माहे रमज़ान के तिसरे दिन की दुआ (3)

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माहे रमज़ान के तिसरे दिन की दुआ (3)

माहे रमज़ानुल मुबारक की दुआ जो हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व.ने बयान फ़रमाई हैं।

اَللّهُمَّ ارْزُقني فيہ الذِّهنَ وَالتَّنْبيہ وَباعِدْني فيہ مِنَ السَّفاهَۃ وَالتَّمْويہ وَاجْعَل لي نَصيباً مِن كُلِّ خَيْرٍ .تُنْزِلُ فيہ بِجودِكَ يا اَجوَدَ الأجْوَدينَ

अल्लाह हुम्मरज़ुक़्नी फ़ीहि अज़ ज़िह ना वत तनबीह, व बा एद नी फ़ीहि मिनस सफ़ाहति वत तमवीह, वज अल ली नसीबन मिन कुल्ले ख़ैरिन तुनज़िलु फ़ीहि बेजूदिका या अजवदल अजवदीन (अल बलदुल अमीन, पेज 220, इब्राहिम बिन अली)

ख़ुदाया! आज के दिन मुझे होश व आगाही अता फ़रमा, मुझे हर तरह की नासमझी बे राह रवी से महफ़ूज़ रख, और मुझे हर भलाई में से हिस्सा दे जो आज तेरी अताओं से नाज़िल हो, ऐ सबसे ज़ियादा अता करने वाले...

अल्लाह हुम्मा स्वल्ले अला मुहम्मद व आले मुहम्मद व अज्जील फ़रजहुम

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