
رضوی
पश्चिम की तीन ख़तरनाक योजना, इस्लामोफोबिया, ईरानोफोबिया और शिया-फोबिया
मजमये तक़रीबे मज़ाहिबे इस्लामी ईरान" "द वर्ल्ड फोरम फॉर प्राक्सिमिटी ऑफ इस्लामिक स्कूल ऑफ द थॉट" के महासचिव हुज्जतुल इस्लाम हमीद शहरयारी ने मुस्लिम दुनिया में फूट पैदा करने के लिए वैश्विक अहंकार के लक्ष्यों और योजनाओं को समझाया, और कहा कि इस्लामोफोबिया, शिया-फोबिया और ईरानोफोबिया पश्चिम की ऐसी ख़तरनाक योजना है जो उसने अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए बनाई है।
"मजमये तक़रीबे मज़ाहिबे इस्लामी ईरान", यह ईरान की एक ऐसी अंतर्राष्ट्रीय संस्था है जो विश्वभर के धर्मों के लोगों को एक मंच पर लाने का प्रयास करती है। इस संस्था के महासचिव हुज्जतुल इस्लाम हमीद शहरयारी ने इराक़ में इस्लामिक गणराज्य के राजदूत मोहम्मद काज़िम आले सादिक़ के साथ मुलाक़ात में बग़दाद में आयोजित होने वाले इस्लामिक एकता शिखर सम्मेलन के आयोजन के बारे में चर्चा की। इस मौक़े पर उन्होंने बताया हमारा दृष्टिकोण इस्लामिक राज्यों के संघ के गठन के लिए एक एकल इस्लामिक उम्माह तक पहुंचना है। हुज्जतुल इस्लाम शहरयारी ने कहा कि इस्लामी दुनिया में एकता और आपसी दूरी को कम करने की योजना बनाना और प्रयास करना ईरान की प्राथमिकताओं में से एक है।
"मजमये तक़रीबे मज़ाहिबे इस्लामी ईरान" के महासचिव ने अपने बयान के ज़रिए मुस्लिम दुनिया में विभाजन पैदा करने के लिए वैश्विक अहंकार के लक्ष्यों और उनकी परियोजनाओं को विस्तार से समझाया, और कहा कि इस्लामोफोबिया, शिया-फोबिया और ईरानोफोबिया अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पश्चिम की महत्वपूर्ण योजनाएं हैं। उन्होंने आगे कहा कि पश्चिम इस्लामोफोबिया की परियोजना के साथ दुनिया में मुसलमानों को अलग-थलग करने का इरादा रखता है, और शियाफोबिया के साथ, वह इस्लामी दुनिया में धार्मिक विभाजन पैदा करना चाहता है, और ईरानफोबिया के साथ, वह मुस्लिम देशों और इस्लामी गणराज्य ईरान के बीच टकराव पैदा करना चाहता है।
कुर्दिस्तान, गोलिस्तान और उर्मिया प्रांतों में तीन घरेलू शिखर सम्मेलन आयोजित करने और पड़ोसी देशों के विद्वानों और विचारकों को आमंत्रित करने का ज़िक्र करते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि शिया और सुन्नी विद्वानों के बीच विचार-विमर्श और सहयोग के निर्माण का महत्व है और इराक़ में दूसरे शिख़र सम्मेलन का आयोजन करने से पश्चिम की शिया-फोबिया परियोजना को असफलता मिली है। हुज्जतुल इस्लाम शहरयारी ने अल-अक़्सा तूफ़ान के बाद ईरानी विद्वानों और बुद्धिजीवियों और इस्लामी दुनिया के अन्य देशों के साथ संबंधों में बदलाव की ओर इशारा किया और ज़ोर दिया कि इस समय जो माहौल बना है वह इस्लामी दुनिया में प्रतिरोध, एकता और सहयोग के मोर्चे को यथासंभव मज़बूत करने का एक अच्छा अवसर है।
ग़ौरतलब है कि दूसरा इराक़ी इस्लामिक एकता सम्मेलन 8 मई बुधवार को अल-अक़्सा तूफ़ान के नारे के साथ बग़दाद में आयोजित किया जा रहा है। साथ ही, इस्लामिक धर्मों के अप्रूवल के लिए विश्व मंच की सर्वोच्च परिषद की बैठक शिया और सुन्नी विद्वानों के एक समूह की उपस्थिति के साथ गुरुवार (20 मई) को इस सम्मेलन के मौक़े पर होगी।
क्या इस्राईली लड़कियों को ज़्यादा से ज़्यादा हिंसा करने वाले सैनिक पसंद हैं?
नाम न छापने की शर्त पर एक स्वतंत्र शोधकर्ता के अनुसार, सोशल नेटवर्क पर इस्राईलियों के अजीब व्यवहार से पता चलता है कि इस्राईली समाज सामूहिक तौर पर पागलपन का शिकार है।
हाल ही में एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। जिससे पता चलता है कि हाल के दिनों में सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर जब भी यूज़र्स आमतौर पर इस्राईल में डेटिंग ऐप्स पर क्लिक करते हैं, तो उन्हें अक्सर गज़्ज़ा में आपराधिक ज़ायोनी सैनिकों की तस्वीरें दिखाई देती हैं। सामने आई तस्वीरों में एक विस्तृत रेंज के ख़ूंखार सैनिकों को शामिल किया गया है जो वर्दी पहने हुए मुस्कुरा रहे हैं और तस्वीरों में जो ख़ास बात है वह यह है कि ज़्यादातर फोटो में इस्राईली सैनिक सूर्यास्त के समय बंदूक उठाते हुए तस्वीर खींचवाते हैं ताकि एक सडिस्टिक सामग्री उत्पन्न हो।
टिंडर डेटिंग ऐप पर इस्राईली सैनिकों की तस्वीरें
अधिकांश प्रोफ़ाइलों में पुरुषों को सैन्य वर्दी में उनकी छाती पर बंदूकें बांधे हुए दिखाया गया है, लेकिन उनमें से कुछ युद्ध के मैदान में गोलियां चला रहे हैं। स्नाइपर्स कैमरे के सामने खुलकर पोज़ देते हैं और कुछ सैनिक मलबे के बीच से गुज़रते हैं। एक तस्वीर में, एक सैनिक जलती हुई इमारत के सामने मुस्कुरा रहा है जिस पर इस्राईल का झंडा लगा हुआ है। एक दूसरी फोटो में, एक सैनिक फ़िलिस्तीनी घर की दीवार पर लटके महिलाओं के अंडर गार्मेंट के कलेक्शन के सामने पोज़ देता है, जिसके निवासियों को जबरन विस्थापित किया गया हो या, सबसे ख़राब स्थिति में, मार दिया गया हो।
इस्राईलियों ने लंबे समय से डेटिंग ऐप्स टिंडर (Tinder) और हिंज (Hinge) पर अपनी सैन्य गतिविधियों को प्रदर्शित किया है, लेकिन ग़ज़्ज़ा पर आक्रमण शुरू होने के बाद से तस्वीरों का संख्या और तीव्रता बढ़ गई है। टिंडर (Tinder) और हिंज (Hinge) दोनों का कहना है कि उनके प्लेटफॉर्म पर हिंसक सामग्री प्रतिबंधित है।
टिंडर के दिशानिर्देश यह बताते हैः
"किसी भी प्रकार की हिंसक सामग्री को बर्दाश्त नहीं करता है जिसमें ख़ून-खराबा, मृत्यु, चित्र या हिंसा के कृत्यों का विवरण (मनुष्यों या जानवरों के ख़िलाफ़) या हथियारों का उपयोग शामिल हो।"
हिंज ऐप ने भी यह घोषणा की है कि वह उस सामग्री पर प्रतिबंध लगाएगा जो वह कर सकता हैः
"अपमान करना या पीड़ा पहुंचाना, परेशान करना, शर्मिंदा करना,... या किसी भी ग़ैरकानूनी गतिविधि को सुविधाजनक बनाना, जिसमें आतंकवाद, अपमान, नस्लीय घृणा भड़काना आदि शामिल है।"
अंतर्राष्ट्रीय क़ानून विशेषज्ञ भी मानते हैं कि आम नागरिकों के घरों पर जानबूझकर बमबारी, बर्बरता और चोरी, जो सभी इन डेटिंग प्रोफाइलों में दिखाए गए हैं, युद्ध अपराधों के उदाहरण हैं। ग़ज़्ज़ा युद्ध शुरू होने के बाद से इस्राईल की सड़कों पर बंदूकों की बाढ़ आ गई है। 7 अक्टूबर से कम से कम 100,000 इस्राईलियों को हथियार ले जाने की अनुमति मिल चुकी है और लगभग 200,000 लोग हथियार ले जाने की मंज़ूरी का इंतेज़ार कर रहे हैं। इस चरम सैन्यीकरण ने ऑनलाइन डेटिंग में भी प्रवेश कर लिया है, जहां युद्धक वर्दी पहनना इस्राईली सम्मान के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
नाम न बताने की शर्त पर एक स्वतंत्र शोधकर्ता के अनुसारः
"सोशल नेटवर्क पर इस्राईलियों के अजीब व्यवहार से पता चलता है कि इस्राईली समाज सामूहिक तौर पर पागलपन का शिकार है।"
ग़ज़्ज़ा और सोशल नेटवर्क प्लेटफार्मों दोनों में हिंसक व्यवहार इस्राईलियों के बीच बहुत आम है, युद्ध क्षेत्र से तस्वीरों को पोस्ट करना और देखना अब न केवल सामान्य है, बल्कि एक पसंदीदा मनोरंजन बन चुका है। जब आप युद्ध अपराधों को सामान्य कर देंगे और युद्ध अपराधियों को युद्ध नायकों में बदल देंगे, तो ये अपराधी निश्चित रूप से इस्राईली लड़कियों के लिए आकर्षक ऑप्शन्ज़ होंगे।
एम्स्टर्डम विश्वविद्यालय में फिलिस्तीन समर्थक छात्रों की सभा पर डच पुलिस का हमला
दुनियाभर और विशेष कर यूरोप और अमेरिका में फिलिस्तीन के समर्थन में चल रहे स्टूडेंट मूवमेंट को पुलिस बल की मदद से कुचला जा रहा है। डच पुलिस ने एम्स्टर्डम विश्वविद्यालय में फिलिस्तीन समर्थक छात्रों के प्रदर्शन पर हमला किया और कई को गिरफ्तार कर लिया।
ईको-सिटी नियोम के लिए अपने नागरिकों की हत्या कर रहा है सऊदी अरब
सऊदी अरब सऊदी युवराज मोहम्मद बिन सलमान के ड्रीम प्रोजेक्ट नियोम सिटी के लिए अपने नागरिकों की हत्या करने से भी पीछे नहीं हट रहा है। सऊदी युवराज की यह परियोजना सऊदी नागरिकों की लाशों से होकर गुज़र रही है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ ईको-सिटी नियोम बसाने के लिए अब लोगों की जान की परवाह भी नहीं की जा रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि सुरक्षाबलों और अधिकारियों को इस प्रोजेक्ट के तहत आने वाले दि लाइन के आस-पास जमीन न खाली करने पर मारने के आदेश दे दिए गए हैं। यह खुलासा 'बीबीसी' की वेरिफाई और आई इन्वेस्टिगेशन टीम ने किया है।
बीबीसी ने एक पूर्व इंटेलिजेंस ऑफिसर के हवाले से बताया कि दर्जनों पश्चिमी देशों की कंपनियों की ओर से भविष्य को ध्यान में रखते हुए बसाए जा रहे रेगिस्तानी शहर के लिए जमीन खाली कराने को सऊदी अरब के अधिकारियों ने घातक बल के इस्तेमाल को मंजूरी दी है।
कर्नल रबिह अलेनेजी ने इस बारे में बीबीसी को बताया कि नियोम ईको-प्रोजेक्ट के तहत दि लाइन के रास्ते के लिए उन्हें कुछ गाँवों के लोगों को वहां से हटाने का निर्देश दिया गया था। जगह खाली न करने और विरोध करने की वजह से एक व्यक्ति को गोली मार दी गई जिसकी मौत हो गई।
कर्नल ने आगे बताया कि जिस ऑर्डर को लागू करने के लिए कहा गया था, वह अल-खुरैयबाह के लिए था और यह लोकेशन दि लाइन से 4.5 किमी दक्षिण की ओर थी। रबिह अलेनेजी के मुताबिक, ऑर्डर में कहा गया था कि 'जो कोई भी वहां जमीन खाली करने का विरोध जारी रखेगा, उसे मार दिया जाएगा।
अमेरिका की इस्राईल को धमकी, सैन्य हमले जारी रहें तो हथियार आपूर्ति बंद कर देंगे
अमेरिका के सहायता से ग़ज़्ज़ा में जनसंहार कर रहे इस्राईल ने अमेरिका की मनाही के बावजूद रफह में सैन्य अभियान शुरू कर रखा है। अब अमेरिका ने अपने आदेशों की अवहेलना से नाराज़ होकर इस्राईल को हथियारों की आपूर्ति रोकने की धमकी दी है।
ग़ज़्ज़ा जनसंहार के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने रफह हमले को लेकर इस्राईल को चेतावनी दी है। बाइडन ने कहा कि इस्राईल ने ग़ज़्ज़ा के रफह में कोई बड़ा ऑपरेशन शुरू किया, तो अमेरिका कुछ हथियारों की सप्लाई बंद कर देगा।
बाइडन ने एक बार फिर इस्राईल की सुरक्षा का आश्वासन देते हुए कहा अगर इस्राईल रफह की तरफ आगे बढ़ता है, तो हम वो हथियार सप्लाई नहीं करेंगे, जो कि रफह जैसे शहरों के साथ निपटने के लिए मुहैया करवाए जाते रहे हैं। हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, "वो यह सुनिश्चित करेंगे कि अवैध राष्ट्र पूरी तरह से सुरक्षित रहे। बता दें कि अमेरिका की बार-बार चेतावनी के बावजूद ज़ायोनी सेना रफह में हमले जारी रखे हुए है।
धर्म इंसान को अर्थ देता है/ज़िम्मेदार आध्यात्मिकता की ज़रूरत
ज़हब इंसान को ज़िम्मेदारी समझने का बोध देता है। धर्म के बारे में गहरी सोच का न पाया जाना और कुछ धर्मों के बीच पाए जाने वाले मतभेदों ने शायद कुछ लोगों को धर्म को अनेदखा करते हुए नैतिकता को धर्म से बदलने के लिए प्रेरित किया।
"मजमए जहानिये अहलेबैत" नामक संस्था के महासचिव हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन रज़ा रमज़ानी ने अपने एक संबोधन में बताया कि पूरब और पश्चिम में बहुत से लोग धर्म को मानव सोच से ही अलग कर दें। इस प्रकार से वे धर्म को पूरी तरह से नष्ट करना चाहते हैं। इसी के साथ वे बताते हैं कि कुछ लोगों ने धर्म को सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक पटल से दूर करते हुए उसको बहुत सीमित कर दें।
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन रज़ा रमज़ानी कहते हैं कि धर्म बहुत व्यापक है एसे में हमको उसके बारे में रूढीवादी दृष्टिकोण नहीं रखना चाहिए। दीन के बारे में जो बात सबसे महत्वपूर्ण है वह यह है कि उसके प्रति हमारा दृष्टिकोण बहुत ही व्यापक और गहरा होना चाहिए। धर्म, बहुआयामी है। इमसें बाहरी और भीतरी दोनो ही आयामों को दृष्टिगत रखा गया है। यह इंसान की बनावट के हिसाब से मन और आत्मा का प्रशिक्षण करता है। शारीरिक आयाम की दृष्टि से इसके कुछ मूल नियम हैं जो स्वास्थ्य के लिए बहुत ही अच्छे और प्रभावी हैं।
कुछ लोग धर्म को भ्रम का कारण मानते हैं जो मानसिक और भावनात्मक दबाव का कारण बनता है। रज़ा रमज़ानी के अनुसार अगर हम धर्म के बारे थोड़ी गहराई से सोचें तो यह, न केवल भ्रम का कारण नहीं है बल्कि भ्रम को दूर करने वाला है। मज़हब इंसान के अंदर पाई जाने वाली गुत्थियों को सुलझाता है। यह उसके मन और आध्यात्मक को आराम देता है। इसी के साथ धर्म, मनुष्य के भीतर ज़िम्मेदारी की भावना को भी जागृत करता है।
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन रज़ा रमज़ानी का मानना है कि विज्ञान और तकनीक की दुनिया में बढ़ती प्रगति की वजह से कुछ लोग यह मानने लगे कि इस तरक्क़ी की वजह से लोग मज़हब से दूर हो जाएंगे। वह धर्म से कोई संबन्ध नहीं रखेंगे। यहां तक कि पश्चिम में कुछ गुटों ने इस सोच को आम करना शुरू कर दिया कि हम ख़ुदा के बिना भी धर्म रख सकते हैं। यह वह लोग हैं जो धर्म के बारे में गहराई से जानकारी नहीं रखते। उनको धर्म के बारे में आंशिक जानकारी है।
"मजमए जहानिये अहलेबैत" के महासचिव हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लेमीन रज़ा रमज़ानी
हुज्जतुल इस्लाम रमज़ानी कहते हैं कि आजकल लोगों मे अध्यात्म के प्रति लगाव दिन ब दिन तेज़ी से बढ़ता जा रहा है। उनका कहना है कि आज हम पश्चिम में नक़ली आध्यात्म के साक्षी हैं। अमरीका और यूरोप मे इस समय कम से कम चार हज़ार आर्टिफिश्ल आध्यात्म पाए जाते हैं। जहां कहीं भी नक़ली चीज़ होगी वहां पर अस्ली भी ज़रूर पाई जाती होगी। जबतक अस्ली चीज़ बाक़ी है नक़ली को कोई महत्व नहीं मिल पाएगा।
"मजमए जहानिये अहलेबैत" के महासचिव कहते हैं कि धर्म, इंसान को यह पाठ देता है कि वह धार्मिक नियमों से जुड़ा रहे। हमारा यह मानना है कि धर्म ही इंसान को वास्तविक शांति प्रदान कर सकता है। दूसरे शब्दों में धर्म के माध्यम से ही इंसान वास्तविक शांति तक पहुंच सकता है।
श्री रज़ा रमज़ानी के अनुसार इस आध्यात्म पर विश्व स्वास्थ्य संगठन में कोई विशेष ध्यान नहीं दिया गया। आज वे भौतिक आयाम के अतरिक्त सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक आयाम की ओर ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं। इसका मतलब यह है कि हम जैसे-जैसे आगे की तरफ़ बढ़ रहे हैं विश्व समुदाय में धर्म और आध्यात्म की आवश्यकता बढ़ रही है।
हुज्जतुल इस्लाम रमज़ानी ने यह बताया कि धर्म के बारे में गहरी सोच का न पाया जाना और कुछ धर्मों के बीच पाए जाने वाले मतभेदों ने ही शायद कुछ लोगों को धर्म को अनेदखा करते हुए नैतिकता को धर्म से बदलने के लिए प्रेरित किया। उनका कहना है कि हमारा मानना है कि धर्म को अगर उसके सही और व्यापक अर्थों में समझा जाए तो दीन के भीतर जो नैतिकता है वह स्वयं ही प्रकट होगी।
इसका यह मतलब नहीं है कि मज़हबी सोच का इंसान बहुत ही तन्हाई पसंद होता है बल्कि यह सोच, मानव समाज में शांति उत्पन्न करने के अतिरिक्त मनावीय संबन्धों को भी विकसित करती है। यह आध्यात्मिकता जो सच्ची धार्मिक शिक्षाओं से पैदा हुई है वह एक ज़िम्मेदार आध्यात्मिकता है।
हुज्जतुमल इस्लाम रमज़ानी ने कोरोना काल का उल्लेख करते हुए कहा कि ईरान में उस ज़माने में बहुत से स्वास्थ्यकर्मी, डाक्टर, धार्मिक छात्र, यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स और समाज के अन्य वर्गों के लोगों ने अपनी जान को ख़तरे में डालकर लोगों की सेवा की। इस काम में को लोग शहीद भी हो गए।
इस बारे में इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि यह मेरी इच्छाओं में से एक है। काश मानवताप्रेमी इस सहायता की ख़ूबसूरती को अच्छे ढंग से पेश किया जाए। अगर कोई इंसान वास्वत में ईश्वरीय सोच का स्वामी हो जाए तो फिर वह कभी भी इस तरह की परेशानी का शिकार नहीं होगा।
"मजमए जहानिये अहलेबैत" के महासचिव हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन रज़ा रमज़ानी ने अपने संबोधन के अंत में फ़िलिस्तीन के मुद्दे का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इस समय ग़ज़्ज़ा के मानवताप्रेमी समर्थन के लिए अहलेबैत के मानने वालों के बीच एकता बहुत ज़रूरी है। वे लोग जो मानवता की सुरक्षा करना चाहते हैं उनको चाहिए कि वे एकजुट होकर ग़ज़्ज़ा के यतीम बच्चों के लिए चैन-सुकून उपलब्ध करवाएं।वर्तमान समय में ग़ज़्ज़ा को मानवता के आधार पर मानवीय सहायता की बहुत ज़रूरत है।
सिला ऐ रहमी का असर हमारी ज़िन्दगी की खुशियों पे पड़ता है
अल्लाह ने हमें ख़ल्क़ किया दुनिया में भेजा और हमारे तरबियत से ज़रिये पैदा किये | नबी पैग़म्बर इमाम अपनी हिदायतों की किताब क़ुरआन साथ साथ मां बाप दिए जिस से की हम दुनिया में टेंशन फ्री ज़िन्दगी गुज़ार सकें और कामयाब वापस अल्लाह के पास अपनी ज़िम्मेदारियों को निभाते हुए वापस पलट के आएं |
हमें बार बार दुनिया की लज़्ज़तें अपनी तरफ खींचती रही हम अल्लाह की इन नेमतों के ज़रिये बेहतर ज़िन्दगी गुज़ारने की जगह उन लज़्ज़तों के ग़ुलाम होते गए |हमने अपना एक अलग निज़ाम अपनी सहूलियतों के हिसाब से बना लिया और उसी अनकहे दुनियावी क़ानून के मुताबिक़ जीने लगे यह हमारे उलेमाओं की देंन है की हम अपने अक़ीदे तो नहीं भूले अमल तराज़ू पे कमज़ोर हो ते रहे |
और नतीजा यह हुआ कि मुसलमान सिर्फ नाम के रहे या कह लें कमज़ोर इमान वाले मुसलमान बन के रह गए |
अक़ीदा याद है अल्लाह की हिदायत की किताब क़ुरआन को पहचानते हैं , मस्जिदों में जमात से नमाज़ें पढ़ते हैं , नबी पैग़म्बर इमाम की सीरत का इल्म है तो अमल के दुरुस्त होने के रास्ते हमेशा खुले हुए हैं , उम्मीद की सकती है | मसलन हम ऐसे मुसलमान है की जब हराम की कमाई का मौक़ा हाथ लगता है तो जी भर के कमाते है और फिर उसी हराम की कमाई ने नेकियाँ करने लगते है जो की जाया हो जाती है और आमालनामा खाली |
हमारी नेकियाँ में सुकून का सबब और बदी परेशानी का सबब हुआ करती हैं यह एक ऐसा सच हैं जो हमारे मानने या ना मानने से नहीं बदलता | ऐसे ही कुछ नेकियों का सिला फायदा दुनिया में फ़ौरन मिलता है और कुछ गुनाहों की सजा दुनिया में ही मिलना शुरू हो जाती है |
ऐसे ही दो गुनाह हैं ग़ीबत और क़ता ऐ राहमि | जहां ग़ीबत हमारी नेकियों को खाते हुए समाज में खालफिशार की वजह बनते हुए , अल्लाह की रहमतों से हमें दूर करता करता है | हमारे दुआ क़ुबूल न होने की वजह बनता है यह गुनाह उसी तरह क़ता ऐ रही हमारी ज़िन्दगी को कम करता है और अल्लाह की रहमतों से दूर करता है |
सिला ऐ रहमी
आज के दौर में पश्चिमी सभ्यता का असर मुसलमानो पे पड़ता साफ़ दिखाई देता है | इस्लाम हर तरह की बेहयाई बेशर्मी, ना इंसाफ़ी ,के खिलाफ है | इस्लाम ने अकेले सिर्फ खुद के लिए जीने हो हराम क़रार दिया है और हर मुसलमान पे अपने समाज अपने आस पास के लोगों के प्रति एक ज़िम्मेदारी तय कर रखी है | अल्लाह ने बारह बार क़ुरान में सिला ऐ रहमी और कता ऐ रहमी का ज़िक्र किया है और साफ़ साफ़ कहा है जो सिला ऐ रही करेगा लम्बी खुशहाल िन्दगी पाएगा और जो क़ता ऐ रहमि करेगा उसपे अल्लाह की लानत होगी |
सिला ऐ रहमी का मतलब यह होता है की वे रिश्तेदार जो आपके जन्म से रिश्तेदार है जैसे औलादें, माँ बाप ,भाई बहन ,चाचा फूफी खाला मामू और उनकी औलादें वगैरह | यहां यह कहता चलूँ की हदीसों में यह सिलसिला भाई बहनो ,फूफी खला और उनकी औलादों पे रुका नहीं हैं बल्कि आगे उनकी और उनकी औलादों तक जाता है लेकिन कम से कम औलादें, माँ बाप ,भाई बहन ,चाचा फूफी खाला मामू और उनकी औलादों के साथ सिला ऐ रही वाजिब है |
इस्लाम में इन क़रीबी रिश्तेदारों की एक दूसरे के लिए एक ज़िम्मदेरी तय की गयी है और यह इतना सख्त क़ानून है की अल्लाह हदीस ऐ क़ुद्सी में कहता है अगर तुम अपने इन क़रीबी रिश्तेदारों के साथ ताल्लुक़ात ख़त्म करोगे तो जन्नत से महरूम रहोगे और अल्लाह तुमसे रिश्ते ख़त्म कर देगा ।
इमाम से मुहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम फरमाते हैं की सिला ऐ रहमी रूह की ताज़गी और रिज़्क़ में इज़ाफ़े की वफ्फ होती है और रिश्तेदारों से नाता तोड़ देना (क़ता ऐ रहमी) चाहे वे नालायक़ ही क्यों न हों रिज़्क़ में कमी , अचानक मौत की वजह होती है |
इस सिलसिले में कहा गया है की अगर रिश्ते आपस में ठीक न भी हों तो भी सामने मिलने पे सलाम करना खैरियत दिल से पूछना और दूर हैं तो खतों से फ़ोन से खाल चाल लेना और परेशानी की मदद करना सिला ऐ रहमी है |
अलकाफ़ि से रवायत है की एक सहाबी ऐ इमाम मुहम्मद जाफर ऐ सादिक़ अलैहिस्लाम उनके पास आया और अपने रिश्तेदारों की शिकायत की और कहा वे उसे इतना परेशान करते हैं की मजबूर हो के उसने खुद को क़ैद कर लिया है | इमाम ने फ़रमाया सब्र करो और तुम उनसे रिश्ते न तोडना कुछ दिन में तुम्हे राहत मिलेगी |
उस शख्स ने कुछ दिन गुजरने के बाद जब देखा कोईफर्क नहीं उसके रिश्तेदारों के बर्ताव में तो उसने फैसला किया की अब क़ानूनी तौर पे उनकी शिकायत बादशाह और काज़ी से की जाय | अभी वो सोंच ही रहा था की की उसके इलाक़े में प्लेग फैला और उसके वे रिश्तेदार जो उसका जीना हराम किये थे इस बीमारी की वजह से मर गए | वो शख्स इमाम के पास फिर से गया तो इमाम ने बताया उनपे यह अज़ाब अपने क़रीबी रिश्तेदारों से रिश्ता तोड़ने उनका हक़ मारने और उन्हें परेशान करने की वजह से आया | Shaytan, vol. 1, pg. 515; al-Kafi
दुसरी रवायत है की हसन इब्ने अली जो इमाम जाफर ऐ सादिक़ अलैहिसलाम का चहेरा भाई था किसी बात पे उनकी इमाम से अनबन हो गयी और वो इस हद तक चला गया की उसने इमाम पे हमला कर दिया |
इमाम का जब आखिरी वक़्त आया तो उन्होंने कहा उस भाई को 70 दीनार उसको भी दिए जाएँ | लोगों ने कहा या मौला आप उसे ही ७० दीनार दे रहे हैं जिसने आप्पे हमला किया था |
इमाम ने कहा अल्लाह ने जन्नत बनायीं और उसमे खुशबु पैदा की और ऐसी खुशबु की उसे दो हज़ार की दूरी से भी महसूस किया जा सकता है लेकिन जन्नत क्या वो शख्स जन्नत की खुशबु भी नहीं पा सकता जिसने अपने रिश्तेदारों से ताल्लुक़ात ख़त्म किये हों या जो माँ बाप का आक़ किया गया हो | Hikayat-ha-e-Shanidani, vol. 5, pg. 30; Al-Ghunyah of (Sheikh) Tusi, pg. 128
इमाम जफर ऐ सादिक़ अलैहिसलाम फरमाते हैं की रिश्तेदारों से नाता न तोडा करो क्यों मैंने क़ुरआन मी तीन जगह ऐसे लोगों पे अल्लाह को लानत करते देखा है |
इमाम जाफर ऐ सादिक़ अलैहिसलाम ने कहा अपने को हलिका से बचाओ क्यों की यह ज़िंदगियाँ खराब कर देता है \ किसी से पुछा हालीक़ा क्या है तो इमाम ने कहा रिश्तेदारों से रिश्ते तोडना |
एक शख्स ने हज़रात मुहम्मद सॉ से पुछा अल्लाह की नज़र में सबसे ना पसंदीदा काम क्या है ?
जवाब आया शिर्क करना |
क़ता ऐ रहमी
बुरे काम को बढ़ावा देना और अच्छे को रोकना |
हज़रात मुहम्मद सॉ ने फ़रमाया तीन काम जिनकी सजा दुनिया और आख़िरत दोनों में मिलती है
ना इंसाफ़ी, रिश्ते तोडना और झूटी क़सम खाना
क़ुरान में अल्लाह फरमाता है
हे लोगो! अपने पालनहार से डरो जिसने तुम्हें एक जीव से पैदा किया है और उसी जीव से उसके जोड़े को भी पैदा किया और उन दोनों से अनेक पुरुषों व महिलाओं को धरती में फैला दिया तथा उस ईश्वर से डरो जिसके द्वारा तुम एक दूसरे से सहायता चाहते हो और रिश्तों नातों को तोड़ने से बचो (कि) नि:संदेह ईश्वर सदैव तुम्हारी निगरानी करता है। (4:1) सूरा ऐ निसा
और याद करो उस समय को जब हमने बनी इस्राईल से प्रतिज्ञा ली कि तुम एक ईश्वर के अतिरिक्त किसी की उपासना नहीं करोगे, माता पिता, नातेदारों, अनाथों और दरिद्रों के साथ अच्छा व्यवहार करोगे, और ये कि लोगों के साथ भली बातें करोगे, नमाज़ क़ाएम करोगे, ज़कात दोगे, फिर थोड़े से लोगों को छोड़कर तुम सब अपनी प्रतिज्ञा से फिर गए और तुम मुहं मोड़ने वाले लोग हो। (2:83)
(हे पैग़म्बर) वे आपसे पूछते हैं कि भलाई के मार्ग में क्या ख़र्च करें? कह दीजिए कि माता-पिता, परिजनों, अनाथों, दरिद्रों तथा राह में रह जाने वालों के लिए तुम जो चाहे भलाई करो, और तुम भलाई का जो भी काम करते हो, निःसन्देह ईश्वर उसको जानने वाला है। (2:215)
इमाम मुहम्मद बाक़िर फरमाते हैं सिरात पुल्ल है और इसके एक तरफ होगा सिला ऐ रही और दूसरी तरफ अमानतदारी | इनदोनो के बिना यह पुल्ल पार नहीं पार नहीं कर सकेगा कोई |
हज़रत मुहम्मद सॉ से किसी ने पुछा की ऐसा कौन स अमल है जो किसी की उम्र घटा सकता है और बढ़ा सकता है ?
रसूल ने कहा क़ता ऐ रही उम्र घटा देता है और सिला ऐ रही उम्र को बढ़ाता है और यह तादात तीन से तीस साल तक बताई गयी है |
इमाम ऐ रज़ा से एक बार दो लोग मिलने आय तो इमाम ने बात चीत के दौरान एक शख्स से कहा ऐ शख्स तू क़िस्मत वाला है क्यों की इस सफर में आज के दिन तेरी मौत थी लेकन अल्लाह ने उसे पांच साल बढ़ा दी | उस शख्स ने पुछा अल्लाह इतना मेहरबान क्यों हुआ ? तो इमाम बोले रास्ते में सफर के तेरी फूफी का घर पड़ता था और तुझे उसकी मुहब्बत आयी और तू उनसे मिलने चला गया | अल्लाह ने इस सिला ऐ रहमि की वजह से तेरी उम्र बढ़ा दी |
रवायतों में है की ५ शख्स उसी दिन इंतेक़ाल कर गया जो दिन इमाम ने बताया था |
रफह पर हमले के बाद भी हमास का खात्मा न मुमकिन : ब्रिटेन
फिलिस्तीन में इस्राईल की ओर से जारी जनसंहार को भरपूर समर्थन दे रहे ब्रिटेन ने कहा है कि रफह पर इस्राईल के बर्बर हमलों के बाद भी फिलिस्तीन मुक्ति आंदोलन के सशस्त्र दल हमास का खात्मा न मुमकिन है।
गार्जियन के अनुसार ब्रिटेन ने रफ़ह पर ज़ायोनी जेना के ज़मीनी हमले पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। ब्रिटिश उप विदेश मंत्री एंड्रयू मिशेल ने रफ़ह पर ज़ायोनी हमले को अंतरराष्ट्रीय कानून का स्पष्ट उल्लंघन बताया है।
इस समाचार पत्र के मुताबिक ज़ायोनी सरकार के हमले को खुली आक्रामकता बताए जाने के बावजूद ब्रिटेन ने इसकी निंदा करने से परहेज किया है। ब्रिटिश अधिकारी ने कहा है कि रफह पर जमीनी हमले से हमास को खत्म करने का सपना पूरा नहीं होगा।
गार्जियन के मुताबिक, ब्रिटिश प्रतिक्रिया अमेरिका के साथ पूर्ण समन्वय के बाद आई है, जिसने इस्राईल पर दबाव डालने के बजाय युद्धविराम को प्रोत्साहित करने का फैसला किया है। उधर, शीर्ष अमेरिकी अधिकारी ने कहा है कि रफह पर हमले के दौरान ज़ायोनी सेना ने अभी तक किसी तक लाल रेखा को पार नहीं किया।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने ज़ायोनी प्रधान मंत्री के साथ बातचीत के दौरान रफह क्रॉसिंग पर इस्राईल के नियंत्रण पर कोई आपत्ति नहीं जताई। ज़ायोनी सरकार का कहना है कि रफ़ह क्रॉसिंग पर ज़ायोनी सेना के कब्ज़े के बाद याह्या अल-सिनवार को बातचीत के लिए मजबूर किया जा सकेगा।
फिलिस्तीन में तत्काल और बिना शर्त युद्धविराम की मांग
गाम्बिया की राजधानी बंजुल में हुई बैठक के अंत में इस्लामिक सहयोग संगठन के सदस्य देशों ने एक बयान में गाजा में फिलिस्तीनी लोगों के खिलाफ सभी आक्रामकता को रोकने के लिए तत्काल और बिना शर्त युद्धविराम का आह्वान किया।
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, रविवार को गाम्बिया की राजधानी बंजुल में हुई इस्लामिक सहयोग संगठन के नेताओं की 12वीं बैठक के अंत में इस संगठन के सदस्य देशों ने एक बयान में कहा तत्काल और बिना शर्त युद्धविराम और गाजा में फिलिस्तीनियों के खिलाफ सभी प्रकार की आक्रामकता को समाप्त करने का आह्वान करते हुए, उन्होंने ग़ज़्ज़ा पट्टी को चिकित्सा और खाद्य सहायता, पानी और बिजली की आपूर्ति और तत्काल सहायता प्रदान करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
बयान में कहा गया है: "हम ग़ज़्ज़ा में और नरसंहार की चेतावनी देते हैं। भूख, पानी की कमी और ईंधन कटौती ग़ज़्ज़ा में और विनाश का कारण बन रही है। हम फिलिस्तीनी लोगों से उनकी भूमि से विस्थापित होने का आह्वान करते हैं। निर्वासन या जबरन निर्वासन के किसी भी प्रयास की कड़ी निंदा करते हैं और ऐसे जघन्य कृत्य का विरोध करने के लिए तैयार हैं।
इस संगठन के सदस्य देशों ने विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए बातचीत और मध्यस्थता के महत्व पर भी जोर दिया और इस तरह इस्लामी देशों के बीच तनाव मुक्त माहौल पर जोर दिया।
बयान में कहा गया है: हम गरिमापूर्ण जीवन के महत्व पर जोर देते हैं और उन देशों में मुस्लिम समुदायों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का समर्थन करते हैं जो इस्लामी सहयोग संगठन के सदस्य नहीं हैं, हम उन अल्पसंख्यकों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त करते हैं जो इस्लामी सहयोग संगठन के सदस्य नहीं हैं। जो लोग उत्पीड़न, अन्याय और आक्रामकता का सामना कर रहे हैं, हम उनकी जायज मांगों का समर्थन करते हैं और उनके अधिकारों, सम्मान, धर्म, धर्म और सांस्कृतिक पहचान की सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिक मांग करते हैं।
बयान में कहा गया है: हम गाजा में इस्राईली शासन की निरंतर आक्रामकता का मुकाबला करने में अपनी एकजुटता की पुष्टि करते हैं, जो सबसे बुनियादी नैतिक मूल्यों का सम्मान किए बिना छह महीने से अधिक समय से जारी है, और हम दुनिया के देशों से मांग करते हैं कि वे उपाय करें गाजा में फिलिस्तीनी लोगों के खिलाफ ज़ायोनी शासन द्वारा किए गए नरसंहार के अपराध को रोकें और अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय द्वारा जारी आदेश का पालन करें।
फिलिस्तीन के समर्थन में मुंबई के बड़े स्कूल ने मुस्लिम प्रिंसिपल को किया बर्खास्त
फिलिस्तीन में इस्राईल की ओर से पिछले 7 महीने से भी अधिक समय से जनसंहार जारी है। ऐसे में दुनियाभर के कोने कोने में इस्राईल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। अमेरिका और यूरोप के विश्वविद्यालयों में छात्र आंदोलन कर रहे हैं जो बंगलादेश समेत एशिया के कई देशों तक फ़ैल चूका है लेकिन इन सबके बीच मुंबई के एक नाम स्कूल ने अपनी मुस्लिम प्रिंसिपल को सिर्फ इसलिए बर्खास्त कर दिया क्योंकि उन्होंने सोशल मीडिया पर फिलिस्तीन के समर्थन वाली एक पोस्ट को लाइक किया था।
मुंबई के एक प्रमुख स्कूल के प्रबंधन ने घोषणा की कि उसने प्रिंसिपल प्रवीन शेख को बर्खास्त कर दिया है। उन्हें बर्खास्त करने की खबर देते हुए स्कूल ने कहा कि यह निर्णय इसलिए किया गया ताकि वो यह सुनिश्चित कर पाएं कि एकता और समावेशिता के हमारे लोकाचार से समझौता नहीं किया जा रहा है।
मुंबई के विद्याविहार इलाके में सोमैया स्कूल की प्रिंसिपल प्रवीन शेख ने पद से उनकी "बर्खास्तगी" को "पूरी तरह से अवैध, कठोर और अनुचित" बताया और "राजनीति से प्रेरित" कार्रवाई पर आश्चर्य व्यक्त किया। शेख ने अपने बयान में इसे पूरी तरह से गैर कानूनी बताया है और कहा है कि वह स्कूल के इस फैसले से हैरान हैं। यह कठोर और अनुचित कार्रवाई है। यह कार्रवाई राजनीति से प्रेरित लगती है। मुझे हमारी कानूनी प्रणाली और भारतीय संविधान में दृढ़ विश्वास है और मैं फिलहाल अपने कानूनी विकल्पों पर विचार कर रही हूं।
बता दें कि शेख पिछले 12 वर्षों से स्कूल से जुड़ी हुई थीं और सात साल पहले उन्होंने प्रिंसिपल के रूप में कार्यभार संभाला था।