ग़ज़़्ज़ा पट्टी में फ़िलिस्तीनी महिलाओं और लड़कियों ने बंदी दिवस के अवसर पर फ़िलिस्तीन की महिला बंदियों के चित्रों के साथ प्रदर्शन किए और विश्व समुदाय से इस विषय पर हस्तक्षेप करने और बंदियों की रिहाई में मदद की मांग की है।
17 अप्रैल वर्ष 1971 में ज़ायोनी शासन की जेल से पहला फ़िलिस्तीनी स्वतंत्र हुआ था और तब से लेकर आज तक इस दिन को पूरी दुनिया में फ़िलिस्तीनी बंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
हमारे संवाददाता की रिपोर्ट के अनुसार फ़िलिस्तीन की जेहादे इस्लामी आंदोलन की महिला विंग की सदस्य आमेना हमीद ने कहा है कि प्रदर्शन में शामिल महिलाओं ने कफ़न पहन रखा था ताकि वह फ़िलिस्तीनी बंदियों की दयनीय स्थिति और ज़ायोनी जेलरों की कठोरता का चित्र पेश कर सकें। महिलाओं ने प्रदर्शन करके दुनिया को यह संदेश देने का प्रयास किया कि वह महिला फ़िलिस्तीनी बंदियों का समर्थन करें। इसी मध्य फ़िलिस्तीनियो के विक्लांग संघ ने भी ग़ज़्ज़ा में रेड क्रिसेंट संस्था की इमारत के सामने फ़िलिस्तीनी बंदियों के समर्थन में प्रदर्शन किए।
ईरान की संसद मजलिसे शूराए इस्लामी में इंतेफ़ाज़ा फ़िलिस्तीन समिति ने एक बयान जारी करके कहा कि फ़िलिस्तीनी बंदियों के विरुद्ध अतिग्रहणकारी ज़ायोनी शासन की कार्यवाहियां, युद्ध अपराध और फ़िलिस्तीनियों के साथ भेदभावपूर्ण कार्यवाहियों के समान है।
ज्ञात रहे कि इस समय भी लगभग सात हज़ार फ़िलिस्तीन ज़ायोनी शासन की जेलों में कठिन परिस्थितियों में जीवन व्यतीत कर रहे हैं।