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तीसरे चरण की वोटिंग के बीच समाजवादी पार्टी के आरोपों ने देश की राजनीति को गरमा दिया है। उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण के मतदान के बीच समाजवादी पार्टी ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाया है। समाजवादी पार्टी ने कहा है कि मैनपुरी से लेकर संभल, बदांय, और आगरा तक मुस्लिम मतदाताओं को परेशान किया जा रहा है और उन पर दबाव डाला जा रहा है।

समाजवादी पार्टी ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर पोलिंग बूथों पर मतदाताओं को परेशान करने का आरोप लगाया और कहा कि कहीं ईवीएम खराब हैं तो कहीं पीठासीन अधिकारी समाजवादी पार्टी के बूथ प्रमुखों को एजेंट बनने से रोक रहे हैं। पार्टी ने यह भी कहा है कि कई बूथों पर जानबूझकर धीमी गति से वोटिंग कराई जा रही है और मुस्लिम वोटरों को डराया जा रहा है।

पार्टी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर कहा कि "सूचनाएं मिल रही हैं जो समाजवादी पार्टी के बूथ अच्छे हैं वहां पुलिस तांडव कर रही है।"

 

हज कमेटी ऑफ इंडिया के अंतर्गत 2024 में हज पर जाने का इंतजार कर रहे 1588 और हजियों को तिसरी सूची में मंजूरी मिल गई।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,नई दिल्ली/ हज कमेटी ऑफ इंडिया के अंतर्गत  2024 में हज पर जाने का इंतजार कर रहे 1588 और हज् यात्रियों को तिसरी सूची में मंजूरी दे दी गई है।

हज कमेटी ऑफ इंडिया के सी,ई,ओ डॉ. लियाकत अली अफाक़ी, आई,आर,एस ने बताया कि ड्रो मे चयनित हज् यात्रियों द्वारा विभिन्न राज्यों से रद्द हुई सीटों को भरने के लिए तिसरी प्रतीक्षा सूची में 1588 हज यात्रियों  को और मंजूरी दे दी गई है।

जिसमे छत्तीसगढ़ से 10, दिल्ली से 87, गुजरात से 168, कर्नाटक 296, केरल से 253, मध्य प्रदेश से 58,महाराष्ट्र से 345,  मणिपुर से 10, तमिलनाडु से 113 और तेलंगाना से 248 हज यात्रियों को मंजूरी दी गई है।

डॉ. अफाक़ी ने आगे बताया कि प्रतीक्षा सूची से चयानित्  हज् यात्रिय हज खर्च की कुल राशि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) या यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई) की किसी भी शाखा में 14  मई 2024 तक या उससे पहले हज कमेटी ऑफ इंडिया के खाते में जमा करें।

जबकि मूल अंतर्राष्ट्रीय पासपोर्ट मशीन से पढ़ने योग्य हज आवेदन पत्र, जमा की गई पे-इन स्लिप/ऑनलाइन रसीद की प्रति, मेडिकल स्क्रीनिंग और फिटनेस प्रमाणपत्र, शपथ पत्र/संविदा और अन्य निर्धारित तिथि पर या उससे  पहले अपनी संबंधित राज्य हज कमेटी मे जमा करा दे।

डॉ. लियाकत अली अफाक़ी(आई-आर, एस) सी, ई, ओ हज कमेटी ऑफ़ इंडिया ने हज् यात्रियों से अपील की है कि वह किसी भी जानकारी के लिए हज कमेटी ऑफ़ इंडिया या राज्य हज कमेटीयो के कार्यालयों से संपर्क करे, किसी भी अफवाह का शिकार न बनें।

 

 

 

 

 

भारत में जारी आम चुनाव के बीच अगर किसी समुदाय की सबसे ज़्यादा चर्चा है तो वह है मुसलमान। जहाँ सत्तारूढ़ दल पूरी तरह मुस्लिम समाज को निशाने पर रखे हुए हैं वहीँ विपक्ष भी इस समुदाय का वोट तो चाहता है लेकिन प्रतिनिधित्व किसी ने नहीं दिया।

गुजरात में इस बार 35 मुस्लिम उम्मीदवार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन कांग्रेस ने इस बार किसी भी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया। कांग्रेस ने राज्य में इस समुदाय से एक भी व्यक्ति को मैदान में नहीं उतारा है।

इस बार गुजरात की 26 सीटों में से 25 सीटों पर होने वाले लोकसभा चुनाव में 35 मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में हैं, जबकि 2019 में इस समुदाय से 43 उम्मीदवार मैदान में थे। समुदाय के ज्यादातर उम्मीदवार या तो स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ रहे हैं या छोटी और क्षेत्रीय पार्टियों से मैदान में हैं।

गुजरात कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष वजीरखान पठान ने कहा, "पार्टी पारंपरिक रूप से राज्य में लोकसभा चुनाव में मुस्लिम समुदाय से कम से कम एक उम्मीदवार को मैदान में उतारती है, खासकर भरूच से। इस बार यह संभव नहीं हो सका क्योंकि सीट AAP के खाते में चली गई।

 

फिलिस्तीन में ज़ायोनी सेना की ओर से जनसंहार जारी है। ज़ायोनी सेना ने मिस्र की सीमा से लगते रफह में भी क़त्ले आम शुरू कर दिया है। ग़ज़्ज़ा में इस्राईल के ताज़ा हमलों में और 54 फिलिस्तीनी मारे गए इस प्रकार अब तक ज़ायोनी हमलों में मारे जाने वाले लोगों की संख्या 34789 से अधिक हो चुकी है।

फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय के बयान के अनुसार ज़ायोनी सेना ने पिछले 24 घंटों में क़त्ले आम और अन्य कई अपराध किए। मंत्रालय ने कहा कि इन हमलों में 54 फिलिस्तीनी मारे गए और 96 लोग घायल हो गए।

7 अक्टूबर से अब तक फिलिस्तीन में जारी जनसंहार में शहीदों की संख्या बढ़कर 34 हजार 789 से अधिक जबकि 78 हजार 204 से अधिक घायल हुए हैं। इन में, 72% महिलाएं और बच्चे हैं। जबकि हजारों लोग लापता हैं और मलबे के नीचे दबे हैं।

ईरानी राष्ट्रपति कार्यालय में जड़ी-बूटियों और पारंपरिक चिकित्सा विज्ञान और प्रौद्योगिकी विकास के सचिव मोहम्मद रज़ा शम्स अर्दकानी ने ईरान में पारंपरिक चिकित्सा के पुराने इतिहास का ज़िक्र करते हुए कहाः पारंपरिक चिकित्सा के कॉलेजों की स्थापना के बाद से इस क्षेत्र में अच्छी सफलता और प्रगति दिखाई दी है और 2022 के बाद दो बार हम विश्व में चौथे स्थान पर रहे हैं, जो एक संतोषजनक सफलता है।

शम्स अर्दकानी का कहना था कि पुरानी संस्कृति और सभ्यता के मद्देनज़र, ईरानी लोग पारंपरिक चिकिस्ता शैली को सकारात्मक रूप में देखते हैं। इस शैली ने भी लोगों का संतोष और भरोसा जीतने का प्रयास किया है।

उन्होंने कहाः ईरान की नॉलेज बेस्ड कंपनियों ने विभिन्न क्षेत्रों में प्रयास किए हैं, हमें मौजूदा संभावनाओं में वृद्धि के लिए काम करना चाहिए। हालिया वर्षों में प्रकृति की ओर वापसी को सभी क्षेत्रों में महसूस किया जा सकता है। हमें उम्मीद है कि हम उपलब्ध सुविधाओं का उपयोग करके इस क्षेत्र में अधिक सफलता हासिल कर सकते हैं।

शम्स अर्दकानी ने कहाः ईरान की पारंपरिक चिकित्सा शैली में जीवन शैली को सुधारने पर काफ़ी ज़ोर दिया गया है, इसीलिए उसकी सेवाओं तक लोगों की पहुंच आसान है।

उन्होंने कहा कि बीमारियों में कमी के लिए स्वास्थ्य के बारे में लोगों की जानकारी बढ़ाना और उनके व्यवहार में बदलाव ज़रूरी है। आज लाइफ़ स्टाइल में बदलाव की वजह से खाने पीने की आदतों में परिवर्तन हो रहा है और बीमारियां भी फैल रही हैं।

शम्स अर्दकानी ने कहा कि पारंपरिक चिकित्सा शैली के नियमों के मुताबिक़ खाना-पीना, स्वस्थ रहने के लिए बहुत ज़रूरी है।

ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान ने अपने बांग्लादेशी समकक्ष के साथ मुलाक़ात में फ़िलिस्तीनियों के समर्थन के लिए बांग्लादेशी सरकार और जनता की सराहना की है।

शनिवार को बंजूल में इस्लामी देशों के 15वें शिखर सम्मेलन के इतर बांग्लादेशी विदेश मंत्री हसन महमूद के साथ मुलाक़ात में ईरानी विदेश मंत्री अमीर अब्दुल्लाहियान ने तेहरान और ढाका के बीच संबंधों को मज़बूत बनाने और इस्लामी देशों के शिखर सम्मेलन में उठने वाले मुद्दों पर विचार विमर्श किया।

फ़िलिस्तीनियों के समर्थन के लिए बांग्लादेशी सरकार और जनता की सराहना करते हुए ईरानी विदेश मंत्री ने फ़िलिस्तीनी मुद्दे पर मुस्लिम देशों के बीच समनव्य और सहयोग बढ़ाने पर ज़ोर दिया, ताकि ज़ायोनी शासन के अत्याचारों का मुक़ाबला किया जा सके। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा मुद्दा है, जिस पर दुनिया भर के लोग और मुसलमान सहमत हैं।

बांग्लादेशी विदेश मंत्री हसन महमूद ने अपने ईरानी समकक्ष के साथ मुलाक़ात पर ख़ुशी ज़ाहिर की और इस्लामी गणतंत्र द्वारा फ़िलिस्तीन के समर्थन को मूल्यवान और सराहनीय क़दम बताया।

इसी तरह से उन्होंने कहा कि ग़ज़ा में ज़ायोनी शासन के युद्ध अपराधों पर लगाम लगाने के लिए मुस्लिम देशों को निर्णायक क़दम उठाना चाहिए।

राजनीतिक मामलों के विशेषज्ञ और शोधकर्ता ने कहा: इज़राइल के अटूट समर्थन ने अमेरिकी राजनीतिक व्यवस्था के पतन का आधार प्रदान किया है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के प्रतिनिधि के साथ एक साक्षात्कार में, राजनीतिक मामलों के विशेषज्ञ और शोधकर्ता मुहम्मद सादिक खुर्संड ने यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख "जोसेफ बोरेल" के हालिया बयान का जिक्र करते हुए कहा: अमेरिका ने अपना वर्चस्व खो दिया है और दुनिया एक नई है दुनिया। सिस्टम का सामना करना पड़ रहा है।

उन्होंने कहा: एक निर्विवाद तथ्य यह है कि पश्चिमी और अमेरिकी विचारक स्वयं वर्तमान युग में अमेरिका के पतन को स्वीकार करते नजर आते हैं और विश्व तथ्य भी इसकी पुष्टि करते हैं।

राजनीतिक मामलों के इस विशेषज्ञ और शोधकर्ता ने कहा: अमेरिका में इस समय जो हो रहा है, वह न केवल उसकी हार है, बल्कि उसके पतन के संकेत भी दिख रहे हैं।

उन्होंने कहा: अमेरिकी विशेषज्ञों की प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष चेतावनियों के अनुसार, इस देश में कई समस्याएं और सामाजिक समस्याएं हैं और अमेरिका इस समय सामाजिक समस्याओं के मामले में अपने सबसे निचले स्तर पर है।

मोहम्मद सादिक खोरसंड ने कहा: अमेरिकी विश्वविद्यालयों के छात्रों और प्रोफेसरों के प्रदर्शन से यह भी स्पष्ट हो गया कि इस देश का प्रमुख और शिक्षित वर्ग अपने नेताओं से असंतुष्ट है। खासकर गाजा नरसंहार में इजरायल के अंधाधुंध समर्थन को लेकर लोग अमेरिकी सरकार से बहुत नाराज हैं।

उन्होंने कहा: मौजूदा स्थिति में अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के पास कोई विशिष्ट नेतृत्व नहीं है, बल्कि विभिन्न शक्तियां हैं।राजनीतिक मुद्दों के इस शोधकर्ता और विश्लेषक ने दुनिया की एकध्रुवीय शक्ति, संयुक्त राज्य अमेरिका के पतन की शुरुआत की ओर इशारा किया और कहा: अमेरिका ने अपना आधिपत्य खो दिया है और दुनिया एक नई विश्व व्यवस्था का सामना कर रही है। इसी प्रकार, इजराइल के बिना शर्त समर्थन ने अमेरिकी राजनीतिक व्यवस्था के पतन की नींव प्रदान की है।

 

ईरान यात्रा पर आए इराक कुर्दिस्तान के प्रमुख नेचेरवान बारेज़ानी ने एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह अली ख़ामेनेई से मुलाकात की। बारेज़ानी एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ तेहरान के दौरे पर आए हुए हैं।

इराकी कुर्दिस्तान के प्रमुख ने राष्ट्रपति सय्यद इब्राहीम रईसी, विदेश मंत्री और अन्य उच्चाधिकारियों से भी मुलाकात की ।

आज, हर कोई इस तथ्य को समझ गया है कि केवल धर्म ही मानव समाज को लाभ पहुंचा सकता है, लेकिन हर धर्म नहीं, बल्कि वह धर्म जिसके प्रणेता अहले-बैत मासूमीन (अ) हैं, वह धर्म जो हमारी शिया प्रणाली से पैदा हुआ है, यही कारण है कि आज पूरी दुनिया की उम्मीदें इस्लामिक और शिया देश 'ईरान' से जुड़ी हुई हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, मजलिसे खुबरेगान के एक सदस्य हुज्जतुल इस्लाम वल-मुस्लेमीन मोहम्मद अबुल कासिमी ने सोमवार को तेहरान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज में "धर्म, स्वास्थ्य और मानवीय सहायता" पर आयोजित एक सम्मेलन में बोलते हुए कहा: पश्चिमी सभ्यता ध्वस्त हो गई है। यदि इमाम खुमैनी (र) ने एक बार कहा था कि साम्यवाद की हड्डियाँ टूट रही हैं, तो आज हम कह सकते हैं कि उदारवाद की हड्डियाँ टूट रही हैं भौतिकवादी व्यवस्था, इसलिए दुनिया को एक नई योजना की जरूरत है।

जो लोग कभी धार्मिक सभ्यता पर संदेह करते थे और धर्म और धार्मिक लोगों की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश करते थे, आज वही लोग इस तथ्य को समझ गए हैं कि केवल धर्म ही मानव समाज का कल्याण कर सकता है, बल्कि हर धर्म का नहीं, जिसके प्रणेता अहले-बैत मासूमीन (अ) है, वह धर्म जो हमारी शिया प्रणाली से पैदा हुआ है, यही कारण है कि आज पूरी दुनिया की उम्मीदें इस्लामी और शिया देश ईरान से जुड़ी हुई हैं।

सरकार के संचार केंद्र के प्रमुख और मौलवियों ने ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स द्वारा कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्रों के खिलाफ मिसाइल और ड्रोन हमलों का उल्लेख किया और कहा: इस्लामी गणतंत्र ईरान ने हड़पने वाले इज़राइल को जो तमाचा मारा है, वह पूरी तरह से है। दुनिया पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा, मैं तब इटली में था और फिर जर्मनी में, इन देशों के नागरिकों से मैंने निकटता से बातचीत की, उन लोगों को छोड़कर जो भौतिक सभ्यता की प्रणाली पर निर्भर थे, सभी हमले से खुश थे।

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) ने 11वीं कक्षा में प्रवेश परीक्षा के पाठ्यक्रम से इंडो-इस्लामिक इतिहास पर कुछ विषयों को "हटाने" की ख़बरों का खंडन करते हुए इन्हे अफवाह बताया है। AMU ने एक आधिकारिक बयान में "यूनिवर्सिटी के चरित्र को कमजोर करने के मकसद से पाठ्यक्रम में जानबूझकर छेड़छाड़" के इल्जामों को "पूरी तरह से निराधार" बताया।

यूनिवर्सिटी के जनसंपर्क कार्यालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि एक गलत धारणा बनाई जा रही है कि कुछ विषयों को हटाने का कदम नई कुलपति प्रोफेसर नईमा खातून के निर्देश पर उठाया गया है।

वहीँ यूनिवर्सिटी के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि "पाठ्यक्रम को अपडेट करने की प्रक्रिया कोई नई बात नहीं है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की सिफारिशों के मुताबिक, समय-समय पर पाठ्यक्रम को संशोधित करना हमेशा से एक परंपरा रही है। इंडो इस्लामिक इतिहास में भारत में मुसलमानों के आगमन, उनके शासन और प्रभाव के साथ उनकी संस्कृति के बारे में पढ़ाया जाता है।