
رضوی
कमला हैरिस को राष्ट्रपति उम्मीदवारी के लिए मिला बहुमत
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से बाइडेन के पीछे हटने के 24 घंटे में ही कमला हैरिस ने डेमोक्रेटिक पार्टी से नॉमिनेशन के लिए बहुमत हासिल कर लिया है। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, कमला हैरिस को राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए 4 हजार में से अब तक 1976 डेलिगेट्स का समर्थन मिल चुका है। पार्टी उम्मीदवार बनने के लिए 1976 डेलीगेट का समर्थन हासिल करना होता है।
बता दें कि रविवार को बाइडेन ने ऐलान किया था कि वह राष्ट्रपति पद का चुनाव नहीं लड़ेंगे। इसके साथ ही उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार के तौर पर उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के नाम की सिफारिश की थी। चुनाव में कमला हैरिस का सामना रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप से होगा।
बाइडेन के पीछे हटने की कई वजहें थीं। बढ़ती उम्र, चुनाव प्रचार के बीच कोरोना पॉजिटिव होना, 81 साल में उम्र में जगह-जगह प्रचार प्रसार करना, इससे इतर इसके साथ ही उनकी ही पार्टी के कई साथी भी उनसे खफा थे।
ईरान के आईआरजीसी बल ने तस्करी कर रहे ऑयल टैंकर को ज़ब्त किया
इस्लामिक रिवोल्यूशन गार्ड्स कॉर्प्स ने कहा है कि फारस की खाड़ी में तेल की तस्करी की कोशिश कर रहे एक तेल टैंकर को जब्त कर लिया गया है। टोगो के ध्वज वाले तेल टैंकर में 15 लाख लीटर तेल के साथ 12 लोग सवार थे।
इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स ने घटना के बारे में एक बयान जारी करते हुए कहा है कि ईरानी जनता को सूचित किया जाता है कि इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के सैनिकों ने ठोस जानकारी और गुप्त रिपोर्ट के आधार पर फारस की खाड़ी में छापा मार कार्रवाई करते हुए betl guse नामक तेल टैंकर को जब्त कर लिया है।
बयान में कहा गया कि तेल टैंकर में 15 लाख लीटर तेल की तस्करी की जा रही थी और अफ्रीकी देश टोगो का झंडा लगा हुआ था। तेल टैंकर पर भारत और श्रीलंका के नागरिकों सहित 12 लोग सवार थे। तेल टैंकर को बुशहर बंदरगाह पर सुरक्षा घेरे में रखा गया है।
इस्राईल पर प्रतिरोधी दलों के हमले जारी, धमाकों से गूंजा हैफा
हिब्रू मीडिया के मुताबिक, मक़बूज़ा फिलिस्तीन के कई शहरों में भारी बम विस्फोट हुए हैं।
अल-मयादीन के मुताबिक, ज़ायोनी मीडिया ने बताया है कि सोमवार रात को हैफ़ा और अका में कई जगहों पर ज़ोरदार विस्फोटों की आवाज़ सुनी गई। ज़ायोनी अधिकारियों ने विस्फोटों के संबंध में अभी तक कोई विवरण जारी नहीं किया है।
फिलिस्तीन विशेषकर ग़ज़्ज़ा में फिलिस्तीनी नागरिकों के खिलाफ ज़ायोनी सेना की आक्रामकता और उनके नरसंहार के बाद, क्षेत्र में प्रतिरोध संगठनों ने मक़्बूओजा फिलिस्तीन के शहरों और बंदरगाहों पर कई हमले किए हैं।
जनाबे ज़ैनब का भाई की लाश पर रोना
या मौहम्दा सल्ला अलैका मलाएकातुस् समा व हाज़ल हुसैनो मुरम्मेलुम बिद्देमा। मुक़त्तेउल आज़ा व बिनातोका सबाता।
रावी कहता है खुदा की क़सम मैं हज़रत ज़ैनब के वो बैन फरामोश नही करूँगा। जो उन्होने अपने भाई हुसैन की लाश पर किऐ। आप ग़मनाक अन्दाज़ मे बैन करती थी।
या मौहम्मद ऐ जददे बुर्जुगवार आप पर आसमान के फरिशते दरुद भेजते है और ये आप हुसैन है कि जो रेत पर अपने खून मे ग़लता है। इसके आज़ा एक दुसरे से जुदा हो चुके है और ये तेरी बेटियाँ है जो क़ैदी बनी हुई है। मैं इन मज़ालिम पर खुदा, मुस्तुफा, अली ए मुरतुज़ा, फातेमा ज़हरा और हमज़ा सैय्यदुश शोहदा की बारग़ाह में शिकायत करती हूँ या मौहम्मदा ये आप का हुसैन है जो सर ज़मीने करबला पर बरहना व उरया पड़ा है औऱ बादे सबा इस पर खाक डाल रही है। ये आपका हुसैन है जो ज़िनाज़ादो के जुल्मो सितम की बिना पर कत्ल किया गया।
वा हुज़्ना।
वा अकबरा।
गोया आज के दिन मेरे जद्दे बुज़ुर्गवार रसूले खुदा इस दुनिया से चले गऐ है।
ऐ मौहम्मद के अस्हाब। ये तुम्हारे पैग़म्बर की औलाद है। जिन को कैदीयो की तरह क़ैद करके ले जा रहे है।
दूसरी रिवायत मे मनकूल है कि हज़रत जैनब ने फरमायाः ऐ रसूल अल्लाह आज आपकी बेटीयाँ क़ैदी है और बेटे क़त्ल हो गऐ और बादे सबा उनपर खाक डाल रही है। ये आपका हुसैन है कि जिसका सिर पसे गर्दन से जुदा किया गया है और उसका अमामा और चादर लूट ली गई है। मेरे माँ बाप इस पर कुरबान हो उस पर कि जिसके लश्कर को सोमवार के दिन जुल्मो सितम का निशाना बनाया गया। मेरे माँ बाप कुरबान को उस पर कि जिसके खेमो को जला दिया गया।
मेरे बाबा कुरबान हो उस पर कि जिसकी वापसी की उम्मीद नही की जा सकती। और जिस के जख्म ऐसे नही कि जिसका इलाज किया जा सके। मेरे माँ बाप उस पर कुरबान हो जिसपर मैं खुद भी फिदा होना पसंद करती हूँ।
मेरे माँ बाप उस पर कुरबान कि जिसका दिल ग़मो गुस्सा से भरा हुआ था और इसी हाल मे दुनिया से चला गया।
मेरे माँ बाप उस पर फिदा कि जिसको तिशना लब शहीद कर दिया गया।
मेरे माँ बाप फिदा उस पर कि जिसके जद पैगंबरे खुदा हज़रते मौहम्मदे मुस्तुफा है।
इसके बाद रावी कहता है कि जनाबे ज़ैनब के गिरयाओ बुका ने दोस्तो दुश्मन सब को रूला दिया।
(लहूफ)
असबाबे जावेदानी ए आशूरा
यूँ तो ख़िलक़ते आलम व आदम से लेकर आज तक इस रुए ज़मीन पर हमेशा नित नये हवादिस व वक़ायए रुनुमा होते रहे हैं और चश्मे फ़लक भी इस बात पर गवाह है कि उन हवादिस में बहुत से ऐसे हादसे भी हैं जिन में हादस ए करबला से कहीं ज़्यादा ख़ून बहाये गये और शोहदा ए करबला के कई बराबर लोग बड़ी बेरहहमी और मज़लूमी के साथ तहे तेग़ कर दिये गये लेकिन यह तमाम जंग व जिनायात मुरुरे ज़मान के साथ साथ तारीख़ की वसीअ व अरीज़ क़ब्र में दफ़्न हो कर रह गयीं मगर उन हवादिस में से फ़क़त वाक़ेया ए करबला है जो आसमाने तारीख़ पर पूरी आब व ताब के साथ बद्रे कामिल की तरह चमक रहा है बावजूद इस के कि दुश्मन हर दौर में इस हादसे को कम रंग या नाबूद करने की कोशिशें करता रहा है मगर यह वाक़ेया उन तमाम मराहिल से गुज़रता हुआ आज चौदहवीं सदी में भी अपना कामयाब सफ़र जारी रखे हुए है, आख़िर सबब क्या है?
आख़िर वह कौन से अनासिर हैं जो इस वाक़ेया को हयाते जावेदाना अता करते हैं? मज़कूरा सवाल को मद्दे नज़र रखते हुए चंद मवारिद की तरफ़ मुख़्तसर इशारा किया जा रहा है जो क़यामे इमाम हुसैन (अ) को ज़िन्दा रखने में मुअस्सिर होते हैं।
वादा ए इलाही
जब हम कुरआन की तरफ़ रुजू करते हैं तो हमें मालूम होता है कि ख़ुदा वंदे आलम अपने बंदों से यह वादा कर रहा है कि तुम मेरा ज़िक्र करो मैं तुम्हारा ज़िक्र करूँगा। हर मुनसिफ़ नज़र इस आयत को और सन् 61 हिजरी के पुर आशोब दौर को मुलाहिज़ा करने के बाद यह फ़ैसला करने पर मजबूर हो जाती है कि चूँ कि उस दौर में जब नाम व ज़िक्र ख़ुदा को सफ़ह ए हस्ती से मिटाया जा रहा था तो सिर्फ़ इमाम हुसैन (अ) थे जो अपने आईज़्ज़ा व अक़रबा के हमराह वारिदे मैदान हुए और ख़ुदा के नाम और उस के ज़िक्र को तूफ़ाने नाबूदी से बचा कर साहिले निजात तक पहुचाया। लिहाज़ा ख़ुदा वंदे मुतआल ने भी अपने वादे के मुताबिक़ ज़िक्रे हुसैन को उस मेराज पर पहुचा दिया कि जहाँ दस्ते दुश्मन की रसाई मुम्किन ही नही है और यही वजह है कि दुश्मनों की इंतेहाई कोशिशों के बावजूद भी ज़िक्रे हुसैन (अ) आज भी ज़िन्दा व सलामत है।
क़यामे इलाही
इमाम हुसैन अलैहिस सलाम का क़याम एक इलाही क़याम था जो हक़ व दीने हक़ को ज़िन्दा करने के लिये था चुँनाचे आप का जिहाद, आप की शहादत, आप के क़याम का मुहर्रिक सब कुछ ख़ुदाई था और हर वह चीज़ जो लिल्लाह हो और रंगे ख़ुदाई इख़्तियार कर ले वह शय जावेद और ग़ैर मअदूम हो जाती है, क्योकि क़ुरआन मजीद कह रहा है कि जो कुछ ख़ुदा के पास है वह बाक़ी है और दूसरी आयत कह क रही है हर शय फ़ना हो जायेगी सिवाए वजहे ख़ुदा के, जब इन दोनो आयतों को मिलाते हैं तो नतीजा मिलता है कि न ख़ुदा मअदूम हो सकता है और न ही जो चीज़ ख़ुदा के पास है वह मअदूम हो सकती है।
इरादा ए इलाही
ख़ुदा वंदे का इरादा है कि हर वह चीज़ जो बशर व बशरियत के हक़ में फ़ायदेमंद हो उसे हयाते जावेदाना अता करे और उस को दस्ते दुश्मन से महफ़ूज़ रखे।
क़ुरआने मजीद कहता है कि दुश्मन यह कोशिश कर रहा है कि नूरे ख़ुदा को अपनी फ़ूकों से ख़ामोश कर दे लेकिन ख़ुदा का नूर ख़ामोश होने वाला नही है, इमाम हुसैन (अ) चूँ कि नूरे ख़ुदा के हक़ीक़ी मिसदाक़ हैं और क़यामे इमाम भी हर ऐतेबार से बशर और बशरियत के लिये सूद मंद है लिहाज़ा इरादा ए इलाही के ज़ेरे साया यह क़याम ता अबद ज़िन्दा रहेगा।
उन के अलावा और भी बहुत से मौरिद हैं मसलन क़यामे इमाम (अ) की जावेदानी ज़िन्दगी और उस के दायमी सफ़र पर ख़ुद पैग़म्बर (स) भी अपनी मोहरे ताईद सब्त करते हुए फ़रमाते हैं कि शहादते हुसैन (अ) के परतव क़ुलूबे मोमिनीन में एक ऐसी हरारत पाई जाती है कि जो कभी सर्द नही हो सकती। इस हदीस के अंदर अगर ग़ौर व ख़ौज़ किया जाये तो बख़ूबी रौशन हो जाता है कि रसूले अकरम (स) ने इस हादसे के वुक़ूस से पहले ही उस के दायमी होने की ख़बर दे दी थी।
या इस के अलावा वाक़ेया ए करबला के बाद जब अमवियों ने यह सोच लिया था कि दीने ख़ुदा मिट गया, नामे पैग़म्बर (स) व आले पैग़म्बर नीस्त व नाबूद हो चुका है और उसी वक़्ती फ़तहयाबी की ख़ुशी के नशे में मख़मूर जब यज़ीद ने कहा कि कोई ख़बर नही आई, कोई वही नाज़िल नही हुई यह तो बनी हाशिम का हुकूमत अपनाने का महज़ एक ठोंग था तो उस मौक़े पर अली (अ) की बेटी ज़ैनब और इमाम सज्जाद (अ) के शररबार ने यज़ीद के नशे को काफ़ूर करते हुए दरबार में अपनी जीत का डंका बजाया और भरे दरबार में जनाबे ज़ैनब हाकिमे वक़्त क मुखातब कर के कहा कि ऐ यज़ीद तेरी इतनी औक़ात कहाँ कि अली (अ) की बेटी तुझ से बात करे लेकिन इतना तूझे बता देती हूँ तू जितनी कोशिश और मक्कारियाँ कर सकता है कर ले, लेकिन याद रख तो हरगिज़ हमारी महबुबियत को लोगों के दिलों से नही मिटा सकता। जनाबे ज़ैनब (स) की ज़बाने मुबारक से निकले हुए यह कलेमात इस बात की तरफ़ इशारा कर रहे हैं कि हुसैन (अ) और अहले बैत (अ) के नाम की महबुबियत को ख़ुदा ने लोगों के दिलों में वदीयत कर रखा है और जब तक सफ़ह ए हस्ती पर लोग रहेगें ज़िक्रे हुसैन और नामे हुसैन (अ) को ज़िन्दा रखेगें।
वर्ल्ड शतरंज डे टूर्नामेंट में ईरान बना चैम्पियन
ईरान की टीम, वर्ल्ड शतरंज डे के मैत्रीपूर्ण टूर्नामेंट का चैंपियन बन गया।
1966 में, यूनेस्को ने विश्व शतरंज संघ की स्थापना के उपलक्ष्य में 20 जुलाई को विश्व शतरंज दिवस का नाम दिया है।
वर्ल्ड शतरंज डे के अवसर पर रूस, मंगोलिया, सर्बिया और ईरान के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में लाइटनिंग सेक्शन में और एक टीम के रूप में चारपक्षीय मैत्रीपूर्ण टीम मैच ऑनलाइन आयोजित किए गए।
इस प्रतियोगिता के आख़िर में ईरानी टीम जिसमें रामतीन काकावंद,मानी परहाम अस्ल, मुहम्मद सालेह कलान्तरी, और "मुहम्मद रज़ा इस्माईल ज़ादेह शामिल थे जो अन्य प्रतियोगियों को हराकर चैंपियनशिप जीतने में सफल रही।
ज्ञात रहे कि इस खेल को पूरी दुनिया में बढ़ावा देने के लिए विश्व शतरंज दिवस का आयोजन किया जाता है। वर्ल्ड शतरंज डे इस खेल पर अधिक ध्यान देने का अवसर है जिसका इतिहास बहुत लंबा (लगभग 1500 वर्ष ईसा पूर्व) है।
युवा पीढ़ी को इमाम हुसैन (अ) के क़याम के फ़लसफ़े के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए
हुज्जतुल-इस्लाम कुदरती ने कहाः इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के क़यामम का बहुत गहरा फ़लसफ़ा है। जिसका हमें गहनता से विश्लेषण एवं व्याख्या करनी चाहिए।
कुर्दिस्तान के संवाददाता के साथ एक साक्षात्कार में, हुज्जतुल इस्लाम जमाल कुदरती ने मुहर्रम के अवसर और इमाम हुसैन की शहादत पर अपनी संवेदना व्यक्त की, और कहा: इमाम हुसैन के क़याम का बहुत गहरा फ़लसफ़ा है। जिसका हमें गहनता से विश्लेषण एवं व्याख्या करनी चाहिए।
उन्होंने कहा: हमारी युवा पीढ़ी को इमाम हुसैन के आंदोलन का विस्तार से अध्ययन करना चाहिए ताकि वे इमाम हुसैन के आंदोलन के लक्ष्यों को बेहतर और सटीक रूप से समझ सकें।
कुर्दिस्तान मदरसा के शिक्षक ने कहा: हमारी युवा पीढ़ी ने साबित कर दिया है कि उनका झुकाव हमेशा धर्म और अर्थ की ओर होता है, इसलिए यदि इस मुद्दे को ठीक से नहीं देखा गया, तो कुछ मिथक फैलने की संभावना है।
उन्होंने आगे कहा, मजलिस-ए-हुसैनी और अन्य धार्मिक जलसों का नतीजा भी अच्छा होना चाहिए, इन मजलिसों में मौजूद लोगों की धार्मिक जागरूकता बढ़नी चाहिए।
हुज्जतुल-इस्लाम कुदरती ने कहाः इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की स्थापना का बहुत गहरा दर्शन है। जिसका हमें गहनता से विश्लेषण एवं व्याख्या करनी चाहिए। शोक सभाओं में केवल भावनाओं के कारण भाग नहीं लेना चाहिए, बल्कि इन सभाओं से हमारी धार्मिक चेतना में वृद्धि होनी चाहिए।
यमन पर इज़रायल के आक्रमण का जवाब निश्चित और कठोर है
तहरीक अंसारुल्लाह के राजनीतिक ब्यूरो के एक सदस्य ने इजरायलीयो को संबोधित किया और कहा: जिन लोगों ने हम पर हमला किया उनके खिलाफ हमारा जवाबी हमला एक खतरनाक भूकंप की तरह होगा और इसके साथ इज़राइल नष्ट हो जाएगा। जवाब निश्चित और कठिन है।
होदेइदाह प्रांत में इस्राईली शासन की आक्रामकता और इस प्रांत में शहरी केंद्रों को निशाना बनाने के जवाब में, अंसारुल्लाह यमन के राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य अली अल-काहूम ने कहा: हम चाहते हैं इस्राईलीयो को यह कहने की कोई आवश्यकता नहीं है कि वे अधिक खुश हों, क्योंकि यमनियों की भयानक प्रतिक्रिया आ रही है और आप यमनियों की प्रतिक्रिया और सज़ा से बच नहीं पायेंगे।
अली अल-काहूम ने कहा: हम पुष्टि करते हैं कि हमारी जवाबी कार्रवाई और हमारी प्रतिक्रिया बिल्कुल दुश्मन के हमले की तरह होगी, हम उसी तरह जवाब देंगे, और यह युद्ध का नियम है, युद्ध और संघर्ष में वृद्धि होगी जिसका शत्रुओं पर भयंकर परिणाम होगा।
अंसारुल्लाह यमन के राजनीतिक ब्यूरो के एक सदस्य ने इजरायलियों को संबोधित करते हुए कहा: आप जहां से आए हैं वहां वापस जाएं, आपके पास केवल एक ही विकल्प बचा है, या अपने आश्रयों में छिप जाएं, लेकिन याद रखें कि अमेरिकी समर्थन से आपको कोई फायदा नहीं होगा।
उन्होंने आगे कहा: जो लोग यमन की संप्रभुता पर सवाल उठाते हैं और यमनियों पर हमला करते हैं, उनके हाथ काट दिए जाएंगे।
अल-काहुम ने जोर देकर कहा: एक लंबा युद्ध शुरू होने वाला है, ज़ायोनीवादियों को भारी कीमत चुकानी होगी, उन्हें हमारे सबसे भारी हमलों का सामना करना पड़ेगा, दुश्मन को पता चल जाएगा कि यमनियों ने ट्रिगर पर अपना हाथ रखा है।
पिज़िश्कियान के आने से इस्राईल क्यों चिंतित है?
अटलांटिक परिषद की वेबसाइट पर एक लेख प्रकाशित हुआ है जिसमें लेखक ने कुछ उन कारणों को लिखा है जिनकी वजह से इस्राईल ईरान के निर्वाचित राष्ट्रपति पिज़िश्कियान के आने से चिंतित है।
पिज़िश्कियान के ईरान के नये राष्ट्रपति के रूप में चुने जाने से इस्राईल के अंदर गंभीर चिंता उत्पन्न हो गयी है। रज़ ज़िमत ने "पिज़िश्कियान इस्राईल के लिए दबाव हो सकते हैं" शीर्षक के अंतर्गत एक लेख लिखा है जिसमें उन्होंने कुछ उन असली कारणों का उल्लेख किया है जिसकी वजह से इस्राईल में गम्भीर चिंता उत्पन्न हो गयी है।
प्रतिरोध के समर्थन का जारी रखना
लेख के लेखक रज़ ज़िमत के अनुसार पिज़िश्कियान के ईरान का राष्ट्रपति चुने जाने की वजह से इस्राईल में जो गंभीर चिंता उत्पन्न हो गयी है उसका एक असली कारण पिज़िश्कियान द्वारा प्रतिरोध का समर्थन है। आठ जुलाई 2024 को पिज़िश्कियान ने लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैयद हसन नस्रुल्लाह के नाम एक पत्र भेजा था जिसमें उन्होंने प्रतिरोध के समर्थन को जारी रखने पर बल दिया था।
पिज़िश्किया ने उस पत्र में लिखा था कि इस्लामी गणतंत्र ईरान अवैध ज़ायोनी सरकार के मुक़ाबले में क्षेत्रीय लोगों के प्रतिरोध का सदैव समर्थक रहा है। प्रतिरोध का समर्थन इस्लामी गणतंत्र ईरान की सिद्धांतिक नीति, स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी रह. और सर्वोच्च नेता की आकांक्षा है और पूरी ताक़त के साथ उसका समर्थन जारी रहेगा।
2- ज़ायोनी सरकार के ख़िलाफ़ ईरान की आक्रामक नीति का परिवर्तित न होना
रज़ ज़िमत का मानना है कि पिज़िश्किया का चयन इस्राईलियों के मध्य इस विचार के मज़बूत होने का कारण बना है कि ईरान का नया राष्ट्रपति इस्लामी गणतंत्र ईरान की नीतियों में कोई उल्लेखनीय परिवर्तन उत्पन्न नहीं करेगा। जैसाकि एक ज़ायोनी अध्ययनकर्ता ने हसन नस्रुल्लाह के नाम पिज़िश्किया के पत्र की प्रतिक्रिया में सोशल साइट एक्स पर लिखा कि यह पत्र उसके लिए है जो यह सोच रहा था कि ईरान का नया राष्ट्रपति ईरान की आक्रामक नीति में, जो इस्राईल का अंत चाहता है, परिवर्तन उत्पन्न करेगा।
3- राष्ट्रपति को विदेशनीति को पूरी तरह परिवर्तित करने का अधिकार का न होना
यह विश्लेषक अपने लेख में यह दावा करता है कि ईरानी नीति के ताने- बाने और ढांचे में ईरानी राष्ट्रपति की ताक़त अधिकतर देश के आंतरिक मामलों में होती है और विदेशनीति को परिवर्तित करने में उसकी क्षमता सीमित है और उसके अनुसार क्षेत्रीय प्रतिरोध में सिपाहे पासदारान और क़ुद्स ब्रिगेड इस संबंध में उसकी शक्ति को कम करती हैं। यद्यपि इस दावे पर बहुत सारे प्रश्न किये जा सकते हैं परंतु अधिकांश डेमोक्रेटिक देशों में केवल सरकार विदेश नीति को तय नहीं करती बल्कि राष्ट्रीय परिषदें और इसी प्रकार देशों की संसदें क़ानून बनाकर इस संबंध में प्रभावी हैं। लेखक के अनुसार ज़ायोनी सरकार के समर्थकों की यह उम्मीद टूट चुकी है कि इस्राईल के संबंध में ईरान की नीति में कोई परिवर्तन होगा।
4- इस्राईल के लिए ईरान और पश्चिम के बीच लगातार वार्ता का होना
लेखक के अनुसार ईरान के राष्ट्रपति पिज़िश्कियान में इस्राईल के लिए एक बुरी ख़बर व संकेत पूर्व परमाणु वार्ताकार अब्बास इराक़ची का नया विदेश मंत्री होना है। अगर ऐसा हो जाता है तो ईरान और पश्चिम के बीच परमाणु मामले के समाधान की उम्मीद में वृद्धि हो जायेगी। यह वह चीज़ है जो इस्राईल के लिए नुकसानदेह है। इस दृष्टिकोण के अनुसार अगर किसी ऐसे विकल्प का चयन हो जाता जो पश्चिम के साथ वार्ता न करता तो इस्राईल आसानी से विश्व समुदाय को यह समझा सकता है कि ईरान के साथ वार्ता का कोई फ़ायदा नहीं है और ईरान पर अधिक दबाव डालना चाहिये।
5- ईरान के सैनिक व परमाणु कार्यक्रम से चिंता
इस लेख के आधार पर ईरान के परमाणु कार्यक्रम में प्रगति और इसी प्रकार ईरान के सैनिक कार्यक्रम में प्रगति से इस्राईल के अंदर गम्भीर चिंता उत्पन्न हो गयी है। ईरान के परमाणु कार्यक्रम में प्रगति, दूर तक मार करने वाली मिसाइल और आधुनिकतम ड्रोन इन चिंताओं में शामिल हैं। हिज़्बुल्लाह, हमास और जेहादे इस्लामी जैसे संगठनों का ईरान द्वारा समर्थन को इस्राईल की सुरक्षा के लिए गम्भीर चुनौती समझा जाता है।
नतीजाः ईरान के नये राष्ट्रपति के रूप में पिज़िश्कियान का चयन इस्राईल की चिंता में वृद्धि का कारण बना है। पिज़िश्कियान द्वारा प्रतिरोध का समर्थन, इस्राईल के ख़िलाफ़ ईरान की आक्रामक नीति से पिज़िश्कियान का सहमत होना, ईरान के सैनिक और परमाणु कार्यक्रम में प्रगति और ईरान और पश्चिम के साथ संबंधों में विस्तार उन चीज़ों में से हैं जिनसे इस्राईल की सुरक्षा चिंताओं में वृद्धि हो गयी है।
गाज़ा के खान यूनिस प्रांत में इज़राईली सेना के हमलों में 20 लोग शहीद
फिलिस्तीनी सूत्रों ने खान यूनिस के पूर्व में कब्जे वाली इज़राईली सेना द्वारा किए गए हवाई हमलों में कम से कम 20 लोगों की मौत कई अन्य घयाल हो गाए हैं।
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,गाज़ा राहत संगठन ने आज सोमवार खान यूनिस के पूर्व में कब्जे वाली इज़राईली सेना द्वारा भारी हमलों की सूचना दी हैं।
फिलिस्तीनी सूचना केंद्र के अनुसार, इज़रायली सेना ने आज सुबह खान यूनिस के पूर्व में हवाई और तोपखाने हमलों का एक नया दौर शुरू किया और क्षेत्र के 400,000 से अधिक निवासियों को निकालने की मांग की हैं।
इस बीच गाजा राहत संगठन के ताजा आंकड़ों के मुताबिक इन हमलों में 20 फिलिस्तीनी शहीद और दर्जनों घायल हो गए शहीदों में ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं शहीदों में एक 2 साल की बच्ची भी शामिल हैं।
खान यूनिस के अलनासिर अस्पताल ने भी खान यूनिस के निवासियों से रक्तदान का अनुरोध किया है और इस अस्पताल में ब्लड बैंक की बिगड़ती स्थिति के बारे में सूचित दी हैं।