رضوی

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हज़रत फातेमा मासूमा (अ.स) हज़रत इमाम सादिक़ (अ.स) की बेटीयो (फातेमा, ज़ैनब और उम्मेकुलसूम) से नकल करती है और इस हदीस की सनद का सिलसिला हज़रत ज़हरा (स.अ) पर खत्म होता हैः

حدثتنی فاطمة و زینب و ام کلثوم بنات موسی بن جعفر قلن : ۔۔۔ عن فاطمة بنت رسول الله صلی الله علیه و آله وسلم و رضی عنها : قالت : ”انسیتم قول رسول الله صلی الله علیه و آله و سلم یوم غدیر خم ، من کنت مولاه

فعلی مولاه و قوله صلی الله علیه و آله وسلم ، انت منی بمنزلة هارون من موسی“

हज़रत फातेमा ज़हरा (स.अ) ने फरमायाः क्या तुमने फरामोश कर दिया रसूले खुदा (स.अ.व.व) के इस क़ौल को जिसे आप ने गदीर के दिन इरशाद फरमाया था के जिस का मै मौला हूँ उसका ये अली मौला हैं।

और क्या तुम रसूले खुदा (स.अ.व.व) की इस हदीस को भूल गऐ कि आपने इमाम अली (अ.स) से फरमाया था कि ऐ अली तुम मेरे लिए ऐसे हो जैसे मूसा के लिऐ हारून थे।

हज़रत फातेमा मासूमा इसी तरह एक और हदीस इमाम सादिक की बेटी से नकल करती है और इस हदीस का सिलसिला-ए सनद भी हज़रते ज़हरा (स.अ) पर तमाम होता है हज़रत फातेमा ज़हरा (स.अ) ने फरमाया

عن فاطمة بنت موسی بن جعفر علیه السلام :

۔۔۔ عن فاطمة بنت رسول الله صلی الله علیه و آله و سلم : قالت :

قال رسول الله صلی اللہ علیه و آله وسلم :

«اٴلا من مات علی حب آل محمد مات شهیداً »

रसूले खुदा (स.अ.व.व) इरशाद फरमाया थाः आगाह हो जाओ कि जो अहलैबैत (अ.स) की मुहब्बत पर इस दुनिया से उठता है वो शहीद है।

अल्लामा मजलीसी शैख सुदूक़ से हज़रत फातेमा मासूमा की ज़ियारत की फज़ीलत के बारे मे रिवायत नक़ल करते है

قال ساٴلت ابا الحسن الرضا علیه السلام عن فاطمة بنت موسی ابن جعفر علیه السلام قال : ” من زارها فلة الجنة

रावी कहता है कि मैने हज़रत फातेमा मासूमा के बारे मे इमाम रज़ा (अ.स) से पूछा तो आपने फरमाया कि जो कोई भी हज़रत फातेमा मासूमा की क़ब्र की ज़ियारत करेगा उसपर जन्नत वाजिब हो जाऐगी।

इमाम जाफ़रे सादिक़ (अ.स.) की पेशीन गोई

सादिक़े आले मोहम्मद हज़रत इमाम जाफ़रे सादिक़ (अ.स.) इरशाद फ़रमाते हैं कि अल्लाह की वजह से मक्का ए मोअज़्ज़मा हरम , रसूल अल्लाह (स.अ.) की वजह से मदीना हरम , अमीरल मोमेनीन (अ.स.) की वजह से कूफ़ा (नजफ़) हरम है और हम दीगर अहले बैत की वजह से शहरे क़ुम हरम है और अन क़रीब इस शहर में हमारी औलाद से एक मोहतरमा दफ़्न होंगी जिनका नाम होगा ‘‘ फ़ात्मा बिन्ते इमाम मूसा काज़िम (अ.स.) ’’

(सफ़ीनतुल बेहार जिल्द 2 सफ़ा 226)

क़ुम में हज़रत मासूमा ए क़ुम की आमद

हज़रत इमाम जाफ़रे सादिक़ (अ.स.) की पेशीन गोई के मुताबिक़ बा रवायते अल्लामा मजलिसी (र. अ.) हज़रत फ़ात्मा बिन्ते इमाम मूसा काज़िम (अ.स.) हमशीरा हज़रत इमाम रज़ा (अ.स.) उस ज़माने में यहां तशरीफ़ लाईं जब कि 200 हिजरी में मामून रशीद ने हज़रत इमाम रज़ा (अ.स.) को जबरन मरू बुलाया था। अल्लामा शेख़ अब्बास क़ुम्मी लिखते हैं कि जब मामून रशीद ने इमाम रज़ा (अ.स.) को बजब्रो इक़राह वली अहद बनाने के लिये दारूल ख़ुलफ़ा मरू में बुला लिया था तो इसके एक साल बाद हज़रत फ़ात्मा (अ.स.) भाई की मोहब्बत से बेचैन हो कर ब इरादा ए मरू मदीना से निकल पड़ी थीं। चुनान्चे मराहले सफ़र तय करते हुए बा मुक़ाम ‘‘ सावा ’’ पहुँची तो अलील हो गईं। जब आपकी रसीदगी सावा और अलालत की ख़बर मूसा बिन खि़ज़रिज़ बिन साद क़ुम्मी को पहुँची तो वह फ़ौरन हाज़िरे खि़दमत हो कर अर्ज़ परदाज़ हुए कि आप क़ुम तशरीफ़ ले चलें। उन्होंने पूछा की क़ुम यहां से कितनी दूर है। मूसा ने कहा कि 10 फ़रसख़ है। वह रवानगी के लिये आमादा हो गईं चुनान्चे मूसा बिन खि़ज़रिज़ उनके नाक़े की मेहार पकड़े हुए कु़म तक लाए। यहां पहुँच कर उन्हीं के मकान में जनाबे फ़ात्मा ने क़याम फ़रमाया। भाई की जुदाई का सदमा शिद्दत पकड़ता गया और अलालत बढ़ती गई यहां तक कि सिर्फ़ 17 यौम के बाद आपने इन्तेक़ाल फ़रमाया। ‘‘ इन्ना लिल्लाहे व इन्ना इलैहे राजेऊन ’’ आपके इन्तेक़ाल के बाद से गु़स्लो कफ़न से फ़राग़त हासिल की गई और ब मुक़ाम ‘‘ बाबलान ’’ (जिस जगह रोज़ा बना हुआ है) दफ़्न करने के लिये ले जाया गया और इस सरदाब में जो पहले से आपके लिये (क़ुदरती तौर पर) बना हुआ था उतारने के लिये बाहमी गुफ़्तुगू शुरू हुई कि कौन उतारे फ़ैसला हुआ कि ‘‘ क़ादिर ’’ नामी इनका ख़ादिम जो मर्दे सालेह है वह क़ब्र में उतारे इतने में देखा गया कि रेगज़ार से दो नक़ाब पोश नमूदार हुए और उन्होंने नमाज़े जनाज़ा पढ़ाई और वही क़ब्र में उतरे फिर तदफ़ीन के फ़ौरन बाद वापस चले गए। यह न मालूम हो सका कि दोनों कौन थे। फिर मूसा बिन खि़ज़रिज़ ने क़ब्र पर बोरिया का छप्पर बना दिया इसके बाद हज़रत ज़ैनब बिन्ते हज़रत इमाम मोहम्मद तक़ी (अ.स.) ने क़ुब्बा बनवाया । (मुन्थी अलमाल जिल्द 2 सफ़ा 242) फिर मुख़्तलिफ़ अदवार शाही में इसकी तामीर व तज़ीन होती रही तफ़सील के लिये मुलाहेजा़ हो ।

(माहनामा अल हादी क़ुम ईरान ज़ीक़ाद 1393 हिजरी सफ़ा 105)

हज़रत मासूमा ए क़ुम की ज़ियारत की अहमियत

हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ (अ.स.) फ़रमाते हैं कि जो मासूमा ए कु़म की ज़्यारत करेगा उसके लिए जन्नत वाजिब होगी। हदीस अयून के अल्फ़ाज़ यह हैं ‘‘ मन जारहा वजबत लहा अलजन्नता ’’ (सफ़ीनतुल बिहार जिल्द 2 सफ़ा 426) अल्लामा शेख़ अब्बास कु़म्मी , अल्लामा क़ाज़ी नूरूल उल्लाह शुस्तरी (शहीदे सालिस) से रवाएत करते हैं कि हज़रत इमाम जाफ़रे सादिक़ (अ.स.) इरशाद फ़रमाते हैं कि ‘‘ तद खि़ल ब शफ़ाअताहा शैती अ ल जन्नता ’’ मासूमा ए क़ुम की शिफ़ाअत से कसीर शिया जन्नत में जाएगें। (सफ़ीनतुल बेहार जिल्द 2 सफ़ा 386) हज़रत इमाम रज़ा (अ.स.) फ़रमाते हैं कि ‘‘ मन ज़ारहा फ़लहू अल जन्नता ’’ जो मेरी हमशीरा की क़ब्र की ज़्यारत करेगा उसके लिये जन्नत है। एक रवायत में हैं कि अली बिन इब्राहीम ने अपने बाप से उन्होंने साद से उन्होंने अली बिन मूसिए रज़ा (अ.स.) से रवायत की है वह फ़रमाते हैं कि ऐ साद तुम्हारे नज़दीक़ हमारी एक क़ब्र है। रावी ने अर्ज़ की मासूमा ए क़ुम की , फ़रमाया हां ऐ साद ‘‘ मन ज़ारहा अरफ़ाबहक़हा फ़लहू अल जन्नता ’’ जो इनकी ज़्यारत इनके हक़ को पहचान के करेगा इसके लिये जन्नत है यानी वह जन्नत में जायेगा।

(सफ़ीनतुल बेहार जिल्द 2 सफ़ा 376 तबा ईरान)

हिज़्बुल्लाह ने हैफा में ज़ायोनी सेना की हथियार फैक्ट्री को सफल मिसाइल हमलों का निशाना बनाने के बाद ज़ायोनी सेना को भी अपने जाल में उलझा कर गंभीर चोट दी है।

अल-मयादीन के संवाददाता ने बताया कि प्रतिरोधी बलों ने ज़ायोनी सेना के एक बख्तरबंद वाहन को नष्ट कर दिया और कई सैनिकों को मार डाला।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ज़ायोनी सेनाओं ने लेबनान में कुछ प्रगति की और कुछ देरी के बाद ही वह अल-जहिरा के निकट प्रतिरोधी जवानों के जाल में फंस गये, जिसके परिणामस्वरूप कई ज़ायोनी आतंकी मारे गये।

अल-मायादीन के रिपोर्टर ने आगे कहा कि इस दौरान, हिजबुल्लाह ने मक़बूज़ा फिलिस्तीन में कई क्षेत्रों पर मिसाइल हमले भी किये।

इस्लामिक रेसिस्टेंस के एक बयान में कहा गया है कि ये मिसाइलें ग़ज़्ज़ा और लेबनान के लोगों की रक्षा के लिए बेलिडा में ज़ायोनी सेना के मुख्य केंद्र पर दागी गई हैं। इसके अलावा, तबरिया भी हिज़्बुल्लाह के मिसाइल हमलों का एक और लक्ष्य रहा।

 

 

 

इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के जनसंपर्क विभाग ने एक सूचना जारी करते हुए कहा है कि शहीद कमांडर अब्बास नीलफरोशन इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ़ ईरान के एक वरिष्ठ सलाहकार थे उनकी अंतिम संस्कार की घोषणा की है।

एक रिपोर्ट के अनुसार, इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स IRGC के जनसंपर्क विभाग ने एक सूचना जारी करते हुए कहा है कि शहीद कमांडर अब्बास नीलफरोशन इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ़ ईरान के एक वरिष्ठ सलाहकार थे उनकी अंतिम संस्कार की घोषणा की है।

सूचना का विवरण कुछ इस प्रकार है:

इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलाही राजी'उन

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम

بسم اللہ الرحمن الرحیم

ईरान की जनता को सूचित किया जाता है कि बहादुर और विद्वान कमांडर, सरलशकर मेजर जनरल अब्बास नीलफरोशन की अंतिम यात्रा और दफन समारोह कुछ इस प्रकार है:

  1. सोमवार, 23 अक्टूबर को शहीद के पवित्र शरीर को ले जाने के बाद नजफ़ कर्बला और मशहद में शव यात्रा और तवाफ किया जाएगा।
  2. मंगलवार,13 अक्टूबर को सुबह 9 बजे तेहरान के इमाम हुसैन अ.स. मैदान में अंतिम संस्कार होगा।
  3. बुधवार को इस्फ़हान में विदाई समारोह होगा, और गुरुवार 14 अक्टूबर को इस्फ़हान में शव यात्रा और दफन समारोह आयोजित किए जाएंगा।

 

 

 

 

 

भारत सहित 40 देशों ने एक संयुक्त बयान में संयुक्त राष्ट्र के शांति सैनिकों (यूएनआईएफआईएल) पर हुए हालिया हमलों की कड़ी निंदा की है।

एक रिपोर्ट के अनुसार , लेबनान में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन (यूनिफिल) में शामिल 40 देशों ने एक संयुक्त बयान जारी करते हुए यूनिफिल पर हुए हमलों की कड़ी निंदा की है।

इन देशों ने दोहराया कि वे यूएनआईएफआईएल की गतिविधियों और मिशन का पूर्ण समर्थन करते हैं, विशेष रूप से वर्तमान तनावपूर्ण हालात में यूएनआईएफआईएल की भूमिका को अत्यधिक महत्वपूर्ण बताया गया है।

बयान में इज़राइली सरकार का नाम लिए बिना मांग की गई कि यूएनआईएफआईएल बलों पर हमलों की जांच की जाए और इन्हें तुरंत रोका जाए। इसके अलावा बयान में सभी पक्षों से यूएनआईएफआईएल की उपस्थिति का सम्मान करने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की गई हैं।

यह निंदा उस समय आई जब इज़राइली सेना द्वारा दक्षिणी लेबनान पर किए गए हमलों के बाद शुक्रवार को यूएनआईएफआईएल के दो शांति सैनिक घायल हो गए।

इससे पहले गुरुवार को भी दो इंडोनेशियाई सैनिक एक इज़राइली टैंक हमले में घायल हुए थे। सीएनएन के अनुसार, यूएनआईएफआईएल ने दक्षिणी लेबनान में एक पांचवें घायल सैनिक की भी सूचना दी है।

इस बयान पर हस्ताक्षर करने वाले 40 देशों में ब्रिटेन, फ्रांस, भारत, जर्मनी, स्पेन, ब्राज़ील, चीन, इंडोनेशिया, इटली, मलेशिया, तुर्की और कतर जैसे प्रमुख देशों के नाम शामिल हैं।

 

 

 

 

 

यूएनआरडब्ल्यूए के प्रमुख फिलिप लाज़ारिनी ने कहा, "दक्षिणी लेबनान में बेरूत के पास तंबुओं में शरण लिए हुए फिलिस्तीनी लोग इजरायली हमलों के डर से बाहर चले गए हैं।" "गाजा में जो हुआ वह लेबनान में दोहराया जा रहा है।"

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने कहा है कि "दक्षिणी लेबनान में बेरूत के पास तंबुओं में शरण लिए हुए फिलिस्तीनी इजरायली हमलों के डर से वहां से चले गए हैं।"  यूएनआरडब्ल्यूए प्रमुख फिलिप लाज़ारिनी ने कहा, "एजेंसी बचे हुए लोगों को भोजन उपलब्ध कराना जारी रखती है, और फिलिस्तीनियों के लिए कई बार विस्थापित होना बहुत मुश्किल है।"

उन्होंने कहा, "ये हालात कठिन हैं, लेकिन अगर आप इनकी तुलना गाजा के हालात से करेंगे तो आप मुझे बार-बार यह कहते हुए सुनेंगे कि लोगों को गेंदों की तरह एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए मजबूर किया जा रहा है।" डर इस बात का है कि जो ग़ज़्ज़ा में जो हुआ, वही लेबनान में भी दोहराया जा रहा है।

 

इजराइल ने पिछले तीन हफ्तों से दक्षिणी लेबनान और बेरूत पर हमला जारी रखा है। इज़रायली सरकार ने दक्षिणी लेबनान और बेरूत में 100 शहरों को खाली करने का आदेश जारी किया है, उनमें बेरूत के दक्षिणी बाहरी इलाके में बुर्ज अल-बराजना फिलिस्तीनी शरणार्थी शिविर और रशीदिया फिलिस्तीनी शरणार्थी शिविर पर हमला शामिल है। दक्षिणी तटीय शहर टायर भी शामिल है।

1948 में इजराइल की स्थापना के बाद यहां आए फिलिस्तीनियों और उनके बच्चों ने लेबनान के 12 शरणार्थी शिविरों में शरण ली। इन तंबुओं में एक लाख चौहत्तर हज़ार फ़िलिस्तीनी रह रहे थे। लेबनानी अधिकारियों के अनुसार, ज़ायोनी अत्याचारों के परिणामस्वरूप, लेबनान में दस लाख से अधिक नागरिक विस्थापित हो गए हैं और 2 हजार 100 की मृत्यु हो गई है। गौरतलब है कि हिजबुल्लाह के साथ संघर्ष बढ़ने के बाद इजराइल ने लेबनान में अपने हमले जारी रखे हैं. लेबनान, ईरान और गाजा में इजरायली युद्ध बढ़ने के बाद मध्य पूर्व में युद्ध का खतरा बढ़ गया है।

हुज्जतुल इस्लाम वल-मुस्लेमीन सैयद सदरुद्दीन कबांची ने हुसैनिया-ए-आज़म फातिमिया में कहा: अल-अक्सा तूफान और ईरान के वादा सादिक ऑपरेशन ने दिखाया कि ईरान के हमलों ने साबित कर दिया कि इज़राइल एक शीशे का घर है।

हुज्जतुल इस्लाम वल-मुस्लेमीन सैयद सदरुद्दीन कबांची ने हुसैनिया-ए-आज़म फातिमिया में कहा: अल-अक्सा तूफान और ईरान के वादा सादिक ऑपरेशन ने दिखाया कि ईरान के हमलों ने साबित कर दिया कि इज़राइल एक शीशे का घर है। 7 अक्टूबर 2022 को इसी समय इजराइल ने गाजा को पूरी तरह से खत्म करने का फैसला किया था।

उन्होंने कहा कि अब हम अल-अक्सा तूफान के दूसरे वर्ष में हैं, जहां शहीदों की संख्या 41,000 तक पहुंच गई है, लेकिन परिणाम इस प्रकार हैं: पहला, इज़राइल गाजा और प्रतिरोध को समाप्त करने में विफल रहा; दूसरा, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय प्रतिरोध को हराने में विफल रहा; तीसरा, इजराइल के खिलाफ इस्लामी और वैश्विक चेतना का उदय; चौथा, ज़ायोनी राज्य के आंतरिक विभाजन और विभाजन; पाँचवाँ, पश्चिमी दुनिया के मानवाधिकारों और स्वतंत्रता के झूठे दावों का पर्दाफाश हो गया; छठा, प्रतिरोध मोर्चे में ईरान, इराक, लेबनान और यमन का शामिल होना; सातवां, प्रतिरोध की धुरी की ताकत बढ़ाना; और आठवां, ईरान के हमलों ने साबित कर दिया कि इज़राइल एक शीशे का घर है।

हुज्जतुल इस्लाम वल-मुस्लेमीन सैयद सदरुद्दीन कबांची ने कहा कि इज़राइल ने अयातुल्ला सिस्तानी को निशाना बनाने की धमकी दी, भले ही वह जानता था कि यह व्यक्ति शांति और मानवता का चैंपियन था। उन्होंने इज़राइल को चेतावनी दी कि इराक के खिलाफ कोई भी आक्रमण औपचारिक रूप से इराक को प्रतिरोध मोर्चे में शामिल कर देगा।

इराक से विदेशी सेनाओं की वापसी के संबंध में उन्होंने कहा कि 27 अक्टूबर को इराक में अंतरराष्ट्रीय गठबंधन बलों के मिशन का आधिकारिक अंत है, और हम समझौते में किसी भी देरी या उल्लंघन के खिलाफ चेतावनी देते हैं कि अमेरिकी सेना इराक में रहेगी।

इमाम जुमा नजफ ने हज़रत फातिमा ज़हरा की शहादत का उल्लेख किया, अल्लाह उन्हें आशीर्वाद दे और उन्हें शांति प्रदान करे, और कहा: पवित्र पैगंबर, भगवान उन्हें आशीर्वाद दे और उन्हें शांति प्रदान करे, उन्होंने कहा: "फातिमा मेरे शरीर का एक हिस्सा है, जिसने भी उसे पीड़ा दी है , मुझे पीड़ा दी, और जिसने उसे खुश किया, उसने मुझे खुश किया।"

 

उन्होंने आगे कहा कि सर्वशक्तिमान ईश्वर कहते हैं: "यदि तुम अल्लाह से प्यार करते हो, तो मेरा अनुसरण करो, अल्लाह तुमसे प्यार करेगा।" यह आपसी प्यार का मामला है, जहां अल्लाह के लिए प्यार का मतलब उसके संतों और विश्वासियों के लिए प्यार है, जो अंततः मानवता के लिए प्यार की ओर ले जाता है।

एक हिब्रू भाषी मीडिया ने एक लेख में ईरान के साथ इज़राइल के युद्ध के आयामों पर रोशनी डालते हुए बताया कि तेल अवीव को तेहरान के साथ संघर्ष से क्यों परहेज़ करना चाहिए।

एक ज़ायोनी विशेषज्ञ एटली लैंड्सबर्ग ने इज़राइल की ज़ीमन समाचार वेबसाइट पर एक लेख में, ज़ायोनी शासन के नेताओं को ऐतिहासिक अनुभवों पर ध्यान देने और हार का सामना करने के बजाय संयम बरतने और ईरान के साथ संघर्ष से बचने की चेतावनी दी।

नूर न्यूज़ के हवाले से पार्सटुडे की रिपोर्ट के अनुसार, इस लेख में, "लैंड्सबर्ग" 6 कारणों की ओर इशारा करते हैं कि क्यों इज़राइल को ईरान के साथ संघर्ष में शामिल नहीं होना चाहिए, जिनमें से महत्वपूर्ण हिस्सों का उल्लेख यहां किया गया है:

1- इज़राइल और ईरान के बीच बैलिस्टिक युद्ध एक असमान युद्ध है, ईरान एक क्षेत्रीय शक्ति है जो जनशक्ति, हथियारों, ईंधन भंडार और आर्थिक सुविधाओं वग़ैरह से मालामाल है, जबकि इजराइल एक छोटा (ढांचा) है जिसमें सैन्य और मानव शक्ति सीमित है।

2- ईरान के मिसाइल युद्ध से इज़राइल के डिफ़ेंस पॉवर को लगातार नुकसान हो रहा है।

3- ईरान में मातृभूमि की रक्षा और बलिदान देने की कोई सीमा नहीं है। इराक़ द्वारा उसके खिलाफ छेड़े गए 8 साल के युद्ध में ईरान ने हज़ारों लोगों की जान कुर्बान कर दी, लेकिन उसने घुटने नहीं टेके जबकि इज़राइल, ईरान पर ऐसे ही मिलते जुलते ख़र्चे थोप सकता है।

4- ईरान ने अपना परमाणु विस्तार जारी रखा है और इज़राइल इसे रोक नहीं पाएगा क्योंकि उसके पास ईरान की परमाणु शक्ति को नष्ट करने की क्षमता नहीं है।

5- इज़राइली वायु सेना इस समय एक मल्टी फ़्रंट वॉर में शामिल है, ईरान पर हमला करने के लिए इस ताक़त की केन्द्रियताउसके लड़ाकू विमानों की शक्ति को कम कर सकती है और इन लड़ाकू विमानों को मार गिराने और उसके पायलटों को पकड़ने की संभावना बढ़ सकती है।

6- इज़राइल के लिए बेहतर है कि वह संयम बरते और युद्ध के अलावा किसी दूसरे समाधानों को एक्टिव करने के बारे में सोचे, जिसका उपयोग उसने अतीत में ईरानी परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या के ज़रिए से किया था।

लेखक फिर यह नतीजा निकालता है: अगर ये कारण इज़राइल में निर्णय लेने वाले केंद्रों के लिए पर्याप्त नहीं हैं, तो हमें उन्हें चेतावनी देनी चाहिए कि इज़राइल के हमले से निश्चित रूप से एक क्षेत्रीय ख़तरा पैदा होगा, और फिर हमें इराक़, सीरिया और शायद यमन में भी शक्ति का उपयोग करने के बारे में सोचना चाहिए जबकि दुनिया भर में इज़राइली दूतावासों पर हमले की आशंका भी बढ़ जाएगी है।

वह आगे कहते हैं: इज़राइली सेना की 75 प्रतिशत ताक़त रिज़र्व फ़ोर्स से बनी है, जो सेनाएं एक साल के युद्ध से अलग हैं और पूरी तरह से बिखर गई हैं, ईरान से जंग, लेबनान और ग़ज़ा में युद्ध कई वर्षों तक खिंच सकता है। इसका मतलब यह है कि रिज़र्व ढांचा बुरी तरह से तबाह हो जाएगा और इससे इजराइली सेना की मुख्य ताक़त ख़त्म हो जाएगी।

जो लोग नहीं समझते उन्हें बता देना चाहिए कि इससे इज़राइल की सैन्य, आर्थिक और सामाजिक हार होगी जबकि ईरान पर ऐसी कोई सीमित्ता नहीं है। इज़राइली कैबिनेट इज़राइलियों के लिए केवल एक ही काम कर सकती है और वह है कुछ न करना और विनाशकारी निर्णय लेना बंद करना।

 

 

जामिया ए मुदर्रिसीन हौज़ा ए इल्मिया क़ुम ने इज़राईली सरकार के चैनल 14 द्वारा आयतुल्लाहिल उज़्मा सिस्तानी कि हत्या के लक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किए जाने की कड़ी निंदा की है इस कार्रवाई को मरजय ए ताक़लीद का अपमान बताया है।

एक रिपोर्ट के अनुसार,जामिया ए मुदर्रिसीन हौज़ा ए इल्मिया क़ुम ने इज़राईली सरकार के चैनल 14 द्वारा आयतुल्लाहिल उज़्मा सिस्तानी कि हत्या के लक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किए जाने की कड़ी निंदा की है इस कार्रवाई को मरजय ए ताक़लीद का अपमान बताया है।

जामिया ए मुदर्रिसीन ने एक निंदा बयान जारी करते हुए कहा, मरज-ए-तक़लीद हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सिस्तानी इज़राईली सरकार द्वारा निशाना बनाए जाने का प्रयास एक शर्मनाक और निंदनीय कार्य है जो इस ग़ासिब सरकार की और अधिक बदनामी का कारण बनेगी।

बयान में आगे कहा गया कि इज़राईली सरकार के लगातार अपराध, विशेष रूप से फ़िलिस्तीन के विभिन्न क्षेत्रों में, जैसे ग़ाज़ा,लेबनान, सीरिया, इराक और यमन में किए गए कार्य इस्लामी दुनिया की प्रमुख हस्तियों की हत्या की कोशिशें और इन सबके बावजूद उनकी असफलताएँ इस सरकार की बेबसी और असफलता की प्रतीक हैं।

जामिया ए मुदर्रिसीन हौज़ा ए इल्मिया क़ुम ने इस अपमानजनक कृत्य की कड़ी निंदा की और दुनिया भर के स्वतंत्र विचार रखने वाले लोगों और विद्वानों से अपील की कि वह इस शिया मरज-ए-तक़लीद का दृढ़ता से बचाव करें और इस अपमान के खिलाफ कड़ा विरोध प्रकट करें, ताकि इसे वैश्विक स्तर पर निंदा का सामना करना पड़े।

यह भी उल्लेख किया गया कि कुछ दिन पहले इज़राइली चैनल 14 ने आयतुल्लाहिल उज़्मा सिस्तानी की तस्वीर को अगला निशाना बताते हुए दिखाया था, जिस पर दुनिया भर में विरोध और इस घटिया कार्य के खिलाफ निंदा की गई।

 

 

 

 

 

इमाम जुमआ कुम आयतुल्लाह सैय्यद सईदी ने कहा कि 7 अक्टूबर को हमास की उत्साही कार्रवाई ने इज़राईली शासन को 70 साल पीछे धकेल दिया है।

एक रिपोर्ट के अनुसार, इमाम जुमआ कुम आयतुल्लाह सैय्यद सईदी ने हज़रत मसूमा स.ल. के हरम में शहीदों के परिवारों जवानों और सैनिकों के साथ मुलाकात करते हुए कहा, इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने फरमाया है कि हर मुश्किल और परेशानी मोमिन को आती है उस पर अल्लाह की नेमतें होती हैं।

उन्होंने आगे कहा कि ज़ायोनी शासन 70 साल पहले अपनी स्थिरता को लेकर चिंतित था लेकिन समय के साथ उसने अपने नीच योजनाओं को फैलाने की कोशिश की 7 अक्टूबर की उत्साही कार्रवाई ने उन्हें एक बड़ी हार का सामना करते हुए 70 साल पीछे धकेल दिया है।

आयतुल्ला सईदी ने कहा कि अल्लाह की मदद हमेशा इस्लाम के लड़ाकों के साथ होती है और युद्ध के मैदान में बलिदान देना सफलता का पूर्व संकेत बनता है।

मुज़ाहमत के मोर्चे और इस्लाम के लड़ाकों ने शहीद कासिम सुलैमानी शहीद हसन नसरुल्लाह और अन्य शहीदों की कुर्बानियों के माध्यम से बड़ी जीतें हासिल की हैं।

उन्होंने तकवा और सब्र को ग़ैब के युग के दो महत्वपूर्ण तत्व बताया और कहा कि शियाओं को अपने आमाल और आचरण पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

अंत में आयतुल्ला सईदी ने हज़रत मासूमा स.ल. की तरफ से जवानों और शहीदों के परिवारों को इज़्जत और सम्मान के साथ सराहा और उनकी कुर्बानियों की प्रशंसा की।