
رضوی
इमरान खान का झुकने से इंकार, सेना से नहीं मांगेंगे माफ़ी
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने सेना के सामने झुकने से साफ़ इंकार करते हुए कहा कि वह जेल में रहना पसंद करेंगे लेकिन सेना ने माफ़ी नहीं मांगेंगे। पाकिस्तान की अडियाला जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने 9 मई को सैन्य प्रतिष्ठानों में हुई हिंसा के मामले में माफी मांगने से इंकार कर दिया। इसके बाद सेना ने कहा कि जब तक पूर्व पीएम सार्वजनिक माफी नहीं मांगते तब तक सेना उनकी पार्टी से बात नहीं करेगी।
इमरान खान ने कहा कि वह अपनी पाकिस्तान तहरीक-इंसाफ पार्टी द्वारा किए गए धरने की जांच का सामना करने के लिए तैयार हैं। रिपोर्ट के मुताबिक जब उनसे पूछा गया कि क्या वह 9 मई के हिंसक विरोध प्रदर्शन के लिए माफी मांगेंगे, तो उन्होंने स्पष्ट जवाब दिया नहीं।
इमरान ने कहा, "मैंने (पूर्व) मुख्य न्यायाधीश उमर अता बंदियाल के सामने 9 मई की घटनाओं की निंदा की थी।" उन्होंने कहा कि उन्हें विरोध प्रदर्शनों के बारे में तब पता चला जब वह पाकिस्तान के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश के सामने पेश हुए थे।
आयतुल्लाहिल ख़ामेनई ने संसद के दूसरे चरण में अपना वोट डाला
तेहरान, शुक्रवार 10 मई 2024 को सुबह हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने संसद के दूसरे चरण के चुनाव में मतदान किया।
हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने शुक्रवार की सुबह बारहवीं संसद के दूसरे चरण के चुनाव के लिए तेहरान में मतदान का आग़ाज़ होते ही इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में अपना वोट डाला।
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने शुक्रवार की सुबह बारहवीं संसद के दूसरे चरण के चुनाव के लिए तेहरान में मतदान का आग़ाज़ होते ही इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में अपना वोट डाला।
चुनाव के इस चरण में इलेक्ट्रॉनिक मशीनों से वोटिंग हो रही है।
अपना वोट डालने के बाद इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने इस बात पर बल दिया कि पहले और दूसरे चरण में कोई फ़र्क़ नहीं है। उन्होंने कहा कि दूसरे चरण के चुनाव की अहमियत पहले राउंड से कम नहीं है और अवाम इस राउंड में शिरकत करके सदन को पूरा करें।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने चुनाव को अवाम की शिरकत और अवाम के इरादे और डिसीजन मेकिंग का प्रतीक क़रार दिया और कहा कि मुल्क की तरक़्क़ी और बड़े लक्ष्य तक उसकी पहुंच की इच्छा रखने वाले हर इंसान का राष्ट्रीय कर्तव्य है कि चुनाव में शिरकत करे।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने फ़रमाया कि वोट जितने ज़्यादा हों संसद उतनी ताक़तवर होगी और संसद जितनी ताक़तवर होगी मुल्क में काम करने की संभावना उतनी ज़्यादा होगी।
हज़रत मासूमा क़ुम (स) के 4 गुण
हौज़ा इलमिया खाहारान की शिक्षक ने कहा: इन महान गुणों का ज्ञान प्राप्त करके, इसे अपना कर्म माना जा सकता है और इन गुणों को व्यवहार में लाकर हम हज़रत फातिमा मासूमा के करीब पहुंच सकते हैं।
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, आज सुबह ईरान के शहर मदरसा हज़रत ज़ैनब (स) में हज़रत फातिमा मासूमा (स) के धन्य जन्म के अवसर पर एक जश्न मनाया गया, जिसमें श्रीमती आज़ादपनाह ने विशेष भाषण दिया पता।
श्रीमती इज़ाद पनाह ने हज़रत फ़ातिमा मासूमा अलैहिस्सलाम के महान व्यक्तित्व के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें बताते हुए कहा: इन महान गुणों का ज्ञान प्राप्त करके, इसे अपना कर्म माना जा सकता है और इन गुणों को व्यवहार में लाया जा सकता है। हम हज़रत फ़ातिमा मासूमा पैगम्बर (स) के करीब पहुँच सकते हैं।
उस्ताद हौज़ा ए इल्मीया खाहारान ने कहा: हज़रत मासूमा (स) की पहली विशेषता यह है कि उनके जन्म से पहले ही, इमाम मासूम ने उनके जन्म की खबरें और घटनाएं बताई थीं, मुहम्मद बाक़िर (अ) के जन्म की भविष्यवाणी पैगंबर ने की थी इस्लाम (स) ने जनाब जाबिर बिन अब्दुल्लाह अंसारी को जब वह 50 साल के थे और कहा था कि जब तुम उनसे मिलो तो मेरा सलाम कहना।
उन्होंने जोर दिया: इमामों के बच्चों में हज़रत मासूमा (स) एकमात्र हैं जिनके जन्म से 45 साल पहले इमाम सादिक (अ) ने अपने एक साथी के साथ एक बैठक के दौरान उनके जन्म की भविष्यवाणी की थी और कहा था:: यह बच्चा मेरा बेटा मूसा है , भगवान उसे एक बेटी दे, जिसका नाम फातिमा होगा, उसे क़ोम की भूमि में दफनाया जाएगा, और जो कोई क़ोम में उससे मिलने जाएगा, उसके लिए स्वर्ग अनिवार्य है।
सुश्री आज़ादपनाह ने कहा: हज़रत मासूमा (स) की दूसरी विशेषता यह है कि वह एक विद्वान हैं और शिक्षिका नहीं हैं, और तीसरी विशेषता यह है कि वह सभी महिलाओं के लिए एक उदाहरण और आदर्श हैं, हर महिला के पास यह क्यों नहीं है महिलाओं के लिए एक आदर्श बनने की क्षमता, यह पवित्रता और पवित्रता की शर्त है, और चौथी विशेषता है अपने समय के इमाम की आवाज़ का जवाब देना और इमाम की आज्ञा का पालन करना।
पश्चिम एशिया के महानायक जनरल क़ासिम सुलैमानी के बारे में सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली 12 किताबें
तेहरान में किताबों की अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी आरंभ हो गयी है। साथ ही बहुत से अनुवादक ईरानी किताबों को अपने देशों की भाषाओं में अनुवाद करने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
इन बातों के दृष्टिगत हम पश्चिम एशिया में आतंकवादी गुट दाइश से मुकाबले के महानायक जनरल क़ासिम सुलैमानी के संबंध में बहुत अधिक पढ़ी जाने वाली कुछ किताबों से परिचित करायेंगे।
जनरल क़ासिम सुलैमानी हाज क़ासिम के नाम से मशहूर हैं। वह ईरान की सिपाहे पासदारान फोर्स आईआरजीसी की क़ुद्स ब्रिगेड के पूर्व कमांडर और पश्चिम एशिया में आतंकवादी गुट दाइश और अमेरिका और जायोनी सरकार से मुकाबले के महानायक थे। इराक और सीरिया में आतंकवादी गुट दाइश के ज़ाहिर होने के बाद जनरल क़ासिम सुलैमानी इन देशों में हाज़िर हुए और इन दोनों देशों की सरकारों के सहयोग से वहां के स्वयं सेवी बलों को समन्वित करके आतंकवादी गुटों से मुकाबला आरंभ किया और इन दोनों देशों में आतंकवादी गुट दाइश द्वारा अतिग्रहित क्षेत्रों को आज़ाद कराने और इस गुट की सरकार को खत्म करने में उल्लेखनीय भूमिका निभाई।
जनरल क़ासिम सुलैमानी सैनिक टैक्टिक को लागू करने और साम्राज्यवादी योजना को नाकाम बनाने में बहुत माहिर व दक्ष थे इस प्रकार से कि उन्हें बिना साये के जनरल की उपाधि दी थी।
अंततः 63 साल की उम्र में शुक्रवार की सुबह 13 दैय 1398 शमसी अर्थात 3 जनवरी 2020 को अमेरिकी सैनिकों ने इराक में एक आतंकवादी हमले में उन्हें शहीद कर दिया। अमेरिका के इस आतंकवादी हमले के बाद ईरान ने इराक में आधुनिकतम हथियारों से लैस अमेरिका की सैनिक छावनी एनुल असद को मिसाइलों से निशाना बनाया और उसके बाद से पश्चिम एशिया में अमेरिकी सैनिकों के खिलाफ ईरान की ग़ैर आधिकारिक आतंकवाद विरोधी सैनिक लड़ाई आरंभ हो गयी।
पश्चिम एशिया में आतंकवाद के ख़िलाफ लड़ाई के महानायक जनरल क़ासिम सुलैमानी के संबंध में बहुत अधिक पढ़ी जाने वाली 12 किताबों पर एक नज़र
जनरल क़ासिम सुलैमानी के संबंध में लिखी जाने वाली एक किताब का नाम है" मैं किसी चीज़ से नहीं डरता था"
रोचक बात यह है कि इस किताब को ख़ुद जनरल क़ासिम सुलैमानी ने लिखा है और इसमें उन्होंने अपनी जीवनी लिखा है। इस किताब के पहले एडीशन को "मकतबे हाज क़ासिम" नामक प्रेस ने प्रकाशित किया है। इस किताब में ईरान की इस्लामी क्रांति के नेता इमाम ख़ामनेई ने कुछ नोट लिखे हैं। इस किताब में शहीद जनरल क़ासिम सुलैमानी के हाथों से लिखी हुई किरमान प्रांत के क़नात मलिक गांव में बचपने की घटनाओं का उल्लेख किया गया है।
जनरल क़ासिम सुलैमानी के संबंध में एक अन्य किताब का नाम है" हाज क़ासिमी की मन मी शनाख़्तम" है।
इस किताब को सईद अल्लामियान ने लिखा है और इसे "ख़त्ते मुक़द्दम" नाम प्रेस ने प्रकाशित किया है। इस किताब में सईद अल्लामियान ने जनरल क़ासिम सुलैमियान के साथ 40 वर्षों तक साथ रहने की घटनाओं का उल्लेख किया है। इस किताब में 12 भाग हैं। जंग के दौरान की घटनायें और इस जंग में एक सैनिक के रूप में जनरल क़ासिम सुलैमानी के प्रवेश के साथ यह किताब आरंभ होती है।
जनरल क़ासिम सुलैमानी के संबंध में एक अन्य किताब का नाम "हाज क़ासिम रफ़ीक़े ख़ुशबख्ते मा" है। इस किताब को "सिब्ते अकबर" प्रेस ने प्रकाशित किया है। इस किताब में शहीद जनरल क़ासिम सुलैमानी की जीवनी और उनके वसीयतनाम का उल्लेख किया गया है। इसी प्रकार इस किताब में यह बयान किया गया है कि इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता और सैयद हसन नस्रुल्लाह के कलाम में जनरल क़ासिम सुलैमान कैसी हस्ती हैं।
जनरल क़ासिम सुलैमानी के संबंध में एक अन्य किताब का नाम है "मन क़ासिम सुलैमानीअम" इस किताब को मुर्तज़ा शाहकरम ने लिखा है और इसे सूरे मेहर प्रेस ने प्रकाशित किया है। इस किताब में पांच ड्रामे लिखे गये हैं। इन ड्रामों का उद्देश्य शहीद जनरल क़ासिम सुलैमानी की हस्ती, आइडियालोजी और विचारधारा से मुख़ातब को बेहतर ढंग से पहचनवाना है। इस किताब में जो पांच ड्रामे हैं उनके नाम इस प्रकार हैं मोहन्दिसे मीन, काख़े रियासत जम्हूरी, सरबाज़े सरदार, मफ़क़ूदे दुव्वोम और एक छोटा ड्रामा "मन क़ासिम सुलैमानीअम" है।
शहीद जनरल क़ासिम सुलैमानी के संबंध में एक अन्य किताब का नाम "रोज़ी रोज़गारी हाज क़ासिम सुलैमानी" है।
इस किताब को अब्बास मिर्ज़ाई ने लिखा है और या ज़हरा प्रेस ने प्रकाशित किया है। इस किताब में इस बात का उल्लेख किया गया है कि शहीद जनरल क़ासिम सुलैमानी के मातहत जो सैनिक होते थे जंग के कठिन से कठिन हालात में उन्हें वह किस प्रकार आदेश देते थे और उनका किस प्रकार मार्गदर्शन करते थे। "रोज़ी रोज़गारी हाज क़ासिम सुलैमानी" के नाम से या ज़हरा प्रेस ने कई किताबें छापी है। एक किताब का नाम है "हुजूम बे तहाजुम" इस किताब में बहमन 1360 हिजरी शमसी से लेकर उर्दीबहिश्त 1361 हिजरी शमसी तक की घटनाओं को बटालियन "41 सारल्लाह" के तत्कालीन कमांडर की ज़बान से बयान किया गया है। इसी प्रकार दूसरी किताब का नाम है "नबर्दे सैयद जाबिर" इस किताब में शहीद जनरल क़ासिम सुलैमानी के जीवन से संबंधित घटनाओं को उर्दीबहिश्त महीने से तीर महीने तक बयान किया गया है। इन घटनाओं का संबंध 1361 हिजरी शमसी से है।
शहीद जनरल क़ासिम सुलैमानी के संबंध में जो किताबें लिखी गयी हैं उनमें से एक काम नाम "ज़ुल फ़ेक़ार" है। इस किताब को "या ज़हरा" प्रेस ने प्रकाशित किया है। इस किताब को अली अकबर मुज़्दाबादी ने लिखा है जिसमें जनरल क़ासिम सुलैमानी के जीवन की मौखिक घटनाओं को बयान किया गया है। ज़ुलफ़ेक़ार किताब 248 पेज की है। इस किताब में पहली बार इराक़ द्वारा ईरान पर थोपे गये युद्ध के दौरान की घटनाओं और इसी प्रकार सीरिया और इराक में शहीद जनरल क़ासिम की भूमिका का उल्लेख किया गया है। यह पहली बार है जब इस किताब के 100 पेजों में उन तस्वीरों को दिखाया गया है जिन्हें अब तक नहीं दिखाया गया था और ये तस्वीरें शहीद जनरल क़ासिम सुलैमानी से विशेष हैं।
इसी प्रकार शहीद जनरल क़ासिम सुलैमानी के संबंध में एक अन्य किताब का नाम है "मुत्वल्लिदे मार्स"
इस किताब को अली अकबर मुज़्दाबादी ने लिखा है और इसे या ज़हरा प्रेस ने छापा है। मार्स को जंग की रूह का नाम दिया गया है और साथ ही मुहाफिज़े सुल्ह भी कहा गया है। प्राचीन समय में इंसानों की जो समस्त आस्थायें होती थीं मार्स उनका प्रतिनिधि होता था। "जंग व सुल्ह" और "मुतवल्लिदे मार्स" किताब में शहीद जनरल क़ासिम सुलैमानी, उनके दोस्तों और युद्ध में निकट लोगों की यादों को बयान किया गया है। इसी प्रकार इन किताबों में इराक और सीरिया में होने वाले परिवर्तनों और जनरल कासिम सुलैमानी के शहीद होने तक की घटनाओं को बयान किया गया है। इन घटनाओं को साक्षात्कार के रूप में एकत्रित व संकलित किया गया है।
इसी प्रकार शहीद जनरल क़ासिम सुलैमानी के संबंध में लिखी गयी एक किताब का नाम "सुलैमानी अज़ीज़" है। इस किताब को आलेमा तहमास्बी, लैला मूसवी और महदी क़ुरबानी ने मिलकर लिखा है। इस किताब में शहीद जनरल क़ासिम सुलैमानी की जीवनी को बयान किया गया है। साथ ही यह किताब शहीद जनरल क़ासिम सुलैमानी के वसीयत नामे के पूरे मत्न को बयान करती है जिसे इस किताब को पढ़ने वाले आसानी से पढ़ सकते हैं।
इसी प्रकार शहीद जनरल क़ासिम सुलैमानी के संबंध में लिखी जाने वाली एक किताब का नाम" माअनवियते इजतेमाई दर मकतबे सुलैमानी है।
यह उन महत्वपूर्ण किताबों में से है जिनमें शहीद जनरल क़ासिम सुलैमानी के विचारों को बयान किया गया है और इस किताब को आस्ताने क़ुद्से रज़वी प्रेस ने प्रकाशित किया है।
इसी प्रकार जनरल क़ासिम सुलैमानी के संबंध में लिखी गयी एक अन्य किताब का नाम है "बरादर क़ासिम" यह किताब विलायत, क्रांति, पवित्र प्रतिरक्षा, शहादत, हरम की रक्षा और संस्कृत आदि क्षेत्रों में शहीद जनरल क़ासिम के विचारों में एक सैर है। इस किताब की विशेष बात यह है कि इस किताब के लेखक ने शहीद जनरल क़ासिम सुलैमानी के विचारों की चर्चा की है और हवाले के साथ किताब के नीचे उसका उल्लेख किया है। इसी प्रकार यह किताब शहीद जनरल क़ासिम से परिचित कराने के अलावा पाठकों को दूसरी जानकारियां भी देती है। यह किताब दस भागों में है। जैसे विलायत, विलायतमदारी अर्थात वलीये फक़ीह का अनुपालन, पवित्र प्रतिरक्षा, शहीद, शहादत, पवित्र प्रतिरक्षा के शहीद, ईरान, ईरान की ओर झुकाव, प्रतिरोध का मोर्चा, हरम की रक्षा करने वाले, हरम की रक्षा में शहीद होने वाले और संस्कृति आदि का उल्लेख किया गया है। इस किताब को अबूज़र मेहरवान फर ने लिखा है।
शहीद जनरल क़ासिम सुलैमानी के संबंध में लिखी गयी एक किताब का नाम" बच्चाहाये हाज क़ासिम" है। इस किताब को अफ़सर फ़ाज़ेली शहर बाबकी ने लिखा है जिसमें हुसैन मारूफी की यादों को लिखा है। इराक द्वारा ईरान पर थोपे गये आठ वर्षीय युद्ध के दौरान हुसैन मारूफी एक वरिष्ठ ईरानी कमांडर थे जिन्होंने पवित्र प्रतिरक्षा के दौरान उल्लेखनीय काम किया था और बाद में इराकी सेना ने उन्हें बंदी भी बना लिया था। इस किताब में उनकी शूरवीरता की अनकही बातों का उल्लेख किया गया है। शहीद जनरल कासिम सुलैमानी के कथनानुसार पवित्र प्रतिरक्षा काल में "41 सारल्लाह" नामक बटालियन के वह सबसे कम उम्र कमांडर थे।
इसी प्रकार शहीद जनरल क़ासिम सुलैमानी के संबंध में जो किताबें लिखी गयी हैं उनमें एक का नाम" ईन मर्द पायान नदारद" है।
इस किताब में शहीद जनरल क़ासिम सुलैमानी की जेहादी ज़िन्दगी के मात्र छोटे से भाग को बयान किया गया है। इस किताब के मत्न और तस्वीरों की कलर प्रिंटिंग की गयी है।
यह किताब टेक्स्ट और कलर्ड तस्वीरों के साथ प्रकाशित हुई है। पढ़ने वालों को रेज़िस्टेंस फ़्रंट के महान कमांडर की कुछ तस्वीरों के अलावा कुछ स्मृतियां भी पढ़ने को मिलती हैं जो पहली बार प्रकाशित हुई हैं। किताब को इस अंदाज़ से संकलित किया गया है कि पढ़ने वाले को शहीद क़ासिम सुलैमानी की विचारधारा की काफ़ी हद तक जानकारी मिल जाती है।
ज़बान को कैसे क़ाबू में रखें? शिया इमामों की नज़र में ज़बान के अधिकार
इस्लाम कहता है कि सबसे बुरा व्यक्ति वह है जिसकी ज़बान से लोग डरते हैं। उस्ताद क़रआती के अनुसार, इंसान को अपनी ज़बान को भद्दे शब्दों के लिए मुंह खोलने की इजाज़त नहीं देनी चाहिए।
पवित्र क़ुरआन के व्याख्याकार हुज्जतुल इस्लाम उस्ताद मोहसिन क़रआती कहते हैः
"शिया मुसलमानों के चौथे इमाम, हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम से संबंधित अधिकारों को लेकर किताब में 50 से अधिक अधिकारों के बारे में बात की गई है, जिसमें से एक ज़बान भी है कि जिसके अधिकारों के बारे में बताया गया है।"
मोहसिन क़रआती के मुताबिक़, ज़बान के अधिकारों में से एक इस शरीर के टुकड़े के ज़रिए गाली, अपशब्द और अश्लीलता नहीं करना चाहिए है। पवित्र क़ुरआन कहता है कि अपनी ज़बान से बहुत ही विनम्रता के साथ बोलें। इमाम सज्जाद कहते हैं, अगर आप बोलते हैं तो पहले अपनी ज़बान पर नियंत्रण रखें, जब ज़रूरी हो तब बोलें। शिया मुसलमानों की किताबों में मिलने वाली हदीसों और रिवायतों के अनुसार, ज़बान इंसान के अक़्ल व दिमाग़ का आईना है।
हुज्जतुल इस्लाम क़रआती धार्मिक नेताओं द्वारा अभद्र और अश्लील लोगों के साथ बर्ताव के बारे में कहते हैं:
"इंसान कभी भी गाली नहीं देना चाहिए, अपमान नहीं करना चाहिए, ईश्वर भी अपमान करने वालों और अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने वालों को बुरा मानता है, और उन्हें भी बुरा मानता है कि जो अपशब्द कहते हैं या फिर अपशब्द शब्दों को सुनते हैं। दुर्भाग्य से कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो बिना गाली-गलौच के बोल ही नहीं पाते। कुछ लोग गाली बकने को अपनी शान समझते हैं, उनका मानना है कि अगर वह गाली-गलौच करते हैं तो यह उनके ताक़तवर होने की निशानी है।"
शिया मुसलमानों के छठे इमाम, हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम से रिवायत है कि "समाआ" नाम के एक शख़्स से इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने पूछा, "तुम अपने ऊंट चलाने वालों को गंदे शब्द कहते थे, उसकी क्या कहानी थी?" समाआ ने कहा कि, "मेरे साथ अन्याय हो रहा है, वह सही है कि वह ग़रीब है, वह हमारे ऊंट चलाते हैं, लेकिन मेरे साथ अन्याय हो रहा है, वे मुझ पर अन्याय कर रहे हैं, इसलिए मैंने उनके साथ अभद्र भाषा का प्रयोग किया।"
इमाम जाफ़र सादिक अलैहिस्सलाम ने फ़रमायाः
"उसने तुमपर ज़ुल्म किया, लेकिन जिन शब्दों को तुमने प्रयोग किया वह उससे भी बुरा था। अगर कोई अभद्र भाषा का इस्तेमाल करता है तो ईश्वर उसके जीवन से बरकत छीन लेता है, उसकी पूरी ज़िन्दगी बिना बरकत के हो जाती है।"
इस बात पर ज़ोर देते हुए कि किसी भी व्यक्ति को गाली-गलौच का जवाब गाली-गलौच से नहीं देना चाहिए, उस्ताद मोहसिन क़रआती ने कहा: शिया मुसलमान के पहले इमाम इमाम, हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने सुना कि कोई व्यक्ति उनके साथी क़म्बर के साथ गाली-गलौच कर रहा है। क़म्बर भी उसकी तरफ़ बढ़े ताकि उसको जवाब दें, तभी हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने रुको, छोड़ दो, उसको कुछ मत कहो, क़म्बर ने कहा आक़ा उसने मुझे गाली दी है, तो हज़रत अली ने कहा कि उसने तुमको गाली दी है पर तुम उससे कुछ नहीं कहोगे, अगर उसकी गालियों से तुमको ग़ुस्सा भी आ रहा है तब भी तुम अपने आप को रोको, इस स्थिति में अल्लाह इंसान से ख़ुश होता है, लेकिन शैतान क्रोधित हो जाता है।
ईरान में नमाज़ आयोजित करने वाले संघ के प्रमुख हुज्जतुल इस्लाम उस्ताद मोहसिन क़रआती
ईरान में नमाज़ आयोजित करने वाले संघ के प्रमुख ने दूसरों के भद्दे शब्दों को दोहराने से बचने पर ज़ोर देते हुए कहा कि अगर किसी ने कोई गंदे शब्द को सुना और फिर दूसरों को बताया कि उसने उससे ऐसा सुना है तो वह उतना ही गुनाहगार है कि जितना गंदे शब्दों को इस्तेमाल करने वाला। हमें अभद्र शब्दों का इस्तेमाल करने का अधिकार नहीं है, कैसे किटाणु या माइक्रोब से बीमारी आती है। इस बारे में रिवातें और हदीसें मौजूद हैं कि यदि आप दूसरे की बुराई दूसरों को सुनाते हैं तो यह पाप करने के समान है।
इस्लाम कहता है कि सबसे बुरा व्यक्ति वह है जिसकी भाषा से लोग डरते हैं। पत्नी को अपने पति से नहीं डरना चाहिए, और पति को अपनी पत्नी से नहीं डरना चाहिए। यह कहते हुए कि एक व्यक्ति को अपनी ज़बान से विनम्र होना चाहिए, मोहसिन क़रआती ने कहा: एक व्यक्ति को अपनी ज़बान को भद्दे शब्दों के लिए मुंह खोलने की इजाज़त नहीं देनी चाहिए। पवित्र क़ुरआन की आयतों के आधार पर, उन्होंने बोलने के आदाब और तमीज़ की ओर इशारा किया और स्पष्ट किया: क़ुरआन बोलने की तमीज़ और माता-पिता के साथ बात करने के तरीक़े, शब्दों का चयन, नरम लहचे में बातचीत, अच्छा बोलने और बोलते समय अच्छे शब्दों के इस्तेमाल पर ज़ोर देता है। हज़रत इमाम सज्जाद इस बारे में फ़रमाते हैं कि हे ईश्वर अगर कोई भी ग़लत शब्द मेरी ज़बान से निकलना चाहता हो तो तू उससे अच्छे शब्दों में बदल दे, इंसान को बुरी ज़बान से बचना चाहिए।
हज परमिट के बिना या नियम तोड़ने वालों पर लगेगा भारी जुर्माना
सऊदी गृह मंत्रालय ने आदेश जारी करते हुए कहा है कि 2 से 20 जून के दौरान बिना परमिट या हज नियमों और दिशा निर्देशों का उल्लंघन करने वालों पार भारी जुर्माना लगाया जाएगा।
एसपीए के अनुसार, सऊदी नागरिक, निवासी विदेशी, या मेहमान अगर मक्का, सेंट्रल एरिया, पवित्र तीर्थस्थल, हरमैन ट्रेन स्टेशन, अस्थायी सुरक्षा नियंत्रण केंद्रों में हज परमिट के बिना पकड़े गए तो उन पर 10,000 रियाल का जुर्माना लगाया जाएगा।
इस बयान में कहा गया है कि इन दिशा निर्देशों का उल्लंघन करने वाले ज़ाएरीन और यहाँ रह रहे विदेशियों को देश से निकालने समेत सऊदी प्रवेश पर प्रतिबंध तक के प्रावधान है।
मंत्रालय ने हज नियमों इ पालन पर ज़ोर देते हुए कहा है कि इन नियमों के पालन से हज यात्रियों को सहूलत होगी। इस से पहले 4 मई को भी सऊदी सरकार ने आदेश जारी करते हुए मक्का में प्रवेश के लिए अनुमति पत्र रखना ज़रूरी क़रार दिया था।
हज़रत मासूमए क़ुम (स) के जन्मदिवस के अवसर पर पूरे ईरान में जश्न का माहौल
हज़रत फ़ातिमा मासूमए क़ुम (स) के शुभ जन्मदिवस के अवसर पर पूरे ईरान में जश्न समारोहों का आयोजन किया जा रहा है।
पैग़म्बरे इस्लाम के पौत्र हज़रत इमाम अली रज़ा अलैहिस्सलाम की बहन हज़रत फ़ातिमा मासूमा (स) के शुभ जन्मदिवस के अवसर पर ईरान के पवित्र नगर क़ुम सहित पूरे देश में हर्षोल्लास का माहौल है और मस्जिदों, इमामबाड़ों में जश्न के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
इस्लामी केलंडर के 11वें महीने ज़ीक़ादा की पहली तारीख़ सन् 173 हिजरी क़मरी को हज़रत इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम की सुपत्री और हज़रत इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की बहन हज़रत फ़ातेमा का जन्म हुआ था। हज़रत मासूमा क़ुम वह महान महिला हैं जो अपनी निष्ठा, उपासना, पवित्रता और ईशावरीय भय के माध्यम से परिपूर्णता के शिखर पर पहुंचीं। मुसलमान महिलाओं के मध्य वे एक आदर्श महिला बन गईं। ज्ञान और ईमान के क्षेत्र में हज़रत फ़ातेमा मासूमा की सक्रिय उपस्थिति, इस्लामी संस्कृति व इतिहास में महिला के मूल्यवान स्थान की सूचक है।
उल्लेखनीय है कि हज़रत मासूमा क़ुम, अपने भाई इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम से मुलाक़ात के लिए पवित्र नगर मदीना से मर्वा जा रही थीं। 23 रबीउल अव्वल 201 हिजरी क़मरी को वे पवित्र नगर क़ुम पहुंची। जब हज़रत फ़ातेमा मासूमा क़ुम पहुंचीं तो इस नगर के लोगों में ख़ुशी की लहर दौड़ गई। पैग़म्बरे इस्लाम (स) तथा उनके परिजनों से श्रृद्धा रखने वाले लोग उनके स्वागत के लिए उमड़ पड़े। मासूमा क़ुम, 17 दिनों तक क़ुम में बीमारी की स्थिति में रहीं। बाद में 27 साल की उम्र में पवित्र नगर क़ुम में उनका स्वर्गवास हो गया। क़ुम नगर में ही उनका मज़ार है।
ईरान के पवित्र नगर क़ुम में हज़रत फ़ातेमा मासूमा का रौज़ा, आज भी लाखों श्रृद्धाओं की आध्यात्मिक शांति का केन्द्र बना हुआ है। हर वर्ष हज़रत मासूमा के जन्मदिवस के अवसर पर पवित्र नगर क़ुम में लाखों की संख्या में एकत्रित होकर जश्न मनाते हैं।
रूस का आरोप भारत के आँतरिक मामलों में दखल दे रहा है अमेरिका
रूस ने अमेरिका पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि वह भारत में चल रहे लोकसभा चुनाव को प्रभावित करने के प्रयास कर रहा है। रूस ने दावा किया है कि अमेरिका भारत के चुनावों में दखल देने की कोशिश कर रहा है और उसका एक देश के रूप में सम्मान भी नहीं कर रहा है।
रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने आरोप लगाया कि अमेरिका भारत में आंतरिक राजनीतिक स्थिति को असंतुलित करने और आम चुनावों को जटिल बनाने की कोशिश कर रहा है। इतना ही नहीं, रूस ने पन्नू केस में अमेरिका को फटकार लगाई और भारत का साथ देते हुए कहा कि उसने अभी तक आरोपों पर एक भी सबूत पेश नहीं किया।
ज़खारोवा ने कहा कि ‘वॉशिंगटन में भारत की राष्ट्रीय मानसिकता और इतिहास की सरल समझ का अभाव है, क्योंकि अमेरिका धार्मिक स्वतंत्रता के बारे में निराधार आरोप लगाता रहता है. वॉशिंगटन की कार्रवाई स्पष्ट रूप से भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप है.
यमन सेना ने इस्राईल के तीन जहाज़ों को निशाना बनाया
यमन ने एक बार फिर अपने वादे के अनुरूप ज़ायोनी दुश्मन से जुड़े जहाज़ों को निशाना बनाया। यमनी सशस्त्र बलों ने एक बयान जारी करते हुए ऐलान किया है कि उसने हिंद महासागर और अदन की खाड़ी में ज़ायोनी दुश्मन से जुड़े तीन जहाजों को निशाना बनाया।
यमनी सशस्त्र बलों ने इस बयान में जोर देकर कहा कि यह संयुक्त अभियान अदन की खाड़ी में दो ज़ायोनी जहाजों एमएससी डिएगो और एमएससी जीआईएनए के खिलाफ यमनी नौसेना की मिसाइल और ड्रोन इकाइयों द्वारा चलाया गया था।
यमन सेना ने अपने बयान में कहा कि हमारी मिसाइल इकाई ने हिंद महासागर और अदन की खाड़ी में एमएससी विटोरिया के खिलाफ दो बेहतरीन अभियान चलाए। अल्लाह का करम कि और उसकी मदद से हमने तीनों जहाजों को सीधे और सटीक रूप से निशाना बनाया।
याद रहे कि फिलिस्तीन के खिलाफ अवैध राष्ट्र के बर्बर हमलों के जवाब में यमन ने लाल सागर में ज़ायोनी हितों को निशाना बनाने के अपने अभियान में ज़ायोनी लॉबी समर्थक देशों को भी जवाबी कार्रवाई का निशाना बनाया है।
भाजपा नेता के विवादित बोल, 15 सेकेंड में कर देंगे सफाया
मुस्लिमों के खिलाफ भाजपा नेताओं की लगातार बयानबाज़ी अब सारी सीमाएं लांघती हुई नज़र आ रही है। महाराष्ट्र के अमरावती से सांसद नवनीत राणा ने हैदराबाद से भाजपा की उम्मीदवार के लिए प्रचार करते हुए जमकर ज़हर उगला।
मस्जिद पर इशारों में तीर चलाकर विवादों को हवा देने वाली हैदराबाद से भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार करने आई नवनीत ने कहा कि अकबरुद्दीन ओवैसी ने 15 मिनट पुलिस हटाने की बात की थी, लेकिन हम तो सिर्फ 15 सेकेंड में दिखा देंगे कि क्या कर सकते हैं। इस पर एआईएमआईएम सांसद और अकबरुद्दीन के बड़े भाई असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि आप 15 घंटा ले लीजिए, आपसे कौन डर रहा है। हम तो तैयार हैं।
ओवैसी ने नवनीत राणा को चुनौती देते हुए कहा है कि आपको अब कुछ करके दिखाना होगा। एआईएमआईएम चीफ ने कहा, "हम यहीं बैठे हैं, आप करिए। आपको करके दिखाना पड़ेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बोलिए और 15 सेकेंड नहीं 15 घंटे ले लें। शेर जहां भी रहे, शेर शेर ही होता है।
ओवैसी ने पिछले कुछ सालों में हुई मॉब लिंचिंग की घटनाओं का जिक्र करते हुए नवनीत को निशाने पर लेते हुए कहा, "आप क्या हाल करेंगे? 15 सेकेंड क्या एक घंटा ले लीजिए। आप क्या करेंगे ? अखलाक जैसा हाल करेंगे? जैसा मुख्तार के साथ किया वो हाल करेंगे, पहलू खान करेंगे?
ग़ौर तलब है कि लगातार आपत्ति के बाद भी चुनाव आयोग ने अभी तक भाजपा नेता के बयान पर कोई एक्शन नहीं लिया है।