ग़ज़ा और वियतनाम युद्ध के विरोधी छात्रों के ख़िलाफ़ डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन एकजुट

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ग़ज़ा और वियतनाम युद्ध के विरोधी छात्रों के ख़िलाफ़ डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन एकजुट

अमरीकी यूनिवर्सिटियों में छात्र और प्रोफ़ेसर युद्ध ग्रस्त ग़ज़ा के लोगों के साथ जहां एकजुटता जताने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं, वहीं इस देश के दो प्रमुख दलों के नेता और राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार वही पुरानी और घिसीपिटी चुनावी रणनीति को फिर से ज़िंदा करने की कोशिश कर रहे हैं।

1968 में अमरीका में कोलंबिया विश्वविद्यालय समेत कई अन्य विश्वविद्यालयों में विरोध करने वाले छात्रों के ख़िलाफ़ बयानबाज़ी करके रूढ़िवादियों ने राष्ट्रपति चुनाव जीतने में कामयाबी हासिल की थी। यह छात्र वियतनाम में अमरीका के युद्ध का विरोध कर रहे थे। डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन दोनों ही पार्टियों ने इस विरोध को अवैध और अमरीका विरोधी बताया था। अब 56 साल बाद, हम अमरीकी राष्ट्रपति चुनावों में एक समान राजनीतिक प्रक्रिया को आकार लेते हुए देख सकते हैं।

जब अमरीका की यूनिवर्सिटियों में फ़िलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनकारी छात्रों के टैंटों को उखाड़ फेंकने के लिए पुलिस को बुलाया गया, तो अमरीकी राजनेताओं ने पुरानी दास्तानों को दोहराया। हालांकि यह दास्तान उन लोगों के लिए आश्चर्यजनक नहीं है, जो अमरीकी इतिहास से वाक़िफ़ हैं।

1968 में निक्सन ने सविनय अवज्ञा को एक ऐसे कार्य के रूप में वर्णित करने का प्रयास किया जिसने अमेरिकी राजनीतिक व्यवस्था को ख़तरे में डाल दिया है, भले ही वह अहिंसक ही क्यों न हो। वियतनाम में अमेरिकी युद्ध-प्रणाली के ख़िलाफ़ छात्रों के नारों का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा थाः नारा लगाना एक तरह की नई हिंसा है, जो लोगों को भ्रमित कर सकती है।

राष्ट्रपति जो बाइडन भी छात्रों के विरोध प्रदर्शनों के ख़िलाफ़, इसी तरह की बयानबाज़ी कर रहे हैं। 5 मई को उन्होंने कहा था कि विरोध करने का अधिकार सभी को है, लेकिन अराजकता फैलाने का अधिकार किसी को नहीं है। शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वाले छात्रों पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि छात्र हिंसक तरीक़ों का इस्तेमाल कर रहे हैं।

अब देखना है यह कि चुनावों में बाज़ी कौन मारता है। क्योंकि डेमोक्रेट और रिपब्लिकन दोनों ही ज़ायोनी लॉबी को ख़ुश करने में लगे हुए हैं और पीड़ित फ़िलिस्तीनियों के समर्थकों को बुरा-भला कह रहे हैं। शायद दोनों के सामने 1968 में निक्सन को व्हाइट हाउस पहुंचाने वाली प्रक्रिया है।

डेमोक्रेट यह दिखाना चाहते हैं कि वे रूढ़िवादियों की तुलना में विरोध प्रदर्शनों और सार्वजनिक अव्यवस्था पर अधिक सख़्त हैं, तो मतदाता रिपब्लिकन द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए अधिक रूढ़िवादी विकल्प को पसंद करते हैं।

क़ानून और व्यवस्था के नारे के साथ बाइडन न केवल राष्ट्रपति चुनाव में डोनल्ड ट्रम्प को फिर से चुनने में मदद कर रहे हैं, बल्कि प्रांतीय चुनावों में भी रिपब्लिकन की मदद करने का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं।

रिपब्लिकन की ओर से 2024 के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार ट्रम्प ने भी बाइडन और डेमोक्रेट्स द्वारा तैयार की गई पिच पर खेलते हुए कहाः मैं हर कॉलेज अध्यक्ष से इस अभियान को तुरंत बंद करने के लिए कहता हूं। कट्टरपंथियों को हराएं और सभी सामान्य छात्रों के लिए हमारे विश्वविद्यालयों को फिर से खोल दें।

जैसे-जैसे फ़िलिस्तीन के लिए समर्थन का मुद्दा ज़ोर पकड़ रहा है और विरोध प्रदर्शनों को तेज़ी से दबाया जा रहा है, हम विरोध प्रदर्शनों और विद्रोह की उन गर्म और लंबी गर्मियों में से एक के निकट होते जा रहे हैं, जो 1960 के दशक में अमरीका की पहचान बन गई थी।

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