माहे रमज़ान की तैयारी करें

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माहे रमज़ान की तैयारी करें

रमज़ान का महीना अपनी विशेषताओं की वजह से ख़ास अहमियत रखता है, जिसमें इंसान की ज़िंदगी और आख़ेरत दोनों को संवारा जाता है, इसलिए अगर कोई इस मुबारक महीने के आदाब को नहीं जानेगा तो वह इसकी बरकतों और नेमतों से फ़ायदा भी हासिल नहीं कर सकेगा।

जिस तरह कुछ जगहें होती हैं जहां इंसान के आने जाने के लिए कुछ आदाब होते हैं जिनका वह ख़याल रखता है जैसे मासूमीन अलैहिमुस्सलाम के रौज़े, मस्जिदें, मस्जिदुल हराम, मस्जिदुन नबी और दूसरी जगहें, इसी तरह माहे रमज़ान के भी कुछ आदाब हैं जिनका ख़याल रखना बेहद ज़रूरी है, विशेषकर उन लोगों के लिए जो रमज़ान की बरकतों और रहमतों से फ़ायदा हासिल करना चाहते है।

माहे रमज़ान अपनी विशेषताओं की वजह से ख़ास अहमियत रखता है, जिसमें इंसान की ज़िदगी और आख़ेरत दोनों को संवारा जाता है, इसलिए अगर कोई इस मुबारक महीने के आदाब को नहीं जानेगा तो वह इसकी बरकतों और नेमतों से फ़ायदा भी हासिल नहीं कर सकेगा। ध्यान रहे ग़फ़लत वह बीमारी है जो हमारे हर तरह के मानवी और रूहानी फ़ायदे को हम तक पहुंचने से रोक देती है या कम से कम पूरी तरह से फ़ायदा हासिल नहीं करने देती है। इसीलिए हमारे इमामों ने इस मुबारक महीने की तैयारी के सिलसिले में कुछ आदाब बयान किए हैं जिनको हम यहां पेश कर रहे हैं।

दुआ, तौबा, इस्तेग़फ़ार, क़ुरआन की तिलावत, अमानतों की वासपी, दिलों से नफ़रतों का दूर करना

अब्दुस-सलाम इब्ने सालेह हिरवी जो अबा सलत के नाम से मशहूर हैं उनका बयान है कि मैं माहे शाबान आख़िरी जुमे में इमाम अली रज़ा अलैहिस्सलाम की ख़िदमत में हाज़िर हुआ, उन्होंने फ़रमाया: ऐ अबा सलत! माहे शाबान का महीना लगभग गुज़र चुका है और आज आख़िरी जुमा है इसलिए अब तक जो कमियां रह गई हैं उन्हें दूर करो ताकि बाक़ी बचे हुए दिनों में इस महीने की बरकत से फ़ायदा हासिल कर सको, बहुत ज़ियादा दुआ पढ़ो, इस्तेग़फ़ार करो, क़ुरआन पढ़ो, गुनाहों से तौबा करो ताकि जब अल्लाह का मुबारक महीना आए तो तुम उसकी बरकतों और रहमतों से फ़ायदा हासिल करने के लिए पूरी तरह तैयार रहो और किसी भी तरह की कोई अमानत भी तुम्हारे ज़िम्मे न हो और ख़बरदार! किसी मोमिन के लिए तुम्हारे दिल में नफ़रत बाक़ी न रह जाए, ख़ुद को हर किए गए गुनाह से दूर कर लो, तक़वा अपनाओ और अकेले में हो या सबके सामने केवल अल्लाह पर भरोसा करो क्योंकि उसका फ़रमान है कि जिसने अल्लाह पर भरोसा किया अल्लाह उसके लिए काफ़ी है।

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