البصیرۃ ،صلب الایمان ،جاھد مع اخیہ الحسین و ابلی بلاء حسناً و مضی شھیداً،"
हमारे चाचा अब्बास बड़े साहब दूरदर्शी और मजबूत और स्थिर विश्वास वाले थे, अपने भाई के साथ जिहाद किया और दुश्मनों के साथ विशाल युद्ध और अल्लाह की राह में शहीद हो गए
इन सभी फ़ज़ाइल और मनाक़िब के मद्देनजर शेख मुफ़ीद कहते हैं: जब उम्रे सअद ने नवीं मुहर्रम की शाम को आम हमले का आदेश दिया इमाम हुसैन करीब शिविर पर सिर रखे महवे ख़ाब थे हज़रत ज़ैनबे कुबरा ने गुहार लगाई और भाई के पास गई और कहा: मेरे माजाए! शत्रुओ की आवाज़ें नहीं सुन रहे हो ऐसा लगता है जैसे हमले के लिए हमारी ओर आ रहे हैं।
सरकारे सैय्यदुश्शोहदा ने सिर को बुलंद किया एवं कहा मेरी बहन! मैंने अभी अभी नाना रसूल अल्लाह को सपने में देखा है, वह मुझसे कह रहे थे कि मेरे लाल हुसैन तुम बहुत जल्दी हमारे पास आने वाले हो हज़रत ज़ैनब ने अपना सिर पीट लिया और रोने लगीं इमामे आली मक़ाम ने कहा: मेरी बहन! चुप हो जाओ और गिरया न करो!
क़मर बनी हाशिम ने कहा आक़ा! दुश्मन का लशकर हमारी ओर बढ़ रहा है हज़रत अपनी जगह से उठे और कहा
" عباس بنفسی انت یااخی "
मेरे भाई अब्बास में तुम पर कुर्बान जाऊं तुम उनके पास जाओ अगर हो सके तो उन्हें रोक दो क्योंकि हम आज रात अपने प्रभु की इबादत करना चाहते हैं
" لعلنا نصلی لربنا اللیلۃ و ندعوہ و نستغفرہ "
आज सारी रात हम नमाज़, इबादत और इस्तिग़फ़ार में रहने चाहते हैं
" فھو یعلم انّی قد احب الصلاۃ لہ "
मेरा खुदा खूब जानता है मैं उसकी जाति के लिए नमाज़ का प्रेमी हूँ
सरकारे सैय्यदुश्शोहदा इमाम हुसैन के इस फरमान
" بنفسی انت "
कि मेरी जान तुम्हारे ऊपर बलिदान जाए, से हज़रत अबूल्फ़ज़लिल अब्बास के मक़ाम को कुछ हद तक समझने में सहायता मिल सकती है
हज़रत अब्बास के मामो जो इबने ज़्याद के हाशिए नशीनों से था इस विचार के साथ कि अपने भानजों की सेवा कर सके उनके लिए सुरक्षा पत्र लिखवा कर दूत के हाथ करबला भेजा हज़रत अबूल्फ़ज़लिल अब्बास दूत से कहा जा और उसे हमारा यह संदेश दे कि हमारे लिए अल्लाह की सुरक्षा पर्याप्त है हमें तुझ जैसे व्यक्ति की सुरक्षा की जरूरत नहीं है जब रोज़े आशूर शिम्र ज़िल जोशन ने खयाम इमाम हुसैन के पास आकर हज़रत अब्बास और उनके भाइयों को आवाज़ दी और हम बात होना चाहा हज़रत अब्बास के भाइयों ने कोई जवाब नहीं दिया इमाम हुसैन ने फरमाया: जॉन ब्रदर अब्बास यह माना शिम्र एक फ़ासिक़ इंसान है लेकिन उसकी बात का कोई जवाब तो दो! इसलिए फरमाने इमाम सुनकर शिविर से बाहर आए कहा शिम्र तू हम से क्या चाहता है? उसने उत्तर दिया अब्बास तुम और तुम्हारे भाई इब्ने ज़्याद की सुरक्षा में हैं और लश्कर मे से किसी को तुमसे कोई सरोकार नहीं है यह सुनकर आप और आपके भाइयों ने जवाब दिया: ख़ुदा वन्दे आलम तुझ पर और तेरी व्यवस्था पर लानत करे! तू हमारे लिए तो सुरक्षा का पत्र लाया है जबकि पुत्रे रसूल को कोई सुरक्षा देने के लिए तैयार नहीं है।
बिहारुल अनवार और दूसरी किताबों में जिन का हम ने हवाला दिया बयान हुआ है कि जब हज़रत अबूल्फ़ज़लिल अब्बास ने इमामे आली मक़ाम गरीबी और तनहाई को देखा तो न रहा गया खिदमते इमाम में आए और कहा:
" یا اخی ھل من رخصۃ "
ए मेरे भाई क्या मुझे मैदान में जाने की अनुमति मिल सकती है?
" فبکی الحسین بکاءً شدیداً "
इमाम भाई से जाने का नाम सुनकर ज़ारो क़तार रोने लगे
" ثمّ قال یااخی انت صاحب لوائی "
फिर उसके बाद कहा अब्बास मैं तुम्हें कैसे अनुमति दूँ तुम तो मेरे लश्कर के अलमबरदार हो
" و اذا مضیت تفرق عسکری "
अगर तुम चले गए तो मेरे लश्कर का शीराज़ा बिखर जाएगा फिर उसके बाद कहा अब्बास
" فاطلب لھؤلاء الاطفال قلیلاً من الماء "
अगर हो सके तो इन प्यासे बच्चों के लिए पानी का कोई प्रबन्ध कर दो! इसके बाद क़मर बनी हाशिम खेमों से चले और लश्करे शाम के सामने पहुँचे आपने लश्कर को नसीहत और लोगों को अल्लाह के अज़ाब से डराया लेकिन कलुषित मनुष्य के ऊपर कोई असर न हुआ
" فرجع الی اخیہ "
इसके बाद इमाम हुसैन के पास लौटे
" فسمع الاطفال ینادون العطش ،العطش "
आपने बच्चों की अलअतश अलअतश की आवाज़ें सुनी घोड़े पर सवार हुए हाथ में भाला संभाला, मशक को कंधे पर लटकाया और लश्कर दुश्मन पर एक जोरदार हमला किया और 80 यज़ीदयों को वारीद नरक किया अपने आप को फरात तक पहुंचाया आपने बड़ी जाफिशानी और जवां मर्दी करिश्मा कर दिखाया
" فلما اراد ان یشرب غرفۃ من الماء "
और जैसे ही चुल्लू से पानी पीने के लिए उठाया
" ذکر عطش الحسین و اھل بیتہ "
इमाम हुसैन और उनके अहले बैत की प्यास याद आ गई
" و قال واللہ لااشربہ "
और कहा खुदा सौगंध किसी प्रकार भी अब मै यह पानी नहीं पी सकता
" واخی الحسین و عیالہ و اطفالہ عطاشا"
क्योंकि मेरे मौला और उनके परिवार और अयाल पियासे है
" لاکان ذلک ابدا"
यह कभी संभव नहीं कि पानी पी लूँ, मशक को पानी से भरा और अपने दाहिने कंधे पर रखा और खेमों की तरफ चल दिए लेकिन दुश्मनों ने उनको अपने चारं ओर से घेर लिया और हर तरफ से तीरों की बारिश होने लगी।
उलमा ने लिखा है कि आपकी कृह पीढ़ी का सीही (एक जानवर है कि जिस के पीछे कांटे होते है) की तरह हो गई थी, ज़ैन बिन वरक़ा और हकीम बिन तूफ़ेल ने एक खजूर के पेड़ के पीछे से छुपकर आपके दाहिने बाजू पर हमला कर दिया जिस के कारण आप का दाहना दल जुदा हो गया आपने बड़ी तेजी से तलवार को बाएं हाथ में ले लिया और मशक को बाएं कंधेपर लटका लिया और ये अशार पढ़ना शुरू किए:
“واللہ ان قطعتموا یمینی انّی احامی ابداً عن دینی
ख़ुदा की क़सम हालांकि तुमने मेरा दाहिने हाथ काट दिया है, फिर भी मैं हमेशा अपने धर्म की रक्षा करता रहूंगा
“عن امام صادق الیقین نجل النبی الطاھر الامین
और अपने इमाम जो सादिक़ है उनकी भी रक्षा करता रहूंगा जो ताहिर और अमीन नबी की औलाद है।
इस तरह हमले पर हमला करते रहे जब तक कि थकान से चूर चूर हो गए नोफिल अज़रकी और हकीम बिन तूफ़ेल ने क्षुद्र स्थान से हमला किया और आपका बाया बाज़ू बदन से अलग हो गया उसके बाद हज़रत ने यह शेर जबान पर जारी किया
یانفسی لا تخشی من الکفار و ابشری برحمۃ الجبّار
ऐ मेरे नफ्स इन कुफ़्फ़ार और मशरकीन से ना डर में तुझे रहमते ख़ुदाए जबार की बशारत देता हूँ
लेकिन आप इस हाल में भी बहुत खुश थे क्योंकि अभी भी खेमों में पानी पहुचा सकते थे और अपने हाथों के कटने से ज़रा भी मलूल ना थे अचानक एक तीर आया और मशक में लग गया पानी बहने लगा इसी मौक़े पर एक और तीर आया जो आपके सीने में दर आया और दूसरी तरफ से एक गुर्ज़े आहनी आपके अंतर अक़दस पर मारा जिससे आप घोड़े पर संभल न सके ज़मीन पर तशरीफ़ लाये
" صاح الی اخیہ الحسین ادرکنی "
अपने भाई हुसैन को मदद के लिए पुकारा यह पहली बार था कि आप ने हज़रत को भाई कहकर पुकारा मौला ने जल्दी से अपने आप को अब्बास तक पहुंचाया, अब्बास के कटे हुए बाजू, अंतर अक़दस पर घाव, और टुकड़े टुकड़े शरीर को देखा गुहार बुलंद की
" الآن انکسر ظھری "
मेरे भाई तेरे जाने से मेरी कमर टूट गई
" وقلت حیلتی "
मेरा चाराए कार कम हो गया,
" وانقطع رجائی "
मेरी तमन्नाए दम तोड़ गईं,
" وشمت بی عدّوی "
तेरे मरने से दुश्मन मुझे ताने दे रहे हैं
" والکمد قاتلی "
तेरा गम मुझे सूर्यास्त तक मार डालेगा, इमाम आली मक़ाम के आते ही दुश्मन भागने लगे आपने कहा
این تفرون َ
"ऐ खुदा के शत्रुओ! कहाँ भाग रहे हो? तुमने मेरे भाई की हत्या कर डाली,
" این تفرون ؟
"कहाँ भाग रहे हो?
" و قد فتتم عضدی "
तुमने मेरे शक्ति दलों को खत्म कर डाला
चूंकि! हज़रत अबूल्फ़ज़लिल अब्बास का शरीर टुकड़े हो गया था जिस के कारण शरीर को उठाना कठिन था, इसलिए हुसैन ने खेमों की तरफ जाने का क़्सद किया घोड़े पर सवार होना चाहा लेकिन सवार न हो सके जैसे शरीर की सभी शक्ति चली गई हो आपने बा मुश्किल घोड़े की लगाम को पकड़ा और खेमों की तरफ चल दिए।
जब महिलाओं और बच्चों ने देखा कि इमाम मज़लूम खेमों की तरफ आ रहे हैं सबसे पहले सकीना बाबा के पास आई घोड़े की लगाम को पिता से लिया और कहा
" ھل لک علم بعمی العباس "
बाबा मेरे चाचा अब्बास की क्या खबर है? उन्होंने मुझसे पानी लाने का वादा किया था और मेरे चाचा कभी वादा खिलाफी नहीं की, बाबा! क्या उन्होंने खुद पानी पी लिया? इमाम ने बेटी की बातें सुन कर रोना शुरू कर दिया और कहा: मेरी लाडली तेरे चाचा शहीद कर दिए गए; जैसे ही ज़ैनब ने भाई की शहादत की खबर सुनी रोने लगी और कहा
" وا اخاہ ،واعباساہ،واقلۃ ناصراہ،واضیعتاہ من بعد ک "
ए मेरे भाई, ए मेरे अब्बास, ऐ बेयारो सहायक, तेरे मरने से हम अपमानित हो गए उसके बाद हुसैन भाई के पास पहुँचे
" اخذ الحسین راسہ "
हुसैन ने अब्बास के सिर को उठाया
" ووضعہ فی حجرہ "
और अपनी गोद में रख लिया, और आंखों से खून साफ करने लगे अभी कुछ साँसें बाकी थीं हज़रत को देखकर अब्बास रोने लगे सरकार सैय्यदुश्शोहादा ने रोने का कारण पूछा
" مایبکیک یا اباالفضل ؟"
अब्बास रोने का कारण क्या है? कहा:
اخی یانور عینی و کیف لاابکی
"ए मेरे भाई हे मेरी आँखों के प्रकाश में क्यों न रोउं?
" ومثلک الآن جئتنی و اخذت راسی عن التراب "
आप आए और अंतिम समय में मेरे सिर को धूल से उठाकर अपनी गोद में रख लिया
" فبعد ساعۃ من یرفع راسک "
लेकिन मौला कुछ देर बाद जब आप शहीद होंगे आप का सरेअकदस कौन जमीन से उठाएगा? और कौन आप के रूए अक़दस से धूल के ज़र्रों को साफ करेगा? इसके बाद आपकी आत्मा कफस तत्व से उड़ान हो गई।
[1] अलखेसाल, लदूक़, पेज 68, बाबुल इसनैन, हदीस 101
[2] अलइरशाद, भाग 2, पेज 109
3] मक़ातेलुत्तालेबीन, पेज 89
[4] आलामुलवरदी, भाग 1, पेज 395 और 466
[5] अलमलहूफ अला कतलित्तफूफ़, पेज 170
[6] बिहारुल अनवार, भाग 45, पेज 41, अध्याय 37
[7] मुनताहल आमाल, भाग 1, पेज 279