किसी भी दौर में इस्लामी दुनिया के लेवल पर शियों का आपसी राबेता और नेटवर्क का दायरा इतना बड़ा कभी नहीं रहा जैसा इमाम मोहम्मद तक़ी, इमाम अली नक़ी और इमाम हसन अस्करी अलैहिमुस्सलाम के ज़माने में वजूद में आया।
इन दोनों इमामों के सामर्रा में नज़रबंद होने और उनसे पहले इमाम मोहम्मद तक़ी अलैहिस्सलाम और एक अलग अंदाज़ से इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम पर बंदिशें होने के बावजूद अवाम से राबेता लगातार बढ़ता गया।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई 6 अगस्त 2005