رضوی

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ईरान के विदेश मंत्री ने ओआईसी बैठक के इतर अपने तुर्की समकक्ष के साथ बैठक में नरसंहारक ज़ायोनी शासन के साथ व्यापार संबंधों में कटौती करने के तुर्की के कदम की सराहना की है।

प्राप्त समाचार के अनुसार, ईरान के विदेश मंत्री होसैन अमीराब्दुल्लाहयान ने गाम्बिया की राजधानी बंजुल में इस्लामिक देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक के मौके पर तुर्की के विदेश मंत्री हकन फिदान के साथ बैठक में तुर्की सरकार के मुद्दों पर चर्चा की. उन्होंने कब्ज़ा करने वाली ज़ायोनी सरकार के साथ सहयोग को आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को ख़त्म करने के हालिया फैसले को महत्वपूर्ण बताया।

अमीर अब्दुल्लाहियान ने गाजा में ज़ायोनी सरकार द्वारा किए गए अपराधों की निंदा की, और फिलिस्तीनी मुद्दे के समर्थन में इस्लामी देशों, विशेष रूप से ईरान और तुर्की को एक मजबूत और सक्रिय भूमिका निभाने की आवश्यकता को याद दिलाया इजराइल का नरसंहार शासन जिसे निष्ठा की शपथ कहा जाता है, आत्मरक्षा के ढांचे में चलाया गया था।

तुर्की के विदेश मंत्री ने सभी क्षेत्रों में ईरान के साथ संबंधों के विकास को अंकारा की प्राथमिकताओं में से एक घोषित किया और क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर तेहरान के साथ मजबूत सहयोग का स्वागत किया।

 जवाद ज़रीफ़ कहते हैं कि सुरक्षा कोई ख़रीदने वाली चीज़ नहीं है।

ज़रीफ़ कहते हैं कि अरब देशों के मन में अभी भी यह बेहूदा ख़याल बाक़ी है कि वे अवैध ज़ायोनी शासन के साथ संबन्ध सामान्य करके मध्यपूर्व में उनसे अपनी सुरक्षा ख़रीद सकते हैं।

ईरान के भूतपूर्व विदेशमंत्री मुहम्मद जवाद ज़रीफ़ ने फ़ार्स की खाड़ी से संबन्धित भू-राजनैतिक सम्मेलन में बोलते हुए फ़िलिस्तीन के युद्ध से संबन्धित कुछ घटनाओं की समीक्षा की।

ज़रीफ़ ने इस ओर संकेत किया कि सुरक्षा कोई ख़रीदने वाली चीज़ नहीं है।  फ़ार्स की खाड़ी की तटवर्ती सरकारों के दिमाग़ में लंबे समय से यह बेहूदा विचार पनप रहा है कि सुरक्षा को ख़रीदा जा सकता है।  इसी आधार पर उन्होंने थोपे गए युद्ध के दौरान सद्दाम का समर्थन किया था।  जबकि सद्दाम उनका विश्वसनीय नहीं रहा और उसने कुवैत तथा सऊदी अरब पर हमला किया।

उन्होंने बल देकर कहा कि परमाणु समझौते का सऊदी अरब और ज़ायोनी शासन की ओर से विरोध करने का मुख्य कारण यही था कि वे चाहते थे कि अमरीका, मध्यपूर्व में अपनी उपस्थति को सुरक्षित करे।

ईरान के भूतपूर्व विदेशमंत्री ने इस ओर भी संकेत किया कि सद्दाम के बाद अरब शासक इस चक्कर में थे कि वे अमरीका से अपनी सुरक्षा ख़रीदें।  उन्होंने कहा कि हक़ीक़त यह है कि विश्व में चीन के बढ़ते प्रभाव के दृष्टिगत अमरीका, अब मध्यपूर्व में अपना प्रभाव फैलाने के चक्कर में नहीं है।  अब वह एक प्रकार से यह चाहता है कि इसको वह इस्राईल के हवाले कर दे।  यही कारण है कि अरब सरकारें यह सोच रही हैं कि अवैध ज़ायोनी शासन के साथ अपने संबन्धों को विस्तृत करके मध्यपूर्व में अपनी सुरक्षा को ज़ायोनियों से ख़रीदें।  हालांकि पूरे इतिहास मे कहीं भी एक स्थान पर यह नहीं मिलता कि इस्राईलियों ने किसी का समर्थन किया हो।

सऊदी अरब के एक पूर्व शासक के साथ अमरीका के एक युद्धप्रेमी भूतपूर्व राष्ट्रपति जार्ज बुश

ज़ायोनी शासन के साथ छह दिवसीय युद्ध में अरब सरकारों की पराजय की ओर संकेत करते हुए ज़रीफ़ ने स्पष्ट किया कि ज़ायोनी और उनके समर्थक, सात महीने से प्रतिरोध के मुक़ाबले में ग़ज़्ज़ा में कुछ भी नहीं कर पाए हैं।

अब हालत यह हो गई है कि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कोई भी हमास के विनाश और ग़ज़्ज़ावासियों को किसी अन्य देश में भेजने के बारे में बात नहीं कर रहा है।  इस समय तो यह स्थति है कि न केवल विश्व जनमत में इस्राईल की निंदा की जा रही है बल्कि और अब तो ग़ज़्ज़ा युद्ध, प्रतिरोध के पक्ष में पलटता जा रहा है।

ईरान और सऊदी अरब के विदेश मंत्रियों ने गाम्बिया में अपनी बैठक के दौरान क्षेत्र और विशेष रूप से गाजा की नवीनतम स्थिति पर चर्चा की है।

प्राप्त समाचार के अनुसार, गाम्बिया की राजधानी बंजुल में इस्लामिक सहयोग संगठन की 15वीं बैठक के अवसर पर ईरान और सऊदी अरब के विदेश मंत्रियों ने सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की। गाजा, साथ ही आपसी संबंधों और सहयोग पर चर्चा की. क्षेत्र में संयुक्त राज्य अमेरिका की हालिया गतिविधियों का जिक्र करते हुए ईरानी विदेश मंत्री ने कहा कि हमारे ऐतिहासिक रिकॉर्ड और अनुभव बताते हैं कि संयुक्त राज्य अमेरिका अपने वादों को दोहराता है और अपने समझौतों और वादों का पालन नहीं करता है।

अमीर अब्दुल्लाहियान ने फिलिस्तीनी लोगों और क्षेत्र के देशों के हितों को ध्यान में रखते हुए गाजा में युद्ध को रोकने के लिए संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारा मानना ​​है कि क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा की बहाली और युद्ध का खात्मा होगा। क्षेत्र की समाप्ति सभी देशों के हित में है।

सऊदी अरब के विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान ने भी क्षेत्र में हो रहे बदलावों को लेकर अपने विचार व्यक्त किये और फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों की बहाली और एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना के लिए विशेष प्रयासों पर जोर दिया. फैसल बिन फरहान ने क्षेत्र में नेतन्याहू की युद्ध योजनाओं का मुकाबला करने के लिए ईरान और सऊदी अरब के बीच बातचीत जारी रखने को आवश्यक बताया।

इंसान के लिए सारे उसूल इस्लाम में मिलते हैं,अल्लाह के सामने गिड़गिड़ाने, उससे दुआ मांगने, उसके सामने रोने और नमाज़ पढ़ने से लेकर जिहाद तक यह इंसान के कामयाबी के राज़ हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने फरमाया,क़ुरआने मजीद में एक जगह कहा गया हैःऐ ईमान वालो! अल्लाह को बहुत ज़्यादा याद किया करो और सुबह शाम उसकी तस्बीह (गुण गान) किया करो।“ (सूरए अहज़ाब, आयत 41-42) ये चीज़ इंसान के दिल और तसव्वुर से संबंधित है लेकिन एक जगह कहा गया है।

जो लोग ईमान लाए हैं वो तो अल्लाह की राह में जंग करते हैं और जो काफ़िर हैं वो शैतान की राह में जंग करते हैं। तो तुम शैतान के हामियों (समर्थकों) से जंग करो। (सूरए निसा, आयत 76) ये भी है, यानी “अल्लाह को याद करो” से लेकर “शैतान के हामियों से जंग करो” तक का ये पूरा मैदान, दीन के दायरे में है।

एक जगह पैग़म्बर अकरम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम से कहा गया हैः “(ऐ पैग़म्बर!) रात को (नमाज़ में) खड़े रहा कीजिए मगर (पूरी नहीं बल्कि) थोड़ी रात। यानी आधी रात या उसमें से भी कुछ कम कर दीजिए या उससे कुछ बढ़ा दीजिए। और क़ुरआन की ठहर ठहर का स्पष्ट तरीक़े से तिलावत कीजिए।(सूरए मुज़्ज़म्मिल, आयत 2,3,4) एक जगह पैग़म्बर से कहा गया है।

तो ऐ पैग़म्बर! आप अल्लाह की राह में जेहाद कीजिए, आप पर सिवाय अपनी ज़ात के कोई ज़िम्मेदारी नहीं डाली जाती और ईमान वालों को जेहाद के लिए तैयार कीजिए। (सूरए निसा, आयत 84) मतलब ये कि ज़िंदगी के ये सारे मैदान, आधी रात को जागने, अल्लाह के सामने गिड़गिड़ाने, उससे दुआ मांगने, उसके सामने रोने और नमाज़ पढ़ने से लेकर जेहाद और जेहाद के मैदान में शिरकत तक साब इस दायरे में हैं, पैग़म्बर की ज़िंदगी भी यही दिखाती है।

हुज्जतुल इस्लाम सैयद अम्मार हकीम ने कहां,हम इराक और दुनिया भर के पत्रकारों के साथ मिलकर विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं, लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि स्वतंत्र मीडिया लोकतंत्र के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक है और किसी भी देश में चौथी सबसे बड़ी शक्ति मानी जाती है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के मुताबिक , इराक की अलहिक्मा कौमी पार्टी के प्रमुख सैयद अम्मार हकीम ने विश्वास की स्वतंत्रता और बोलने की स्वतंत्रता को मजबूत करने की बात करते हुए इराक की अलहिक्मा कौमी पार्टी के प्रमुख सैयद अम्मार हकीम इराक ने स्वतंत्र मीडिया को किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक बताया हैं।

उन्होंने विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर एक बयान में कहा आज हम इराक और दुनिया भर के पत्रकारों के साथ मिलकर विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि एक स्वतंत्र मीडिया लोकतंत्र के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक है और किसी भी देश की चौथी प्रमुख शक्ति मानी जाती हैं।

हुज्जतुल इस्लाम सैयद अम्मार हकीम ने आगे कहां,सरकार से मीडिया की स्वतंत्रता की गारंटी देने का आह्वान किया हैं। और कहा मीडिया को पूरी आजादी दी जानी चाहिए ताकि वह अपनी जिम्मेदारियों को ठीक से और स्वतंत्र रूप से निभा सके, साथ ही देश के सकारात्मक पहलुओं का मूल्यांकन भी कर सके।

उन्होंने स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तथा मीडिया की स्वतंत्रता को बढ़ावा देने का आह्वान किया और कहा कि मीडिया को सभी प्रकार की स्वतंत्रता दी जानी चाहिए ताकि वह अपने कर्तव्यों का पालन ठीक से कर सकें।

 

 

 

 

 

इस्लामी गणतंत्र ईरान के विदेश मंत्री होसैन अमीर अब्दुल्लाहियन ने ओआईसी बैठक में अपने संबोधन में ज़ायोनी सरकार के राजनयिक, राजनीतिक और आर्थिक बहिष्कार पर ज़ोर दिया है।

आईआरएनए की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान के विदेश मंत्री होसैन अमीर अब्दुल्लाहियन ने अपने संबोधन में पश्चिमी जॉर्डन और कुद्स शरीफ में ज़ायोनी शासन के अपराधों को रोकने के लिए हड़पने वाली सरकार के साथ आर्थिक और राजनयिक संबंधों को तोड़ने का आह्वान किया। और गाजा में नरसंहार पर व्यापार और हथियारों पर प्रतिबंध लगाने पर जोर दिया गया है।

उन्होंने गाजा के उत्पीड़ित लोगों के खिलाफ ज़ायोनी सरकार के बर्बर अपराधों को रोकने के लिए इस्लामी देशों की एकता और एकतरफापन को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया।

उन्होंने गाजा युद्ध को लेकर मुस्लिम देशों के आचरण और व्यवहार को इतिहास में दर्ज करने पर जोर देते हुए कहा कि मुस्लिम देशों के लिए ज़ायोनी शासन के बर्बर युद्ध अपराधों, फ़िलिस्तीनी लोगों के नरसंहार और नरसंहार को रोकना भी आवश्यक है। गाजा में मानवीय सहायता के लिए अधिकतम एकता और एकजुटता दिखाएं।

इस्लामी गणतंत्र ईरान के हाउस ऑफ इंडस्ट्री, माइनिंग एंड ट्रेड ऑफ़ कामर्स के प्रवक्ता का कहना है कि 1402 हिजरी शम्सी में 39 अफ्रीकी देशों में ईरानी वस्तुओं के निर्यात का एलान किया है।

दूसरे ईरान-अफ़्रीक़ा अंतर्राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन के दौरान सैयद रूहुल्लाह लतीफ़ी ने कहा कि 54 देशों और 1.3 अरब आबादी वाला महाद्वीप, व्यापार और आर्थिक संबंधों के क्षेत्र में एक बेहतरीन अवसर है।

उनका कहना था कि इस्लामी गणतंत्र ईरान, कृषि उत्पादों के उत्पादन, खदानों, बांधों, सड़क निर्माण और निर्माण परियोजनाओं, रिफाइनरियों की ओवरहालिंग और गैस निष्कर्षण में ऊर्जा, प्रौद्योगिकी और मशीनीकरण के मामले में निवेश और डिज़ाइनिंग और बुनियादी ढांचों जैसी चीज़ों में इस महाद्वीप की जरूरतों को पूरा कर सकता है।

ईरान के हाउस ऑफ इंडस्ट्री, माइनिंग एंड ट्रेड के प्रवक्ता ने 1402 हिजरी शम्सी वर्ष में अफ्रीकी महाद्वीप में ईरान के निर्यात की विविधता की ओर इशारा किया और कहा:

 

इस वर्ष इस महाद्वीप के पूर्वी, पश्चिमी, उत्तरी और दक्षिणी क्षेत्रों में ईरान का निर्यात एक विशेष तरीके से बढ़ा है और इस महाद्वीप के 39 देश सीधे ईरानी वस्तुओं के निर्यात का गंतव्य बन गये हैं।

श्री लतीफी ने वर्ष 1402 हिजरी शम्सी में अल्जीरिया, मिस्र, लीबिया, ट्यूनीशिया, जिबूती और मोरक्को जैसे अफ्रीकी देशों को ईरान के निर्यात में वृद्धि का भी एलान किया है।

उनका कहना था कि इस वर्ष घाना ने 173.5 मिलियन डॉलर, दक्षिण अफ्रीका ने 145 मिलियन डॉलर, तंज़ानिया ने 92.8 मिलियन डॉलर, केन्या ने 48.7 मिलियन डॉलर, नाइजीरिया ने 48 मिलियन डॉलर, मोज़ाम्बिक ने 47.1 मिलियन डॉलर और सोमालिया ने 33.3 मिलियन डॉलर का सामान ईरान से ख़रीदा है और यह देश अफ़्रीक़ी महाद्वीप में सीधे ईरानी माल के निर्यात के लिए पहले सात गंतव्य रहे हैं।

ईरान के हाउस ऑफ इंडस्ट्री, माइनिंग एंड ट्रेड के प्रवक्ता ने कहा कि 1402 हिजरी शम्सी में इस महाद्वीप के 22 देश, ईरान को सीधे माल बेचने वाले थे।  उन्होंने कहा कि दक्षिण अफ्रीका ने 19 मिलियन डॉलर, ज़ाम्बिया ने 12.5 मिलियन डॉलर की बिक्री की जबकि घाना 12 मिलियन डॉलर, सेशेल्स ने 11.7 मिलियन डॉलर, केन्या ने 9.5 मिलियन डॉलर, तंजानिया 6.1 मिलियन डॉलर और युगांडा ने 4.1 मिलियन डॉलर का सामान ईरान को बेचा और इस तरह से यह देश इस साल ईरान को सामान बेचने वाले अफ्रीकी महाद्वीप के देशों में पहले सात देश रहे हैं।

इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति सैयद इब्राहिम रईसी ने पिछले शुक्रवार को ईरान और अफ्रीका के बीच दूसरी अंतर्राष्ट्रीय बैठक में, जो तेहरान में 30 से अधिक अफ्रीकी देशों के उच्च आर्थिक अधिकारियों की उपस्थिति से आयोजित की गई थी, कहा था कि अफ़्रीक़ा के साथ सहयोग जारी रहेगा। उनका कहना था कि इस्लामी क्रांति के संस्थापक इमाम ख़ुमैनी और सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह ख़ामेनेई भी इसी विषय पर ज़ोर देते रहे हैं।

पश्चिम, अपने लिए अफ़्रीक़ा चाहता है लेकिन हम अफ़्रीका के लिए अफ़्रीक़ा चाहते हैं।

शनिवार, 04 मई 2024 18:29

दुआए अहद

इमाम जाफर अल-सादिक़ (अ:स) से नकल हुआ है की जो शख्स चालीस रोज़ तक हर सुबह इस दुआए अहद तो पढ़े तो वोह इमाम (अ:त:फ) के मददगारों में से होगा और अगर वो इमाम (अ:स) के ज़हूर के पहले मर जाता है तो खुदा वंद करीम इसे क़ब्र से उठाएगा ताकि वो इमाम के हमराह हो जाए, अल्लाह ता-आल़ा इस दुआ के हर लफ्ज़ के बदले इसे एक हज़ार नेकियाँ अता करेगा और इस्ले एक हज़ार गुनाह माफ़ कर देगा, वोह दुआए अहद यह है : बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम

दुआए अहद

इमाम जाफर अल-सादिक़ (अ:स) से नकल हुआ है की जो शख्स चालीस रोज़ तक हर सुबह इस दुआए अहद तो पढ़े तो वोह इमाम (अ:त:फ) के मददगारों में से होगा और अगर वो इमाम (अ:स) के ज़हूर के पहले मर जाता है तो खुदा वंद करीम इसे क़ब्र से उठाएगा ताकि वो इमाम के हमराह हो जाए, अल्लाह ता-आल़ा इस दुआ के हर लफ्ज़ के बदले इसे एक हज़ार नेकियाँ अता करेगा और इस्ले एक हज़ार गुनाह माफ़ कर देगा, वोह दुआए अहद यह है :

 

बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम

 

अल्लाहुम्मा रब्बन-नूरिल अध्वीमी व रब्बल कुर्सिय्यिर-रफ़ी'इ व रब्बिल बहरिल मस्जूरी व मुन्ज़िलत-तौराती वल  इन्जीली वज़-ज़बूर

व रब्बद-ज़िल्ली वल हरूरी, व  मुन्ज़ीलाल कुर'आनिल अध्वीमी व रब्बल मला-ई-कातिल मुक़र्रबींन  वल  अम्बियाई वल मुरसलीन.

अल्लाहुम्मा इन्नी अस' अलुका  बी वज'हिकल  करीम व बी नूरी वज हिकल  मुनीरी  व  मुल्किकल  क़दीमी  या  हय्यु  या क़य्यूमु

अस'अलुका बिस्मिकल-लज़ी अश्रकत बिहिस-समावातु  वल  अर्ज़ूना व बिस्मिकल-ल्ज्ही यस्लाहू बिहिल अव्वालून

वल आखिरून या हय्याँ क़ब्ला कुल्ली हय्यीं व या  हय्याँ  बा'अदा  कुल्ली हय्यीं व या हय्यान हीना ला हय्या या मुहयी

-यल मौता व मुमीतातल अहया'इ या हय्यु ला इलाहा इल्ला  अन्ता अल्लाहुम्मा बल्लिग़ मव्लानल इमामल हादियल  मह्दिय्यल क़ैमा

बी अम्रीका स्वलावा तुल्लाही अलय्ही व अला आबैहित-ताहिरीन  अन जमी'इल मु'मिनीना वल मु'मिनाति फी  मशारिकिल

अर्ज़ी व मगारिबिहा, सहलिहा व जबलिहा, बर्रिहा व बहरिहा, व  अन्नी व अन वालिद्या, मिनस-सलावाती  जिनता  अर्शिल्लाही

व मिदादा कलिमातिही, वामा अह्स्वाहू इल्मुहु व अहाता  बिही  किताबुहू,  अल्लाहुम्मा इन्नी उजद्दीदु लहू फी सबीहती  युमी हाज़ा

वमा इश्तु मिन अय्यामी, अहदन व अकदन व बे'अतन  लहू  फी उनुक़ी ला अहउलू अंह वाला अजूलू अबादान. अल्लाहुम्माज

'अल्नी मिनंसअआरिही व अ'अवानिही वध-जाब्बीना अन्हु, वल मुसारी'इन  इलाय्ही फी  क़जाई  हवाईजिही  वल  मुम'तथिलीना

ली अआमिरिही वल मुहा-मीना अन्हु, वस-साबिकीना इला इरादातिही वल मुस्ताश'हदीना बयना यदय्ही. अल्लाहुम्मा  इन  हाला बयनी

व बय्नाहुल मव्तुल-लज़ी जा'अल्ताहू अला  इबादिक  हतमन  मक्धिय्याँ, फ अख्रिज्नी मिन काबरी मु'ताज़िरण, कफनी शाहिरन

सय्फी मुजर्रिदन, कनाती मुलाब्बियाँ, दा'अवाताद-दाई  फिल   हाजिरी वल बादी. अल्लाहुमा अरिनित-तवल'अतर-रशीदाता

वल गुर्रतल हमीदाता, वक्हुल नाज़री बी नजरतींन  मिन्नी  इलाय्ही, व अज्जिल फराजहू,व सह्हिल मख्राजहू, व औसी'अ  मन'हजाहू

व अन्फिज़ अम्रहू, वाश्दुद  अज्रहू व'मुरिल्ला-हम्मा  बिही  बिलादक, व अहई बिही इबादक, फ इन्नका

कुलता व कौलुकल हक्कू ज़हरल फसादु फिल बर्री वल बहरी, बीमा कसबत ऐय्दिन्नासी, फ अज्हिरी-ल्लाहुम्मा लाना

वालिय्यिक बिनती नाबिय्यिकल मुसम्म, बिस्मि रसूलिक, हत्ता ला याज्फारा बी शय'इन

मिनल बात्विली इल्ला मज्ज़क़हू, व युहिक्काल    हक्का, व  युहक्किक़हू  वज'अल्हु अल्लाहुम्मा  मफ्ज़ा'अन ली  मजलूमि इबादिक  व नासिरण लीमन

ला यजिदु लहू नासिरण गैयरक, व मुजददिदन  लीमा  उत्त्विला  मिन अहकामी किताबिक, व मुशय्यिदन  लीमा  वरदा मिन अ'अलामी

दीनिक,व सुनानी नाबिय्यिक सल्लल्लाहु अलय्ही व आलिहि   वज'अल्हु . अल्लाहुम्मा मिम्मान  हस्स्वन्ताहू  मिन बा'असिल मु'तदीन,

अल्लाहुम्मा व सुर्रा  नाबिय्यिक मुहम्मदीन सल्लल्लाहु अलय्ही  व आलिहि, बी रु'यातिही  वामन तबिअहू अला  डा'अवातिही, वार्हमिस्तिकान्तिना बा'अदाहू,

अल्लाहुमाक-शिफ हाधिहिल गुम्मता अन हादिहिल उम्मते, बी हुजूरिही व अज्जिल लाना ज़ुहूराहू, इन्नहुम  यारौनाहू  बईदन व नाराहू

करीबन बी रह्मतिका या अर्हमर-राहिमीन.

या मौलाया या साहेबज़-ज़मान

फिर तीन बार दायें रान पर हाथ मारे और हर बर कहे :

अल-अजल अल-अजल अल-अजल

अल्लाहूम्मा सल्ले अला मोहम्मदीन वा आले मोहम्मद

 

दुआए अहद का हिंदी अनुवाद

अल्लाहूम्मा सल्ले अला मोहम्मदीन वा आले मोहम्मद

बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम

 

ऐ माबूद, ऐ अज़ीम नूर के परवरदिगार, ऐ बुलंद कुर्सी के परवरदिगार ऐ मौजें मारते समुन्दर के परवरदिगार और ऐ तौरैत और इंजील और ज़बूर के नाज़िल करने वाले और ऐ साया और धुप के परवरदिगार, ऐ क्कुराने अज़ीम के नाज़िल करने वाले, ऐ मुक़र्रिब फरिश्त्तों और फरास्तादाह नबियों और रसूलों के परवरदिगार, ऐ माबूद बेशक मै सवाल करता हूँ तेरी ज़ात करीम के वास्ते से तेरी रौशन ज़ात के नूर के वास्ते से और तेरी क़दीम बादशाही के वास्ते से ज़िंदा, ऐ पा-इन्दाह मै तुझ से सवाल करता हूँ तेरे नाम के वास्ते से जिस से चमक रहे हैं सारे आसमान और सारी ज़मीनें तेरे नाम के वास्ते से जिस से अव्वलीन व आखेरीन ने भलाई पायी, ऐ जिंदा से पहले और ऐ जिंदा हर जिंदा के बाद और ऐ ज़िंदा जब कोई ज़िंदा न था और ऐ मुर्दों को जिंदा करने वाले ऐ जिन्दों को मौत देने वाले ऐ वोह जिंदा के तेरे सिवा कोई माबूद नहीं, ऐ माबूद हमारे मौला इमाम हादी मेहदी को जो तेरे हुक्म से क़ाएम हैं, इन पर और इनके पाक बुज़ुर्गान पर खुदाई रहमतें हों और तमाम मोमिन मर्दों और मोमिना औरतों की तरफ से जो ज़मीन के मश्रीकों और मग्रिबों में है मैदानों और पहाड़ों और खुस्कियों और समुन्दरों में मेरी तरफ से मेरे वालेदैन की तरफ से बहुत दरूद पहुंचा दे जो हम-वज़न हो अर्श और उसके कलमात की रोशनाई के और जो चीज़ें इसके इल्म में हैं और इस की किताब में दर्ज हैं ऐ माबूद में ताज़ा करता हूँ इन के लिए आज के दिन की सुबह को और जब तक जिंदा हूँ बाक़ी है यह पैमान यह बंधन और इनकी बय्यत जो मेरी गर्दन पर है न इस से मकरुन्गा न कभी तर्क करूंगा ऐ माबूद  मुझे इन के मददगारों इन के साथियों और इन का दफा-अ करने वालों करार दे मैं हाजत बर आरी के लिए इन की तरफ बढ़ने वालों इनके अहकाम पर अमल करने वालों इनकी तरफ से दावत देने वालों इनके इरादों को जल्द पूरा करने वालों और इनके सामने शहीद होने वालों में करार दे ऐ माबूद अगर मेरे और मेरे इमाम (अ:स) के दरम्यान मौत हायेल हो जाए जो तुने अपने बन्दों के लिए आमादा कर रखी है तो फिर मुझे क़ब्र से इस तरह निकालना के मेरा लिबास हो मेरी तलवार बे-नियाम हो मेरा नैज़ा बुलंद हो दाइए हक़ की दावत पर लब-बैक कहूं   और शहर गाँव में ऐ माबूद मुझे हज़रत का रूखे ज़ेबा आप की दरख्शां पेशानी दिखा, इन के दीदार को मेरी आँखों का सुरमा बना, इन की कशा-इश में जल्दी फर्मा, इन के ज़हूर को आसान बना, इन का रास्ता वसी-अ कर दे और मुझ को इन की राह पर चला, इन का हुक्म जारी फर्मा, इन की क़ुव्वत को बढ़ा और ऐ  माबूद इन के ज़रिया अपने शहर आबाद कर और अपने बन्दों को इज्ज़त की ज़िंदगी दे क्योंकि तुने फरमाया और तेरा कौल हक़ है की जाही हुआ फसाद खुश्की और समुन्दर में यह नतीजा है लोगों के गलत आमाल और अफ-आल का पस, ऐ माबूद ! ज़हूर कर हमारे लिए अपने वली (अ:स) और अपने नबी की दुखतर (स:अ) के फरजंद का जिन का नाम तेरे रसूल (स:अ:व:व)  के नाम पर है यहाँ तक की वूह बातिल का नाम व निशाँ मिटा डालें हक़ को हक़ कहें और इसे क़ाएम करें, ऐ माबूद करार दे इनको अपने मजलूम बन्दों के लिए जाए पनाह और इनके मददगार जिन के तेरे सिवा कोई मददगार नहीं बना इनको अपनी किताब के अहकाम के ज़िंदा करने वाले जो भुला दिए गए इन को अपने दीन के ख़ास अहकाम और अपने नबी के तरीकों को रासुख़ करने वाला बना इन पर और इनकी अल (स:अ) पर खुदा की रहमत हो और ऐ माबूद इन्ही लोगों में रख़ जिनको तुने जालिमों के हमले से बचाया ऐ माबूद खुशनूद कर अपने नबी मुहम्मद (स:अ:व:व) को इनके दीदार से और जिन्हों इनकी दावत में इनका साथ दिया और इनके बाद हमारी हालतज़ार पर रहम फरमा ऐ माबूद इनके ज़हूर से उम्मत की इस शकल और मुसीबत को दूर करदे और हमारे लिए जल्द इनका ज़हूर फर्मा के लोग इनको दूर और हम इन्हें नज़दीक समझते हैं तेरी रहमत का वास्ता ऐ सब से ज़्यादा रहम करने वाले या मौलाया या साहेबुज़-ज़मान

फिर तीन बार दायें रान पर हाथ मारे और हर बर कहे :

जल्द आइये जल्द आइये जल्द आइये

तारीख़ों से पता चलता है कि मंसूर ने इमाम जाफ़रे सादिक़ (अ0) को मुतअदिद बार ज़हर के ज़रिये शहीद कराने की कोशीश की मगर चूकि मशीयते ईज़दी की तरफ़ से अय्यामे हयात बाक़ी थे इसलिये आप मौत की दस्तरस से महफ़ूज़ रहे। अल्लामा मजलिसी अलैहिर्रहमा का बयान है कि आख़री मर्तबा आपको अंगूर के ज़रिये क़ैदख़ाने में ज़हर दिया गया जिससे आपकी शहादत वाक़े हुई।

शैख़ मुफ़ीद फ़रमाते हैं कि 65 साल की उम्र में आपको मंसूर ने गिरफ़्तार करके क़ैदख़ाने में ज़हर के ज़रिये शहीद करा दिया।  और आप 15 शव्वाल सन् 148 हिजरी को इस दुनिया से रूख़सत हो गए। आपकी शहादत के बाद इमाम मूसा काज़िम (अ0) ने आपको ग़ुस्ल व कफ़न दिया, नमाज़े जनाज़े पढ़ाई और जन्नतुल बक़ी में सुपुर्दे ख़ाक कर दिया। अल्लामा शिबलंजी का कहना है कि आप अपने वालिदे बुज़ुर्गवार के पहलू में मदफ़ून हुए।

 

(तारीख़े इस्लाम जिल्द 4 सफ़्हा 269 से 270)

 

हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ (अ.स) पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद (स.अ) के छठे उत्तराधिकारी और आठवें मासूम हैं आपके वालिद इमाम मुहम्मद बाक़िर (अ.) थे और माँ जनाबे उम्मे फ़रवा बिंतें क़ासिम इब्ने मुहम्मद थीं। आप अल्लाह की तरफ़ से मासूम थे। अल्लामा इब्ने ख़लक़ान लिखते हैं कि आप अहलेबैत (स.अ.) में से थे और आपकी फ़ज़ीलत, बड़ाई और आपकी अनुकम्पा, दया और करम इतना मशहूर है कि उसको बयान करने की ज़रूरत नहीं है।

 आपका अख़लाक़

 अल्लामा इब्ने शहर आशोब लिखते हैं कि एक दिन हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) ने अपने एक नौकर को किसी काम से बाज़ार भेजा। जब उस की वापसी में बहुत देर विलंब हुआ तो आप उस की तलाश में निकल पड़े, देखा कि वह एक जगह पर लेटा हुआ सो रहा है, आप उसे जगाने के बजाए उस के सरहाने बैठ गये और पंखा झलने लगे जब वह जागा तो आप ने उस से कहा कि यह तरीक़ा सही नही है। रात सोने के लिये और दिन काम करने के लिये है। आईन्दा ऐसा न करना। (मनाक़िब जिल्द 5 पेज 52)

 आप उसी मासूम सिलसिले की एक कड़ी हैं जिसे अल्लाह तआला ने इंसानों के लिये आईडियल और नमूना ए अमल बना कर पैदा किया है। उन के सदाचार और आचरण जीवन के हर दौर में मेयारी हैसियत रखते हैं। उनकी ख़ास विशेषताएँ जिन के बारे में इतिकारों ने ख़ास तौर पर लिखा है वह मेहमान की सेवा, ख़ौरातो ज़कात, ख़ामोशी से ग़रीबों की मदद करना, रिश्तेदारों के साथ अच्छा बर्ताव करना, सब्र व हौसले के काम लेना आदि है।

एक बार एक हाजी मदीने आया और मस्जिदे रसूल (स) में सो गया। आँख खुली तो उसे लगा कि उस की एक हज़ार की थैली ग़ायब है उसने इधर उधर देखा, किसी को न पाया एक कोने इमाम सादिक़ (अ) नमाज़ पढ़ रहे थे वह आप के पहचानता नही था आप के पास आकर कहने लगा कि मेरी थैली तुम ने ली है, आप ने पूछा उसमें क्या था, उसने कहा एक हज़ार दीनार, आपने कहा कि मेरे साथ आओ, वह आप के साथ हो गया, घर आने के बाद आपने एक हज़ार दीनार उस के हवाले कर दिये वह मस्जिद में वापस आ गया और अपना सामान उठाने लगा तो उसे अपने दीनारों की थैली नज़र आई। यह देख वह बहुत शर्मिन्दा हुआ और दौड़ता हुआ इमाम की सेवा में उपस्थित हुआ और माँफ़ी माँगते हुए वह थैली वापस करने लगा तो हज़रत ने उससे कहा कि हम जो कुछ दे देते हैं वापस नही लेते।

इस ज़माने में तो यह हालात सब के देखे हुए है कि जब यह ख़बर होती है कि फलां सामान मुश्किल से मिलेगा तो जिस के लिए जितना संभव होता है वह ख़रीद कर रख लेता है। मगर इमाम सादिक़ (अ) के किरदार का एक पहलु यह है कि एक बार आप के वकील मुअक़्क़िब ने कहा कि हमें इस मंहगाई और क़हत में कोई परेशानी नही होगी, हमारे पास अनाज का इतना ज़खीरा है कि जो बहुत दिनों तक हमारे लिये काफ़ी होगा। आपने फ़रमाया कि यह सारा अनाज बेच डालो, उसके बाद जो हाल सबका होगा वही हमारा भी होगा। जब अनाज बिक गया तो कहा कि आज से सिर्फ़ गेंहू की रोटी नही पकेगी बल्कि उसमें आधा गेंहू और आधा जौ मिला होना चाहिये और जहाँ तक हो सके हमें ग़रीबों की सहायत करनी चाहिये।

आपका क़ायदा था कि आप मालदारों से ज़्यादा ग़रीबों की इज़्ज़त किया करते थे, मज़दूरों की क़द्र किया करते थे। ख़ुद भी व्यापार किया करते थे और अकसर बाग़ों में ख़ुद भी मेहनत किया करते थे। एक बार आप फावड़ा हाथ में लिये बाग़ में काम कर रहे थे, सारा बदन पसीने से भीग चुका था, किसी ने कहा कि यह फ़ावड़ा मुझे दे दीजिये मैं यह कर लूँगा तो आपने फ़रमाया कि रोज़ी कमाने के लिये धूप और गर्मी की पीड़ा सहना बुराई की बात नही है।