رضوی

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शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024 18:40

ख़ामोशी

ख़ुदा का सबूत

अगर एक इन्सान का वजूद है तो ख़ुदा का वजूद क्यों नहीं? अगर हवा और पानी, दरख़्त और पत्थर, चांद और सितारे मौजूद हैं तो उनको वजूद देने वाले का वजूद संदिग्ध क्यों? हक़ीक़त यह है कि रचना की मौजूदगी रचना-प्रक्रिया का सबूत है। और इन्सान की मौजूदगी इस बात का सबूत है कि यहां एक ऐसा सृष्टा मौजूद है, जो देखे और सुने, जो सोचे और घटनाओं को प्रकट रूप दे।

इसमें शक नहीं कि ख़ुदा ज़ाहिरी आंखों से दिखाई नहीं देता। मगर इसमें भी शक नहीं कि इस दुनिया की कोई भी चीज़ ज़ाहिरी आंखों से दिखाई नहीं देती। फिर किसी चीज़ को मानने के लिए देखने की शर्त क्यों ज़रूरी हो।

आसमान पर सितारे जगमगाते हैं। आम आदमी समझता है कि वह सितारों को देख रहा है, हालांकि ख़ालिस वैज्ञानिक नज़रिए से यह सही नहीं है। जब हम सितारों को देखते हैं तो हम सितारों को सीधे नहीं देख रहे होते हैं, बल्कि उनके उन प्रभावों को देख रहे होते हैं, जो सितारों से निकल कर करोड़ों साल के बाद हमारी आंखों तक पहुंचे हैं।

यही तमाम चीज़ों का हाल है। इस दुनिया की हर चीज़ जिसको इन्सान ‘देख’ रहा है, वह सिर्फ़ अप्रत्यक्ष तौर पर उसे देख रहा है। सीधे तौर पर इन्सान किसी चीज़ को नहीं देखता; और न अपनी मौजूदा सीमाओं के रहते हुए वह उसे देख सकता है।

फिर जब दूसरी तमाम चीज़ों के वजूद को अप्रत्यक्ष दलील की बुनियाद पर माना जाता है तो ख़ुदा के वजूद को अप्रत्यक्ष और बिलवास्ता दलील की बुनियाद पर क्यों न माना जाए?

हक़ीक़त यह है कि ख़ुदा उतना ही साबितशुदा है, जितनी इस दुनिया की कोई दूसरी चीज़। इस दुनिया की हर चीज़ अप्रत्यक्ष दलील से साबित होती है। इस दुनिया में हर चीज़ अपने प्रभाव से पहचानी जाती है। ठीक यही हालत ख़ुदा के वजूद की भी है।

ख़ुदा यक़ीनन सीधे तौर पर हमारी आंखों को दिखाई नहीं देता, मगर ख़ुदा अपनी निशानियों के ज़रिए यक़ीनन दिखाई देता है। और बेशक ख़ुदा के इल्मी सबूत के लिए यही काफ़ी है।

ख़ामोशी

एक रिवायत के मुताबिक़, रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि हया (लज्जा) और कम बोलना ईमान में से है। सूफ़ियों ने भी कहा है कि जिस शख़्स को अल्लाह की पहचान हो जाए, उसकी ज़ुबान बोलने से थक जाएगी।

जिस तरह ख़ाली बर्तन ज़्यादा आवाज़ करता है, और जो बर्तन भरा हुआ हो उसमें आवाज़ कम हो जाती है, कम पानी में पत्थर फेंकें तो बहुत ज़्यादा लहरें पैदा होंगी, मगर समुन्दर में पत्थर फेंकिए तो उसमें पत्थर की वजह से लहरें नहीं उठेंगी। यही मामला इन्सान का है। ख़ाली इन्सान ज़्यादा बोलता है और भरा हुआ इन्सान हमेशा कम बोलता है।

अल्लाह की पहचान सबसे बड़ी हक़ीक़त की पहचान है। आदमी जब अल्लाह को उसकी अथाह महानताओं के साथ पाता है, तो अपना वजूद उसको बिल्कुल तुच्छ मालूम होने लगता है। उसको महसूस होने लगता है कि अल्लाह सब कुछ है और उसके मुक़ाबले में मैं कुछ नहीं। यह एहसास उसकी ज़ुबान को बन्द कर देता है। वह हैरानी की हालत में गुम होकर रह जाता है।

फिर यह कि अल्लाह की पहचान आदमी के अन्दर ज़िम्मेदारी और जवाबदेही की चेतना को जगाती है। वह महसूस करने लगता है कि हर-हर काम और हर-हर बोल का मुझे उस सर्वशक्तिमान के सामने हिसाब देना है। यह एहसास उसको मजबूर करता है कि वह नापतौल कर बोले। वह कहने से पहले सोचे और अपनी बात को जांच-परख ले। ख़ुदा की पहचान आदमी के अन्दर संजीदगी पैदा करती है और संजीदगी, ठीक अपने स्वभाव के मुताबिक़, आदमी को ख़ामोश कर देती है।

ख़ामोश आदमी यह बता रहा होता है कि वह गहरा आदमी है। वह ऊंची हक़ीक़तों को पाए हुए है। ख़ामोशी इस बात की अलामत है कि आदमी बोलने से पहले सोचता है। वह करने से पहले अपने करने को तौलता है। ख़ामोशी फ़रिश्तों का चरित्र है। फ़रिश्ते ख़ामोश ज़ुबान में बोलते हैं। जिस आदमी को फ़रिश्तों का चरित्र हासिल हो जाए वह ख़ामोश ज़्यादा दिखाई देगा और बोलता हुआ कम।

 

सभी ईश्वरीय धर्मों में मां का सम्माननीय और उच्च स्थान है और हर कोई उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखता है और उनकी महानता के साथ जोड़कर की उन्हें याद करता है। इस्लाम धर्म में भी इस विषय पर बहुत अधिक बल दिया गया है।

सारे ईश्वरीय दूतों ने मां का सम्मान करने की सलाह देते हुए सबसे पहले मां के सामने झुककर उसका सम्मान किया और मां के लिए ईश्वर से दया और क्षमा की भीख मांगी।

ईश्वरीय दूत हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम अपने माता-पिता के लिए दुआ करते हैं और ईश्वर से उन्हें माफ़ करने के लिए गिड़गिड़ाते हैं।एक स्थान पर दुआ करते हुए कहा: "ईश्वर मुझे, मेरे मां बाप और सारे मोमिनों को हिसाब किताब के दिन माफ़ कर दे।

हज़रत मूसा और स्वर्ग में उनका साथी

अल्लाह के नबी हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के धर्म में भी मां का स्थान बहुत बड़ा था। जब हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने अल्लाह से दुआ की कि हे अल्लाह तू मुझे जन्नत में मेरे साथ रहने वाले व्यक्ति को दिखा दे ताकि मैं उसे पहचान सकूं।

अल्लाह ने उनसे कहा, ऐ मूसा, अमुक मोहल्ले में, फ़लां दुकान पर जाओ, जो व्यक्ति वहां काम कर रहा होगा, वही स्वर्ग में तुम्हारा साथी होगा।

इस युवक के बारे में जांच पड़ताल करने के बाद हजरत मूसा को एहसास हुआ कि वह अपनी लकवाग्रस्त मां के सभी काम करता है और उसकी मां हमेशा उसके लिए दुआ करती है कि अल्लाह उसके बेटे को स्वर्ग में हज़रत मूसा बिन इमरान का साथी बना दे।

मां के बारे में ईसा मसीह का नज़रिया

हज़रत ईसा मसीह के धर्म में मां की पोज़ीशन ऐसी है कि वह अपनी ज़िदगी के शुरुआती दौर में ही ईश्वर का आभार व्यक्त करते और इस बात को याद दिलाते हैं, ईश्वर का इस बात पर आभार व्यक्त करते हैं कि उसने उन्हें अपनी मां के प्रति उदार बनाया क्योंकि वह जानता है कि मां से दयालुता ही सर्वोच्च और सबसे अहम है, हज़रत ईसा मसीह फ़रमाते हैं कि उसने मुझे मेरी मां के प्रति दयालु बनाया है, अत्याचारी और क्रूर नहीं बनाया।

मां के क़दमों के नीचे जन्नत

हालांकि सभी ईश्वरीय धर्म मां को अहम और मूल्यवान स्थान देते हैं और उसका सम्मान करते हैं जबकि इस्लाम धर्म ने इस मुद्दे पर अन्य मतों की तुलना में अधिक ध्यान दिया है और मां को अधिक महानता प्रदान की है।

पवित्र क़ुरआन में ईश्वर ने मां का उल्लेख, महानता और महिमा के साथ किया है और एक प्रकार से उसके रुतबे की प्रशंसा की है।

सर्वशक्तिमान ईश्वर पवित्र क़ुरआन के सूरे लुक़मान और अहक़ाफ़ में, माता-पिता के प्रति दयालुता की सिफारिश करने के बाद, मां द्वारा उठाई गयी कठिनाइयों और उसके ज़रिए बर्दाश्त की गयी की पीड़ाओं को बयान करता है।

हदीसों और पैग़म्बरे इस्लाम की सुन्नतों में मां के अधिकारों का पालन और उसकी पवित्रता और ऊंचे स्थान को बेहतरीन तरीक़े से बयान किय गया है।

मां के स्थान को समझाते हुए पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सलल्लाहो अलैह व आलेही व सल्लम फ़रमाते हैं कि मां के क़दमों के नीचे जन्नत है।

यह हदीस इशारा करती है कि मां की सहमति के बिना कोई स्वर्ग में नहीं जा सकता और न ही ईश्वर की कोई अनुकंपा पा सकता है।

इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम की सिफ़ारिश

पैग़म्बरे इस्लाम के पौत्र हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैकहिस्सलाम मां के अधिकार और उसकी महानता और गरिमा के बारे में कहते हैं: तुम्हारे ऊपर मां का यह हक़ है कि तुम जानो कि तुम्हारी मां ने तुम्हें ऐसे उठाया जैसे कोई दूसरा उठा नहीं सकता था, उसने तुम्हें अपने दिल के उस फल में से दिया जो कोई दूसरे को नहीं देता, उसने तुम्हें अपने सभी अंगों और शरीर से गले लगाया, ख़ुद तो भूखी रही लेकिन उसने तुम्हें भूखा नहीं रहने दिया, तुम्हें ढांके रखा और सूरज की धूप से तुम्हें बचाया जबकि ख़ुद धूप में रही, तुम्हारे लिए उसने नींद छोड़ दी और तुमको सर्दी और गर्मी से बचाया, इन सारी सेवाओं के मुक़ाबले में, तुम कैसे और किस तरह से उसका आभार व्यक्त करो लेकिन अल्लाह की मदद और उसकी कृपा दृष्टि से।

अधिकारों को समझाने की दिशा में हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिसस्लाम का यह बयान, मां के पद की महानता और उसके ऊंचे स्थान को दर्शाता है।

यह बात स्वाभाविक है कि एक बच्चे के प्रति यह सारा प्यार और स्नेह और एक बच्चे को पालने के लिए बहुत सारी कठिनाइयों को सहन करना, इस बात की मांग करता है कि बच्चे इस बड़े हक़ को अदा करने का पूरा प्रयास करें। यही कारण है कि सर्व शक्तिमान ईश्वर पवित्र क़ुरआन में इरशाद फ़रमाता है कि अपने माता-पिता से उफ़ तक न कहो। अगर तुमने अपनी मां का दिल दुखाया और उसे परेशान किया तो ख़ुद को आक़ समझे (यानी औलाद के हक़ से वंचित समझे, ईश्वर के क्रोध का सामना करना पड़ेगा क्योंकि मां के क्रोध के साथ ही ईश्वर का क्रोध होता है।

पैग़म्बरे इस्लाम और उनके पौत्रों का यह आचरण रहा है कि उन्होंने हमेशा अपनी माताओं का सम्मान किया और हमेशा ही उसके ऊच्च स्थान के सामने नतमस्तक रहे।

धार्मिक दृष्टि से भी मां का स्थान, एक उच्च स्थान है जिसका उल्लेख कुरआन की आयतों में ईश्वर की आज्ञा मानने और उसकी इबादत के रूप में किया गया है।

 यमनी सशस्त्र बलों ने मक़बूज़ा फ़िलिस्तीन के दक्षिण में स्थित उम्मुर-रशराश ईलात बंदरगाह पर ज़ायोनी दुश्मन से संबंधित कई ठिकानों पर कई बैलिस्टिक और क्रूज़ मिसाइलों के साथ सटीक हमला किया।

यमन ने फिलिस्तीन के समर्थन में एक बार फिर ज़ायोनी हितों को निशाना बनाते हुए ईलात बंदरगाह पर ड्रोन और मिसाइल हमले किये जबकि अदन की खाड़ी में भी ज़ायोनी जहाज़ को हमलों का निशाना बनाया।

यमनी सशस्त्र बलों के प्रवक्ता ब्रिगेडियर याह्या सरीअ ने कहा कि यमनी बलों ने एक बार फिर अदन की खाड़ी में एक ज़ायोनी जहाज और ईलात बंदरगाह को निशाना बनाया।

उन्होंने कहा: यमनी नौसेना ने कई उपयुक्त समुद्री मिसाइलों और कई ड्रोनों से अदन की खाड़ी में ज़ायोनी जहाज (MSC DARWIN) एमएससी डार्विन पर हमला किया।

याह्या सरीअ ने कहा कि यमनी सशस्त्र बलों ने मक़बूज़ा फ़िलिस्तीन के दक्षिण में स्थित उम्मुर-रशराश ईलात बंदरगाह पर ज़ायोनी दुश्मन से संबंधित कई ठिकानों पर कई बैलिस्टिक और क्रूज़ मिसाइलों के साथ सटीक हमला किया।

 

भारत में जारी आम चुनाव के बीच गृह मंत्री ने एक बार फिर UCC लागू करने का ऐलान करते हुए मुस्लिम समाज को निशाने पर रखा। प्रधानमंत्री समेत सत्ताधारी दल के बड़े नेताओं के निशाने पर लगातार मुस्लिम समाज है। अब गृहमंत्री ने राहुल गाँधी पर निशाना साधते हुए फिर से मुस्लिम समुदाय पर बाण चलाते हुए कहा कि पर्सनल लॉ को आगे बढ़ाएंगे तो क्या देश शरिया के आधार पर चलेगा?

अमित शाह ने कहा कि 'बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में कहा कि समान नागरिक संहिता को लाएंगे। सभी धर्म के लिए एक कानून होगा। हमने तीन तलाक समाप्त किया। किसी एक धर्म के कानून पर देश नहीं चलेगा।

बता दें कि हाल ही में मोदी ने दावा करते हुए कहा था, “कांग्रेस माताओं बहनों के सोने का हिसाब करेगी, उसकी जानकारी लेगी और फिर उस संपत्ति को बांट देंगी। उनको बांटेगी जिनके बारे में मनमोहन सिंह की सरकार ने कहा था कि संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है।

 

ब्रिटेन ने ऑपरेशन सादिक के प्रति अपना शत्रुतापूर्ण रवैया जारी रखते हुए ईरान के रक्षा उद्योग के खिलाफ नए प्रतिबंध लगाए हैं।

ब्रिटिश विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि उसने ईरानी ड्रोन उत्पादन से जुड़ी चार कंपनियों और दो व्यक्तियों के नाम अपनी प्रतिबंध सूची में जोड़े हैं। बयान में दावा किया गया है कि जिन दो लोगों पर प्रतिबंध लगाया गया है, वे ड्रोन के उत्पादन में शामिल कंपनियों के निदेशक हैं और उनका आईआरजीसी के एयरोस्पेस रिसर्च सेंटर से संबंध है।

ब्रिटिश विदेश मंत्रालय की घोषणा के अनुसार, ब्रिटेन में इन व्यक्तियों और कंपनियों की संपत्ति जब्त कर ली गई है और ब्रिटिश नागरिकों को उनके साथ वित्तीय लेनदेन करने से रोक दिया गया है। प्रतिबंधित व्यक्तियों को यूके की यात्रा करने, प्रवेश करने या वहां से गुजरने पर भी प्रतिबंध है।

ब्रिटेन ने ईरान में मिसाइलों और ड्रोन के उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले महत्वपूर्ण घटकों के निर्यात पर नए प्रतिबंधों की भी घोषणा की है। ब्रिटिश विदेश कार्यालय ने अपने बयान में दावा किया कि इन उपायों से ईरान की इन हथियारों के विस्तार की क्षमता सीमित हो जाएगी।

ब्रिटिश विदेश मंत्री डेविड कैमरन ने भी ईरान के वादा किए गए ऑपरेशन के खिलाफ अपना प्रचार जारी रखा, उन्होंने दावा किया कि इज़राइल पर ईरान के हमले से क्षेत्र में तनाव बढ़ गया है और हजारों नागरिकों का जीवन खतरे में पड़ गया है। उन्होंने कहा कि आज ब्रिटेन ने अपने सहयोगियों को स्पष्ट संदेश भेजा है कि ईरान के अस्थिर व्यवहार के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाएगा।

उन्होंने दावा किया कि ब्रिटेन ईरानी हथियारों के निर्यात और विस्तार के खिलाफ प्रतिबंध लगाना जारी रखेगा। पिछले हफ्ते, ब्रिटेन ने ऑपरेशन प्रॉमिस सादिक में शामिल सात ईरानी व्यक्तियों और छह संस्थाओं पर प्रतिबंध भी लगाया था और दावा किया था कि ईरान को अपने अवैध व्यवहार से बाज आना चाहिए।

 

7 अक्टूबर से गाजा भूमि युद्ध में प्रतिरोध बलों के साथ लड़ाई में तीन हजार तीन सौ पांच ज़ायोनी सैन्यकर्मी घायल हो गए हैं।

प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, नरसंहार इज़रायली सरकार ने घोषणा की है कि पिछले 24 घंटों के दौरान गाजा में फिलिस्तीनी प्रतिरोध के साथ लड़ाई में ग्यारह इज़रायली सैनिक घायल हो गए हैं। ज़ायोनी सरकार की घोषणा के अनुसार, 7 अक्टूबर से गाजा भूमि युद्ध में प्रतिरोध बलों के साथ लड़ाई में 3,305 ज़ायोनी सैन्य अधिकारी और सैन्यकर्मी घायल हो गए हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक, गाजा युद्ध में घायल होने के बाद दो सौ सैंतालीस इजरायली सैनिकों का इलाज चल रहा है और उनमें से चौबीस की हालत गंभीर है।

फिलिस्तीन पर क़ब्ज़े के बाद से ही यह मुद्दा शिया उलमा और मराजे ए किराम की निगाहों के केंद्र में रहा है। यह चीज़ जहाँ इस मुद्दे पर शिया समुदाय के ध्यान और चिंताओं को दर्शाती है वहीँ पंथ और संप्रदाय की भावना से ऊपर उठकर अहले बैत अस की तालीम और सिद्धांतों में इसकी अहमियत और शिया उलमा और मराजे की दुश्मन की शिनाख्त की क्षमता भी बताती है।

फिलिस्तीन पर कब्जे की शुरुआत के बाद से,इस मुद्दे पर हमेशा शिया उलमा और मराजे ए किराम का ध्यान केंद्रित रहा है, और फ़िलिस्तीन का यह मुद्दा कई वर्षों से शिया शिया उलमा और विशेष रूप से मराजे ए तकलीद का ध्यान आकर्षित करता रहा है।

  शिया उलमा और मराजे ए किराम के बीच फिलिस्तीन के मुद्दे पर यह ध्यान इमाम खुमैनी के पहले से ही मौजूद था, और आज ईरान किसी भी सांप्रदायिक और धार्मिक भेदभाव से दूर, फिलिस्तीन का हर तरह से समर्थन करने के लिए मैदान में उतर चुका है।

मक़बूज़ा फिलिस्तीन के पूरे इतिहास में शिया उलमा और मराजे ए किराम ने कुछ लोगों की कल्पना के विपरीत हमेशा ही ऐलान किया कि फ़िलिस्तीन का मुद्दा इस्लामी उम्मह के लिए एक महत्वपूर्ण और बुनियादी मुद्दा है, हालाँकि दुश्मन शुरू से ही इस मुद्दे के महत्व को कम करने में सफल रहे और अरब दुनिया में विभाजन और मतभेद के बीज बोकर इसे एक मामूली मुद्दा बना दिया। उसके बाद दुश्मनों ने फ़िलिस्तीन को बाँटना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे इन क्षेत्रों पर ज़ायोनीवादियों का प्रभुत्व बढ़ता गया।

बिकाऊ और मज़दूर मीडिया तथ्यों को उलट-पुलट कर और धार्मिक मतभेदों का ढोल पीटकर, अरब जगत के लोगों के सामने ज़ायोनी शासन के बजाय एक नया दुश्मन पेश करने की कोशिश कर रहा है और सांप्रदायिक और धार्मिक मतभेद पैदा करके इस्लामी उम्मह को उसके सीधे रास्ते से भटका रहा है।

आयतुल्लाह खामेनेई ने अपने बयान में इस तथ्य पर जोर दिया कि दुश्मन धार्मिक मतभेदों को बढ़ाने और ज़ायोनी शासन को हाशिये पर धकेलने की कोशिश कर रहे हैं, वह दुश्मन जिसे इस सॉफ्टवॉर से पहले नंबर एक दुश्मन माना जाता था।

फ़िलिस्तीनी मुद्दे में शियाओं की भूमिका को समझाने के लिए हमें एक शिया मरजए तक़लीद की फ़िलिस्तीन यात्रा का उल्लेख करना चाहिए। शिया मराजे ए तक़लीद में से एक आयतुल्लाह मोहम्मद हुसैन काशिफ अल-गता ने 1931 में फिलिस्तीन की यात्रा की और एक इस्लामी कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लिया जो फिलिस्तीन का समर्थन करने के लिए आयोजित की गई थी। आप ने इस सम्मलेन में बहुत ही प्रभावी भाषण दिया जिसके नतीजे में फिलिस्तीन में समर्थन में बहुत सी प्रतिक्रिया सामने आई।

आयतुल्लाह सय्यद मोहसिनुल हकीम, आयतुल्लाह खुई , आयतुल्लाह मोहम्मद बाकिर सद्र और आयतुल्लाह खामेनेई जैसे बुज़ुर्ग मराजे ए तक़लीद के बयानों में फिलिस्तीन मुद्दा अपनी पूरी ताक़त और दृढ़ता के साथ मौजूद है जिन्हे फिलिस्तीन पर लिखी गई पुस्तक

 फिलिस्तीन क़ज़यतुल-मुसलीमीन अल-कुबरा" में जमा किया गया है।

शिया मुसलमानों के रूप में, हम मानते हैं कि इस्लामी भूमि का हर टुकड़ा इस्लामी उम्मह का हिस्सा माना जाता है, और यदि उस पर आक्रमण या कब्जा किया जाता है, तो उसे आज़ाद कराने के लिए मैदान में उतरना हमारा कर्तव्य और हम सब पर वाजिब है।

 

पाकिस्तान ने इस्लामिक गणराज्य ईरान के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया है।

पाकिस्तान के विदेश कार्यालय की प्रवक्ता मुमताज ज़हरा बलूच ने इस्लामाबाद में अपनी साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा है कि तेहरान और इस्लामाबाद के बीच मजबूत द्विपक्षीय संबंध हैं। उन्होंने कहा कि हाल ही में ईरान के राष्ट्रपति की इस्लामाबाद यात्रा के दौरान दोनों देशों के प्रमुखों के बीच हुई मुलाकात में आपसी संबंधों के साथ-साथ क्षेत्रीय मुद्दों पर भी चर्चा हुई.

मुमताज ज़हरा बलूच ने कहा कि ईरान के राष्ट्रपति और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री आतंकवाद और ड्रग्स के खिलाफ मिलकर काम करने पर सहमत हुए हैं.

पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता ने दोनों देशों के बीच आर्थिक और व्यापारिक संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि ईरान के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही है, जबकि हमारे बीच तरजीही व्यापार समझौता है.

उन्होंने गाजा में इजरायली आक्रमण की निंदा की और फिलिस्तीनी लोगों के नरसंहार को तुरंत रोकने की आवश्यकता पर जोर दिया।

मुमताज ज़हरा बलूच ने अपनी साप्ताहिक प्रेस वार्ता में पाकिस्तान में मानवाधिकारों पर अमेरिकी रिपोर्ट को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में मानवाधिकारों को लेकर अमेरिका की 2023 की पूरी रिपोर्ट को खारिज कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट को तैयार करने में उचित तरीका नहीं अपनाया गया.

पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान ने बैलिस्टिक घटक कंपनियों पर प्रतिबंध को लेकर अपनी चिंता से अमेरिका को अवगत करा दिया है.

विश्व कैथोलिक नेता पोप फ्रांसिस ने गाजा और दुनिया भर में युद्ध को समाप्त करने का आह्वान किया है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,विश्व कैथोलिक नेता पोप फ्रांसिस ने गाजा में युद्ध और दुनिया भर में अन्य युध्द और तनावों का जिक्र करते हुए कहा, सभी देश जिन्होंने युद्ध शुरू कर दिया है कृपया लड़ना बंद करें, बातचीत और शांति की तलाश करें अंतहीन युद्ध से बातचीत के जरिए शांति बेहतर है।

उन्होंने आगे कहा:मैं गाजा में युद्धविराम के लिए बहुत प्रार्थना करता हूं हर दिन शाम सात बजे, मैं नवीनतम समाचार प्राप्त करने के लिए गाजा पट्टी के एकमात्र क्षेत्रीय चर्च को फोन करता हूं वहां लगभग छह सौ लोग रहते हैं जो नवीनतम घटनाओं के बारे में मुझे रिपोर्ट करते हैं।

विश्व कैथोलिक नेता ने कहा: गाजा में रहने की स्थिति बहुत कठिन और सख्त हो गई है, हालांकि वहां भोजन आदि पहुंचाया जा रहा है, लेकिन इसे पाने के लिए भी गाजावासियों को आपस में लड़ना पड़ता हैं।

 

 

 

 

 

ग़ज़्ज़ा के एक और अस्पताल में एक और सामूहिक क़ब्र मिली है जिसमे कम से कम 300 शवों को बरामद किया गया है। ज़ायोनी सेना ने दरिंदगी की सभी हदों को पार करते हुए इन लोगों को मार कर दाल दिया। कहा जा रहा है कि मरने वालों में एक बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है जिनके हाथ पैर बाँध दिए गए थे।

दक्षिणी ग़ज़्ज़ा शहर के खान यूनुस के इस अस्पताल में लगभग 300 शवों वाली एक सामूहिक कब्र का पता चला है। ग़ज़्ज़ा नागरिक सुरक्षा कार्यकर्ता सुलेमान ने आरोप लगाया कि कुछ शवों के हाथ और पैर बंधे हुए पाए गए हैं। हमें नहीं पता कि उन्हें जिंदा दफनाया गया या मार कर यहाँ डाला गया था। अधिकांश शव क्षत-विक्षत हो गए हैं।

बता दें कि नासिर मेडिकल कॉम्प्लेक्स के आसपास जनवरी और फरवरी में ज़ायोनी सेना ने दरिंदगी की सभी सीमाएं पार करते हुए भीषण बमबारी और क़त्ले आम मचाया था।