رضوی

رضوی

हज़रत ज़ैनब अ.स. की एक और सबसे अहम विशेषता जिसको सैय्यद नूरुद्दीन जज़ाएरी ने ख़साएसुज़ ज़ैनबिय्या में ज़िक्र किया है वह यह कि आप क़ुर्आन की मुफ़स्सिरा थीं, और वह एक रिवायत को इस तरह बयान करते हैं कि जिन दिनों इमाम अली अ.स. कूफ़ा में रहते थे उन्हीं दिनों हज़रत जैनब अ.स. कूफ़े की औरतों के लिए क़ुर्आन की तफ़सीर बयान करती थीं

हज़रत ज़ैनब अ.स. एक रिवायत के अनुसार 5 जमादिल अव्वल को मदीने में पैदा हुईं, आपके वालिद इमाम अली अ.स. और मां हज़रत ज़हरा स.अ. थीं, आप केवल पांच साल की थीं जब की मां शहीद हुई, आपने अपने ज़िदगी में बहुत सारी मुसीबतों का सामना किया,

मां बाप की शहादत से ले कर भाइयों और बच्चों की शहादत तक आपने देखी, और इस्लाम की राह में क़ैद की कठिन सख़्तियों को भी बर्दाश्त किया, आपके जीवन की यही सख़्तियां थीं जिन्होंने आपके सब्र धैर्य और धीरज को पूरी दुनिया के लिए मिसाल बना दिया। (रियाहीनुश-शरीयह, जिल्द 3, पेज 46)

आपके बहुत सारे लक़ब हैं जिनमें से मशहूर सिद्दीक़-ए-सुग़रा, आलेमा, मोहद्देसा, आरेफ़ा और सानि-ए-ज़हरा हैं, आपके सिफ़ात और आपकी विशेषताएं देख कर आपको अक़ील-ए-बनी हाशिम कहा जाता है, आपकी शादी हज़रत जाफ़र के बेटे अब्दुल्लाह से हुई थी, और आपके दो बेटे औन और मोहम्मद कर्बला में इमाम हुसैन अ.स. के साथ दीन को बचाने की ख़ातिर शहीद कर दिए गए थे। (रियाहीनुश-शरीयह, जिल्द 3, पेज 210)

आमतौर से बच्चों के नाम उनके मां बाप रखते हैं लेकिन हज़रत ज़ैनब अ.स. का नाम आपके नाना पैग़म्बर स.अ. ने रखा।

जब आपकी विलादत हुई तो पैग़म्बर स.अ. सफ़र पर गए हुए थे जब आप वापस आए और जैसे ही आपको हज़रत ज़ैनब अ.स. की विलादत की ख़बर मिली आप तुरंत इमाम अली अ.स. के घर आए और हज़रत ज़ैनब अ.स. को गोद में ले कर प्यार किया और उसी समय आपने ज़ैनब यानी बाप की ज़ीनत नाम रखा। (रियाहीनुश-शरीयह, जिल्द 3, पेज 39)

 

इंसान की अहमियत उसके इल्म और ज्ञान से पहचानी जाती है, जैसाकि क़ुर्आन में सूरए बक़रह की आयत न. 31 और 32 में हज़रत आदम अ.स. के बारे में भी यही कहा गया है, और सबसे अहम इल्म और ज्ञान वह है जो सीधे अल्लाह से हासिल किया जाए जिसे इल्मे लदुन्नी कहा जाता है, हज़रत ज़ैनब अ.स. का इल्म भी कुछ इसी तरह का था जैसाकि इमाम सज्जाद अ.स. ने आपको आलिम-ए-ग़ैरे मोअल्लमा नाम दिया यानी ऐसी आलिमा जिसने दुनिया में किसी से कुछ सीखा न हो। (मुनतहल आमाल, जिल्द 1, पेज 298)

औरत के लिए सबसे बड़ा कमाल और सबसे बड़ी सआदत यह है कि उसकी पाकीज़गी और पवित्रता पर कोई सवाल न कर सके, हज़रत ज़ैनब अ.स. ने पवित्रता का सबक़ अपने वालिद से सीखा जैसाकि यहया माज़नदरानी से रिवायत है कि मैंने कई सालों तक मदीने में इमाम अली अ.स. की ख़िदमत की है और मेरा घर हज़रत ज़ैनब अ.स. के घर से बिल्कुल क़रीब था लेकिन कभी न मैंने उनको देखा और ना ही उनकी आवाज़ सुनी।

आप जब भी पैग़म्बर स.अ. की क़ब्र की ज़ियारत को जाना चाहतीं तो रात के सन्नाटे में जातीं और आपके साथ आगे आगे इमाम अली अ.स. चलते और आपके दाहिने इमाम हसन अ.स. और बाएं इमाम हुसैन अ.स. चलते, और जब पैग़म्बर स.अ. की क़ब्र के क़रीब पहुंचते तो पहले इमाम अली अ.स. जा कर चिराग़ की रौशनी को धीमा कर देते थे, एक बार इमाम हसन अ.स. ने अपने वालिद से इसका कारण पूछा तो आपने जवाब दिया कि मुझे डर है कि कहीं कोई हज़रत ज़ैनब अ.स. को देख न ले।

आपने कठिन परिस्थितियों में भी अपनी पाकीज़गी और पवित्रता को ध्यान में रखा, कूफ़ा और शाम जैसे घुटन के माहौल में जहां आपके सर पर चादर नहीं थी लेकिन फिर भी आप अपने हाथों से अपने चेहरे को छिपाए हुए थीं। (अल-ख़साएसुज़ ज़ैनबिय्या, पेज 345)

हज़रत ज़ैनब अ.स. की एक और सबसे अहम विशेषता जिसको सैय्यद नूरुद्दीन जज़ाएरी ने ख़साएसुज़ ज़ैनबिय्या में ज़िक्र किया है वह यह कि आप क़ुर्आन की मुफ़स्सिरा थीं, और वह एक रिवायत को इस तरह बयान करते हैं कि जिन दिनों इमाम अली अ.स. कूफ़ा में रहते थे उन्हीं दिनों हज़रत जैनब अ.स. कूफ़े की औरतों के लिए क़ुर्आन की तफ़सीर बयान करती थीं, एक दिन इमाम अली अ.स. घर में दाख़िल हुए देखा हज़रत ज़ैनब अ.स. सूरए मरयम के शुरू में आने वाले हुरूफ़े मोक़त्तए की तफ़सीर बयान कर रही थीं,

आपने हज़रत ज़ैनब अ.स. से कहा बेटी इसकी तफ़सीर मैं बयान करता हूं और फिर आपने फ़रमाया इन हुरूफ़ में अल्लाह ने एक बहुत बड़ी मुसीबत को राज़ बना कर रखा है और फिर आपने कर्बला की दास्तान को बयान किया जिसको सुन कर हज़रत ज़ैनब अ.स. बहुत रोईं।

 

शैख़ सदूक़ बयान करते हैं कि इमाम हुसैन अ.स. ने इमाम सज्जाद अ.स. की बीमारी के समय हज़रत ज़ैनब अ.स. को यह अनुमति दी थी कि जो लोग शरई मसले पूछें आप उनका जवाब दीजिएगा।

शैख़ तबरिसी ने नक़्ल किया है कि हज़रत ज़ैनब अ.स. ने बहुत सारी हदीसें अपनी मां हज़रत ज़हरा स.अ. बयान की है, इसी तरह एमादुल मोहद्देसीन से नक़्ल हुआ है कि आप अपनी मां, वालिद, भाईयों, उम्मे सलमा, उम्मे हानी और भी दूसरे लोगों से बहुत सी हदीसें बयान की हैं, और जिन लोगों ने आपसे हदीसें नक़्ल की हैं उनके नाम इस तरह हैं इब्ने अब्बास, इमाम सज्जाद अ.स., अब्दुल्लाह इब्ने जाफ़र।

इसी तरह फ़ाज़िल दरबंदी और भी दूसरे बहुत से उलमा ने हज़रत ज़ैनब अ.स. के बारे में  यह बात भी लिखी है कि हज़रत ज़ैनब अ.स. को इल्मे मनाया वल बलाया था यानी ऐसा इल्म जिसमें आने वाले समय में कौन सी घटना पेश आने वाली है इन सबके बारे में आपको मालूमात थी।

श्रीमती मोहसिनज़ादेह ने कहा: हुर्मुग़जान प्रांत के धार्मिक छात्र विभिन्न सांस्कृतिक और दूरदर्शी क्षेत्रों में जिहाद-ए-तबईन के अग्रदूत हैं।

ईरान के इस्लामी गणराज्य के हुर्मुज़गान प्रांत में हौज़ा इल्मिया खाहरान के सांस्कृतिक और उपदेशात्मक मामलों की संरक्षक श्रीमति मोहसिनज़ादेह ने हज़रत ज़ैनब के जन्म के अवसर पर हौज़ा न्यूज़ के संवाददाता के साथ एक साक्षात्कार के दौरान कहा: हज़रत ज़ैनब, हुर्मुज़गान प्रांत की धार्मिक छात्राएँ हैं, वह पैगंबर (स) के बाद विभिन्न सांस्कृतिक और दूरदर्शी कार्यक्रमों में जिहाद-ए-तबईन की वाहक हैं।

हौज़ा इल्मिया ख़ाहरान हुर्मज़गान के सांस्कृतिक और उपदेशात्मक मामलों के संरक्षक ने कहा: हज़रत ज़ैनब, धर्म, विश्वास और नैतिकता के क्षेत्र में सबसे अच्छा व्यावहारिक उदाहरण हैं।

उन्होंने कहा: हज़रत ज़ैनब के फ़रमानों मे, ईश्वर और न्याय के दिन पर विश्वास, धैर्य और धीरज, स्थितियों के बारे में जागरूकता, दर्शकों के बारे में जागरूकता, और ईश्वरीय सीमाओं का पालन, विशेष रूप से विनम्रता और शुद्धता, स्पष्ट रूप से देखा गया है।

श्रीमति मोहसिनज़ादेह ने कहा: हुर्मुज़गान प्रांत के धार्मिक छात्र हज़रत ज़ैनब के बाद विभिन्न सांस्कृतिक और दूरदर्शी कार्यक्रमों में जिहाद-ए-तबईन के अग्रणी हैं। उनकी धार्मिक गतिविधियों में इस्लामी संस्कारों को बढ़ावा देना और विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों में पुस्तक पढ़ना शामिल है।

हज़रत ज़ैनब स.ल. एक रिवायत के अनुसार 5 जमादिउल अव्वल सन 6 हिजरी को मदीने में पैदा हुईं, आप के वालिद हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम और मां हज़रत फ़ातिमा ज़हेरा स.अ थीं, आप केवल पांच साल की थीं जब आपकी मां शहीद हुई, आप ने अपनी ज़िदगी में बहुतसारी मुसीबतों का सामना किया, मां बाप की शहादत से लेकर भाइयों और बच्चों की शहादत तक आप ने देखी और इस्लाम की राह में क़ैद की कठिन सख़्तियों को भी बर्दाश्त किया, आप के जीवन की यही सख़्तियां थीं जिन्होंने आपके सब्र, धैर्य और धीरज को पूरी दुनिया के लिए मिसाल बना दिया।

हज़रत ज़ैनब स.ल. एक रिवायत के अनुसार 5 जमादिउल अव्वल सन 6 हिजरी को मदीने में पैदा हुईं, आप के वालिद हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम और मां हज़रत फ़ातिमा ज़हेरा स.अ थीं, आप केवल पांच साल की थीं जब आपकी मां शहीद हुई, आप ने अपनी ज़िदगी में बहुतसारी मुसीबतों का सामना किया, मां बाप की शहादत से लेकर भाइयों और बच्चों की शहादत तक आप ने देखी और इस्लाम की राह में क़ैद की कठिन सख़्तियों को भी बर्दाश्त किया, आप के जीवन की यही सख़्तियां थीं जिन्होंने आपके सब्र, धैर्य और धीरज को पूरी दुनिया के लिए मिसाल बना दिया। (रियाहीनुश-शरीयह, जिल्द 3, पेज 46)

आपके बहुत सारे लक़ब हैं जिन में से मशहूर सिद्दीक़-ए-सुग़रा, आलिमा, मोहद्दिसा, आरिफ़ा और सानि-ए-ज़हरा हैं, आप के सिफ़ात और आपकी विशेषताएं देखकर आपको अक़ीलए बनी हाशिम कहा जाता है, आप की शादी हज़रत जाफ़रे तैयार के बेटे जनाबे अब्दुल्लाह से हुई थी और आप के दो बेटे औन और मोहम्मद करबला में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के साथ दीन को बचाने के ख़ातिर शहीद कर दिए गए थे। (रियाहीनुश-शरीयह, जिल्द 3, पेज 210)

आम तौर से बच्चों के नाम उनके मां बाप रखते हैं लेकिन हज़रत ज़ैनब (स) का नाम आप के नाना पैग़म्बरे अकरम (स) ने रखा। जब आप की विलादत हुई तो पैग़म्बरे अकरम (स) सफ़र पर गए हुए थे जब आप वापस आए और जैसे ही आप को हज़रत ज़ैनब (स) की विलादत की ख़बर मिली आप तुरंत इमाम अली अलैहिस्सलाम के घर आए और हज़रत ज़ैनब (स) को गोद में ले कर प्यार किया और उसी समय आप ने ज़ैनब यानी बाप की ज़ीनत नाम रखा। (रियाहीनुश-शरीयह, जिल्द 3, पेज 39)

इंसान की अहमियत उसके इल्म और ज्ञान से पहचानी जाती है, जैसा कि क़ुरआन में सूरए बक़रह की आयत 31 और 32 में हज़रत आदम अलैहिस्सलाम के बारे में भी यही कहा गया है और सबसे अहम इल्म और ज्ञान वह है जो सीधे अल्लाह से हासिल किया जाए जिसे *इल्मे लदुन्नी* कहा जाता है, हज़रत ज़ैनब (स) का इल्म भी कुछ इसी तरह का था जैसा कि इमाम सज्जाद ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम ने आप को आलिम-ए-ग़ैरे मोअल्लमा नाम दिया यानी ऐसी आलिमा जिसने दुनिया में किसी से कुछ सीखा न हो। (मुन्तहल आमाल, जिल्द 1, पेज 298)

औरत के लिए सबसे बड़ा कमाल और सबसे बड़ी सआदत यह है कि उसकी पाकीज़गी और पवित्रता पर कोई सवाल न कर सके, हज़रत ज़ैनब (स) ने पवित्रता का सबक़ अपने वालिद से सीखा जैसा कि यह्या माज़नदरानी से रिवायत है कि मैंने कई सालों तक मदीने में इमाम अली अलैहिस्सलाम की ख़िदमत की है और मेरा घर हज़रत ज़ैनब (स) के घर से बिल्कुल क़रीब था लेकिन कभी न मैंने उनको देखा और ना ही उनकी आवाज़ सुनी।

आप जब भी अपने नाना पैग़म्बरे इस्लाम (स) की क़ब्र की ज़ियारत को जाना चाहतीं तो रात के सन्नाटे में जातीं और आप के साथ आगे आगे इमाम अली अलैहिस्सलाम चलते और आप के दाहिने इमाम हसन और बाएं इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम चलते और जब पैग़म्बरे अकरम (स) की क़ब्र के क़रीब पहुंचते तो पहले इमाम अली अलैहिस्सलाम जाकर चिराग़ की रौशनी को धीमा कर देते थे, एक बार इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने अपने वालिद से इसका कारण पूछा तो आप ने जवाब दिया कि मुझे डर है कि कहीं कोई ना महरम मेरी बेटी ज़ैनब (स) को देख न ले।

आप ने कठिन परिस्थितियों में भी अपनी पाकीज़गी और पवित्रता को ध्यान में रखा, कूफ़ा और शाम जैसे घुटन के माहौल में जहां आप के सर पर चादर नहीं थी लेकिन फिर भी आप अपने हाथों से अपने चेहरे को छिपाए हुए थीं। (अल-ख़साएसुज़ ज़ैनबिय्या, पेज 345)

हज़रत ज़ैनब (स) की एक और सबसे अहम विशेषता जिसको सैय्यद नूरुद्दीन जज़ाएरी ने किताब "ख़साएसुज़ ज़ैनबिय्या" में ज़िक्र किया है वह यह कि आप क़ुरआन की मुफ़स्सिरा थीं और वह एक रिवायत को इस तरह बयान करते हैं कि जिन दिनों इमाम अली अलैहिस्सलाम कूफ़ा में रहते थे उन्हीं दिनों हज़रत जैनब (स) कूफ़े की औरतों के लिए क़ुरआन की तफ़सीर बयान करती थीं, एक दिन इमाम अली (अ) घर में दाख़िल हुए देखा हज़रत ज़ैनब (स) सूरए मरियम के शुरू में आने वाले हुरूफ़े मुक़त्तए की तफ़सीर बयान कर रही थीं, आप ने हज़रत ज़ैनब से कहा: बेटी इसकी तफ़सीर मैं बयान करता हूं और फिर आपने फ़रमाया इन हुरूफ़ में अल्लाह ने एक बहुत बड़ी मुसीबत को राज़ बनाकर रखा है और फिर आप ने करबला की दास्तान को बयान किया जिसको सुनकर हज़रत ज़ैनब (स) बहुत रोईं।

जनाबे शैख़ सदूक़ बयान करते हैं कि इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने इमाम सज्जाद ज़ैनुल आबिदीन अलैहिस्सलाम की बीमारी के समय हज़रत ज़ैनब को यह अनुमति दी थी कि जो लोग शरई मसले पूछें आप उनका जवाब दीजिएगा।

शैख़ तबरिसी ने नक़्ल किया है कि हज़रत ज़ैनब (स) ने बहुत सारी हदीसें अपनी मां हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स.अ) से बयान की है, इसी तरह 'एमादुल मोहद्देसीन' से नक़्ल हुआ है कि आप ने अपनी मां, वालिद, भाईयों, जनाबे उम्मे सलमा, जनाबे उम्मे हानी और भी दूसरे लोगों से बहुतसी हदीसें बयान की हैं और जिन लोगों ने आप से हदीसें नक़्ल की हैं उनके नाम इस तरह हैं: अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास, इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम, अब्दुल्लाह इब्ने जाफ़र।

इसी तरह फ़ाज़िल दरबंदी और भी दूसरे बहुत से उलमा ने हज़रत ज़ैनब (स) के बारे में यह बात भी लिखी है कि हज़रत ज़ैनब को *"इल्मे मनाया वल बलाया"* था यानी ऐसा इल्म जिस में आने वाले समय में कौन सी घटना पेश आने वाली है इन सबके बारे में आप को मालूमात थी।

 

 

 

 

 

हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा की ज़िंदगी में वो तमाम आला इंसानी सिफ़ात नुमायां थीं जिनमें सब्र, शुजाअत, फ़साहत और बलाग़त शामिल हैं। आपने बचपन ही से अपने नाना रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व आलिहि वसल्लम, अपने वालिद अली अलैहिस्सलाम, और अपनी मां फातेमा सलामुल्लाह अलैहा की सोहबत में तर्बियत पाई और इल्म ओ हिकमत का वो नूर हासिल किया जिसकी चमक कर्बला में दुश्मनों के लश्कर को लरज़ा देती थी।

हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा की विलादत एक अज़ीम नेमत और मुबारक लम्हा है, जो तारीख़ में एक नक़ाबिले फ़रामोश और नूरानी यादगार के तौर पर हमारे दिलों में रौशन है। आपकी विलादत मदीना मुनव्वरा में 5 जमादी उल अव्वल 5 हिजरी को हुई। इमाम अली अलैहिस्सलाम और जनाबे  सैयदा फातिमा सलामुल्लाह अलैहा की आग़ोश-ए-मोहब्बत में आँखें खोलते ही ये नूरानी चेहरा एक ऐसे अज़्म और हौसले की अलामत बना जो बाद में कर्बला के मारके में अहल-ए-हक़ के लिए मशअल-ए-राह साबित हुआ।

आपका नाम हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु अलैहि व आलिहि वसल्लम ने ज़ैनब रखा, जो दो अज़ीम सिफ़ात "ज़ैन" यानी ज़ीनत और "अब" यानी बाप के नाम का मजमुआ है। हज़रत ज़ैनब अपने वालिद अली इब्न अबी तालिब अलैहिस्सलाम की ऐसी ज़ीनत और उनके इल्म ओ हिकमत की वारिस बन गईं कि आपको "अक़ीला बनी हाशिम" का लक़ब दिया गया।

हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा की ज़िंदगी में वो तमाम आला इंसानी सिफ़ात नुमायां थीं जिनमें सब्र, शुजाअत, फ़साहत और बलाग़त शामिल हैं। आपने बचपन ही से अपने नाना रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व आलिहि वसल्लम, अपने वालिद अली अलैहिस्सलाम, और अपनी मां फातेमा सलामुल्लाह अलैहा की सोहबत में तर्बियत पाई और इल्म ओ हिकमत का वो नूर हासिल किया जिसकी चमक कर्बला में दुश्मनों के लश्कर को लरज़ा देती थी।

कर्बला का मैदान आपके किरदार ओ ईमान का सबसे बड़ा इम्तेहान था, और हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा ने वहां अपने भाई इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के मिशन को मुकम्मल कर के साबित कर दिया कि आप एक सच्ची इंक़लाबी हैं। जब कर्बला में हर तरफ शोहदा के लाशे बिखरे हुए थे और ख़ैमे जलाए जा चुके थे, तब हज़रत ज़ैनब ने अपनी क़ुव्वत-ए-ईमानी से दुश्मनों को ललकारा और यज़ीद के दरबार में हक़ ओ सदाकत की आवाज़ बुलंद की।

आपकी सीरत हमें इस बात की तालीम देती है कि ज़ुल्म के सामने कभी सर न झुकाएं और हक़ की राह में इस्तेक़ामत का मुज़ाहेरा करें। हज़रत ज़ैनब की जद्दोजहद आज के दौर के मुसलमानों के लिए एक इंक़लाबी पैग़ाम है कि अगर दुनिया के हर महाज़ पर ज़ुल्म ओ नाइंसाफी का सामना हो, तब भी हक़ की आवाज़ को बुलंद करें और ज़ालिम के मुक़ाबले में डटे रहें।

हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा की ज़िंदगी का ये पैग़ाम हमें बताता है कि अगर इंसान सब्र ओ इस्तेक़ामत के हथियार से लैस हो तो वो दुनिया के किसी भी ज़ालिम को शिकस्त दे सकता है। आज भी ये इंक़लाबी रूह हमारे दिलों को क़ुव्वत और ईमान अता करती है और हमें हक़ के रास्ते पर डटे रहने की तरग़ीब देती है।

विलादत-ए-ज़ैनब की दिली मुबारकबाद

 

 

 

 

 

हिज़बुल्लाह लेबनान के उप महासचिव शेख नईम कासिम ने सय्यद हसन नसरुल्लाह के चेहलुम के अवसर पर एक टेलीविज़न संबोधन में कहा: "आज हम सय्यद हसन नसरल्लाह की शहादत का चालीसवां दिन मना रहे हैं।" एक दृढ़ निश्चयी और साहसी नेता थे, जो विलायत के मार्ग के शिक्षक और फ़िलिस्तीन की स्वतंत्रता के वाहक थे।"

हिज़्बुल्लाह लेबनान के उप महासचिव शेख नईम कासिम ने सय्यद हसन नसरल्लाह के 40वें के अवसर पर एक टेलीविज़न संबोधन में कहा: सय्यद नसरुल्लाह एक दृढ़ और बहादुर नेता थे विलायत के रास्ते और फ़िलिस्तीन की आज़ादी के प्रणेता।

शेख कासिम ने कहा: "सय्यद नसरुल्लाह के शब्द एक ऐसी रोशनी हैं जो प्रतिरोध के प्रतीक के रूप में दुनिया के दिलों में चमकी। उन्होंने दीने मुहम्मदन की मूल शिक्षाओं के आधार पर एक प्रतिरोध समूह का गठन किया, जिसमें सभी वर्ग शामिल थे, यह पार्टी युवाओं और बुजुर्गों, स्वतंत्रता सेनानियों और कार्यकर्ताओं का प्रतिनिधि है।"

उन्होंने हिज़्बुल्लाह की व्यापक सेवाओं का ज़िक्र करते हुए कहा, "हिज़्बुल्लाह न केवल सेना में, बल्कि सांस्कृतिक, राजनीतिक, शैक्षिक और चिकित्सा क्षेत्रों में भी संगठित और सक्रिय है और यही वह पार्टी है जिसे सय्यद नसरुल्लाह ने अपने हाथों से खड़ा किया है।"

उन्होंने आगे कहा, "सैयद नसरल्लाह ने दुनिया के प्रतिरोध, मुजाहिदीन और आज़ाद लोगों के अग्रदूतों के दिलों में अपनी जगह बनाई, उन्होंने हुसैन के प्यार का झंडा उठाया और उसी रास्ते पर चलते रहे।"

यमन, इराक, लेबनान और ईरान के सहयोग की सराहना करते हुए कहा, "हम सभी प्रतिरोध मोर्चों और इस्लामी गणराज्य ईरान के महान समर्थन को श्रद्धांजलि देते हैं, जो फिलिस्तीन की मुक्ति के लिए समर्थन प्रदान कर रहा है।"

 

 

 

 

 

उत्त्तर प्रदेश की योगी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने बिलडोज़र कार्रवाई के नाम पर सैंकड़ों हँसते खेलते परिवारों को सड़कों पर ला दिया जिस पर अब सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को जमकर फटकार लगाते हुए ऐसे ही एक मामले के पीड़ित को 25 लाख रूपये का हर्जाना चुकाने के आदेश दिए हैं।

कोर्ट ने योगी सरकार और उत्तर प्रदेश के अधिकारियों को फटकार लगाते हुए एक व्यक्ति को 25 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया।  इतना ही नहीं, कोर्ट अधिकारियों के "अत्याचारी" रवैये से बेहद नाराज है।

अदालत के आदेश के बाद सपा नेता ने महराजगंज जिले में पीड़ित व्यक्ति का घर गिराने में शामिल अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की करते हुए कहा, कि 'ऐसे अधिकारियों के घरों के नक्शे भी जांचे जाने चाहिए और उनके खिलाफ भी इसी तरह की कार्रवाई होनी चाहिए।

हौज़ा इल्मिया मदरसा जाफ़रिया कोपा गंज मऊ यू.पी.के प्रिंसिपल ने एक संदेश में मौलाना मुमताज़ अली की अलमनाक रहलत पर गहरे दुख और अफसोस का इज़हार करते हुए ताज़ियत पेश किया है।

एक रिपोर्ट के अनुसार, हौज़ा इल्मिया मदरसा जाफ़रिया, कोपा गंज, मऊ, यू.पी. के प्रिंसिपल हुज्जतुल इस्लाम मौलाना शमशीर अली मुख्तारी के ताज़ियती संदेश का मज़मून निम्नलिखित है:

यह जानगुदाज़ ख़बर सुनकर सख्त सदमा हुआ कि साहिब ए इस्म बामसम्मा हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लिमीन अलहाज मौलाना शेख़ मुमताज़ अली ग़ाज़ीपुरी, इमाम जुमा व जमात इमामिया हॉल दिल्ली अब हमारे दरमियान नहीं रहे।

इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन।

इस दौर ए क़हतुल रिज़ाल में हमसे एक और हमदर्द-ए-क़ौम-ओ-मिल्लत, मुबल्लिग, मदर्रिस, मुसन्निफ़, मौलिफ़ और बेहतरीन ख़तीब जुदा हो गया। मरहूम मदरसा ए वाइज़ीन लखनऊ में क़याम के दौरान से ही तलबा से बड़ी बेतकल्लुफ़ी से मिलते थे और हौज़ा इल्मिया क़ुम मुक़द्दसा में तो उनकी यह ख़ासियत और ज़्यादा नुमायां हुई।

अनगिनत उलमा और तलबा से मुशफिकाना अंदाज़ में मिलना सबको बेहतरीन मशवरे देना, हंसते चेहरे और बेहतरीन अख़लाक के साथ सबसे पेश आना मरहूम की ख़ासियतों में शामिल था।

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मौलाना शेख़ इब्न हसन वाइज़ दाम ज़िल्लहू ने कई बार बातचीत में मरहूम के ज़माना ए तलब-ए-इल्म से लेकर ज़िंदगी के हर मरहले की तारीफ की। यक़ीनन मरहूम एक बेमिसाल आलिम-ए-दीन थे।

आह! हुज्जतुल इस्लाम मौलाना शमशीर अली मुख्तारी हिल्म के जिस्म थे। अफ़सोस कि वे अब सुपुर्द-ए-लहद हो गए। खुदावंद करीम उनकी रूह के दर्जात बुलंद फरमाए और ऐसे मुखलिस हमदर्द-ए-क़ौम-ओ-मिल्लत का जल्द से जल्द बेहतरीन बदला दे! आमीन।

और अल्लाह तआला से दुआ करता हूं कि अल्लाह तआला मरहूम की मगफिरत करें और परिवार वालों को सब्र अता करें।

शरीक-ए-ग़म:

मौलाना शमशीर अली मुख्तारी, निदेशक, हौज़ा इल्मिया मदरसा जाफ़रिया, कोपा गंज, मऊ, यू.पी.भारत

 

एक हालिया सर्वेक्षण के अनुसार, 52 प्रतिशत इजरायली नागरिकों का मानना है कि प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की नीतियां और कदम इजराइल की सुरक्षा के लिए खतरा बना हैं।

,एक रिपोर्ट के अनुसार, एक सर्वेक्षण में यह पता चला है कि 52 प्रतिशत इजरायली नागरिकों का मानना है कि प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू इजराइल की सुरक्षा के लिए खतरा हैं।

इजरायली जनता के बहुमत ने रक्षा मंत्री को बर्खास्त करने की आलोचना करते हुए गलांट को अधिक उपयुक्त माना हैं।

इब्रानी चैनल 13 द्वारा किए गए इस सर्वेक्षण में यह बात सामने आई कि बेंजामिन नेतन्याहू द्वारा गोपनीय जानकारी के खुलासे के बाद उन्हें इजराइल की सुरक्षा के लिए एक खतरे के रूप में देखा जा रहा है।

चैनल 13 ने यह भी बताया कि 60 प्रतिशत इजरायली गलांट को रक्षा मंत्री के पद के लिए अधिक उपयुक्त मानते हैं, जबकि केवल 14 प्रतिशत लोगों ने मौजूदा नियुक्त मंत्री यिस्राईल कात्ज़" के पक्ष में वोट दिया हैं।

 

चैनल ने यह भी बताया कि 66 प्रतिशत लोग मानते हैं कि गलांट की बर्खास्तगी दलगत कारणों की वजह से हुई, जबकि 25 प्रतिशत ने इसे इजराइल के हित में माना हैं।

 

 

 

 

 

तेहरान में जापान के राजदूत ने कहा कि ईरान में उपस्थिति से वह चकित हैं। साथ ही उन्होंने आर्थिक और पर्यटन के क्षेत्र में ईरान और जापान के मध्य संबंधों में विस्तार पर बल दिया।

तेहरान में जापानी दूतावास की ओर से सांस्कृतिक घटनाओं के संबंध में कार्यक्रम आयोजित हुआ था जिसमें जापानी राजदूत तमाकी सुकादा (TSUKADA TAMAKI) ने भाषण देते हुए कहा कि इस सांस्कृतिक कार्यक्रम को आयोजित करने से मेरी आरज़ू व मेरा उद्देश्य ईरान के लोगों को जापान से अधिक परिचित कराना और दोनों देशों के मध्य आर्थिक, एतिहासिक और समान मूल्यों व समानताओं के संदर्भ में द्विपक्षीय संबंधों को अधिक से अधिक विस्तृत करना है।

तेहरान में जापान के राजूदत ने कहा कि तेहरान आने से पहले मेरा विचार कुछ और था परंतु जब मैं ईरान आया तो चकित रह गया। 

जापानी राजदूत सुदाका तमाकी (TSUKADA TAMAKI) ने आगे कहा कि मैं चाहता हूं कि अधिक पर्यटक ईरान आयें क्योंकि ईरान के पास बहुत अधिक मूल्यवान एतिहासिक धरोहरें हैं और ईरान उन देशों में से एक है जिसके पास यूनेस्को में सबसे अधिक पंजीकृत सांस्कृतिक धरोहरें हैं।

अरब जगत के विख्यात विश्लेषक ने जा᳴र्डन में ज़ायोनी सरकार की समर्थक सुपरमार्केट कंपनी Carrefour के बंद हो जाने को ज़ायोनी सरकार से सांठ- गांठ करने वाली सरकारों के लिए ख़तरे की घंटी बताया है।

अरब जगत के विख्यात विश्लेषक अब्दुलबारी अत्वान ने जा᳴र्डन में Carrefour के बंद होने की ओर संकेत किया और उन सरकारों के लिए इसे ख़तरे की घंटी बताया जो ज़ायोनी सरकार से सांठ- गांठ कर रही या करना चाहती हैं।

अब्दुलबारी अत्वान ने समाचार पत्र "रायुलयौम" में ज़ायोनी सरकार की समर्थक जा᳴र्डन में Carrefour कंपनी के उत्पादों के इस देश की जनता की ओर से बहिष्कार किये जाने की ओर संकेत किया। जा᳴र्डन में Carrefour सुपरमार्केट कंपनी ने इस देश में अपनी समस्त शाखाओं को भी बंद बंद कर दिया है।

 अब्बुलबारी अत्वान ने लिखा है कि अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन में इस्लामी प्रतिरोध कर्ताओं की ओर से किये जाने वाले हमलों के अलावा दूसरी ख़ुशहाल करने वाली ख़बरें भी आयी हैं। उन्होंने कहा कि ज़ायोनी दुश्मन के साथ अरब सरकारों की लज्जाजनक गद्दारी के परिप्रेक्ष्य में स्वाभाविक है कि जा᳴र्डन में Carrefour के बंद होने पर हम ख़ुशहाल हों। क्योंकि अतिग्रहणकारी सरकार की समर्थक कंपनियों व ब्रांडो का बंद होना बहुत बड़ी कामयाबी है।

अब्दुलबारी अत्वान ने आगे कहा कि इस विषय का बड़ा आध्यात्मिक व नैतिक मूल्य है क्योंकि यह विषय जनता व लोगों के प्रतिरोध का सूचक है वह भी इस हालत में जब ज़ायोनी सरकार के नरसंहार के संबंध में अरब सरकारों के विरोधाभासी रवइये को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।

इस अरब विश्लेषक ने लिखा है कि यह कार्य उन सरकारों के लिए चेतावनी है जो ताक़त के बल पर लोगों पर शासन करना चाहती हैं।

अरब विश्लेषक अब्दुलबारी अत्वान ने लिखा है कि ज़ायोनी सरकार की समर्थक कंपनियों के बहिष्कार किये जाने की प्रक्रिया उस परिवर्तन का आरंभ है जो क्षेत्र और विश्व में शुरू हो चुका है और बहुत बड़ी सफ़लता का मार्ग प्रशस्त करने वाला है।