इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम की जीवनशैली

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इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम की जीवनशैली

पैग़म्बरे इस्लाम और उनके परिजन सत्य व मार्गदर्शन के नमूने हैं यही कारण हैं कि पैग़म्बरे इस्लाम ने कहा था कि मैं तुम्हारे बीच दो मूल्यवान यादगारें छोड़े जा रहा हूं एक है ईश्वरीय ग्रंथ क़ुरआन और दूसरे मेरे परिजन हैं। मेरे परिजन समस्त इंसानों के लिए मोक्ष की कुंजी हैं। इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम का जन्म वर्ष 232 हिजरी क़मरी में मदीना नगर में हुआ। इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम 22 साल के थे कि उनके पिता हज़रत इमाम अली नक़ी अलैहिस्सलाम शहीद हुए अतः मुसलमानों के मा

इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम की जीवनशैली

पैग़म्बरे इस्लाम और उनके परिजन सत्य व मार्गदर्शन के नमूने हैं यही कारण हैं कि पैग़म्बरे इस्लाम ने कहा था कि मैं तुम्हारे बीच दो मूल्यवान यादगारें छोड़े जा रहा हूं एक है ईश्वरीय ग्रंथ क़ुरआन और दूसरे मेरे परिजन हैं।

मेरे परिजन समस्त इंसानों के लिए मोक्ष की कुंजी हैं। इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम का जन्म वर्ष 232 हिजरी क़मरी में मदीना नगर में हुआ। इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम 22 साल के थे कि उनके पिता हज़रत इमाम अली नक़ी अलैहिस्सलाम शहीद हुए अतः मुसलमानों के मार्गदर्शन का दायित्व इमाम अली नक़ी अलैहिस्सलाम से इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम को मिला और उन्होंने ईश्वर के आदेश के अनुसार मानव समाज का सत्य व न्याय के प्रकाशमय मार्ग की ओर नेतृत्व आरंभ कर दिया। यह कालखंड छह साल का रहा।

इस अवधि में इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम को अत्यधिक रुकावटों और कठिनाइयों का सामना करना पड़ा तथा अब्बासी शासकों ने जहां तक उनके बस में था इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम पर अत्याचार किए। इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम की इमाम या आध्यात्मिक नेतृत्व का समय उनके सुपुत्र के शुभजन्म की भविष्यवाणी के कारण और भी कठिन हो गया था क्योंकि इस नवजात के बारे में भविष्यवाणी कर दी गई थी कि वह संसार से अत्याचार का अंत कर देगा तथा पूरे संसार में न्याय की स्थापना करेगा। इस भविष्यवाणी से अब्बासी शासक बहुत भयभीत थे क्योंकि उन्हें स्वयं भी भलीभांति जानते थे कि वे अत्याचारी शासक हैं। अब्बासी सरकार ने अपने कारिंदों की संख्या बढ़ा दी जो दिन रात चकराते रहते थे और यह प्रयास करते थे कि कोई बच्चा पैदा ही न हो सके और यदि पैदा हो तो तत्काल उसकी हत्या कर दी जाए। इस कड़ी निगरानी के बावजूद हज़रत इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम ईश्वर की कृपा से जन्मे और अपने पिता की शहादत के बाद लोगों की आंखों से ओझल हो गए और आज तक वे आंखों से ओझल हैं। भविष्य में उस समय जिसका ज्ञान केवल ईश्वर को है, वे पुनः प्रकट होंगे और संसार में नास्तिकता तथा अत्याचार का विनाश कर देंगे।

इस्लामी समुदाय का नैतिक प्रशिक्षण, अत्याचार व भ्रष्टाचार से संघर्ष, पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों के अभियान की प्राथमिकताएं थीं। क़ुरआन के बाद पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों की जीवन शैली ही है जो विभिन्न युगों में इस्लामी जगत के सामने स्पष्ट मार्ग और सत्य का रास्ता पेश करती है। ईरान की इस्लामी क्रान्ति पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों की शिक्षाओं से ही प्रेरित होकर उभरी और आज तक अपने मार्ग पर निरंतर आगे बढ़ रही है।

इस्लामी क्रान्ति समकालीन इतिहास का महत्वपूर्ण आंदोलन है जिसमें तीन कारक मुख्य भूमिका रखते हैं एक है धर्म, दूसरे नेतृत्व और तीसरे जनता। इन तीनों कारकों और शक्तियों को संगठित और व्यवस्थित करने का काम पैग़म्बरे इस्लाम और उनके परिजनों की जीवन शैली ने किया जिससे यह आंदोलन पूर्ण रूप से प्रभावित है। यह प्रभाव इतना गहरा और व्यापक था कि इस्लामी क्रान्ति विश्व में सत्यप्रेम और अन्याय से संघर्ष पर आधारित पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों की शैली से प्रेरित क्रान्ति बन गई। धर्म को भरपूर ढंग से जीवन में लागू करना, विश्व की साम्राज्यवादी शक्तियों के अत्याचार और उद्दंडता के मुक़ाबले में प्रतिरोध तथा समाज सुधार पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों की महत्वपूर्ण शिक्षाएं हैं जिनका इस्लाम क्रान्ति ने सदुपयोग किया। ईरान की इस्लामी क्रान्ति के दौरान घटने वाली घटनाओं में विश्ववासियों ने देखा कि ईरानी जनता अपनी आर्थिक मांगें सामने रख रही थी किंतु सबसे बढ़कर उसका ध्यान नैतिक भ्रष्टाचार की रोकथाम, धार्मिक मूल्यों के प्रसार तथा न्याय की स्थापना पर था। इस भावना से जनता को प्रतिरोध की शक्ति मिली। इस्लामी क्रान्ति के निकट अध्यात्म और नैतिकता का विशेष स्थान रहा है। क्रान्ति के धर्मबद्ध बलों ने संघर्ष करने के साथ ही आत्मावलोकन और आत्मसुधार पर अपना ध्यान केन्द्रित रखा। इमाम ख़ुमैनी ने भी अपने निर्देशों में प्रशिक्षण और आत्मसुधार पर बहुत अधिक आग्रह किया। इस संबंध में इमाम ख़ुमैनी का कहना था कि ग़ैर प्रशिक्षित व्यक्ति समाज के लिए जितना हानिकारक है उनकी हानिकारक कोई भी चीज़ नहीं हो सकती। इसी प्रकार अच्छा प्रशिक्षित व्यक्ति समाज के लिए जितना लाभदायक है कोई भी चीज़ उतनी लाभदायक नहीं है।

यही कारण है कि इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम ने अपने एक शिष्य अबुल हसन अली बिन हुसैन क़ुम्मी को जो अपने समय के विख्यात धर्मगुरू थे जो पत्र लिखा उसमें इस्लामी नियमों के अनुरूप प्रशिक्षित व्यक्तित्व का चित्रण किया है और अपने अनुयायियों से कहा है कि वे इस प्रकार का व्यक्तित्व बनाएं। इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम ने लिखा कि हे महान धर्मगुरू और मेरे विश्वसनीय, ईश्वर तुम्हें सुकर्म करने में सफल बनाए। मैं तुम्हें ईश्वरीय भय की अनुसंशा करता हूं, नमाज़ को आम करने और ज़कात अदा करने की सिफ़ारिश करता हूं। दूसरों के साथ क्षमाशीलता बरतने, क्रोध पर नियंत्रण रखने, और रिश्तेदारों का ध्यान रखने की सिफारिश करता हूं। अपने भाइयों की आवश्यकताएं पूरी करने के लिए मेहनत करो, क़ुरआन से प्रतिबद्ध हो जाओ, अच्छे कामों का आदेश दो और बुरे कामों से रोको।

इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम की सिफ़ारिशें और निर्देश धार्मिक समाज में गुज़ारे जाने वाले जीवन की नियमावली है। समाज का कोई भी सदस्य इसका पालन करके आदर्श समाज का गठन करने में योगदान कर सकता है। वह आदर्श समाज जिसके गठन के लिए इस्लामी क्रान्ति आई। ईरान की इस्लामी क्रान्ति अत्याचार के अंधेरों में ज्वाला की भांति चमकी और इस क्रान्ति ने अनोखा विचार पेश किया कि नैतिकता और अध्यात्म को जीवन के सभी आयामों यहां तक कि राजनीति में भी लागू किया जाना चाहिए अतः आवश्यक है कि राजनेता और अधिकारी, सदाचारी, न्यायप्रेमी और सत्यप्रेमी हों ताकि पूरे संसार में न्याय और शांति की स्थाना हो। इस्लामी क्रान्ति की सफल हो जाने के बाद एक बार फिर धार्मिक नियमों के पालन और पैग़म्बरे इस्लाम की जीवनशैली की ओर वापसी आरंभ हो गई। बीसवीं शताब्दी के अंतिम दशकों में आने वाली ईरान की इस्लामी क्रान्ति ने संसार में एक नया बदलाव उत्पन्न किया और एक नई डगर का रेखांकन किया। इस्लामी प्रवृत्ति वाले इस आंदोलन के उदय से सिद्ध हो गया कि पैग़म्बरे इस्लाम और उनके परिजनों से उपहार के रूप में मिलने वाला इस्लाम धर्म किसी विशेष समय और क्षेत्र तक सीमित नहीं है। इस्लाम धर्म के मल्य और शुभसूचनाएं सभी इंसानों को संबोधित करती हैं तथा इस्लाम समूची मानवजाति के उत्थान और कल्याण की चिंता में दिखाई देता है। इमाम ख़ुमैनपी ने इस्लाम को पुनरजीवन देने के लिए पैग़म्बरे इस्लाम और उनके परिजनों के क्रान्तिकारी मार्ग का चयन किया और ईश्वर, ईमान व निष्ठा पर आधारित आंदोलन आरंभ किया।

अत्याचार से संघर्ष, पैग़म्बरे इस्लाम और उनके परिजनों की शिक्षाओं में महत्वपूर्ण शिक्षा है। अत्याचारियों पर पीड़ितों की विजय और धरती पर सदाचारियों की सरकार के गठन की शुभसूचना क़ुरआन ने दी है। पैग़म्बरे इस्लाम  के परिजनों के कथनों में भी यह बात जगह जगह दिखाई देती है। इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम के कई कथन एसे हैं जिनमें उन्होंने अपने पुत्र हज़रत इमाम मेहदी के पुनः प्रकट होने की शुभसूचना दी है। इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम अपने शिष्य अबुल हसन अली बिन हुसैन क़ुम्मी को लिखे गए अपने पत्र में अपने पुत्र हज़रत इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम की स्थिति के बारे में विस्तार से बताते हैं और आम जनता को हज़रत इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम के नज़रों से ओझल हो जाने के विषय से अवगत कराते हैं तथा यह शुभसूचना देते हैं कि जब इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम पुनः प्रकट होंगे तो यही मुक्ति और कल्याण का दिन होगा। इस पत्र में इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम लिखते हैं कि मैं तुम्हें संयम और मोक्षदाता के पुनः प्रकट होने की प्रतीक्षा की सिफ़ारिश करता हूं जो मेरा सुपुत्र है। वह एक दिन आंदोलन करेगा और धरती को जो अत्याचार से भरी होगी न्याय से भर देगा। संयम से काम लो तथा अपने अनुयायियों को भी संयम की सिफ़ारिश करो क्योंकि इसका अच्छा अंजाम निश्चित है।  इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम ने इस बात का बहुत प्रयास कियाकि आम लोग हज़रत इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम की स्थिति को भलीभांति समझ लें तथा उनके बारे में लोगों की आस्था को ठेस न लगे। इमाम एसी पीढ़ी का प्रशिक्षण करना चाहते थे जो इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम के नज़रों से ओझल रहने के युग में लोगों का प्रशिक्षण करे। उन्होंने अपने एक कथन में कहा कि हमारे अनुयायी पवित्र एवं मोक्ष पाने वाले समूह हैं जो हमारे मत के रक्षक हैं तथा अत्याचारियों के मुक़ाबले में वे हमारे सहायक और ढाल हैं।

अत्याचार और भ्रष्टाचार के विरुद्ध ईरानी जनता का आंदोलन वास्वत में उन लोगों का आंदोलन है जिनकी शुभसूचना इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम ने दी थी। वे लोग जो पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों की जीवन शैली से प्रेरणा लेकर गरिमा और प्रतिष्ठा के साथ आंदोलन करते हैं ताकि इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम के प्रकट होने के लिए अनुकूल वातावरण उत्पन्न हो। निश्चित रूप से मोक्षदाता के प्रकट होने से पहले मानव समाज का वैचारिक व सांस्कृतिक दृष्टि से इसके लिए तैयार होना आवश्यक है। महान विचारक शहीद मुर्तज़ा मुतह्हरी इस बारे में लिखते हैं कि इस्लामी इतिहास में एसे चयनित समूह की बात कही गई है जो इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम के प्रकट होते ही उनसे जा मिलेगा। निश्चित है कि यह समूह एक अचानक अस्तित्व में नहीं आ जाएगा। इससे पता चलता है कि जहां एक और अत्याचार और भ्रष्टाचार फैला है वहीं इस प्रकार के महान समूह के अस्तित्व में आने की भूमि भी समतल है।

अतः मोमिन इंसानों को चाहिए कि अपने दायित्वों का पालन करें तथा उनके प्रकट होने के लिए स्वयं को तैयार रखें अत्याचार और अन्याय के विरुद्ध अपने क्रान्तिकारी व सुधारवादी आंदोलन से तथा मानवता की जागरूकता और ज्ञान को बढ़ाकर मोक्षदाता के प्रकट होने की भूमि समतल करें।

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