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वेनेजुएला में हुए राष्ट्रपति चुनाव में एक बार फिर निकोलस मादुरो की सत्ता में वापसी हुई है और वह लगातार तीसरी बार वेनेजुएला के राष्ट्रपति चुने गए हैं। हालांकि विपक्ष चुनाव में धांधली का आरोप लगा रहा है और नतीजों पर सवाल उठा रहा है।

राष्ट्रीय चुनाव परिषद ने बताया कि मादुरो को 51 प्रतिशत वोट मिले हैं, जबकि मुख्य विपक्षी उम्मीदवार एडमुंडो गोंजालेज के खाते में 44 फीसदी वोट गए हैं।

मौजूदा राष्ट्रपति निकोलस मादुरो को इस चुनाव में एकजुट विपक्ष से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा था। विपक्ष ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि वो बीते एक दशक से जारी आर्थिक संकट को दूर करेंगे। वेनेजुएला में आर्थिक संकट के चलते करीब 70 लाख लोग देश छोड़कर अन्य देशों में बस चुके हैं। 74 वर्षीय एडमुंडो गोंजालेज युरुशिया के नेतृत्व में विपक्ष ने मादुरो के खिलाफ चुनाव लड़ा था। हालांकि, वह बीते 11 वर्षों से सत्ता पर काबिज मादुरो को मात नहीं दे सके।

 

 

पाकिस्तान के पाराचिनार में एक बार फिर शिया समुदाय के खिलाफ तालिबानी और पाकिस्तानी आतंकियों ने चारों तरफ से घेर कर हमला बोल रखा है। 5 दिन से अधिक समय से झड़पें जारी हैं जिसमे 35 लोग मारे गए हैं।

अधिकारियों ने बताया कि ऊपरी कुर्रम जिले के बोशेरा गांव में पांच दिन पहले भीषण झड़पें शुरू हो गई थीं। इस गांव में पहले भी जनजातियों और धार्मिक समूहों के बीच घातक संघर्ष के साथ-साथ सांप्रदायिक झड़पें और आतंकवादी हमले हो चुके हैं।

पुलिस ने बताया कि अफगानिस्तान की सीमा से लगे खैबर पख्तूनख्वा के कुर्रम जिले में पिछले पांच दिन में जनजातीय संघर्ष में 36 लोग मारे गए और 162 अन्य घायल हो गए।

 

 मक़बूज़ा गोलान हाइट्स में स्थित मजदल शम्स में हुए रॉकेट्स हमलों और धमाकों की सुई खुद ज़ायोनी शासन की ओर घूम रही है जो लेबनान के खिलाफ व्यापक युद्ध शुरू करने के बहाने तलाश रहा है।

ज़ायोनी सेना ने 11 लोगों की मौत और 35 से अधिक लोगों को घायल करने वाले इस हमले के बारे में कोई साक्ष्य न देते हुए इसका आरोप हिज़्बुल्लाह पर मंढा है जबकि 8 महीने से ज़ायोनी ठिकानों को निशाना बनाने वाले हिज़्बुल्लाह ने साफ़ शब्दों में कहा है कि अतीत की ही भांति हम अपने उसूलों पर अडिग हैं हम किसी आम नागरिक को निशाना नहीं बनाते।

बता दें कि इस हमले के फौरन बाद ही ज़ायोनी वॉर कैबिनेट के सदस्यों ने लेबनान के खिलाफ युद्ध छेड़ने की मांग की है।

प्रतिरोध से वफ़ादारी नामक लबनानी प्रतिरोध समूह के प्रमुख मोहम्मद राद ने आज इस्राईली सरकार को कड़ी चेतावनी दी।

प्रतिरोध से वफ़ादारी नामक लबनानी प्रतिरोध समूह के प्रमुख मोहम्मद राद ने फैल रही अफवाहों के जवाब में इस्राईली सरकार को कड़ी चेतावनी दी इज़राइल ने लेबनान के खिलाफ बड़े पैमाने पर और चौतरफा युद्ध शुरू करने का फैसला किया, इस युद्ध से उसके नकली अस्तित्व का अंत हो जाएगा।

उन्होंने सईदा में  आयतुल्लाह अफीफ अल-नबलीसी की सालगिरह की सभा में कहा कि गाजा के लोगों के प्रतिरोध और प्रतिरोध बलों की बहादुरी और गाजा में प्रतिरोध मोर्चों के समर्थन के कारण गाजा में दुश्मन के उद्देश्य विफल हो गए।

ये बयान हिज़बुल्लाह और इजरायली सरकार के बीच बढ़े तनाव के बीच आए हैं, जब शनिवार शाम को गया में ज़ायोनी शासन के आयरन डोम से दागे गए एक रॉकेट के जरिए कब्जे वाले सीरियाई गोलान के मजदल शम्स में एक स्टेडियम पर एक इजरायली इंटरसेप्टर मिसाइल गिर गई थी, जिसमें 11 लोग मारे गए थे और 30 से अधिक घायल हो गए।

इस्राईली सरकार ने पहले सभी को यह समझाने की कोशिश की कि हिजबुल्लाह ने इस क्षेत्र पर मिसाइल से हमला किया है, लेकिन हिजबुल्लाह ने इस बात का जोरदार खंडन किया और दुनिया के सामने घोषणा की कि मजदल शम्स में विस्फोट हुआ है। इसका कारण इजरायली मिसाइलें हैं।

 

 

 

कांवड़ यात्रा की वजह से हरिद्वार में भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन अलर्ट है। ऐसे में किसी अनहोनी से बचाने के लिए SDRF के जवानों घाट पर डटे हुए हैं। उन्हीं में से एक जाबांज तैराक आशिक अली अब 40 कांवड़ियों के नई जिंदगी दे चुके हैं।

सावन के इस मौके पर कावड़ियों की भीड़ हरिद्वार की गंगा नदी में जमकर उमड़ रही है। वहीं, दूसरी तरफ गंगा के घाट पर कावड़ियों के डूबने के भी कई मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन उत्तराखंड एसडीआरएफ के जवानों की मुस्तैदी की वजह से गंगा घाट पर बहने वाले कावड़ियों को बचाने के लिए एसडीआरएफ के जवानों ने रात दिन एक कर दिया है।

इन सब तैराकों में SDRF में तैनात हेड कॉन्स्टेबल आशिक अली इन दिनों काफी चर्चा में है। वह अपनी टीम के साथ अब तक 40 कांवड़ियों की जान बचा चुके हैं। आशिक अली देहरादून के सहसपुर के रहने वाले हैं वह साल 2012 में उत्तराखंड पुलिस में भर्ती हुए थे। साल 2021 में SDRF में ही हेड कांस्टेबल बने। एसडीआरएफ से जुड़ने के बाद से ही वह लगातार उन जगहों पर लोगों को बचाने के लिए जाते हैं जहां पर एसडीआरएफ की जरूरत होती है।

चौदहवीं कार्यपालिका इस्लामी क्रांति के नेता की ओर से निर्वाचित राष्ट्रपति को मिले जनादेश को रविवार 28 जुलाई 2024 को अनुमोदित किए जाने और उन्हें दिए जाने वाले आदेशपत्र के बाद, आधिकारिक तौर पर अपना काम शुरू करेगी।

चौदहवीं कार्यपालिका इस्लामी क्रांति के नेता की ओर से निर्वाचित राष्ट्रपति को मिले जनादेश को रविवार 28 जुलाई 2024 को अनुमोदित किए जाने और उन्हें दिए जाने वाले आदेशपत्र के बाद, आधिकारिक तौर पर अपना काम शुरू करेगी।

अनुमोदन का यह कार्यक्रम तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में होने जा रहा है, जिसमें इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई और देश के वरिष्ठ अधिकारी शरीक होंगे। कार्यक्रम के दौरान, संविधान की धारा 110 के नवें अनुच्छेद के मुताबिक़ निर्वाचित राष्ट्रपति को चुनाव में मिलने वाले जनादेश को अनुमोदित किया जाएगा।

इस कार्यक्रम में ग्रह मंत्री चौदहवें राष्ट्रपति चुनाव के पहले और दूसरे चरण के आयोजन की प्रक्रिया पर एक रिपोर्ट पेश करेंगे। निर्वाचित राष्ट्रपति को दिए जाने वाले आदेशपत्र के पढ़े जाने के बाद, डॉक्टर मसऊद पिज़िश्कियान भाषण देंगे जिसके बाद इस्लामी क्रांति के नेता ख़ेताब करेंगे।

गाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने गाजा पट्टी पर इज़राईली शासन के हमलों में घायल और शहीद फ़िलिस्तीनियों की संख्या में वृद्धि की घोषणा की हैं।

एक रिपोर्ट के अनुसार , गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने युद्ध के 297वें दिन फिलिस्तीनी शहीदों की संख्या के संबंध में अपने नवीनतम बयान में सोमवार दोपहर को घोषणा किया हैं कि इजरायली सेना ने गाजा पट्टी में बहुत लोगों को मार डाला हैं।

पिछले 24 घंटों में 3 नरसंहार, जिनमें कुल 39 हजार 363 शहीद और 90 हजार 823 घायल हुए हैं।

मंत्रालय ने घोषणा की कि 15 अक्टूबर के बाद से फिलिस्तीनी शहीदों की कुल संख्या 39 हज़ार 363 और घायलों की संख्या 90 हज़ार 923 तक पहुंच गई है।

गाज़ा स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने पिछले बयानों की तरह बताया कि मलबे के नीचे अभी भी बड़ी संख्या में फिलिस्तीनी शहीद हैं।

अलजज़ीरा चैनल के संवाददाता ने आज यह भी बताया कि इज़रायली सेना ने खान यूनिस गाजा के दक्षिण में अबूहमीद चौक पर हमला किया इस रिपोर्ट के अनुसार, इस हमले में कम से कम 5 फिलिस्तीनी शहीद हो गए और कई घायल हैं।

गाजा पट्टी में शहीदों और घायलों की संख्या बढ़ती जा रही है जबकि क्षेत्र को चिकित्सा आपूर्ति की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है इज़रायली सेना ने गाजा पट्टी को घेर लिया है और मानवीय सहायता को क्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दे रही है।

फ्रांस में 33वें ओलंपिक खेलों की शुरुआत शुक्रवार को ही रंगारंग कार्यक्रम के साथ हो गई है लेकिन साथ ही ओलंपिक उद्घाटन समारोह में पेश की गयी एक झांकी ने विवाद को जन्म दे दिया है। दरअसल ओलंपिक उद्घाटन समारोह में ईसा मसीह की ऐसी झांकी दिखाई गई जिसको लेकर विवाद शुरू हो गया। दरअसल इसें ड्रैग क्वीन्स को दिखाया गया था। इसे ईसाई धर्म का अपमान बताया जा रहा है।

इस प्रदर्शन में ड्रैग क्वीन्स को लियोनार्डो दा विंची की 'लास्ट सपर' की याद दिलाने वाली एक मेज के पीछे पोज देते हुए दिखाया गया था। इस प्रदर्शन में 18 कलाकारों ने एक लंबी टेबल के पीछे पोज दिया, जो लेओनार्डो दा विंची की 'लास्ट सपर' पेंटिंग में ईसा मसीह और उनके बारह साथियों के समान था। इसमें सबसे ज्यादा ध्यान खींचने वाली बात थी एक महिला का बड़ा चांदी का हेडड्रेस जो ईसा मसीह की पेंटिंग में दिखाए गए प्रकाश के घेरे जैसा दिखता था।

इस घटना पर बयान देते हुए अल अज़हर ने कहा कि हम किसी भी नबी के अपमान की इजाज़त नहीं देंगे और इसकी कड़ी निंदा करते हैं। हम ऐसे वैश्विक मंचों को अंबिया ए इलाही और धार्मिक आस्थाओं पर प्रहार करने के लिए इस्तेमाल करने के बढ़ते चलन को लेकर सचेत करते हैं।

 

मक़बूज़ा गोलान हाइट्स के एक फुटबॉल फील्ड पर हुए हमले के बाद लेबनानी रेसिस्टेंस और अवैध राष्ट्र इस्राईल के बीच ऑल-आउट वॉर छिड़ने की संभावना बढ़ गई है। ज़ायोनी शासन की धमकियों के बाद हिज़्बुल्लाह ने भी जंग शुरू करने पर बुरे परिणाम भुगतने की चेतावनी दी है। अब तुर्की के राष्ट्रपति भी इस मामले में कूद पड़े हैं। अर्दोग़ान ने अपनी पार्टी की मीटिंग में इस्राईल पर आक्रमण की धमकी दी है।

अपनी बयानबाज़ी के लिए मशहूर अर्दोग़ान ने अपने होमटाउन राइज में हो रही AK पार्टी की एक मीटिंग में कहा, ‘हमें बहुत मजबूत होना चाहिए ताकि इस्राईल फिलिस्तीन के साथ ये बेतुकी हरकतें न कर सके। जैसे हमने काराबाख में किया, जैसे हम लीबिया में घुसे, हम इस्राईल के साथ भी ऐसा ही कर सकते हैं।

अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान राज आने के बाद से ही उसके पडोसी देश अपनी सुरक्षा को लेकर सतर्क हो गए हैं। पाकिस्‍तान लगातार टीटीपी आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहा है वहीं ताजिकिस्‍तान और चीन को भी आतंकी खतरे का डर सता रहा है।

अब अफगानिस्‍तान के एक और महत्‍वपूर्ण पड़ोसी देश ईरान ने कहा है कि वह अफगान सीमा पर 300 किमी लंबी दीवार बनाने जा रहा है। यह दीवार 4 मीटर ऊंची होगी ताकि घुसपैठ को रोका जा सके और सुरक्षा को मजबूत किया जा सके। इस प्रॉजेक्‍ट को ईरानी सेना और आईआरजीसी के इंजीनियर और कंस्‍ट्रक्‍शन वर्कर मिलकर करेंगे।

ईरानी मीडिया के मुताबिक ईरानी सेना के ग्राउंड फोर्सेस इंजीनियरिंग ग्रुप के कमांडर ने गुरुवार को ऐलान किया कि ईरान की पश्चिमोत्‍तर सीमा को बंद किया जाएगा। ब्रिगेडियर जनरल अहमद अकबरी ने तय-आबाद के गवर्नर से बातचीत में कहा कि खुरासाने रज़वी प्रांत और अफगानिस्‍तान के बीच 300 किमी लंबी सीमा को बंद करने के लिए तकनीकी अभियान चलाया जा रहा है। उन्‍होंने कहा कि इस दिशा में कई चरणों में महत्‍वपूर्ण प्रगति हुई है।