
رضوی
हसन नसरुल्लाह की शहादत पर हज़रत मसूमा के हरम के गुम्बद पर काला परचम
हिज़्बुल्लाह लेबनान के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह की शहादत पर क़ुम अल मुकद्देसा में हज़रत फातिमा मसूमा स.ल.के हरम के गुम्बद पर काला परचम लगाया गया हैं।
हिज़्बुल्लाह लेबनान के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह की शहादत पर क़ुम अल मुकद्देसा में हज़रत फातिमा मसूमा स.ल.के हरम के गुम्बद पर काला परचम लगाया गया हैं।ताकि इस महान शहादत पर शोक और दुख का इज़हार किया जा सके।
आज नमाज़-ए-मगरिब और ईशा के बाद हरम के शबिस्तन-ए-इमाम ख़ुमैनी में लब्बैक या ख़ामनेई" के शीर्षक से एक सभा आयोजित की जाएगी जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल होंगे।
हिजबुल्लाह के महासचिव सय्यद हसन नसरल्लाह शहीदो मे शामिल
हिज़्बुल्लाह की ओर से जारी एक बयान में हिज़बुल्लाह के महासचिव सय्यद हसन नसरल्लाह की शहादत की पुष्टि कर दी गई है।
हिजबुल्लाह की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक, कल बेरूत के बाहरी इलाके में इजरायली सरकार के आतंकी हमले में हिजबुल्लाह लेबनान के महासचिव सय्यद हसन नसरुल्लाह शहीद हो गए हैं। इन्ना लिल्लाहे व इन्ना इलैहे राजेऊन
हिज़्बुल्लाह द्वारा जारी बयान का पाठ इस प्रकार है:
हिजबुल्लाह की ओर से जारी बयान:
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्राहीम
"बस जो लोग आख़िरत के बदले में दुनिया की जिंदगी को लेते हैं, वो अल्लाह की राह में लड़े, और जो अल्लाह की राह में लड़े और मारा जाए या ग़ालिब आ जाए, तो हम उसे बड़ा अज्र देंगे।"
अल्लाह ने सच कहा है।
उसका उज़्मा, आक़ा, प्रतिरोध का मालिक, नेक बंदा, एक महान शहीद, एक बहादुर नेता, बुद्धिमान, अंतर्दृष्टिपूर्ण और वफादार मोमिन की हैसीयत से अपने रब की ओर और उस की रज़ा की ओर रवाना हुआ, पैगंबरों और शहीदों के नक्शेकदम पर आस्था की दिव्य यात्रा में शोहदा के लाफ़ानी कारवा मे सम्मिलित हो गया।
हिजबुल्लाह के महासचिव, सैय्यद हसन नसरल्लाह अमर शहीदों में शामिल हो गए हैं, जिनकी यात्रा का उन्होंने लगभग तीस वर्षों तक मार्गदर्शन किया, जिसके दौरान उन्होंने उन्हें जीत से जीत की ओर अग्रसर किया, 1992 मैं इस्लामी प्रतिरोध के शहीदों के गुरु का भी उत्तराधिकारी बना। 2000 में लेबनान की मुक्ति और दिव्यता से लेकर, 2006 में लगातार जीत और सम्मान और मुक्ति के लिए अन्य सभी लड़ाइयों तक, फिलिस्तीन, गाजा और उत्पीड़ित फिलिस्तीनी लोगों के लिए बहादुरी और समर्थन के युद्ध तक लड़ा।
हम ज़मान और मकान के मालिक, मुसलमानों के संरक्षक, हज़रत इमाम सय्यद अली खामेनेई, उच्च अधिकारियों, मुजाहिदीन, विश्वासियों, प्रतिरोधी राष्ट्र के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं। और मुजाहिदीन लेबनानी लोग, संपूर्ण इस्लामी राष्ट्र, दुनिया के सभी स्वतंत्र और उत्पीड़ित लोग और उनके सम्माननीय और धैर्यवान परिवार और हम हिजबुल्लाह के महासचिव सैय्यद हसन नसरुल्लाह रिजवानुल्लाह को जेरूशलम का शहीद होने की हैसीयत से बधाई देते हैं। इमाम हुसैन (अ) का फ़रमान उन शहीदो के साथ पूरा हो जो उनके पवित्र उद्देश्य मे सम्मिलित हुए।
हिजबुल्लाह का नेतृत्व क़ुरबानी और शहादत के सफ़र मे सर्वोच्च, पवित्र और सबसे क़ीमती शहीद से प्रतिज्ञा करता है कि हम दुश्मन के खिलाफ जेहाद जारी रखेंगे, ग़ज़्ज़ा और फिलिस्तीन का समर्थन करने और लेबनान की रक्षा करेंगे ।
शनिवार 9/28/2024
24 रबी अल-अव्वल 1446 हिजरी
हम अपने हथियार तब तक नहीं रखेंगे जब तक इज़राइल का खत्मा ना हो जाए
क़ुम के इमाम ए जुमआ आयतुल्लाह सैयद मोहम्मद सईदी ने कहा कि हम कुरआन के हुक्म के मुताबिक, बच्चों के क़ातिल और ग़ासिब सरकार जैसे इज़राइल के पूरी तरह से खात्मे तक हम अपने हथियार ज़मीन पर नहीं रखेंगें।
एक रिपोर्ट के अनुसार, क़ुम अल मुकद्देसा के इमाम-ए-जुमा आयतुल्लाह सैयद मोहम्मद सईदी ने आज मस्जिद-ए-क़ुद्स क़ुम में जुमआ के ख़ुत्बे में हज़रत मसूमा स.ल. के क़ुम में आगमन की सालगिरह का ज़िक्र करते हुए कहा,हज़रत हज़रत मसूमा स.ल की हिजरत इस्लाम के इतिहास की अहम और सभ्यता-निर्माण करने वाली हिज़रतों में से एक है।
जिसके प्रभाव दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं और वैश्विक स्तर पर भी स्पष्ट हो रहे हैं।
उन्होंने कहा रिवायतों के अनुसार, हज़रत मसूमा स.ल द्वारा क़ुम का चयन बहुत ही सूक्ष्मता और योजना के तहत किया गया था और इस्लामी क्रांति भी इस हिजरत के परिणामों में से एक है।
क़ुम के इमाम ए जुमा ने कहा, क़ुम के लोग इज़राइल जैसी ग़ासिब और ज़ालिम हुकूमत के ख़िलाफ़ जद्दोजहद में सबसे आगे होंगे जैसे कि रिवायतों में आया है कि इमाम सादिक़ अ.स.
ने फ़रमाया:
کُنْتُ عِنْدَ أَبِی عَبْدِ اللَّهِ ع جَالِساً إِذْ قَرَأَ هَذِهِ الْآیَةَ فَإِذا جاءَ وَعْدُ أُولاهُما بَعَثْنا عَلَیْکُمْ عِباداً لَنا أُولِی بَأْسٍ شَدِیدٍ فَجاسُوا خِلالَ الدِّیارِ وَ کانَ وَعْداً مَفْعُولًا فَقُلْنَا جُعِلْنَا فِدَاکَ مَنْ هَؤُلَاءِ فَقَالَ ثَلَاثَ مَرَّاتٍ هُمْ وَ اللَّهِ أَهْلُ قُم.
इमाम सादिक़ अ.स.के पास बैठा था जब आपने यह आयत पढ़ी,जब पहले वादे का समय आया तो हमने अपने कुछ मज़बूत और ताक़तवर बंदों को तुम्हारे खिलाफ़ भेजा जो घरों में घुसकर तुम्हें ढूंढ निकालेंगे और यह वादा निश्चित रूप से पूरा होकर रहेगा। हमने पूछा:मौला, ये ताक़तवर लोग कौन हैं? इमाम अ. ने तीन बार फ़रमाया:कसम ख़ुदा की! यह लोग क़ुम के बाशिंदे हैं।
आयतुल्लाह सईदी ने कहा,आप लोगों को इस इलाही मिशन के लिए तैयार रहना चाहिए क्योंकि साम्राज्यवादी ताकतें आपकी हैसियत और जिम्मेदारी से वाक़िफ़ हो चुकी हैं और इसी वजह से वे हिजाब, पवित्रता और अन्य साज़िशों के ज़रिए आपकी एकता को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रही हैं।
उन्होंने कहा,रहबर-ए-मुअज़्ज़म-ए-इंक़िलाब ने दिफ़ा-ए-मक़द्दस के मौके पर फरमाया कि दिफ़ा-ए-मक़द्दस न सिर्फ़ मुल्क की हिफ़ाज़त के लिए था बल्कि यह दीन की हिफ़ाज़त और अल्लाह की राह में जिहाद था, जिसने इस्लाम को ज़िंदा किया और ईरानी क़ौम को इज़्ज़त दी।
आयतुल्लाह सईदी ने आगे कहा,कुछ अरब शासकों ने फिलिस्तीन की आज़ादी के लिए बातचीत का रास्ता अपनाने की कोशिश की, लेकिन इतिहास से यह साबित होता है कि बातचीत केवल इस्राइली सरकार की ग़ासिब ज़िंदगी को लंबा करने का एक ज़रिया थी।
इमाम ख़ुमैनी रह. ने भी हमेशा इस बात पर ज़ोर दिया कि फिलिस्तीन और क़ुद्स की आज़ादी का एकमात्र रास्ता केवल और केवल हथियारबंद जद्दोजहद और अल्लाह पर भरोसा है।
उन्होंने क़ुरान की आयत पडी
"قَٰتِلُوهُمۡ یُعَذِّبۡهُمُ ٱللَّهُ بِأَیۡدِیکُمۡ" का हवाला देते हुए कहा कि*"हम क़ुरान के हुक्म के मुताबिक़, इस्राइल के पूर्ण खात्मे तक अपने हथियार ज़मीन पर नहीं रखेंगे।"
सैयद नसरुल्लाह शहीद, हिज़्बुल्लाह का अहम बयान
लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह इस्राईल के पाश्विक हमले में शहीद हो गये।
"तो जो लोग दुनिया की ज़िंदगी का आख़ेरत से सौदा कर लेते हैं कि अल्लाह की राह में जंग करें और जो भी अल्लाह की राह में जंग करे और क़त्ल हो जाए या विजयी हो हम उसे बहुत बड़ा बदला देंगे।
" जनाब उस्ताद, रेज़िस्टेंस के सरदार, नेक इंसान ने महान शहीद, साहसी, दिलेर लीडर, अक़्लमंद दूरदर्शी मोमिन के तौर पर अल्लाह की बारगाह और उसकी रज़ामंदी की वादी की तरफ़ चल बसे और अमर शहीदों के कारवां से जुड़ गए।
हिज़्बुल्लाह लेबनान के महासचिव जनाब सैयद हसन नसरुल्लाह महान व अमर शहीदों में शामिल हो गए जो 30 साल उनके रास्ते पर चलते रहे और इस मुद्दत में उन्हें एक विजय से दूसरी विजय तक पहुंचाते रहे। सन 2000 में लेबनान की आज़ादी से लेकर 2006 की जंग में इलाही विजय तक, इसी तरह दूसरी गौरवपूर्ण जंगों से लेकर फ़िलिस्तीन, गाज़ा और मज़लूम फ़िलिस्तीनी अवाम के समर्थन तक।
हिज़्बुल्लाह का नेतृत्व, बलिदान और शहादत के मार्ग में अपने सर्वोच्च, पवित्रतम और सबसे अनमोल शहीद से यह वादा करता है कि हम दुश्मन के ख़िलाफ़ अपना जिहाद जारी रखेंगे और ग़ज़ा और फ़िलिस्तीन का समर्थन करेंगे और लेबनान की रक्षा करेंगे और इस देश के मज़बूत, शरीफ़ और सज्जन लोगों की हिमायत करते रहेंगे।
लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह के बयान में आया है कि इस्लामी प्रतिरोध के बहादुर, साहसी और गौरान्वित मुजाहिदीन और जनता, आप शही हसन नसरुल्लाह की अमानत हैं और आप लोग उनके भाई हैं जो उनकी अजेय ढाल थे और उनके पवित्र विचार, भावना के साथ हमारे नेता की बहादुरी और आज़ाद का ताज थे। आप जीत तक वफादारी और प्रतिरोध और बलिदान का पालन करने की प्रतिज्ञा करें।
सूडान में अर्धसैनिक हमले में 8 की मौत 95 घायल
सूडान के उत्तरी दारफुर राज्य की राजधानी एल फशर में अर्धसैनिक रैपिड सपोर्ट फोर्स के हमले में अब तक कम से कम आठ लोगों की मौत और 95 अन्य घायल हो गए हैं।
एक स्थानीय अधिकारी ने बताया कि पश्चिमी सूडान के उत्तरी दारफुर राज्य की राजधानी एल फशर में अर्धसैनिक रैपिड सपोर्ट फोर्स आरएसएफ के हमले में कम से कम आठ लोग मारे गए और 95 अन्य घायल हो गए।
उत्तरी दारफुर राज्य के स्वास्थ्य मंत्रालय के महानिदेशक इब्राहिम खतिर ने शुक्रवार को समाचार एजेंसी को बताया,आरएसएफ की गोलाबारी ने अल फशर के दक्षिण में सूक अलमवाशी बाजार को निशाना बनाया जहां नागरिकों की भीड़ थी।
10 मई के बाद से सूडानी सशस्त्र बलों और आरएसएफ के बीच एल फशर में भीषण झड़पें हुई हैं।
संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के अनुसार, एल फ़ैशर लगभग 1.5 मिलियन लोगों का घर है जिनमें से 800,000 आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्ति हैं।
15 अप्रैल, 2023 से सूडान SAF और RSF के बीच हिंसक संघर्ष में उलझा हुआ है मानवीय मामलों के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के नवीनतम अनुमान के अनुसार संघर्ष के परिणामस्वरूप लगभग 20,000 मौतें, हजारों चोटें और लाखों लोगों का विस्थापन हुआ है।
लेबनान की हालिया घटनाओं पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता का अहम संदेश
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह सैय्यद अली ख़ामेनेई ने लेबनान की हालिया घटनाओं के बारे में एक अहम संदेश जारी किया है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता का संदेश इस प्रकार है: बिस्मिल्लाह अर्रहमान अर्रहीम लेबनान के निहत्थे लोगों के जनसंहार ने जहाँ एक बार फिर ज़ायोनी पागल कुत्ते की हैवानियत को सबके सामने स्पष्ट कर दिया है, वहीं इससे अवैध क़ब्ज़े वाली सरकार के शासकों की छोटी सोच और मूर्खतापूर्ण नीति भी साबित हो गई है।
ज़ायोनी शासन पर राज करने वाले आतंकी गैंग ने ग़ज़ा में साल भर से जारी अपने आपराधिक युद्ध से सीख नहीं ली और वह यह समझने में नाकाम रहा है कि महिलाओं, बच्चों और आम नागरिकों का जनसंहार रेज़िस्टेंस के मज़बूत ढाँचे पर न तो असर डाल सकता है और न ही उसे हरा सकता है।
अब ज़ायोनी वही मूर्खतापूर्ण नीति लेबनान में आज़मा रहे हैं। ज़ायोनी अपराधियों को मालूम होना चाहिए कि वे इससे कहीं तुच्छ हैं कि हिज़्बुल्लाह के मज़बूत ढाँचे को कोई अहम नुक़सान पहुँचा सकें। इलाक़े की सभी रेज़िस्टेंस फ़ोर्सेज़ हिज़्बुल्लाह के साथ और उसकी पीठ पर हैं। इस इलाक़े का भविष्य रेज़िस्टेंस फ़ोर्सेज़ निर्धारित करेंगी जिनमें सबसे ऊपर हिज़्बुल्लाह है।
लेबनान के लोग नहीं भूले हैं कि कभी क़ाबिज़ सरकार के सैनिक बैरूत तक दनदनाते फिरते थे, यह हिज़्बुल्लाह ही था जिसने उनके पैर काट दिए थे और लेबनान को प्रतिष्ठित और सरबुलंद बना दिया। आज भी लेबनान, अल्लाह की मदद और समर्थन से, आक्रामक, दुष्ट और कुख्यात दुश्मन को पछताने पर मजबूर कर देगा।
सभी मुसलमानों पर वाजिब है कि वे अपने संसाधनों के साथ लेबनान के लोगों और सरबुलंद हिज़्बुल्लाह के साथ खड़े हों और क़ाबिज़, ज़ालिम और दुष्ट सरकार से मुक़ाबले में उसकी मदद करें।
सलाम हो अल्लाह के नेक बंदों पर सैयद अली ख़ामेनेई
28 सितम्बर 2024
एस्टोनिया के अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव में ईरानी फ़िल्म "डिफेंसलेस माउंटेन" की स्क्रीनिंग
ईरानी डॉक्यूमेंट्री फिल्म "डिफेंसलेस माउंटेन" को एस्टोनियाई अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति फ़िल्म महोत्सव में प्रदर्शित किया जाएगा।
मात्सालो इंटरनेशनल नेचर फ़िल्म फ़ेस्टिवल (एमएएफएफ) एस्टोनिया में आयोजित एक वार्षिक प्रकृति फ़िल्म कार्यक्रम है।
इस फ़िल्म फ़ेस्टिवल में, जो इसका 22वां संस्करण है, वन्य जीवन, पर्यावरण संरक्षण, प्रकृति-उन्मुख जीवन शैली और मूल लोगों की प्रकृति से संबंधित परंपराओं का सम्मान करने के बारे में सभी प्रकार की नई अंतर्राष्ट्रीय डाक्युमेंट्रीज़ प्रदर्शित की जाएंगी।
दुनिया भर के अन्य महत्वपूर्ण पर्यावरण और वन्यजीव कार्यों के साथ-साथ "मुस्तफ़ा गंदुम्कार" द्वारा निर्देशित और निर्मित ईरानी डाक्युमेंट्री फ़िल्म "डिफेंसलेस माउंटेन" 26 सितम्बर से 6 अक्टूबर तक इस फ़िल्म फ़ेस्टिवल में दिखाई जाएगी।
डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म डिफेंसलेस माउंटेन में ईरान के "गरीन" पर्वत के लोगों के जीवन का एक काव्यात्मक पर्यावरणीय चित्रण पेश किया गया है।
अंतर्राष्ट्रीय कुरआन प्रतियोगिता में ईरानी कारीयों का बेहतरीन प्रदर्शन
क्रोएशिया की अंतर्राष्ट्रीय कुरआन प्रतियोगिता के उद्घाटन समारोह के बाद इस आयोजन में ईरान के दो प्रतिनिधियों सहित प्रतिभागियों का बेहतरीन प्रदर्शन रहा हैं।
क्रोएशिया में 30वीं अंतरराष्ट्रीय कुरान प्रतियोगिता का उद्घाटन समारोह 27 सितंबर की शाम को कार्यक्रम के आयोजकों जूरी और प्रतिभागियों की उपस्थिति में आयोजित किया गया था।
शोध को पढ़ने और संपूर्ण पवित्र कुरान को याद करने के दो विषयों में इन प्रतियोगिताओं की प्रतियोगिताएं शुक्रवार, 27 सितंबर की सुबह से शुरू होंगी और शनिवार की दोपहर तक जारी रहेंगी। शनिवार शाम को समापन समारोह एवं श्रेष्ठ लोगों का सम्मान भी होगा।
घोषित कार्यक्रम के अनुसार 28 सितंबर शनिवार को देश के दो प्रतिनिधि प्रतियोगियों के स्थान पर उपस्थित होकर इस प्रतियोगिता में भाग लेंगे। तदनुसार शनिवार की सुबह, महदी महदावी सामान्य याद रखने के क्षेत्र में अन्य प्रतिभागियों के साथ प्रतिस्पर्धा करती है, और दोपहर में यूसुफ जाफ़रज़ादेह शोध पढ़ने के क्षेत्र में अन्य प्रतिभागियों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं।
क्रोएशिया की अंतर्राष्ट्रीय कुरान प्रतियोगिता दो विषयों में आयोजित की जाती है संपूर्ण याद करना और शोध पढ़ना पिछले कुछ वर्षों में हमारे देश की ओर से हमेशा एक पाठक या संपूर्ण पवित्र कुरान को याद करने वाले को इस कार्यक्रम में भेजा जाता था।
इस प्रतियोगिता के निर्णायकों में क्रोएशिया से अजीज अलअलीली, कतर से यूसुफ अलहम्मादी, तुर्की से उस्मान शाहीन इराक से शेरजाद ताहिर और अल्जीरिया से कमाल गोदा जैसे प्रोफेसर शामिल हैं।
रूसी राष्ट्रपति ने पश्चिमी देशों को न्यूक्लियर हमले की चेतावनी दी
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पहले भी कई बार परमाणु हथियार के इस्तेमाल की धमकी दे चुके हैं इस बार उन्होंने परमाणु नीति में बदलाव की घोषणा भी की है।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक बार फिर से पश्चिम देशों को परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी दी है।एक रिपोर्ट के मुताबिक पुतिन ने राजधानी मॉस्को में बुधवार को सुरक्षा परिषद की तत्काल बैठक बुलाई थी।
इसमें उन्होंने कहा कि रूसी सरकार परमाणु हथियारों के इस्तेमाल से जुड़े नियम और शर्तों को बदलने जा रही है।
पुतिन ने कहा कि देश के परमाणु सिद्दांत में कई नई चीजें जोड़ी जाएंगी इसमें रूस के खिलाफ मिसाइल या फिर ड्रोन हमलों के खिलाफ परमाणु हथियारों का इस्तेमाल भी शामिल है।
पुतिन ने कहा कि अगर रूसी इलाके में बड़े पैमाने पर मिसाइल या ड्रोन हमला होता जिससे देश की संप्रभुता पर गंभीर खतरा होता है तो तब भी रूस परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है।
पुतिन ने कहा कि यदि कोई गैर परमाणु देश परमाणु संपन्न देश के समर्थन से रूस पर हमला करता है तो इसे दोनों देशों की तरफ से किया गया हमला माना जाएगा उन्होंने कहा कि रूस के परमाणु हथियार देश और उसके नागरिकों की सुरक्षा की सबसे बड़ी गारंटी हैं।
राष्ट्रपति पुतिन ने बुधवार को परमाणु नीति पर चर्चा के लिए मॉस्को की सुरक्षा परिषद के साथ बैठक की थी।
यूपी मे मुसलमानों के रोजगार को खत्म करने की कोशिश
समाजवादी पार्टी ने कहा कि मुसलमानों और दलितों को निशाना बनाने के लिए एक आदेश जारी किया गया है, हिमाचल सरकार भी यूपी के नक्शेकदम पर चली है, राज्य मंत्री विक्रम आदित्य सिंह ने भी ऐसा ही आदेश जारी किया है।
उत्तर प्रदेश में खाने-पीने की दुकानों, ढाबों और होटलों पर मालिकों का नाम लिखना अनिवार्य करने के फरमान पर एक बार फिर सियासत तेज हो गई है। सरकार का तर्क है कि खाने-पीने की चीजों में आपत्तिजनक चीजें मिलाना और लोगों के स्वास्थ्य और साफ-सफाई से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी, लेकिन इस निर्देश पर विपक्षी दलों ने नाराजगी जताई है। सामाजिक स्तर पर भी इस फरमान के खिलाफ गहरी नाराजगी और चिंता है। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस जैसे प्रमुख विपक्षी दलों ने इस फरमान पर कड़ी आपत्ति जताई है। यह मुसलमानों के रोजगार को खत्म करने की कोशिश है। गौरतलब है कि कावड यात्रा के दौरान ढाबों और होटलों समेत सभी खाने-पीने की दुकानों पर मालिकों का नाम लिखना अनिवार्य कर दिया गया था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी। मामला सिर्फ यूपी तक ही सीमित नहीं है बल्कि हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार भी आश्चर्यजनक रूप से योगी सरकार के नक्शेकदम पर चलने की कोशिश कर रही है। उन्होंने यहां भी ऐसे ही आदेश जारी किए हैं।
इससे पहले यूपी की योगी सरकार ने भोजन में लार और मूत्र जैसे गंदे और अशुद्ध पदार्थों की कथित मिलावट को बेकार और अपमानजनक बताते हुए दिशानिर्देश जारी करने का दावा किया था और कहा था कि ऐसे निंदनीय आंदोलनों को रोकने के लिए ही यह सख्ती दिखाई जा रही है। समाजवादी पार्टी ने सरकार के इस कदम पर बेहद आक्रोश व्यक्त किया और सवाल उठाया कि मिलावट को खत्म करने और भोजन की गुणवत्ता बनाए रखने के प्रयास समाज की भलाई के लिए जरूरी हैं, लेकिन ढाबों और रेस्तरां के नाम उजागर करने का क्या मतलब है मालिकों का विवरण? इसके द्वारा कौन से लक्ष्य और हित पूरे किये जाने हैं? समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अब्दुल हफीज गांधी ने कहा कि अगर खाद्य पदार्थों की पवित्रता और गुणवत्ता का मामला है, तो मिलावट को रोकने के लिए प्रत्यक्ष और स्पष्ट रूप से प्रासंगिक उपाय किए जाने चाहिए। लेकिन अगर ढाबा और रेस्तरां मालिकों की सांप्रदायिकता को उजागर करने के लिए यह कार्रवाई की जा रही है, तो हम इसका पुरजोर विरोध करेंगे। योगी सरकार के इस आदेश का विरोध करते हुए समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता रवि दास मेहरोत्रा ने कहा कि अब पुलिस पूरे प्रदेश के सभी दुकानदारों से वसूली करेगी और फर्जी मुकदमे दर्ज करेगी भाजपा दलितों और पिछड़ों की दुकानें बंद करना चाहती है और मूल मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए ही ऐसे फरमान जारी कर रही है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अरशद आजमी ने मुख्यमंत्री योगी के आदेश पर एक महत्वपूर्ण बिंदु पर प्रकाश डाला और कहा कि 'नाम बोर्ड' लगाने का निर्देश एक अनावश्यक कदम है क्योंकि हर दुकान का पहले से ही एक पंजीकरण होता है जिसमें सभी जानकारी दर्ज होती है। उन्होंने आगे कहा कि अगर दुकानदारों को अपनी पहचान बताने की जरूरत है तो बीफ फैक्ट्री संचालकों के नाम भी उजागर करने चाहिए ताकि समान मानक बनाए रखा जा सके।
ये मामला सिर्फ यूपी तक ही सीमित नहीं है बल्कि हिमाचल की कांग्रेस सरकार भी योगी के नक्शेकदम पर चलने की कोशिश कर रही है। नगर विकास राज्य मंत्री विक्रम आदित्य सिंह ने भी ऐसा ही फरमान जारी किया है। उन्होंने कहा कि लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है।