अमेरिकी क्रिया- कलापों के संबंध में एक ध्यान योग्य बिन्दु यह है कि विदित में किये जाने वाले दावे के खिलाफ अमेरिका ने कभी भी क्षेत्र से आतंकवाद को जड़ से ख़त्म करने का प्रयास नहीं किया है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई ने अधिकारियों से मुलाक़ात में भ्रांति फैलाने और ईरानी राष्ट्र से आत्म विश्वास की भावना को खत्म करने हेतु अमेरिकी प्रयासों की ओर संकेत किया और बल देकर कहा कि ईश्वर की कृपा, होशियारी और लोगों के प्रतिरोध से अतीत की भांति दुश्मनों को धूल चटायेंगे।
अमेरिका की साम्राज्यवादी प्रवृत्ति बारमबार ईरानी राष्ट्र के लिए सिद्ध हो चुकी है परंतु इस बात में कोई संदेह नहीं है कि अमेरिका की वास्तविक पहचान के संबंध में वरिष्ठ नेता ने जो बातें कहीं हैं वह क्षेत्र में अमेरिकी षडयंत्रों के बारे में वरिष्ठ नेता की गम्भीर चेतावनी है।
अमेरिकी क्रिया- कलापों के संबंध में एक ध्यान योग्य बिन्दु यह है कि विदित में किये जाने वाले दावे के खिलाफ अमेरिका ने कभी भी क्षेत्र से आतंकवाद को जड़ से ख़त्म करने का प्रयास नहीं किया है।
अमेरिका ने दाइश और दूसरे आतंकवादी गुटों, आले सऊद जैसी तानाशाही व अत्याचारी सरकारों और जायोनी शासन का समर्थन करके अपनी वास्तविक व भ्रष्ट प्रवृत्ति स्पष्ट कर दिया है।
अमेरिकी क्रिया- कलापों के दृष्टिगत दूसरा ध्यान योग्य बिन्दु यह है कि अमेरिका इस्लामी देशों विशेषकर ईरान की इस्लामी व्यवस्था का विरोधी है।
तीसरा बिन्दु सुरक्षा के साथ प्रगति है और यह चीज़ न केवल ईरान बल्कि समस्त स्वतंत्र राष्ट्रों के लिए महत्वपूर्ण है और यह वह बिन्दु है जिस पर इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने अपने संबोधन में बल दिया।
बहरहाल अमेरिका का वास्तविक लक्ष्य मतभेद व भ्रांति उत्पन्न करके क्षेत्रीय राष्ट्रों को एक दूसरे से लड़ाना है।
अमेरिका के प्रसिद्ध बुद्धिजिवी व विचारक नोअम चामस्की का कहना है कि अमेरिका ईरान को सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा ख़तरा बताता है जबकि विश्व समुदाय का मानना है कि अमेरिका विश्व की शांति व सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा ख़तरा है।