رضوی

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ज़ायोनी कैबिनेट के कार्यालय बंद करने के निर्णय के बाद इज़रायली पुलिस ने कब्जे वाले फ़िलिस्तीन में अल जज़ीरा टीवी के कार्यालयों पर हमला किया।

इज़रायल के सरकारी रेडियो टीवी ने ज़ायोनी प्रधान मंत्री के कार्यालय के संबंध में खबर दी है कि इज़रायली कैबिनेट ने कब्जे वाले फ़िलिस्तीन में अल जज़ीरा टीवी चैनल के कार्यालयों को बंद करने का निर्णय लिया है।

ज़ायोनी सरकार के प्रधान मंत्री नेतन्याहू ने अपने एक संदेश में कहा है कि कैबिनेट ने भारी बहुमत से क़ब्ज़े वाले फ़िलिस्तीन में अल जज़ीरा टीवी के कार्यालयों को बंद करने का निर्णय लिया है।

अधिकृत फ़िलिस्तीन में अल जज़ीरा टीवी चैनल के बंद होने के बाद, पुलिस ने बेत अल-मकदीस शहर में अल जज़ीरा टीवी कार्यालयों पर हमला किया और सभी संबंधित संसाधनों और उपकरणों को जब्त कर लिया।

इस बीच, अमेरिकन प्रेस एसोसिएशन ने अधिकृत फ़िलिस्तीन में अल जज़ीरा टीवी को बंद करने को मीडिया के लिए काला दिन बताया है।

हॉलीवुड प्रेस एसोसिएशन ने क़ब्ज़े वाले फ़िलिस्तीन में अल जज़ीरा टीवी को बंद करने के ज़ायोनी सरकार के फैसले की निंदा की है।

अल जज़ीरा टीवी अपने कार्यालय बंद होने के बाद अधिकृत फ़िलिस्तीन में अपना प्रसारण जारी नहीं रख पाएगा

पैग़म्बरे इस्लाम हमेशा लोगों से सिफारिश करते थे कि वे न केवल इंसानों बल्कि अन्य प्राणियों के साथ भी अच्छे व्यवहार, नेक बर्ताव, प्रेम और दया से पेश आयें। पैग़म्बरे इस्लाम से रिवायत है जिसमें आप फरमाते हैं कि मुझे अच्छे अख़लाक़ को शिखर पर पहुंचाने के लिए भेजा गया है।

अब हम अख़लाक़ के संबंध में पैग़म्बरे इस्लाम की 5 सिफारिशों का उल्लेख करते हैं। ये सिफारिशें व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक विकास में प्रभावी हैं।

 झूठ न बोलोः एक आदमी पैग़म्बरे इस्लाम की ख़िदमत में आया और बोला हे पैग़म्बर! मुझे ऐसी चीज़ की शिक्षा दें जिसमें दुनिया व आखेरत की भलाई हो। इस पर पैग़म्बरे इस्लाम ने फरमायाः झूठ न बोलो

  लोगों से नर्मी से पेश आओ और उनसे प्रेम करने वाले बनोः इस संबंध में पैग़म्बरे इस्लाम फरमाते हैं तुममें सबसे अच्छा अखलाक़ जिसका हो, दूसरों से प्रेम करता हो और दूसरे उससे प्रेम करते हों तो ऐसे इंसान अल्लाह के बेहतरीन बंदे हैं।

 महिलाओं का सम्मान करोः पैग़म्बरे इस्लाम की सिफ़ारिशों में से एक सिफारिश यह है कि महिलाओं का सम्मान करो और यह वह सिफारिश है जिसका पैग़म्बरे इस्लाम के सदाचरण में कई बार उल्लेख हुआ है। इस संबंध में पैग़म्बरे इस्लाम फरमाते हैं कि  तुममें सबसे बेहतर वह है जो अपने परिवार के लिए सबसे बेहतर है। शरीफ़ और महान इंसान के अलावा कोई महिला का सम्मान नहीं करेगा और तुच्छ व पस्त इंसान के अलावा कोई महिला को गिरी हुई नज़र से नहीं देखेगा।

 सगे-संबंधियों से रिश्तेदारी निभाना और पड़ोसियों के साथ अच्छा व्यवहार करनाः इस संबंध में पैग़म्बरे इस्लाम से रिवायत है कि सगे- संबंधियों के साथ संबंध रखना और पड़ोसियों के साथ अच्छा व्यवहार करने से उम्र अधिक होती है।

 पशुओं की ताक़त और क्षमता को ध्यान में रखनाः पैग़म्बरे इस्लाम पशुओं व प्राणियों के अधिकारों को ध्यान में रखने की सिफारिश करते हैं।

इन सिफारिशों और पैग़म्बरे इस्लाम की शिक्षाओं को 14 सौ साल पहले बयान किया गया है जो इस बात की सूचक हैं कि इस्लाम ने समस्त प्राणियों के अधिकारों पर ध्यान दिया है। पैग़म्बरे इस्लाम ने पशुओं के साथ प्रेम से व्यवहार करने के संबंध में फरमाया है कि जानवर के 6 अधिकार उसके मालिक पर हैं।

 

 जब मालिक अपने जानवर की पीठ से नीचे उतरे तो उसे उसका चारा दे।

 जब पानी के पास से गुज़रे तो उसके सामने पानी पेश करे।

  1. उसे ना-हक़ और बिला वजह न मारे।
  2. उस पर उसकी ताक़त से अधिक बोझ न लादे।
  3. उसे उसकी ताक़त से अधिक रास्ता न चलाए।
  4. ज्यादा देर तक उस पर सवारी न करे।

 हज़रत इमाम जाफ़र सादिक अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं: जो कोई लोगों के मामलों की ज़िम्मेदारी अपने हाथ में ले लेता है, न्याय करता है, लोगों के लिए अपने घर के दरवाज़े खुला रखता है, किसी को नुक़सान नहीं पहुंचाता और लोगों की समस्याओं को दूर करता है, सर्वशक्तिमान ईश्वर की ज़िम्मेदारी है कि वह उसे प्रलय के लिए भय और डर से सुरक्षित रखे और उसे स्वर्ग में ले जाए।

हज़रत जाफ़र इब्ने मुहम्मद (83-148 हिजरी क़मरी) जिन्हें इमाम जाफ़र सादिक अलैहिस्सलाम के नाम से जाना है, शिया मुसलमानों के छठें इमाम थे और अपने पिता हज़रत इमाम मुहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम की शहादत के बाद उन्हें यह ज़िम्मेदारी मिली थी। (114 से 148 हिजरी क़मरी) यानी 34 वर्षों तक वह शिया मुसलमानों के इमाम रहे। उनकी इमामत के काल में बनी उम्मईया के पांच खलीफ़ाओं की ख़िलाफ़त रही है जिनमें हेशाम बिन अब्दुल मलिक से लेकर बनी अब्बास के दो ख़लीफ़ा सफ़्फ़ाह और मंसूर दावानिक़ी का नाम लिया जा सकता है।

 बनी उमइइया सरकार की कमज़ोरी के कारण, हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम के पास अन्य शिया इमामों की तुलना में बहुत अधिक वैज्ञानिक और शैक्षणिक गतिविधियों के लिए काफ़ी समय था।

उनके शिष्यों और उनसे रिवायतों को बयान करने वालों की संख्या 4000 बतायी जाती है। पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों यानी अहले बैत अलैहिस्सलाम की ज़्यादातर रिवायतें इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम से बयान हुई हैं और यही वजह है कि इमामिया शिया धर्म को जाफ़री धर्म भी कहा जाता है।

सुन्नी मुसलमानों के धर्मशास्त्र के बड़े धर्मगुरुओं में हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम का उच्च स्थान है। अबू हनीफ़ा और मलिक बिन अनस ने उनसे रिवायतें की हैं। अबू हनीफ़ा उन्हें मुसलमानों में सबसे विद्वान व्यक्ति मानते थे

इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम से रिवायत है कि:

हम पैग़म्बरे इस्लाम के परिजन और परिवार हैं, एक ऐसा परिवार जिसकी मर्दानगी उस व्यक्ति से आगे है जिसने हमारे साथ अन्याय किया।

शैख़ सदूक़ फ़रमाते हैं कि इमाम जाफ़र सादिक अलैहिस्सलाम को मंसूर दवानिक़ी के आदेश से ज़हर दिए जाने की वजह से शहीद हुए।

हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम की शहादत की बरसी के मौक़े पर हमने इमाम जाफ़र सादिक अलैहिस्सलाम की 11 नैतिक और सामाजिक सिफ़ारिशों पर एक नज़र डाली है:

अपनी ग़लतियों पर नज़र रहे

قالَ الاِمامُ الصّادِقُ عليه السلام: لاتَنْظُرُوا في عُيُوبِ النّاسِ كَالْأرْبابِ وَانْظُرُوا في عُيُوبِكُمْ كَهَيْئَةِ الْعَبـْدِ. [تحف العقول/ 295.]

हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया: मालिकों की तरह दूसरों के दोषों को मत देखो, बल्कि एक विनम्र बंदे के रूप में अपने दोषों की जांच करो।

* झूठ, वादा ख़िलाफ़ी और विश्वासघात से दूर रहें

قالَ الاِمامُ الصّادِقُ عليه السلام: ثَلاثٌ مَنْ كُنَّ فيهِ فَهُوَ مُنافِقٌ وَاِنْ صامَ وَصَلّى: مَنْ اِذا حَدَّثَ كَذِبَ وَاِذا وَعَدَ اَخْلَفَ وَ اِذَا ائْتـُمِنَ خـانَ. [تحف العقول/ 229.]

इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं: तीन चीज़ें जिनमें पायी जाती हैं, वह मुनाफ़िक़ व पाखंडी है, यद्यपि वह नमाज़ पढ़ता हो और रोज़े रखता हो, वह व्यक्ति जब बोले तो झूठ बोले, वादा करके तोड़ देता है और जब उसके पास कोई अमानत रखे तो विश्वासघात करता है।

 * या तो विद्वान बनो या ज्ञान की तलाश में रहो

قالَ الاِمامُ الصّادِقُ عليه السلام: لَستُ اُحِبُّ أنْ أرَى الشّابَّ مِنْكُمْ اِلاّغادِياً فى حالَيْنِ: إمّا عالِماً أوْ مُتَعَلِّماً. [امالى طوسى، 303 ـ 604.]

हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं: मैं आप में से किसी जवान को इन दो स्थितियों में से किसी एक के अलावा देखना पसंद नहीं करता, या तो वह विद्वान हो या वह ज्ञान सीख रहा हो।

* क्षमाशील और दयालु बनो

 قالَ الاِمامُ الصّادِقُ عليه السلام: عَلَيكَ بِالسَّخاءِ وَ حُسْنِ الخُلقِ فَإنَّهُما يَزينانِ الرَّجُلَ كَما تَزينُ الواسِطَةُ الْقِلادَةَ. [ميزان الحكمه ص 2300 ح 8010 به نقل از بحار ج 71 ص 391]

 हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं: दानवीरता और अच्छा आचरण अपनाओ क्योंकि यह उसी तरह इंसान को सुन्दर बनता है जिस तरह हार के बीच में बड़ा रत्न उसकी सुंदरता का कारण बनता है।

 * न्यायप्रिय बनो और लोगों का ख्याल रखो

قالَ الاِمامُ الصّادِقُ عليه السلام: مَنْ تَوَلّى أمْراً مِن اُمُورِالنّاسِ فَعَدَلَ وَ فَتَحَ بابَهُ وَ رَفَعَ شَرَّهُ وَ َنَظَرَ فى اُمُورِ النّاسِ كانَ حَقّاً عَلَى اللّه ِ عَزَّوَجَلَّ أَن يُؤَمِّنَ رَوْعَتَهُ يَومَ القِيامَةِ وَ يُدْخِلَهُ الجَنَّةَ. [ميزان الحكمه ح 2773 ص 7122 به نقل از بحار ج 75 ص 340]

 

हज़रत इमाम जाफ़र सादिक अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं: जो कोई लोगों के मामलों की ज़िम्मेदारी अपने हाथ में ले लेता है, न्याय करता है, लोगों के लिए अपने घर के दरवाज़े खुला रखता है, किसी को नुक़सान नहीं पहुंचाता और लोगों की समस्याओं को दूर करता है, सर्वशक्तिमान ईश्वर की ज़िम्मेदारी है कि वह उसे प्रलय के लिए भय और डर से सुरक्षित रखे और उसे स्वर्ग में ले जाए।

* दुआ करने से कभी न थको

عَن أبى عَبدِاللّه جَعْفَر بن مُحَمَّد عليهماالسلام قالَ سَمِعتُهُ يَقُولُ: عَلَيْكُمْ بِالدُّعاءِ فَاِنَّكُمْ لاتَتَقَرَّبُونَ بِمِثْلِهِ وَ لاتَتْرُكُوا صَغيرَةً لِصِغَرِها أَنْ تَسأَلُوها فَإِنَّ صاحِبَ الصِّغارِ هُوَ صاحِبُ الكِبارِ. [امالى مفيد، مجلس دوم ح 9 ص 31]

सैफ़ तम्मार कहते हैं कि मैंने इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम को यह कहते हुए सुना: दुआ से कभी हाथ मत खींचो क्योंकि तु किसी भी  तरह से ईश्वर के करीब नहीं पहुंच पाओगे, कभी भी मांग को उसका छोटा होने की वजह से न छोड़ो क्योंकि छोटे अनुरोधों और दुआओं को स्वीकार करने वाला वही ईश्वर है जो बड़ी दुआओं को क़बूल करता है।

* दिलचस्पी से लोगों से हाथ मिलाएं

قالَ الصّادِقُ عليه السلام: ما صافَحَ رَسُولُ اللّه صلي الله عليه و آله رَجُلاً قَطُّ فَنَزَعَ يَدَهُ حَتّى يَـكُونَ هُوَ الَّـذى يَنْـزِعُ يَدَهُ منْهُ. [بحـار الانوار، ج 16،ص 269]

हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया कहा: पैग़म्बरे इस्लाम सलल्लाहो अलैह व आलेही व सल्लम कभी भी ऐसे व्यक्ति से हाथ नहीं मिलाते थे जो अपना हाथ पीछे खींच लेता था लेकिन यह कि सामने वाला पक्ष ख़ुद ही अपने हाथ वापस खींच ले।

* मज़ाक़ करो लेकिन केवल सच बोलो

قـالَ الصّـادِقُ عليه السلام: كانَ رَسُولُ اللّهِ صلي الله عليه و آله يُداعِبُ وَ لايَقُـولُ اِلاّحَـقّـا. [بحـار الانوار، ج 16،ص 244]

हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं: पैग़म्बरे इस्लाम सलल्लाहो अलैह व आलेही व सल्लम लोगों से हंसी मज़ाक़ किया करते थे लेकिन उन्होंने सच्चाई के अलावा कुछ भी नहीं कहा।

* इस तरह बोलो कि लोग समझ जाएं

قـالَ الصّـادِقُ عليه السلام: ما كَلَّمَ رَسُولُ اللّهِ صلي الله عليه و آله الْعِبادَ بِكُنْهِ عَقْلِهِ قَطُّ، قـالَ رسُـولُ اللّهِ صلي الله عليه و آله: اِنّا مَعـاشِرَ الاَْنْبِـياءِ اُمِرْنا اَنْ نُكَلّـِمَ النّاسَ عَلى قَدْرِ عُقُولِهِمْ. [سُنَنُ النَّبى،ص 57]

हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं: पैग़म्बरे इस्लाम ने कभी भी अपनी बुद्धि के हिसाब से लोगों से बात नहीं की और वह फ़रमाते थे कि हम ईश्वरीय दूतों को यह ज़िम्मेदारी दी गयी है कि वे लोगों से उनकी बुद्धि और समझ के हिसाब से ही बात करें।

* हमेशा महकते रहें

قالَ الصّادِقُ عليه السلام: كانَ رَسُولُ اللّهِ صلي الله عليه و آله يُنْفِقُ عَلَى الطّيبِ اَكْثَرَ مِمّا يُنْفِـقُ عَلَى الطَّـعامِ. [بحـار الانوار، ج 16،ص 248]

 

हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम ख़ुभबू की तारीफ़ करते हुए फ़रमाते हैं: ख़ुशबूपर पर भोजन की तुलना में अधिक ख़र्च करो।

* ख़ुद सादा जीवन जियो लेकिन अपने मेहमानों के साथ बहुत प्रेमपूर्वक व्यवहार करो

الْخِلَّ وَ الزَّيْتَ وَ يُطْعِمُ النّاسَ الْخُبْزَ وَ اللَّحْمَ. [الكافى 6: 328]

हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं: अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली अलैहिस्सलाम भोजन के मामले में, पैग़म्बरे इस्लाम से बहुत मिलते जुलते थे, वह स्वयं रोटी, सिरका और जैतून का तेल खाते थे और अपने मेहमानों को रोटी और मांस दिया करते थे।

हमास आंदोलन के एक नेता ने कहा है कि आंदोलन किसी भी समझौते को स्वीकार नहीं करेगा जिसमें स्पष्ट रूप से गाजा पर युद्ध की समाप्ति शामिल नहीं है।

आईआरएनए के अनुसार, इस अज्ञात हमास अधिकारी ने अल जज़ीरा को बताया कि कब्ज़ा करने वाली सरकार युद्ध जारी रखने पर जोर देकर युद्धविराम समझौते के रास्ते में खड़ी है, वह बिना कुछ दिए अपने कैदियों की रिहाई पर बातचीत करने की कोशिश कर रही है।

हमास के अधिकारी ने कहा कि ज़ायोनी शासन युद्ध को रोकने और गाजा से पूरी तरह से हटने के बजाय राफा के खिलाफ जमीनी हमले पर जोर देकर इसके परिणामों के लिए जिम्मेदार होगा, याहू कुछ व्यक्तिगत मुद्दों के कारण समझौते के रास्ते में खड़ा है हमास आंदोलन फिलिस्तीनी लोगों के त्याग और बलिदान के प्रति वफादार है और इसे किसी भी हालत में कम नहीं होने दिया जाएगा।

हमास के अधिकारी की यह टिप्पणी ज़ियोनिस्ट ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन द्वारा शनिवार रात को सूत्रों से मिली एक रिपोर्ट प्रसारित करने के तुरंत बाद आई, जिसमें कहा गया था कि संयुक्त राज्य अमेरिका ने हमास के साथ बातचीत करने के लिए इज़राइल पर एक प्रतिनिधिमंडल भेजा था

पिछले कुछ महीनों के दौरान अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन में ज़ायोनी अत्याचारों के बारे में वाशिंग्टन ने चुप्पी साध ली है।

पिछले कुछ दशकों के दौरान अमरीकी, इस्लामी गणतंत्र ईरान पर यह आरोप लगाते आए हैं कि वह इंटरनैश्नल मैकेनिज़्म की रेआयत नहीं कर रहा है।  इसी आरोप को वे ईरान के विरुद्ध दबाव के हथकण्डे के रूप में प्रयोग कर रहे हैं।  हालांकि पिछले कुछ महीनों के दौरान विश्व देख रहा है कि अमरीका, अवैध ज़ायोनी शासन को लेकर अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रति कितनी उदासीनता दिखा रहा है।

पहली मई 2024 को हज़ारों अध्यापकों को संबोधित किया था जिसमें पश्चिमी एशिया के परिवर्तनों के बारे में एसे महत्वपूर्ण बिंदुओं का उल्लेख किया गया जिनकी गहन समीक्षा की जाने की आवश्यकता है।  उन्होंने अपने संबोधन के एक भाग में कहा कि ज़ायोनी शासन के अत्याचारों को लेकर छात्रों के शांतिपूर्ण विरोध के साथ अमरीकियों का हिंसक व्यवहार, अमरीकी सरकार के प्रति ईरान की भ्रांति की पुष्टि करता है।  अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन के हालिया महीनों के परिवर्तनों पर एक नज़र, उन विरोधाभासों को स्पष्ट करती है जिनमें अमरीकी राजेनता आज भी घिरे हुए हैं।

पिछले लगभग 45 वर्षों के दौरान जबसे तेहरान और वाशिंग्टन के बीच मतभेद जारी हैं, उस वक़्त से अमरीकी अधिकारी ईरान पर लगातार आरोप मढ़ते आ रहे हैं जिनके मुक़ाबले में इस्लामी गणतंत्र ईरान ने भी कुछ मुद्दे उठाए हैं।  वर्तमान समय में विश्व जनमत के समक्ष वाशिंगटन के बारे में तेहरान के कुछ मुद्दे हैं जिनको नीचे विस्तार से पेश करने जा रहे हैं।

1-पिछले कुछ दशकों के दौरान ईरान जैसी स्वतंत्र सरकारों पर दबाव बनाने के लिए अमरीका की ओर से दबाव, वह विषय है जिसका तेहरान को दशकों से सामना रहा है।पिछले कुछ महीनों के दौरान हम अमरीका के उन दोहरे मानदंडों के साक्षी रहे हैं जो ईरान की बातों के सच होने की पुष्टि करते हैं।  अमरीका की सरकार पिछले कुछ दशकों के दौरान मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर विशव के दावेदार के रूप में सामने आई है। जबकि पिछले कुछ महीनों के दौरान अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन में ज़ायोनी अत्याचारों के बारे में वाशिंग्टन ने चुप्पी साध ली है।

 

यह एसी हालत में है कि जब अमरीकियों ने विभिन्न साक्ष्यों के आधार पर ग़ज़्ज़ा में ज़ायोनी सेना के अपराधों की बात को स्वीकार किया है।

2-अन्तर्राष्ट्रीय अधिकारों का सम्मानः यह वह विषय है जिसको अमरीकी अधिकारी पिछले कुछ दशकों से इस्लामी गणतंत्र ईरान के बारे में पेश करते आ रहे हैं।  पिछले कुछ महीनों में हम कई बार अवैध ज़ायोनी शासन के समर्थन को लेकर इस विषय के उल्लंघन को देखते आ रहे हैं।  इस समय विश्व जनमत, तेलअवीव को लेकर वाशिग्टन के दोहरे मानदंडों के साक्षी रहे हैं।

3-हालिया कुछ दशकों के दौरान अमरीका की ओर से इस्लामी गणतंत्र ईरान पर इंटरनैश्नल मैकेनिज़्म को अनदेखा करने का आरोप लगाए जाते रहे हैं।  इसी दावे को वे ईरान के विरुद्ध दबाव डालने वाले हथकण्डे के रूप में प्रयोग करते हैं।  हालांकि हो यह रहा है कि हालिया कुछ महीनों के परिवर्तनों को लेकर अमरीका, अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों को अनदेखा कर रहा है।

इसी आधार पर अमरीका के कुछ नीति निर्धारकों ने अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय की ओर से अवैध ज़ायोनी शासन के नेताओं को अपराधी घोषित किये जाने की संभावना के दृष्टिगत इस न्यायालय को प्रतिबंधित करने की धमकी दी है।  अमरीका की दोहरी नीति का एक अन्य प्रतीक, अन्तर्राष्ट्रीय संगठन को प्रतिबंधित करना है जिसे इस समय विश्व जनमत देख रहा है।

4-वर्षों से अमरीका की यह नीति रही है कि वह मानवाधिकारों का दावा करते हुए विश्व जमनत में ईरान को मानविधकारों के हननकर्ता के रूप में पेश करे।  हालांकि इस समय अमरीका के भीतर ही ग़ज़्ज़ा में ज़ायोनियों के अपराधों का विरोध कर रहे छात्रों को अमरीका की ओर से मानवाधिकारों के हनन का सामना करना पड़ रहा है।  इस हिसाब से अमरीका स्वयं मानवाधिकारों के बारे में डबल स्टैंडर्ड अपनाए हुए है।

अमरीकी एसी हालत में छात्रों का दमन कर रहे हैं कि यही काम अगर किसी अन्य देश में हो रहा होता तो उसको प्रतिबंध लगाने, उसके विरुद्ध प्रस्ताव पारित करने और उसके विरुद्ध विश्व जनमत की राय को एकमत करने के प्रयास करते।

5- वह बिंदु जिसपर ध्यान दिया जाना चाहिए वह यह है कि ईरान ने पिछले कुछ दशकों के दौरान बल दिया है कि फ़िलिस्तीन, पश्चिमी एशिया का प्रमुख विषय है और तेलअवीव के साथ संबन्धों को सामान्य करने से किसी समस्या का समाधान नहीं हो पाएगा।

अब क्षेत्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर बहुत से लोग इस्लामी गणतंत्र ईरान के दृष्टिकोणों की वास्तविकता को स्वीकार करने लगे हैं।  इसी के साथ वे अवैध ज़ायोनी शासन की ओर से जातीय सफाए, जघन्य अपराधों, बच्चों के जनसंहार और अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों का सम्मान न करने जैसी घटनाओं के साक्षी हैं।

सीरिया के राष्ट्रपति बशर असद ने फिलिस्तीनी प्रतिरोध के लिए दमिश्क के समर्थन पर जोर दिया और स्पष्ट किया कि प्रतिरोध के संबंध में सीरिया की स्थिति नहीं बदली है, बल्कि यह पहले से अधिक मजबूत हो गया है।

अल-मयादीन टीवी चैनल के मुताबिक, सीरिया के राष्ट्रपति बशर असद ने कहा कि फ़िलिस्तीन को लेकर सीरिया की स्थिति 1948 की तुलना में अधिक स्थिर है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध को बिना किसी देरी के हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए हमेशा तैयार है और कभी भी संकोच नहीं करेगी।

सीरियाई राष्ट्रपति ने कहा कि उनका देश प्रतिरोध के समर्थन में पीछे नहीं हटेगा क्योंकि अत्याचारी का दुश्मन नहीं बदला है।

बशर असद ने कहा कि ज़ायोनी सरकार के साथ संघर्ष को समाप्त करने का एकमात्र तरीका सभी कब्ज़ा की गई भूमि फ़िलिस्तीनियों को सौंप देना है।

पश्चिमी देशों की आक्रामक और पक्षपातपूर्ण भूमिका की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों द्वारा ज़ायोनीवादियों का अंध समर्थन कोई नई समस्या नहीं है और जब तक स्थिति नहीं बदलती और फ़िलिस्तीनी और सीरियाई लोगों के अधिकार बहाल नहीं हो जाते सीरिया की स्थिति में कोई बदलाव नहीं होगा. अतीत में, सीरियाई राष्ट्रपति ज़ायोनी कब्जे के अंत तक फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध का समर्थन करने पर ज़ोर देते रहे हैं

पिछले दो महीनों के दौरान अमेरिकी पुलिस ने 40 विश्वविद्यालयों के 2,000 से अधिक छात्रों को हिरासत में लिया है.

सहर न्यूज़/दुनिया: फ़िलिस्तीन समर्थक छात्रों के विरोध को दबाने की अमेरिकी पुलिस की कोशिशें लगातार जारी हैं, ऐसे में अमेरिकी विश्वविद्यालयों के छात्रों के विरोध प्रदर्शन का दायरा लगातार व्यापक होता जा रहा है और अब यह संयुक्त राज्य अमेरिका से है अन्य देशों के विश्वविद्यालयों में फैल गया है।

अमेरिकी पुलिस ने विश्वविद्यालय के छात्रों के खिलाफ अपना हिंसक व्यवहार जारी रखते हुए न्यू स्कूल यूनिवर्सिटी के तैंतालीस छात्रों को उस समय गिरफ्तार कर लिया है जब वे धरने पर बैठे थे।

शिकागो यूनिवर्सिटी में पुलिस की घेराबंदी के बावजूद छात्र धरने पर बैठे हैं और फिलिस्तीन और गाजा में चल रहे युद्ध के समर्थन में प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं। प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में छात्रों को धमकाते हुए धरने पर बैठे पंद्रह छात्रों को अमेरिकी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.

पोर्टलैंड में अमेरिकी पुलिस ने बारह छात्रों को गिरफ्तार किया है. इस बीच, अमेरिकी पुलिस ने न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय से तेरह फ़िलिस्तीनी समर्थक और युद्ध-विरोधी छात्रों को गिरफ़्तार किया है। अमेरिकी विश्वविद्यालयों में फ़िलिस्तीनी समर्थक छात्र आंदोलन की शुरुआत के बाद से, संयुक्त राज्य अमेरिका के विभिन्न विश्वविद्यालयों से लगभग 2,300 छात्रों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि अमेरिकी छात्रों का ज़ायोनी विरोधी विरोध प्रदर्शन जारी है, जो तेजी से बढ़ रहा है।

अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने अमेरिकी यूनिवर्सिटी के छात्रों की गिरफ्तारी के ताजा आंकड़ों का जिक्र करते हुए लिखा है कि पिछले दो महीनों के दौरान अमेरिकी पुलिस ने चालीस यूनिवर्सिटी के दो हजार से ज्यादा छात्रों को हिरासत में लिया है. इस बीच, अमेरिकी पुलिस ने न्यू हैम्पशायर, कैलिफ़ोर्निया और टेक्सास के विश्वविद्यालयों में फिलिस्तीन समर्थक सभाओं पर हमला किया और अब तक बड़ी संख्या में छात्रों को गिरफ्तार किया और दसियों छात्रों को घायल कर दिया।

कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय के कई प्रोफेसरों ने फ़िलिस्तीनियों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए काम करना बंद कर दिया है और विश्वविद्यालय छोड़ दिया है।

 

उधर, अमेरिकी सीनेटर बर्नी सैंडर्स ने गाजा में युद्ध का विरोध कर रहे अमेरिकी छात्रों की सराहना करते हुए कहा कि अमेरिकी विश्वविद्यालयों के छात्र इतिहास की सही दिशा में खड़े हैं. अमेरिकी सीनेटर बर्नी सैंडर्स ने अपने एक्स पेज पर लिखा कि हमने नस्लवादी नीतियों को खत्म करने के लिए 1962 में शिकागो विश्वविद्यालय में विरोध प्रदर्शन किया था और 1963 में नस्लवाद द्वारा बनाए गए स्कूल को अलग कर दिया गया था, गिरफ्तार कर लिया गया था जबकि अधिकार उनके पास थे। उन्होंने कहा कि यह गर्व की बात है कि अमेरिकी छात्र गाजा में युद्ध का विरोध कर रहे हैं. उन्होंने प्रदर्शनकारी छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि आप सही दिशा में खड़े हैं, बस शांत रहें.

ईरान के विदेश मंत्री ने ओआईसी बैठक के इतर अपने तुर्की समकक्ष के साथ बैठक में नरसंहारक ज़ायोनी शासन के साथ व्यापार संबंधों में कटौती करने के तुर्की के कदम की सराहना की है।

प्राप्त समाचार के अनुसार, ईरान के विदेश मंत्री होसैन अमीराब्दुल्लाहयान ने गाम्बिया की राजधानी बंजुल में इस्लामिक देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक के मौके पर तुर्की के विदेश मंत्री हकन फिदान के साथ बैठक में तुर्की सरकार के मुद्दों पर चर्चा की. उन्होंने कब्ज़ा करने वाली ज़ायोनी सरकार के साथ सहयोग को आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को ख़त्म करने के हालिया फैसले को महत्वपूर्ण बताया।

अमीर अब्दुल्लाहियान ने गाजा में ज़ायोनी सरकार द्वारा किए गए अपराधों की निंदा की, और फिलिस्तीनी मुद्दे के समर्थन में इस्लामी देशों, विशेष रूप से ईरान और तुर्की को एक मजबूत और सक्रिय भूमिका निभाने की आवश्यकता को याद दिलाया इजराइल का नरसंहार शासन जिसे निष्ठा की शपथ कहा जाता है, आत्मरक्षा के ढांचे में चलाया गया था।

तुर्की के विदेश मंत्री ने सभी क्षेत्रों में ईरान के साथ संबंधों के विकास को अंकारा की प्राथमिकताओं में से एक घोषित किया और क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर तेहरान के साथ मजबूत सहयोग का स्वागत किया।

 जवाद ज़रीफ़ कहते हैं कि सुरक्षा कोई ख़रीदने वाली चीज़ नहीं है।

ज़रीफ़ कहते हैं कि अरब देशों के मन में अभी भी यह बेहूदा ख़याल बाक़ी है कि वे अवैध ज़ायोनी शासन के साथ संबन्ध सामान्य करके मध्यपूर्व में उनसे अपनी सुरक्षा ख़रीद सकते हैं।

ईरान के भूतपूर्व विदेशमंत्री मुहम्मद जवाद ज़रीफ़ ने फ़ार्स की खाड़ी से संबन्धित भू-राजनैतिक सम्मेलन में बोलते हुए फ़िलिस्तीन के युद्ध से संबन्धित कुछ घटनाओं की समीक्षा की।

ज़रीफ़ ने इस ओर संकेत किया कि सुरक्षा कोई ख़रीदने वाली चीज़ नहीं है।  फ़ार्स की खाड़ी की तटवर्ती सरकारों के दिमाग़ में लंबे समय से यह बेहूदा विचार पनप रहा है कि सुरक्षा को ख़रीदा जा सकता है।  इसी आधार पर उन्होंने थोपे गए युद्ध के दौरान सद्दाम का समर्थन किया था।  जबकि सद्दाम उनका विश्वसनीय नहीं रहा और उसने कुवैत तथा सऊदी अरब पर हमला किया।

उन्होंने बल देकर कहा कि परमाणु समझौते का सऊदी अरब और ज़ायोनी शासन की ओर से विरोध करने का मुख्य कारण यही था कि वे चाहते थे कि अमरीका, मध्यपूर्व में अपनी उपस्थति को सुरक्षित करे।

ईरान के भूतपूर्व विदेशमंत्री ने इस ओर भी संकेत किया कि सद्दाम के बाद अरब शासक इस चक्कर में थे कि वे अमरीका से अपनी सुरक्षा ख़रीदें।  उन्होंने कहा कि हक़ीक़त यह है कि विश्व में चीन के बढ़ते प्रभाव के दृष्टिगत अमरीका, अब मध्यपूर्व में अपना प्रभाव फैलाने के चक्कर में नहीं है।  अब वह एक प्रकार से यह चाहता है कि इसको वह इस्राईल के हवाले कर दे।  यही कारण है कि अरब सरकारें यह सोच रही हैं कि अवैध ज़ायोनी शासन के साथ अपने संबन्धों को विस्तृत करके मध्यपूर्व में अपनी सुरक्षा को ज़ायोनियों से ख़रीदें।  हालांकि पूरे इतिहास मे कहीं भी एक स्थान पर यह नहीं मिलता कि इस्राईलियों ने किसी का समर्थन किया हो।

सऊदी अरब के एक पूर्व शासक के साथ अमरीका के एक युद्धप्रेमी भूतपूर्व राष्ट्रपति जार्ज बुश

ज़ायोनी शासन के साथ छह दिवसीय युद्ध में अरब सरकारों की पराजय की ओर संकेत करते हुए ज़रीफ़ ने स्पष्ट किया कि ज़ायोनी और उनके समर्थक, सात महीने से प्रतिरोध के मुक़ाबले में ग़ज़्ज़ा में कुछ भी नहीं कर पाए हैं।

अब हालत यह हो गई है कि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कोई भी हमास के विनाश और ग़ज़्ज़ावासियों को किसी अन्य देश में भेजने के बारे में बात नहीं कर रहा है।  इस समय तो यह स्थति है कि न केवल विश्व जनमत में इस्राईल की निंदा की जा रही है बल्कि और अब तो ग़ज़्ज़ा युद्ध, प्रतिरोध के पक्ष में पलटता जा रहा है।

ईरान और सऊदी अरब के विदेश मंत्रियों ने गाम्बिया में अपनी बैठक के दौरान क्षेत्र और विशेष रूप से गाजा की नवीनतम स्थिति पर चर्चा की है।

प्राप्त समाचार के अनुसार, गाम्बिया की राजधानी बंजुल में इस्लामिक सहयोग संगठन की 15वीं बैठक के अवसर पर ईरान और सऊदी अरब के विदेश मंत्रियों ने सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की। गाजा, साथ ही आपसी संबंधों और सहयोग पर चर्चा की. क्षेत्र में संयुक्त राज्य अमेरिका की हालिया गतिविधियों का जिक्र करते हुए ईरानी विदेश मंत्री ने कहा कि हमारे ऐतिहासिक रिकॉर्ड और अनुभव बताते हैं कि संयुक्त राज्य अमेरिका अपने वादों को दोहराता है और अपने समझौतों और वादों का पालन नहीं करता है।

अमीर अब्दुल्लाहियान ने फिलिस्तीनी लोगों और क्षेत्र के देशों के हितों को ध्यान में रखते हुए गाजा में युद्ध को रोकने के लिए संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारा मानना ​​है कि क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा की बहाली और युद्ध का खात्मा होगा। क्षेत्र की समाप्ति सभी देशों के हित में है।

सऊदी अरब के विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान ने भी क्षेत्र में हो रहे बदलावों को लेकर अपने विचार व्यक्त किये और फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों की बहाली और एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना के लिए विशेष प्रयासों पर जोर दिया. फैसल बिन फरहान ने क्षेत्र में नेतन्याहू की युद्ध योजनाओं का मुकाबला करने के लिए ईरान और सऊदी अरब के बीच बातचीत जारी रखने को आवश्यक बताया।