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पाकिस्तान के रक्षा मंत्री की इस्राईल को चेतावनी
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने इस्राईल को अपरोक्ष रूप से निशाने पर लेते हुए कहा कि वह हमारी सेना का सामना नहीं कर सकता। फ़िलिस्तीन, लेबनान और इस्लामी गणतंत्र ईरान से लड़ने में ज़ायोनी सेना की असमर्थता पर ज़ोर देते हुए पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान के पास परमाणु शक्ति है और ज़ायोनी शासन हमारा सैन्य रूप से मुकाबला करने में सक्षम नहीं है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ" ने इस्लामाबाद में पत्रकारों से बातचीत के दौरान पाकिस्तान के खिलाफ इस्राईल के किसी भी संभावित सैन्य दुस्साहस के खिलाफ चेतावनी दी।
उन्होंने कहा, "पाकिस्तान के पास परमाणु शक्ति है और अगर इस्राईल हमारे साथ सैन्य टकराव चाहता है, तो यह दुनिया को परमाणु युद्ध के खतरे में धकेलने के समान होगा। फिलिस्तीनी, लेबनानी और ईरानी लड़ाकों से लड़ने में ज़ायोनी शासन की अक्षमता का जिक्र करते हुए पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने कहा कि हमारी इच्छा है कि ईरान, लेबनान और ग़ज़्ज़ा के हमारे भाइयों की इस्राईल के खिलाफ जीत हो।
तूफाने अलअक्सा इज़राईलीयों की ज़िल्लत और रुसवाई की शुरुआत
डॉ. सैयदा फातेमा ने कहा कि ऑपरेशन तूफाने अलअक्सा वर्तमान समय में इज़राईल हुकूमत की बेइज्जती और ज़िल्लत की शुरुआत साबित हुई है।
डॉ. सैयदा फातेमा सैयद मदलल ने तूफाने अलअक्सा ऑपरेशन की सालगिरह के मौके पर इस क्षेत्र और विशेष रूप से कब्जे वाले फ़िलिस्तीन पर इसके प्रभाव और सफलताओं पर रौशनी डाली।
हा कि जैसा कि रहबर-ए-इंकलाब और प्रतिरोध की अन्य महत्वपूर्ण हस्तियों ने भी ज़ोर दिया है इस ऑपरेशन की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि इसने इज़राईल सरकार के पतन और अंत की प्रक्रिया की शुरुआत कर दी है।
तूफाने अलअक्सा से पहले इस्राइली सरकार अपनी सुरक्षा की चिंता से मुक्त होकर क्षेत्र के देशों को सदी की डील जैसी साजिशों के ज़रिए खुद को मान्यता दिलाने पर मजबूर करने की कोशिश कर रही थी।
उन्होंने आगे कहा कि एक साल बीत जाने के बाद, इस्राइली सरकार अपने अस्तित्व को लेकर भारी दहशत में है क्योंकि उसने ऐसे हालात का सामना किया है जो उसने पहले कभी नहीं देखे थे।
डॉ. सैयद मदलल ने आगे कहा कि ग़ाज़ा और हाल के दिनों में लेबनान में इज़राईली सरकार द्वारा महिलाओं, बच्चों और पुरुषों के खिलाफ किए गए अभूतपूर्व अपराधों के बाद, वैश्विक जनमत इस्राइली अपराधियों के खिलाफ हो गया है।
और मानवता में एक बड़ी जागरूकता पैदा हुई है जो इजराईली आक्रांताओं की साख को बुरी तरह प्रभावित कर रही है।
उन्होंने यह भी कहा कि तूफाने अलअक्सा ऑपरेशन इजराईली सरकार की अजेयता के मिथक के अंत की शुरुआत थी यह ऑपरेशन न केवल इस्राइल की हार की शुरुआत थी बल्कि इसके बाद प्रतिरोध के विभिन्न समूहों द्वारा किए गए हमलों ने इज़राईल सरकार को और अधिक अपमानित कर दिया हैं।
जो कुछ ज़मीन के ऊपर करेंगें जमीन के अंदर उसका जवाब देना है
इमाम जुमआ मुंबई ने कहा, शैतान ने पहले ही दिन से यह स्वीकार कर लिया था कि अल्लाह के सच्चे और नेक बंदों पर उसका कोई बस नहीं चलेगा,उसका बस उन बंदों पर चलेगा जो अल्लाह के सच्चे बंदे नहीं होंगें।
मुंबई के इमाम-ए-जुमआ हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मौलाना सैयद अहमद अली आबदी ने शिया खोजा जामा मस्जिद, मुंबई में जुमे के खुत्बे में कहा कि रसूल ए अकरम हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा स.अ.व. ने दुनिया और आखिरत में हमारी भलाई और हमारी कामयाबी के लिए जो बातें बयान की हैं अगर वाकई में हम और पूरी क़ायनात उस पर अमल करने लगें, तो यह क़ायनात अमन और सुकून का गहवारा बन जाएगा।
लड़ाई झगड़े और कत्ल-ओ-गारत (खून-खराबा) से दुनिया महफूज़ हो जाएगी लेकिन शैतान ने ग़ल्बा (कब्जा) कर लिया है और नफ्स-ए-अम्मारा (बुरी इच्छाओं) की हुकूमत है।
तो ज़मीन पर हुकूमत की खातिर एक इंसान दूसरे इंसान का खून बहा रहा है और यह एहसास नहीं है कि जिस जमीन पर हम खून बहा रहे हैं, हमें एक दिन इसी जमीन के अंदर जाना है और जब जमीन के अंदर जाएंगे, तो जो कुछ हमने जमीन के ऊपर किया है उसका एक-एक हिसाब लिया जाएगा, और उस वक्त हमारी कोई मदद और पुकार सुनने वाला नहीं होगा।
आगे उन्होंने कहा,शैतान ने पहले ही दिन यह मान लिया था कि अल्लाह के सच्चे और नेक बंदों पर उसका कोई काबू नहीं होगा उसका बस उन बंदों पर चलेगा, जो अल्लाह के सच्चे बंदे नहीं होंगें।
अल्लाह के सच्चे बंदे यानी वह बंदे जिनके वजूद में अल्लाह के अलावा कोई दूसरी चीज़ नहीं है वहां शैतान का कोई असर नहीं है।
कुरान खुद कहता है कि शैतान उन्हीं लोगों को गुमराह करता है जो उसकी विलायत सरपरस्ती को क़ुबूल कर लें यानी शैतान को हम खुद मौका देते हैं अपने ऊपर कब्जा करने का।
अगर हम उसे मौका न दें और इस हालात में अल्लाह से पनाह मांगें और जब हमें यह एहसास हो जाए कि हमारा नफ्स-ए-अम्मारा (बुरी इच्छाएं) और हमारी ख्वाहिशात (इच्छाएं) और शैतान मिलकर हम पर ग़ालिब (हावी) होना चाहते हैं तो उस वक्त हमारी जिम्मेदारी है कि अपनी कमजोरी को महसूस करते हुए अल्लाह, रसूल और उसके औलिया अ.स. का सहारा लें उन्हें पुकारें।
मौलाना सैयद अहमद अली आबदी ने जियारत-ए-मोमिन के बारे में एक हदीस बयान करते हुए कहा,आज हमारे यहां जो मोबाइल आ गया है, उससे एक-दूसरे के घर आना-जाना कम हो गया है, मुलाकातें,मिलने का सिलसिला सीमित हो गई हैं।
जिससे जिंदगी की बरकतें (खुशहाली) भी कम हो गई हैं जब हमारे यहां दोस्त आते थे अज़ीज़ (रिश्तेदार) आते थे, मेहमान आते थे, तो बातचीत के साथ-साथ बरकतें भी लाते थे अच्छाइयां लाते थे, बुराइयां ले जाते थे और अच्छाइयां छोड़ कर जाते थे घरों से नहूसत (मनहूसियत) ले जाते थे और बरकतों को छोड़ जाते थे।
मौलाना सैयद अहमद अली आबदी ने अमीरूल मोमिनीन, इमाम अली अ.स. की हदीस का हवाला देते हुए कहा, अगर अल्लाह ने गुनाहों पर अज़ाब (सज़ा) का वादा न भी किया होता तब भी अल्लाह की नेमतों के शुक्र का तकाजा यही होता कि इंसान गुनाह न करे।
वह बच्चा जो मां-बाप के डर से ठीक रहता है, और दूसरा बच्चा जो मां-बाप की खिदमतों सेवाओं को देखकर उनकी नाफरमानी नहीं करता तो कौन बेहतर है?
वह बच्चा अच्छा है, जिसे मां-बाप का खौफ सीधे रास्ते पर रखता है, या वह बच्चा अच्छा है, जिसे मां-बाप की मोहब्बत और शफक़त (स्नेह) सीधे रास्ते पर रखती है? वह बच्चा कहता है कि मुझे मां-बाप का खौफ नहीं है, लेकिन मेरे मां-बाप ने मेरे लिए इतनी मेहनत की है।
इतनी मुशक्कत (परिश्रम) की है कि मैं जिंदगी भर उनकी खिदमत (सेवा) करूं, तब भी उनका हक़ अदा नहीं कर सकता। मां-बाप की मोहब्बतें मुझे यह इजाज़त नहीं देतीं कि मैं उनके हुक्म की खिलाफ़वरज़ी (अवज्ञा) करूं।
तो कौन सा बच्चा अच्छा है? उसी तरह, वह मोमिन जो अज़ाब के खौफ से गुनाह नहीं करता और दूसरा वह मोमिन जो अल्लाह की नेमतों के शुक्रिया के तौर पर गुनाहों से बचता है, कहता है: "ऐ परवरदिगार! जब सुबह आंख खोलता हूं, तो हर तरफ तेरी नेमतें ही देखता हूं, तेरा रहम और करम ही महसूस करता हूं।
गुस्ताख़े नबी के खिलाफ प्रदर्शन
उत्तर प्रदेश के श्रीवस्ती जिले में व्यापार मंडल प्रमुख ने पैगंबर मोहम्मद (अ.स.) के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की जिसके बाद स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए मामला दर्ज कराने के लिए थाने पहुंच गए।
रसूले इस्लाम के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने वाले व्यापार मंडल प्रमुख के खिलाफ कोई कार्रवाई करने से पहले पुलिस ने खुद प्रदर्शनकारियों के खिलाफ विवादित नारा लगाने के आरोप में कार्रवाई करते हुए 12 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार विरोध प्रदर्शन के दौरान भीड़ ने कथित तौर पर 'सर तन से जुदा' का नारा लगाया। जिसके बाद पुलिस ने विवादित नारा लगाने वाले 12 लोगों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। सभी आरोपियों के खिलाफ इकौना थाने में मामला दर्ज किया गया है।
इकौना थाने के प्रभारी (एसएचओ) अश्विनी कुमार दुबे ने न्यूज एजेंसी ‘पीटीआई- भाषा’ से बात करते हुए कहा कि सोशल मीडिया मंच ‘फेसबुक’ पर पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने को लेकर इकौना इलाके की व्यापार मंडल इकाई के अध्यक्ष कन्हैया कसौंधन के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया।
ग़ज़ा में बच्चों के बिना सिर के शव
पिछले कुछ घंटों में ग़ज़ा पट्टी पर ज़ायोनी शासन के युद्ध विमानों के हमलों से इस क्षेत्र में फ़िलिस्तीनी बच्चों की सिर कटी लाशें और विकलांग लोगों की शहादत हुई है।
ग़ज़ा पट्टी में शोहदा अल-अक़्सा अस्पताल के प्रवक्ता ख़लील दक़रान ने बच्चों के सिर के बिना शवों को इस अस्पताल में स्थानांतरित करने का एलान किया है।
शोहदा अल-अक्सा अस्पताल के प्रवक्ता ने घोषणा की कि ये बिना सिर वाले बच्चे एक मस्जिद पर ज़ायोनी शासन के क्रूर हमले के शिकार हैं जो अस्पताल के आसपास फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए आश्रय बनाया गया था।
अल-मयादीन रिपोर्टर ने यह भी बताया कि ज़ायोनी शासन ने ग़ज़ा पट्टी के उत्तर में स्थित जेबालिया कैंप में फिलिस्तीनी घरों पर बमबारी की है।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बर्बर हमले के शहीदों में विकलांग फ़िलिस्तीनी भी शामिल हैं।
7 अक्टूबर, 2023 से, पश्चिमी देशों के पूर्ण समर्थन से, इज़राइल ने निहत्थे फ़िलिस्तीनियों के ख़िलाफ़ ग़ज़ा पट्टी में एक नया बड़े पैमाने पर नरसंहार शुरू किया है।
ताज़ा रिपोर्टों के अनुसार ग़ज़ा पर ज़ायोनी शासन के हमलों में 41हज़ार से अधिक फ़िलिस्तीनी शहीद और 96 हज़ार से अधिक घायल हो चुके हैं।
इजराइल ने गाजा में 814 मस्जिदों को किया शहीद
गाजा के धार्मिक मामलों के मंत्रालय ने कहा कि इजराइल ने क्षेत्र में 814 मस्जिदों को ध्वस्त कर दिया, जबकि उसके सैनिकों ने लाशों को खोदकर निकाला, उनके अंगों को क्षत-विक्षत कर दिया और कई लाशों के साथ क्रूरता करते हुए उनके अंगों को चुरा लिया।
गाजा के धार्मिक मामलों के मंत्रालय के अनुसार, इज़राइल ने फिलिस्तीन के खिलाफ अपने नस्लवादी युद्ध में क्षेत्र की 79 प्रतिशत मस्जिदों को नष्ट कर दिया, मंत्रालय ने बताया कि इज़राइल ने घिरे क्षेत्र में 1,245 मस्जिदों में से 814 को पूरी तरह से नष्ट कर दिया, जबकि अन्य 148 मस्जिदें गंभीर रूप से नष्ट हो गईं मस्जिदों के अलावा, इज़राइल ने तीन चर्चों को भी नष्ट कर दिया, साथ ही 60 कब्रिस्तानों में से 19 को जानबूझकर नष्ट कर दिया। बयान में कहा गया कि मंत्रालय की 350 मिलियन डॉलर की संपत्ति नष्ट हो गई।
मंत्रालय ने इजराइल पर आरोप लगाया है कि उसके सैनिकों ने कब्रों को अपवित्र किया, कब्रों से लाशें निकालीं, शवों के साथ क्रूर कृत्य किया, उनके शरीर के अंगों को चुरा लिया और कई लाशों के टुकड़े कर दिए। मंत्रालय ने आगे कहा कि इजराइल ने गाजा में उसके द्वारा चलाए जा रहे 11 शैक्षणिक केंद्रों को नष्ट कर दिया जमीनी हमले में इसके 238 कर्मचारियों को हिरासत में लिया गया और 19 अन्य को हिरासत में लिया गया, साथ ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय और सरकारों और इस्लामी संगठनों से इस बर्बर हमले को समाप्त करने के लिए तुरंत हस्तक्षेप करने का आह्वान किया कि इजराइल ने गाजा की पूरी आबादी को विस्थापित कर दिया है।
पीटीआई, इस्लामाबाद सेल का भारी विरोध, 30 कार्यकर्ता हिरासत में
पाकिस्तान में पीटीआई कार्यकर्ताओं ने खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री के नेतृत्व में इमरान खान की जेल से रिहाई के लिए विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों को इस्लामाबाद के डी चौक से आगे नहीं जाने दिया गया। झड़प के बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े. 30 पीटीआई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया।
पाकिस्तान में पीटीआई कार्यकर्ताओं ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की जेल से रिहाई की मांग और न्यायपालिका के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन किया। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया। अधिकारियों ने इमरान खान के समर्थन में प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए इस्लामाबाद और रावलपिंडी में इंटरनेट और मोबाइल सेवाओं को भी निलंबित कर दिया था। बता दें कि रावलपिंडी की अदियाला जेल में बंद इमरान खान ने विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया था।
इस्लामाबाद के एसडी चौक में मीडिया से बात करते हुए पुलिस महानिरीक्षक सैयद अली नासिर रिजवी ने कहा कि ''पुलिस ने इस्लामाबाद में प्रवेश के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं। अब तक 30 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं, खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुर के नेतृत्व में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के कार्यकर्ता इस्लामाबाद के डी चौक की ओर बढ़ रहे हैं, इसलिए संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
मीडिया से बात करते हुए नकवी ने आगे कहा, ''कुछ तत्वों ने राजनीतिक विरोध के नाम पर इस्लामाबाद तक मार्च करने की योजना बनाई है। संघीय सरकार ने राजधानी में विदेशी आगंतुकों की सुरक्षा के लिए सभी सुरक्षा उपाय किए हैं।
जुमा नस्र मे उपस्थिति वादा सादिक़ 3 था
जुमा नस्र मे लोगो की उपस्थिति वादा सादिक़ 3 की तरह थी, जिसने दुशमन की मनोवैज्ञानिक युद्ध के शीराजे़ को बखेर कर रख दिया। और दुनिया के सामने शासन और लोगो के समर्थन की एक सुंदर तस्वीर पेश की।
सिद्दीक़ा सय्यद ताजुद्दीन ने कहा: मेरा मानना है कि उत्पीड़ितों का खून इसके विकास का कारण है। रक्तपात के प्रभाव से और अधिक धैर्य पैदा होगा, इस्लामी मोर्चे की मजबूती और बचे लोगों का आंदोलन को सफल बनाने का दृढ़ संकल्प होगा, और शिया का इतिहास और इस्लामी क्रांति का इतिहास इसका प्रमाण है।
उन्होंने कहा: ये खून प्रतिरोध के मार्ग को प्रकाश और जीत की ओर आसान बनाता है। हिज़बुल्लाह के उपायों और ईरानी सैन्य और राजनीतिक सलाहकारों की तकनीकी और सामरिक सलाह से, एक और मजबूत व्यक्ति हिज़बुल्लाह की कमान संभालेगा और ग़ासिब शासन के विघटन की प्रक्रिया को तेज कर देगा।
सिद्दीक़ा ताजुद्दीन ने आगे कहा: ये प्रभाव न केवल इस्लामी गणराज्य की पवित्र प्रणाली की सीमाओं के भीतर होंगे, बल्कि प्रिय ईरान की सीमाओं से परे, दुनिया के सभी स्वतंत्र शियाो के बीच होंगे, और कार्रवाई का आधार होंगे।
उन्होंने कहा कि प्रभावशाली समूह के रूप में छात्रों और विशेष रूप से महिला छात्रों को लेबनान और हिजबुल्लाह के लोगों की मदद करने के विशेष कार्य को परिभाषित करते हुए नेतृत्व की प्रशंसा करनी चाहिए।
सिद्दकी ताजुद्दीन ने कहा कि जुमा नस्र मे लोगो की उपस्थिति ऑपरेशन सादिक के वादे 3 की तरह थी, जिसने दुशमन की मनोवैज्ञानिक युद्ध के शीराजे़ को बखेर कर रख दिया। और दुनिया के सामने शासन और लोगो के समर्थन की एक सुंदर तस्वीर पेश की।
गाजा के 99 अमेरिकी डॉक्टरों ने बाइडेन को लिखा पत्र
गाजा में स्वयंसेवा कर रहे 99 अमेरिकी डॉक्टरों ने बाइडेन और कमला हैरिस को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने अस्पतालों में हमास की उपस्थिति और गतिविधि को पूरी तरह से खारिज कर दिया है, साथ ही जानवरों के लिए शर्मनाक इजरायली अत्याचारों का भी जिक्र किया है।
गाजा में स्वेच्छा से काम करने वाले 99 अमेरिकी डॉक्टरों, पैरामेडिक्स और अन्य चिकित्सा पेशेवरों के एक समूह ने जो बाइडेन और कमला हैरिस को एक पत्र लिखा था। यह पत्र "गाजा हेल्थकेयर लेटर्स" वेबसाइट पर पोस्ट किया गया था इस पत्र में, इन स्वयंसेवकों ने गाजा में अपने अनुभवों का दस्तावेजीकरण किया है, साथ ही इज़राइल द्वारा फैलाए गए झूठ को भी उजागर किया है, उन्होंने गाजा में सामूहिक रूप से 254 सप्ताह बिताए हैं, अपनी टिप्पणियों और अनुभवों को साझा करते हुए रोशनी ने विश्वसनीय रूप से कहा कि इसमें हमास की किसी भी गतिविधि का कोई सबूत नहीं है गाजा में कोई भी अस्पताल और चिकित्सा केंद्र नहीं है, न ही वहां हमास की कोई मौजूदगी है।
इन डॉक्टरों ने बताया कि कैसे इजराइल योजनाबद्ध तरीके से गाजा में चिकित्सा व्यवस्था को नष्ट कर रहा है। इसके साथ ही आर्थिक और मेडिकल नाकाबंदी के कारण होने वाली मौतों का भी जिक्र किया गया है. इसके अलावा, उनके साथियों को इज़राइल द्वारा अपहरण कर लिया गया, मार डाला गया और प्रताड़ित किया गया, पत्र में महिलाओं और बच्चों की मौतों का विवरण दिया गया है कि कैसे जन्म के बाद भोजन सहित स्वस्थ बच्चे शिकार बनते हैं स्तनपान कराने में असमर्थ, और साफ पानी उपलब्ध नहीं है।
पत्र में मेडिकल जर्नल लैंसेट में जुलाई में प्रकाशित एक लेख का भी हवाला दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से मारे गए फिलिस्तीनियों की संख्या लगभग 186,000 है। इसके अलावा, इज़राइल भूखे-प्यासे फिलिस्तीनियों को स्थानांतरित करने के लिए मजबूर कर रहा है जहां पानी नहीं है और उचित स्वच्छता नहीं है। यह मांग करता है कि संयुक्त राज्य अमेरिका मध्य पूर्व में अपनी नीति बदले। समूह का कहना है कि संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा हथियारों की आपूर्ति का मतलब है कि हमारे द्वारा अधिक महिलाएं मारी जाएंगी बम, हमारी गोलियों से अधिक फिलिस्तीनी बच्चे मारे जाएंगे। उन्होंने बिडेन और कमला हैरिस के साथ एक बैठक का अनुरोध किया है ताकि वे उन्हें गाजा में देखी और महसूस की गई सभी भयावहताओं के बारे में बता सकें।
कश्मीर, नमाज़े जुमा के बाद हिज़्बुल्लाह के समर्थन में विशाल प्रदर्शन
सय्यद हसन नसरुल्लाह की शहादत के बाद से ही हिज़्बुल्लाह लेबनान और प्रतिरोध के समर्थन में दुनियाभर में लगातार विशाल प्रदर्शन हो रहे है। सय्यद नसरुल्लाह की शहादत के बाद दुनियाभर में प्रतिरोध के समर्थन में आश्चर्यजनक रूप से वृद्धि हुई है।