अल्लाह तआला फ़रमाता है:
"ऐ लोगो! तुम्हारे पास तुम्हारे रब की तरफ़ से एक नसीहत आ चुकी है, जो दिलों की बीमारियों की शिफ़ा है और ईमान वालों के लिए हिदायत और रहमत है।" (सूरह यूनुस: 57)
रमज़ान सिर्फ़ एक महीना नहीं, बल्कि यह रूह को पाक करने, अल्लाह की इबादत करने और उससे क़रीब होने का बेहतरीन मौका है। यही वह महीना है जिसमें क़ुरआन मजीद नाज़िल हुआ। यह वह समय होता है जब अल्लाह की रहमत बरसती है, गुनाह माफ़ किये जाते हैं और हर नेकी का इनाम कई गुना बढ़ जाता है।
इसी महीने में शब-ए-क़द्र भी होती है, जो हज़ार महीनों से ज्यादा बेहतर है। रमज़ान हमें सब्र (धैर्य), शुक्र और दूसरों की मदद के लिए त्याग करने का सबक़ देता है। यह हमें ज़िंदगी के असली मक़सद से वाक़िफ़ कराता है और दिलों को गुनाहों से पाक करने का मौका देता है।
रोज़ा सिर्फ़ भूखे-प्यासे रहने का नाम नहीं, बल्कि यह अपने ऊपर कंट्रोल रखने, बुरी आदतों को छोड़ने और अल्लाह की खुशी के लिए खुद को बेहतर बनाने की ट्रेनिंग है। रमज़ान वह समय है जब अल्लाह की रहमत हर तरफ़ होती है, शैतान को जकड़ दिया जाता है और इंसान के लिए खुद को सुधारने का सबसे अच्छा मौका मिलता है।
यह महीना अल्लाह से क़रीब होने का वक्त है। यह रिश्तों को जोड़ने, नाराज़गियाँ खत्म करने और आपसी मोहब्बत को बढ़ाने का बेहतरीन मौका है। खुशकिस्मत हैं वो लोग जो इस महीने की अहमियत को समझते हैं और इसके हर पल को इबादत, दुआ और अल्लाह की याद से रौशन करते हैं।
अल्लाह का शुक्र है कि हमें एक और रमज़ान मिला। उम्मीद है कि यह महीना हमारे लिए सेहत, सुकून, अमन और माफ़ी का ज़रिया बने। इंशाअल्लाह, अल्लाह हमें अच्छे काम करने की तौफ़ीक़ दे और हमें अपने नेक बंदों में शामिल करे।