
رضوی
इस्लाम में औरत का मुकाम: एक झलक
इस्लाम को लेकर यह गलतफहमी है और फैलाई जाती है कि इस्लाम में औरत को कमतर समझा जाता है। सच्चाई इसके उलट है। हम इस्लाम का अध्ययन करें तो पता चलता है कि इस्लाम ने महिला को चौदह सौ साल पहले वह मुकाम दिया है जो आज के कानून दां भी उसे नहीं दे पाए।
इस्लाम में औरत के मुकाम की एक झलक देखिए।
जीने का अधिकार शायद आपको हैरत हो कि इस्लाम ने साढ़े चौदह सौ साल पहले स्त्री को दुनिया में आने के साथ ही अधिकारों की शुरुआत कर दी और उसे जीने का अधिकार दिया। यकीन ना हो तो देखिए कुरआन की यह आयत-
और जब जिन्दा गाड़ी गई लड़की से पूछा जाएगा, बता तू किस अपराध के कारण मार दी गई?"(कुरआन, 81:8-9) )
यही नहीं कुरआन ने उन माता-पिता को भी डांटा जो बेटी के पैदा होने पर अप्रसन्नता व्यक्त करते हैं-
'और जब इनमें से किसी को बेटी की पैदाइश का समाचार सुनाया जाता है तो उसका चेहरा स्याह पड़ जाता है और वह दु:खी हो उठता है। इस 'बुरी' खबर के कारण वह लोगों से अपना मुँह छिपाता फिरता है। (सोचता है) वह इसे अपमान सहने के लिए जिन्दा रखे या फिर जीवित दफ्न कर दे? कैसे बुरे फैसले हैं जो ये लोग करते हैं।' (कुरआन, 16:58-59))
बेटी
इस्लाम के पैगम्बर मुहम्मद सल्ल. ने फरमाया-बेटी होने पर जो कोई उसे जिंदा नहीं गाड़ेगा (यानी जीने का अधिकार देगा), उसे अपमानित नहीं करेगा और अपने बेटे को बेटी पर तरजीह नहीं देगा तो अल्लाह ऐसे शख्स को जन्नत में जगह देगा।इब्ने हंबल) अन्तिम ईशदूत हजऱत मुहम्मद सल्ल. ने कहा-'जो कोई दो बेटियों को प्रेम और न्याय के साथ पाले, यहां तक कि वे बालिग हो जाएं तो वह व्यक्ति मेरे साथ स्वर्ग में इस प्रकार रहेगा (आप ने अपनी दो अंगुलियों को मिलाकर बताया)।
मुहम्मद सल्ल. ने फरमाया-जिसके तीन बेटियां या तीन बहनें हों या दो बेटियां या दो बहनें हों और वह उनकी अच्छी परवरिश और देखभाल करे और उनके मामले में अल्लाह से डरे तो उस शख्स के लिए जन्नत है। (तिरमिजी)
पत्नी
वर चुनने का अधिकार : इस्लाम ने स्त्री को यह अधिकार दिया है कि वह किसी के विवाह प्रस्ताव को स्वेच्छा से स्वीकार या अस्वीकार कर सकती है। इस्लामी कानून के अनुसार किसी स्त्री का विवाह उसकी स्वीकृति के बिना या उसकी मर्जी के विरुद्ध नहीं किया जा सकता।
बीवी के रूप में भी इस्लाम औरत को इज्जत और अच्छा ओहदा देता है। कोई पुरुष कितना अच्छा है, इसका मापदण्ड इस्लाम ने उसकी पत्नी को बना दिया है। इस्लाम कहता है अच्छा पुरुष वही है जो अपनी पत्नी के लिए अच्छा है। यानी इंसान के अच्छे होने का मापदण्ड उसकी हमसफर है।
पैगम्बर मुहम्मद सल्ल. ने फरमाया-
तुम में से सर्वश्रेष्ठ इंसान वह है जो अपनी बीवी के लिए सबसे अच्छा है। (तिरमिजी, अहमद)
शायद आपको ताज्जुब हो लेकिन सच्चाई है कि इस्लाम अपने बीवी बच्चों पर खर्च करने को भी पुण्य का काम मानता है।
पैगम्बर मुहम्मद सल्ल. ने फरमाया-
तुम अल्लाह की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए जो भी खर्च करोगे उस पर तुम्हें सवाब (पुण्य) मिलेगा, यहां तक कि उस पर भी जो तुम अपनी बीवी को खिलाते पिलाते हो। (बुखारी,मुस्लिम)।
पैगम्बर मुहम्मद सल्ल. ने कहा-आदमी अगर अपनी बीवी को कुएं से पानी पिला देता है, तो उसे उस पर बदला और सवाब (पुण्य) दिया जाता है। (अहमद)
मुहम्मद सल्ल. ने फरमाया-महिलाओं के साथ भलाई करने की मेरी वसीयत का ध्यान रखो। (बुखारी, मुस्लिम)
माँ
क़ुरआन में अल्लाह ने माता-पिता के साथ बेहतर व्यवहार करने का आदेश दिया है,
'तुम्हारे स्वामी ने तुम्हें आदेश दिया है कि उसके सिवा किसी की पूजा न करो और अपने माता-पिता के साथ बेहतरीन व्यवहार करो। यदि उनमें से कोई एक या दोनों बुढ़ापे की उम्र में तुम्हारे पास रहें तो उनसे 'उफ् ' तक न कहो बल्कि उनसे करूणा के शब्द कहो। उनसे दया के साथ पेश आओ और कहो
'ऐ हमारे पालनहार! उन पर दया कर, जैसे उन्होंने दया के साथ बचपन में मेरी परवरिश की थी।(क़ुरआन, 17:23-24))
इस्लाम ने मां का स्थान पिता से भी ऊँचा करार दिया। ईशदूत हजरत मुहम्मद(सल्ल) ने कहा-'यदि तुम्हारे माता और पिता तुम्हें एक साथ पुकारें तो पहले मां की पुकार का जवाब दो।'
एक बार एक व्यक्ति ने हजरत मुहम्मद (सल्ल.) से पूछा'हे ईशदूत, मुझ पर सबसे ज्यादा अधिकार किस का है?'
उन्होंने जवाब दिया 'तुम्हारी माँ का',
'फिर किस का?' उत्तर मिला 'तुम्हारी माँ का',
'फिर किस का?' फिर उत्तर मिला 'तुम्हारी माँ का'
तब उस व्यक्ति ने चौथी बार फिर पूछा 'फिर किस का?'
उत्तर मिला 'तुम्हारे पिता का।'
संपत्ति में अधिकार-औरत को बेटी के रूप में पिता की जायदाद और बीवी के रूप में पति की जायदाद का हिस्सेदार बनाया गया। यानी उसे साढ़े चौदह सौ साल पहले ही संपत्ति में अधिकार दे दिया गया।
हमारी निगाहे युद्ध विराम समझौते के पालन और उंगलिया ट्रिगर पर
सय्यद अब्दुल मलिक हौसी ने यमन द्वारा ग़ज़्ज़ा में युद्धविराम समझौते की निगरानी करने की बात करते हुए कहा कि हमारी उंगली ट्रिगर पर है; प्रतिरोध अभियानों की बहाली दुश्मन के इस समझौते के पालन पर निर्भर करती है।
सय्यद अब्दुल मलिक हौसी ने यमन द्वारा ग़ज़्ज़ा में युद्धविराम समझौते की निगरानी करने की बात करते हुए कहा कि अगर दुश्मन इस समझौते का पालन करता है, हमारी उंगली ट्रिगर पर है; प्रतिरोध अभियानों की बहाली दुश्मन के इस समझौते के पालन पर निर्भर करती है।
उन्होंने यह भी बताया कि अमेरिका यमनी जहाजों की रक्षा करने में नाकाम रहा, जिससे इज़रायली जहाजों का संचालन रुक गया और इलात बंदरगाह प्रभावित हुआ। यमनी बलों ने अपने मिसाइल और ड्रोन सिस्टम को उन्नत किया और पहली बार समुद्री लक्ष्यों के खिलाफ बैलिस्टिक मिसाइलों का इस्तेमाल किया, जिससे दुश्मन हैरान हो गए।
उन्होंने कहा कि इज़रायल का यमन पर आक्रमण विफल रहा और यह यमनी बलों की ड्रोन और मिसाइल कार्रवाई को रोकने में नाकाम रहा।
सय्यद अब्दुलमलिक ने ग़ज़्ज़ा में होने वाली साप्ताहिक विरोध रैलियों की सराहना की, जिनमें लाखों लोग शामिल होते थे। उन्होंने यह भी कहा कि यमन ने फिलिस्तीनियों के समर्थन में सैकड़ों हजारों सैनिकों को भेजने का विचार किया था, हालांकि भौगोलिक बाधाओं के कारण यह संभव नहीं हो सका। उन्होने इज़रायल के खिलाफ संघर्ष के समर्थन में विभिन्न मोर्चों की स्थिरता की सराहना की और इसे इज़रायली दुश्मन के खिलाफ संघर्ष के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ बताया।
ईरान की लगातार मदद की सराहना करते हुए, उन्होंने इसे यमनी प्रतिरोध का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बताया। उन्होंने ग़ज्ज़ा के प्रतिरोधी नेताओं की बहादुरी की तारीफ की और इसे भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बताया। उनका कहना था कि ग़ज़्ज़ा की हालिया जीत एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जिसने इज़रायल को पराजित कर दिया।
फिलिस्तीन कैदी: परिवार वालों से मिलते ही आंसू छलक पड़े
सोमवार को फिलिस्तीन कैदी जब इजरायल की कैद से आजाद हुए तो अपने परिजनों से मिलते ही उनकी आंखों से बेतहाशा आंसू निकलने लगे
एक रिपोर्ट के अनुसार ,सोमवार को इजरायल की कैद से आजाद हुए फिलिस्तीनी कैदियों के अपने परिवारों से मिलने के दौरान बेहद भावुक और मार्मिक दृश्य देखने को मिले जैसे ही रिहा हुए कैदियों ने अपने प्रियजनों को देखा उनकी आंखों से बेतहाशा आंसू बहने लगे।
रिहाई के बाद कैदियों ने अपने माता-पिता, पत्नियों, बच्चों और अन्य रिश्तेदारों को गले लगाया कुछ बच्चे, जो अपने पिता की कैद के दौरान पैदा हुए थे पहली बार उनसे मिल रहे थे। इस मिलन ने उन वर्षों के जख्मों को याद दिलाया, जो उन्होंने अपने परिवार से दूर रहकर काटे थे। परिजनों ने गले लगकर और आंसुओं के साथ अपने प्रियजनों का स्वागत किया।
फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई को फिलिस्तीनी जनता के लिए एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है ये कैदी इजरायल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष और विरोध प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार किए गए थे इनकी रिहाई को फिलिस्तीनी स्वतंत्रता संघर्ष का हिस्सा माना जा रहा है।
रिहाई के बाद फिलिस्तीन के विभिन्न शहरों में जश्न मनाया गया लोग सड़कों पर उतर आए, परंपरागत नृत्य किया और खुशी में नारे लगाए। कैदियों के परिवारों ने अपने घरों में विशेष दावतों और कार्यक्रमों का आयोजन किया।
प्राइवेट सेक्टर की उपलब्धियों और क्षमताओं की प्रदर्शनी में आयतुल्लाह ख़ामेनेईः
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने तेहरान में मंगलवार को "तरक़्क़ी के ध्वजवाहक" के नाम से आयोजित नुमाइश का क़रीब ढाई घंटे मुआयना किया।
इस नुमाइश में ईरान के निजी सेक्टर ने जिन क्षेत्रों की उपलब्धियों और क्षमताओं को पेश किया गया वे इस प्रकार हैं: "संचार और इन्फ़ार्मेशन टेक्नॉलोजी, सैटेलाइट के उपकरण, एआई, एयरक्राफ़्ट मेंटिनेंस, खदान उद्योग, जियोलोजी, तेल, गैस और पेट्रोकेमिकल उद्योग, स्पात और अलमूनियम उद्योग में उपयोगी उपकरण और मशीनें, घरेलू ज़रूरत के सामान, मरीन इंडस्ट्रीज़, क़ालीन उद्योग, जल व बिजली उद्योग, टेक्सटाइल उद्योग, मेडिकल, अस्पताल और फ़ार्मेसी में उपयोगी उपकरण और औज़ार, कृषि और पशुपालन उद्योग, हस्तकला और पर्यटन उद्योग।
"इस मुआयने के दौरान कंपनियों ने प्राइवेट सेक्टर की राह में मौजूद मुश्किलों और रुकावटों पर आधारित अपनी चिंताएं इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से बयान कीं। इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने इस नुमाइश में मौजूद मंत्रियों पर बल दिया कि सरकार और अधिकारी ऐसा काम करें कि निजी सेक्टर की शिकायतें दूर हों क्योंकि मुल्क की तरक़्क़ी निजी सेक्टर को अवसर देने और मुल्क को आगे ले जाने का एक ही रास्ता प्राइवेट सेक्टर की क्षमताओं से फ़ायदा उठाने में है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने इसी तरह बिजली उद्योग में उत्पादन और खपत में मौजूद असंतुलन के दूर होने के बारे में ऊर्जा मंत्री की ओर से स्पष्टीकरण दिए जाने के बाद, जल और विद्युत उद्योग क्षेत्र के बारे में कहाः "ये बातें अच्छी और सही हैं लेकिन इसे व्यवहारिक होना चाहिए क्योंकि असंतुलन और उसके हल का विषय, हालिया बरसों में लगातार उठता रहा है लेकिन अभी भी मद्देनज़र बिंदु और मौजूदा स्थिति के बीच बहुत फ़ासला है।"
याद रहे कि प्राइवेट सेक्टर की इस नुमाइश के क्रम में कल बुधवार 22 जनवरी 2025 को मुल्क के निजी सेक्टर के कुछ उद्योगपति और सरगर्म लोग, तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से मुलाक़ात करेंगे। इस मुलाक़ात के दौरान आर्थिक क्षेत्र में सरगर्म प्राइवेट सेक्टर के कुछ लोग अपने विचार और नज़रिए पेश करेंगे।
नहजुल बलाग़ा की शिक्षाओं को व्यवहारिक रूप देने की आवश्यकता
आयतुल्लाह शेख़ मोहम्मद याक़ूबी ने अपने खिताब में नहजुल बलाग़ा के महत्व और इसकी शिक्षाओं को सामाजिक जीवन में व्यवहारिक रूप देने पर जोर देते हुए कहा, अमीरुल मोमिनीन अ.स. की शिक्षाओं को उजागर करने और उनकी शख्सियत को समाज में परिचित कराने की आवश्यकता है।
एक रिपोर्ट के अनुसार ,इराक़ के प्रमुख आलिमे दीन आयतुल्लाह याक़ूबी ने अपने दर्से ख़ारिज में कहा,नहजुल बलाग़ा के पुनरुद्धार और इसके बर्कतमंद विषयों को ज़िंदगी के तमाम पहलुओं में व्यवहारिक रूप देने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, इंशाअल्लाह एक दिन नहजुल बलाग़ा को भी हौज़े इल्मिया के औपचारिक दरसों में शामिल किया जाएगा जैसे कि क़ुरआन करीम की तफ़सीर को उपेक्षा से बाहर लाकर हौज़े के बुनियादी दरसों का हिस्सा बनाया गया।
आयतुल्लाह याक़ूबी ने क़ुरआन मजीद की आयत
﴿وَقَالَ الرَّسُولُ یَا رَبِّ إِنَّ قَوْمِی اتَّخَذُوا هَٰذَا الْقُرْآنَ مَهْجُورًا﴾
और रसूल ने कहा, ऐ मेरे पालनहार! मेरी क़ौम ने इस क़ुरआन को छोड़ दिया का हवाला देते हुए कहा,नहजुल बलाग़ा की शिक्षाओं को भुलाने के लिए नहीं छोड़ा जाना चाहिए इसलिए नहजुल बलाग़ा की शिक्षाओं को सामाजिक जीवन के हर क्षेत्र में व्यवहारिक रूप देने की आवश्यकता है।
उन्होंने अमीरुल मोमिनीन अ.स. के कथनों, शख्सियत, सीरत और उनके दृष्टिकोण पर शोध के लिए एक विशेष संस्था स्थापित करने का प्रस्ताव दिया। इस कदम का उद्देश्य शिया समुदाय को इमाम अली अ.स. के बारे में बेहतर जानकारी देना और उनकी शख्सियत को दुनिया के सामने पेश करना है, ताकि हज़रत अली अ.स. के कथन उनके लिए हिदायत का ज़रिया बन सकें।
आयतुल्लाह याक़ूबी ने कहा,संयुक्त राष्ट्र ने इमाम अली अ.स. के मलिक अश्तर के नाम लिखे गए पत्र को मानवाधिकारों के प्राचीन और मूल्यवान दस्तावेज़ों में शामिल किया है।
ग़ाज़ा में चिकित्सा सुविधाओं को तुरंत पहुंचाया जाए। डब्ल्यूएचओ
इज़रायली सरकार द्वारा ग़ाज़ा पट्टी में युद्धविराम को मंज़ूरी देने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सहायता में वृद्धि, चिकित्सा सुविधाओं से युक्त अस्पतालों की स्थापना करने पर ज़ोर दिया हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार ,इज़रायली सरकार द्वारा ग़ाज़ा पट्टी में युद्धविराम को मंज़ूरी देने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सहायता में वृद्धि, चिकित्सा सुविधाओं से युक्त अस्पतालों की स्थापना करने पर ज़ोर दिया हैं।
फिलिस्तीनी क्षेत्रों में विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि रिक पेपरकोर्न ने कहा कि युद्ध विराम समझौते की शर्तों के तहत ग़ाज़ा तक सहायता की आपूर्ति को प्रतिदिन लगभग 600 ट्रक तक बढ़ाया जा सकता है।
उन्होंने जिनेवा में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन अगले दो महीनों के दौरान ग़ाज़ा में बर्बाद हो चुके स्वास्थ्य क्षेत्र की मदद के लिए तैयार अस्पतालों की एक अज्ञात संख्या पेश करने की योजना बना रहा है उन्होंने यह भी कहा कि हमें उम्मीद है कि ग़ाज़ा में युद्ध-विराम के साथ 12,000 से अधिक मरीजों के चिकित्सा निकासी में वृद्धि होगी।
गौरतलब है कि यह समझौता बुधवार को क़तर, मिस्र और अमेरिका की मध्यस्थता की कोशिशों के बाद हुआ था समझौता तीन चरणों में पूरा किया जाएगा पहला चरण छह सप्ताह तक चलने की संभावना है, जिसमें 33 इज़रायली क़ैदियों, जिनमें महिलाएं, बच्चे, बुज़ुर्ग और बीमार शामिल हैं, का कई फिलिस्तीनी कैदियों के साथ आदान-प्रदान होगा।
पहले चरण में ग़ाज़ा पट्टी से इज़रायली सेना की चरणबद्ध वापसी की शर्त भी शामिल है दूसरे चरण में ग़ाज़ा के तबाह हो चुके फिलिस्तीनी क्षेत्रों से इज़रायली सेना की पूर्ण वापसी और सहायता में वृद्धि शामिल होगी। तीसरा चरण ग़ाज़ा के पुनर्निर्माण का मार्ग प्रशस्त करेगा
क़ुरआन की शिक्षाओं पर अमल ही खुशहाल और सफल जीवन की कुंजी
आयतुल्लाह जवादी आमोली ने क़ुरआन को अपनाना और उसकी शिक्षाओं पर अमल करना ही खुशहाल और सफल जीवन की कुंजी बताते हुए दुनिया और आख़िरत दोनो मे सफलता और सुरक्षा प्रदान करने वाला बताया।
हजरत आयतुल्लाहिल उज़्मा जवादी आमोली ने "क़ुरआन से तमस्सुक" की अहमयत पर एक लेख में उन्होंने एक हदीस का जिक्र किया। इस हदीस में मआज़ बिन जबल (र) कहते हैं: "हम पैगंबर (स) के साथ सफ़र में थे। मैंने पैग़म्बर (स) से कहा, 'या रसूलल्लाह, हमें कोई ऐसी बात बताइए जो हमारे लिए फायदेमंद हो।' तो पैग़म्बर (स) ने फ़रमाया: 'अगर तुम खुशहाल जिंदगी, शहीदों जैसी मौत, क़यामत के दिन मुक्ति, गर्मी के दिन छांव और ग़लती के दिन मार्गदर्शन चाहते हो, तो क़ुरआन की तिलावत करो। क़ुरआन, अल्लाह का कलाम हैं, यह शैतान से सुरक्षा और अदल के दिन तुम्हारे अच्छे कर्मों का वजन बढ़ाने का कारण है।'"
इस हदीस में पैगंबर (स) ने क़ुरआन की तिलावत को एक ऐसा साधन बताया, जो हमें दुनिया और आख़िरत दोनों में सफलता और सुरक्षा देती है।
जामे अल अहादीस अल शिया, भाग 15, पेज 9
तसनीम भाग 1, पेज 243
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के दर्जनों अधिकारियों ने इस्तीफे दिए
एक वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी विदेश मंत्रालय में दर्जनों वरिष्ठ अधिकारी और राजनयिक अपने पदों से इस्तीफा दे रहे हैं यह घटनाक्रम राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टीम द्वारा इन अधिकारियों से इस्तीफा मांगे जाने के बाद सामने आया है।
एक रिपोर्ट के अनुसार ,अमेरिकी अख़बार वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी विदेश मंत्रालय में बड़ी हलचल हो रही है, जहां दर्जनों वरिष्ठ अधिकारी और राजनयिक, अपने पदों से इस्तीफा दे रहे हैं। यह घटनाक्रम राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टीम द्वारा इन अधिकारियों से इस्तीफा मांगे जाने के बाद सामने आया है।
सरकारी सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि यह इस्तीफे ट्रंप प्रशासन और निवर्तमान जो बाइडेन सरकार के बीच राजनीतिक और प्रशासनिक मतभेदों को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं। इन इस्तीफों के पीछे मुख्य उद्देश्य ट्रंप की नई टीम का प्रशासनिक नियंत्रण स्थापित करना और पुराने अधिकारियों की उपस्थिति को समाप्त करना है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि सोमवार दोपहर, ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान, दर्जनों वरिष्ठ अधिकारी और अनुभवी राजनयिक विदेश मंत्रालय छोड़ देंगे। इनमें कई ऐसे राजनयिक भी शामिल हैं, जिन्होंने विदेश नीति और कूटनीति के क्षेत्र में दशकों का अनुभव हासिल किया है। उदाहरण के लिए, ऊर्जा संसाधनों के मामलों के लिए विदेश मंत्रालय के सहायक जेफरी पायट और राजनीतिक मामलों के लिए सहायक मंत्री जॉन बास जैसे वरिष्ठ अधिकारी इस्तीफा देने को मजबूर किए गए हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम ट्रंप प्रशासन की ओर से अमेरिकी कूटनीति में बड़े बदलाव की शुरुआत का संकेत है। साथ ही, इससे ट्रंप और बाइडेन प्रशासन के बीच मतभेद और गहराने की संभावना भी जताई जा रही है। इस घटनाक्रम ने अमेरिकी विदेश मंत्रालय में अनिश्चितता का माहौल पैदा कर दिया है, जहां पुराने अनुभवी अधिकारियों की जगह नई टीम आने की तैयारी कर रही है।
इस बदलाव को ट्रंप प्रशासन का एक महत्वपूर्ण निर्णय माना जा रहा है, जिससे अमेरिका की विदेश नीति की दिशा में बड़े बदलाव हो सकते हैं। हालांकि, इन इस्तीफों ने विदेश मंत्रालय में गहरे आंतरिक तनाव और राजनीतिक विभाजन को उजागर किया है।
अंग्रेजी शिया और अमेरिकी इस्लाम के साथ कोई समझौता नहीं
उस्ताद हुसैनी क़ज़्वीनी ने जोर देते हुए कहा कि हम अंग्रेजी शिया और अमेरिकी इस्लाम के साथ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करते। इस्लामी क्रांति की शुरुआत से ही दुश्मनों ने सारे प्रयास किए ताकि ईरान में धार्मिक और संप्रदायिक युद्ध शुरू कर सकें, लेकिन इमाम ख़ुमैनी (रह) और सर्वोच्च नेता की समझदारी से उनके सभी षड्यंत्र विफल हो गए।
हज़रत वली अस्र अनुसंधान संस्था के प्रमुख सय्यद मुहम्मद हुसैनी क़ज़्वीनी ने अपने बयान में कहा कि आज जो सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा शिया और सुन्नी का मुद्दा नहीं, बल्कि इस्लाम है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देश, जिनकी अगुवाई अमेरिका और इस्राईल कर रहे हैं, इस प्रयास में हैं कि इस्लाम को मुसलमानों से छीन लिया जाए।
सय्यद हुसैनी क़ज़्वीनी ने यह भी बताया कि पश्चिमी देशों ने यह निष्कर्ष निकाला है कि जब तक क़ुरआन मुसलमानों के हाथ में है, वे पश्चिमी एशिया पर हावी नहीं हो सकते।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस्लामी क्रांति के बाद, पिछले 46 वर्षों में, जो कुछ भी दुश्मनों से बन पड़ा, उन्होंने इसे इस्लामी व्यवस्था के खिलाफ इस्तेमाल किया, लेकिन अल्लाह की इच्छा थी कि यह पवित्र व्यवस्था चार दशकों तक अपना अस्तित्व बनाए रखे।
हुज्जतुल इस्लाम वल मुसलेमीन हुसैनी क़ज़्वीनी ने यह भी कहा कि उनकी अधिकतर बातचीत और मेलजोल सुन्नी उलेमाओं के साथ है, और उन्होंने यह बताया कि इस्लामी गणराज्य का एक बेहतरीन कार्य और बरकत यह है कि इसने शिया और सुन्नी समुदायों के बीच दोस्ती, समझ और शांतिपूर्ण जीवन की भावना को बढ़ावा दिया है।
उन्होंने यह भी बताया कि दुश्मन इस्लामी क्रांति के शुरुआत से ही यह प्रयास कर रहे थे कि इरान में धार्मिक और संप्रदायिक युद्ध शुरू करें, लेकिन इमाम ख़ुमैनी (रह) और सर्वोच्च नेता की समझदारी के कारण उनके सभी षड्यंत्र विफल हो गए और वे अपनी मंशा में सफल नहीं हो पाए।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जो लोग अहले सुन्नत के पवित्र स्थानो का अपमान करते हैं, वे अहले बैत (अ) के अपमान का माहौल तैयार करते हैं। उन्होंने कहा कि उलमा के बयान ही धर्म का बयान होते हैं। यह उलमा ही हैं जो आजकल की घटनाओं पर राय दे सकते हैं, जो अली (अ) और उनके बाद के इमामों के समय में नहीं थीं, और यह तय कर सकते हैं कि हमें किस तरह से व्यवहार करना चाहिए।
उस्ताद हुसैनी क़ज़्वीनी ने कुछ उलमा के बयान का हवाला दिया जिसमें कहा गया कि अहले सुन्नत के पवित्र स्थानो का अपमान करना पाप है, और इस बात का कारण यह बताया कि इस तरह के अपमान से फितना पैदा होता है, और कुरआन की आयतों के अनुसार फितना कत्ल से भी बदतर है।
कुम के हौज़ा इल्मीया के उस्ताद ने यह भी कहा कि उलमा को अपने इलाकों के लोगों तक उलमा के संदेश को पहुँचाना चाहिए। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि जो लोग मरजियत का दावा करते हैं लेकिन अंग्रेजी शिया या अमेरिकी इस्लाम को फैलाते हैं, वे मंजूर नहीं हैं। हम अंग्रेजी शिया और अमेरिकी इस्लाम के साथ कोई समझौता नहीं करते और मानते हैं कि हमें इन दोनों के खिलाफ संघर्ष करना चाहिए, इन में से किसी एक को नज़रअंदाज़ करना सही नहीं है।
हमास ने प्रतिरोध मोर्चे और ईरान का खुसूसी शुक्रिया अदा किया
हमास आंदोलन के वरिष्ठ नेता सुहैल अलहिंदी ने फिलिस्तीनी मजलूम जनता के समर्थन के लिए इस्लामी गणराज्य ईरान और प्रतिरोधी मोर्चे की सराहना की है।
एक रिपोर्ट के अनुसार , सुहैल अलहिंदी ने कहा कि इस्लामी गणराज्य ईरान और प्रतिरोधी मोर्चे ने ग़ासिब ज़ायोनी सरकार की आक्रामकता के खिलाफ फिलिस्तीनी जनता का हर स्तर पर समर्थन किया है हम इस समर्थन के लिए ईरान और प्रतिरोधी ताकतों का आभार व्यक्त करते हैं।
ज्ञात हो कि ग़ासिब ज़ायोनी सरकार ने पिछले 15 महीनों के दौरान गाजा पर बड़े पैमाने पर हमले किए लेकिन इस्लामी गणराज्य ईरान ने हर मोर्चे पर फिलिस्तीन और गाजा के लोगों का समर्थन किया फिलिस्तीनी जनता और प्रतिरोधी संगठनों ने इस समर्थन की सराहना की है।
सुहैल अलहिंदी ने यह भी कहा कि हम हिज़्बुल्लाह लेबनान का धन्यवाद करते हैं, जिसने अपने नेता तक को फिलिस्तीनी जनता के समर्थन के लिए समर्पित कर दिया।
हामास के वरिष्ठ नेता ने कहा कि अंसारुल्लाह यमन के गंभीर हमलों के कारण ग़ासिब ज़ायोनी सरकार की समुद्री व्यापार व्यवस्था पूरी तरह से ठप हो गई है हम यमनी जनता और उनके प्रतिरोध का भी आभार व्यक्त करते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि युद्धविराम के पहले दिन तीन ज़ायोनी महिला बंधकों को रिहा किया गया। जब तक ज़ायोनी सरकार युद्धविराम समझौते का पालन करेगी हम भी इसका सम्मान करेंगे।