رضوی

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आदमी को आदमी से प्यार करना चाहिए, ईद क्या है एकता का एक हसीं पैगाम है।

ईद उल फि़त्रः पहली शव्वाल को एक महीने के रोज़े पूरे करने का शुकराना और फि़तरा निकाल कर ग़रीबों की ईद का सामान फ़राहम करने का ज़रिया है।

शब्दकोष में ईद का अर्थ है लौटना और फ़ित्र का अर्थ है प्रवृत्ति |इस प्रकार ईदे फ़ित्र के विभिन्न अर्थों में से एक अर्थ, मानव प्रवृत्ति की ओर लौटना है| बहुत से जगहों पे इसे अल्लाह की और लौटना भी कहा गया है जिसका अर्थ है इंसानियत की तरफ अपने दिलों से नफरत, इर्ष्य ,द्वेष इत्यादि बुराईयों को निकालना |वास्वतविक्ता यह है कि मनुष्य अपनी अज्ञानता और लापरवाही के कारण धीरे-धीरे वास्तविक्ता और सच्चाई से दूर होता जाता है| वह स्वयं को भूलने लगता है और अपनी प्रवृत्ति को खो देता है. मनुष्य की यह उपेक्षा और असावधानी ईश्वर से उसके संबन्ध कोसमाप्त कर देती है| रमज़ान जैसे अवसर मनुष्य को जागृत करते और उसके मन तथा आत्मा पर जमी पापों की धूल को झाड़ देते हैं|इस स्थिति में मनुष्य अपनी प्रवृत्ति की ओर लौट सकता है और अपने मन को इस प्रकार पवित्र बना सकता है कि वह पुनः सत्य के प्रकाश को प्रतिबिंबित करने लगे|

  नह्जुल बलागा मे हजरत अली (अ.स) अपने खुत्बे मे कहते है कि :

 हे लोगो, यह दिन आपके लिए ऐसा  दिन है कि जब भलाई करने वाले अल्लाह से अपना पुरूस्कार प्राप्त करते और घाटा उठाने वाले निराश होते हैं। इस प्रकार यह दिन प्रलय के दिन के समान होता है। अतः अपने घरों से ईदगाह की ओर जाते समय कल्पना कीजिए मानों क़ब्रों से निकल कर ईश्वर की ओर जा रहे हैं। नमाज़ में स्थान पर खड़े होकर ईश्वर के समक्ष खड़े होने की याद कीजिए। घर लौटते समय, स्वर्ग की ओर लौटने की कल्पना कीजिए। इसीलिये यह बेहतर है कि नमाज़ ए ईद खुले मैदान मैं अदा कि जाए और सर पे सफ़ेद रुमाल नंगे पैर ईद कि नमाज़ मैं जाए. नमाज़ से पहले गुसल करे और सजदा नमाज़ के दौरान मिट्टी पे करे|

ईद की नमाज़ होने के बाद एक फ़रिश्ता पुकार-पुकार कर कहता हैः शुभ सूचना है तुम्हारे लिए हे ईश्वर के दासों कि तुम्हारे पापों को क्षमा कर दिया गया है अतः बस अपने भविष्य के बारे में विचार करो कि बाक़ी दिन कैसे व्यतीत करोगे? इस शुभ सुन्चना को महसूस करने के बाद रोज़ेदार खुश हो जाता है और एक दुसरे को गले मिल के मुबारकबाद देता है | घरों की तरफ लौट के खुशियाँ मनाता है और अल्लाह से वादा करता है की अब पाप से बचूंगा और समाज में एकता और शांति के लिए ही काम करूँगा |

बुधवार, 10 अप्रैल 2024 12:20

ईद अल्लाह का इनाम

ईद का त्योहार साल में रमज़ान के महीने के बाद आता है और इस दिन का तमाम मुसलमान बड़ी बेसब्री से इंतजार करते हैं। क्योंकि यह त्योहार रमज़ान के पूरे महीने रोज़े रखने, अल्लाह की इबादत करने के बाद नसीब होता है। इस दिन सभी लोग नए-नए कपड़े पहनते हैं, ईद की नमाज़ अदा करते हैं और स्वादिष्ट व्यंजन बनाते हैं।

इसके अलावा, सभी लोग एक दूसरे के घर जाते हैं और बच्चों को ईदी या उपहार देते हैं। यह त्योहार खुशियों और बहुत ही उत्साह से साथ चांद दिखने के बाद मनाया जाता है, लेकिन कभी आपने सोचा है कि ईद का त्योहार रमज़ान के बाद ही क्यों मनाया जाता है और इसका मतलब क्या है। अगर आपको नहीं पता, तो आइए जानते हैं।

ईद एक अरबी शब्द है जिसका मतलब होता है खुशी यानि वह खुशी का दिन जो बार-बार आए। इसके अलावा, ईद को मोहब्बत का त्योहार भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन सभी मुस्लिम लोग आपस में गले मिलते हैं और अपनी सारी नाराजगी दूर करते हैं।

मुस्लिम ग्रंथों के अनुसार ईद का त्योहार खुशी और जीत में मनाया जाता है क्योंकि कहा जाता है कि बद्र के युद्ध में जब पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब को सफलता मिली थी, तब लोगों ने पहली बार खुशी में ईद-उल-फित्रमनाया था। तब से लेकर हर मुस्लिम इस त्योहार को मनाते हैं और एक-दूसरे से गले मिलते हैं, स्वादिष्ट व्यंजन बनाते हैं और दूसरों को खिलाते हैं।

कई लोगों के मन में यह सवाल भी आता होगा कि आखिर ईद का त्योहार रमज़ान के बाद ही क्यों मनाया जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ईद मुस्लिम लोगों को पूरे महीने रोज़े रखने के बाद अल्लाह की तरफ से एक बख्शीश यानि तोहफा है, जिसे ईद-उल-फित्र के नाम से पुकारा जाता है। इसलिए हर साल रमज़ान के बाद ईद का त्योहार मनाया जाता है ताकि लोग रमज़ान जाने के गम को भूल सकें।

फितरा हर मुसलमान को ईद की नमाज से पहले देना वाजिब है, जिसे रमज़ान के महीने या फिर ईद की नमाज से पहले दिया जाता है। बता दें कि 1 किलो 633 ग्राम गेहूं या 1 किलो गेहूं की कीमत किसी गरीब को देना, फितरा कहलाता है।

यह हर उस इंसान को देना होता है, जो इंसान आर्थिक रूप से मजबूत है यानि खाते-पीते घर से है। हालांकि, 1 किलो 633 ग्राम गेहूं की कीमत बाजार के भाव के आधार पर तय की जाती है।

 

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने मानवता विरोधी अवैध ज़ायोनी शासन को दंडित करने की बात कही है।

इमाम ख़ामेनेई ने आज बुधवार को सुबह ईदे सईदे फ़ित्र के ख़ुत्बे में दमिश्क़ में ईरान के काउंसलेट पर ज़ायोनी शासन के हमले का उल्लेख करते हुए कहा है कि दुनिया में यह बात मानी जा चुकी है कि किसी भी देश के दूतावास या उसके काउन्सलेट पर हमला, उस देश की धरती के अर्थ में समझा जाता है। सिर से लेकर पैर तक अपराधों में डूबे हुए अवैध ज़ायोनी शासन को इस काम के लिए दंडित किया जाना चाहिए और ऐसा होगा।

उन्होंने कहा कि ईरानी राष्ट्र, शहीद ज़ाहेदी, शहीद रहीमी और उनके साथियों की शहादत से दुखी है।  इसी के साथ उन्होंने यह भी कहा कि यह लोग वर्षों से प्रतिरोध करते हुए शहादत की तलाश में थे।  ईश्वर ने उनकी मेहनत का बदला उनको दे दिया और उनको सफल कर दिया।

 

ईद के ख़ुत्बे में इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने ग़ज़्ज़ा की रक्ति रंजित घटनाओं को रमज़ान के पवित्र महीने में मुसलमान राष्ट्रों के लिए दुख का कारण बताया।

 

आपने रमज़ान के पवित्र महीने में ज़ायोनियों के अपराधों के जारी रहने की ओर संकेत करते हुए कहा कि प्रतिरोध के मुक़ाबले में विफल रहने की स्थति में इस क्रूर शासन ने बच्चों को उनकी माओं की गोद में और बीमारों को अस्पतालों में बहुत ही निर्दयी ढंग से विश्ववासियों के सामने शहीद करना शुरू कर दिया।

सर्वोच्च नेता ने पश्चिमी सरकारों विशेषकर अमरीका और ब्रिटेन की ओर से ज़ायोनियों के सैनिक, कूटनीतिक और आर्थिक समर्थन की निंदा करते हुए कहा कि इन सरकारों ने ग़ज़्ज़ा त्रासदी के दौरान पश्चिमी सभ्यता के दुष्ट स्वभाव को पूरी दुनिया के सामने खोलकर रख दिया।

हालांकि हमने और पश्चिमी सभ्यता के आलोचकों ने तो पहले ही कह दिया था कि इस सभ्यता की वास्तविकता, मानवीय मूल्यों के साथ दुश्मनी पर आधारित है।  ग़ज़्ज़ा की पिछले छह महीनों की घटनाओं के संबन्ध में अवैध ज़ायोनी शासन की समर्थक सरकारों के क्रियाकलापों ने इस वास्तविका को पूरी तरह से स्पष्ट कर दिया।

आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने पश्चिम के मानवाधिकारों के समर्थकों के दावों पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या ग़ज़्ज़ा में शहीद होने वाले तीस हज़ार से अधिक शहीद फ़िलिस्तीनी, इंसान नहीं हैं? क्यों अब पश्चिम से आवाज़ नहीं उठ रही है?

ईरान में आज बुधवार 10 अप्रैल को ईदे सईदे फ़ित्र मनाई गई।

ईद की नमाज़ के ख़त्बों में वरिष्ठ नेता की ओर से बल दिया गया।

आपने कहा कि सब लोगों जवानों, राजनेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और मीडिया कर्मियों को जानना चाहिए कि राष्ट्र की सफलता, एकता में निहित है।

अलबत्ता राजनीतिक और ग़ैर राजनीतिक मतभेद तो होते रहते हैं लेकिन आपसी मतभेद, दीन और दुनिया दोनों के लिए हानिकारक हैं जो देश को कमज़ोर बनाते हैं।

एक्स यूज़र्स ने ईरान का आह्वान किया है कि वह अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों की सुरक्षा के लिए इस्राईल का जवाब दे! एक्स यूज़र्स ने ईरान का आह्वान किया है कि वह अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों की सुरक्षा के लिए इस्राईल का जवाब दे!

 सीरिया की राजधानी दमिश्म में ईरानी दूतावास के काउंसलेट विभाग पर जायोनी सरकार के युद्धक विमानों द्वारा हमलों के बाद एक्स यूज़र्स ने अपनी पोस्ट में खुल्लम- खुल्लम  और सांकेतिक रूप से ईरान का आह्वान किया है कि वह अंतरराष्ट्रीय कानूनी की रक्षा करने और इस्राईल के अतिक्रमणों का मुकाबला करने के लिए उसके हमलों का जवाब दे।

जायोनी सरकार के युद्धक विमानों ने वर्ष 1961 में वियना समझौते और राष्ट्रसंघ के घोषणापत्र सहित समस्त अंतरराष्ट्रीय कानूनों का खुला उल्लंघन करते हुए पहली अप्रैल को सीरिया की राजधानी दमिश्क में ईरानी दूतावास के काउंसलेट विभाग पर हमला किया था उसके इस हमले को अंतरराष्ट्रीय कानूनों का खुला उल्लंघन इसलिए माना जाता है क्योंकि दूतावासों को उस देश का भाग समझा जाता है जिसका दूतावास होता है और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार सामने वाले देश को जवाबी कार्यवाही का पूरा अधिकार है।

सोशल साइट "एक्स" के यूज़र्स ने भी जायोनी सरकार द्वारा अंतरराष्ट्रीय कानूनों के खुल्लम- खुल्ला उल्लंघन से क्रोधित होकर ईरान का आह्वान किया है कि वह अभी तक युद्ध का आरंभ करने वाला नहीं रहा है इसके बावजूद अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार इस्राईल के हमलों का कड़ा जवाब दे। एक ब्रितानी पत्रकार शर्माइन नारवानी ने सोशल साइट एक्स पर लिखा है कि मैं नहीं जानती कि इस्राईल ने अपने दूतावासों को क्यों बंद कर दिया है। ईरान उद्दंडी देश नहीं है, वह अंतरराष्ट्रीय कानूनों के प्रति कटिबद्ध है क्योंकि उसके समर्थन के लिए उसे इस कानून की ज़रूरत है और ईरानी इस्राईल के अंदर जवाब देने के अवसर को हाथ से जाने नहीं देंगे।

ईरान के आत्म रक्षा के अधिकार के बारे में ब्रितानी पत्रकार का ट्वीट

सोशल साइट पर सक्रिय और विश्लेषक निक लोमन Nik Lawman ने भी लिखा है कि ईरान को यह अधिकार है कि वह इसका जवाब देने के लिए समस्त अंतरराष्ट्रीय कानूनों का प्रयोग कर और सहारा ले सकता है।

ईरान के जवाब के बारे में निक लोमन का ट्वीट

ईरान के जवाब के बारे में निक लोमन का ट्विट

 एक्स की एक अन्य यूज़र फरज़ाने .F भी ईरान की शक्ति को क्षेत्र में सुरक्षा स्थापित करने वाली बताती हैं। उन्होंने लिखा कि ईरान की सैनिक ताक़त क्षेत्र में किसी भी देश के लिए ख़तरा नहीं है, इसके विपरीत उसकी सैनिक शक्ति सुरक्षा उत्पन्न करती है और क्षेत्रीय देश इस ताकत पर भरोसा कर सकते हैं। ईरान कोई जंग आरंभ नहीं करता है परंतु अगर कोई देश दादागीरी करना चाहता है तो ईरान उसका कड़ा जवाब देगा।

ईरान की प्रतिरक्षा शक्ति और सुरक्षा उत्पन्न करने वाली ताक़त के बारे में एक यूज़र का ट्वीट

 एक्स पर सक्रिय अमेरिकी यूज़र लुकेस गेज Lucas Gage ने भी ईरान की सैनिक प्रतिक्रिया के बारे में लिखा कि क्या मैं अकेला हूं जो बम के साथ इस्राईली अपराधियों के जवाब के लिए जायेगा? काश कि हमारे देश के पास इस प्रकार का कार्य अंजाम देने का साहस होता किन्तु हम ज़ायोनियों के नियंत्रण में हैं। वह लिखते हैं कि इस्राईल केवल उसी हालत में रुकेगा जब उसे सैनिक जवाब का सामना होगा। वे अंतरराष्ट्रीय कानूनों या उस अदालत के बारे में कोई बात ही नहीं करते हैं जिसका प्रबंधन जायोनियों के गुलाम करते हैं।

अमेरिकी यूज़र की ईरान के सैनिक जवाब की कामना

 सोशल साइट एक्स के एक अन्य कार्यकर्ता नूह ने भी अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन की भर्त्सना की और ईरान की सैनिक प्रतिक्रिया का स्वागत करते हुए लिखाः ईरान उचित समय और उचित जगह पर इस्राईल के हमलों का करारा और पछताने वाला जवाब देगा। उन्होंने लिखा कि इस्राईल के इस काम ने दर्शा दिया कि वह किसी भी अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रति कटिबद्ध नहीं है और उसका यह हमला इस्राईल की हमलावर प्रवृत्ति को दर्शाता है।

इस्राईल द्वारा अंतरराष्ट्रीय कानूनों के उल्लंघन के बारे में सोशल साइट एक्स का ट्वीट

 कुछ यूज़र्स ने अमेरिका द्वारा इस्राईल के समर्थन की आलोचना की और अमेरिका को तेलअवीव के अपराधों का अस्ली जिम्मेदार बताया।  सोशल साइट एक्स पर सक्रिय एक यूज़र क्लिंट रसल ने इस बारे में लिखा कि जब ईरान इस्राईल पर जवाबी हमला करेगा तो मैं अमेरिकी सैनिकों के हस्तक्षेप के बारे में एक शब्द भी नहीं सुनना चाहता। इस्राईल ने गज्जा में भी और एक दूतावास पर हमला करके अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन किया है। पूरी तरह गैर कानूनी है! आप स्थिति को और जटिल बनाना चाहते हैं और अब वे भी (ईरानी) इसी तरह जवाब देंगे। अमेरिका को चाहिये कि वह जंग से बाहर व दूर रहे।

अमेरिका द्वारा इस्राईल के समर्थन की आलोचना में रसल का ट्वीट

 कुछ यूज़र्स ने सीरिया में ईरान के दूतावास के काउंटलेट की इमारत पर इस्राईली हमले को सीरिया और ईरान की संप्रभुता का उल्लंघन बताया है। रबर्थ ने भी ईरान की ओर से बदला लेने की बात करते हुए लिखा कि अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार दूतावास और काउंसलेट उस देश का भाग होता है। इस्राईल ने कई दिन पहले सीरिया में ईरानी काउंसलेट पर हमला किया और बदला लेना ईरान का क़ानूनी अधिकार है जो ईश्वर की इच्छा से शक्ति के साथ लिया जायेगा।

ईरान द्वारा बदला लिये जाने की दुआ करते हुए रबर्थ का ट्वीट

  इंटरनेट वेबसाइट UnCover ने इस बारे में अपने पोस्ट में लिखा कि यह राष्ट्रसंघ के घोषणापत्र, अंतरराष्ट्रीय कानूनों और सीरिया और ईरान की संप्रभुता का उल्लंघन है। यह हमला बड़ी दुष्टता का परिचायक है। 25 साल पहले अमेरिकी सैनिकों ने यूगोस्लाविया में चीनी दूतावास पर बमबारी की थी। यह हमला नाटो की अगुवाई में हुआ था। ... हम दुःखी हैं और ईरानी सरकार और राष्ट्र के पीड़ा को समझते हैं। उन्होंने लिखा कि इस प्रकार के निडर व दुस्साहसी हमले को माफ कर देने से बहुत ग़लत संदेश जायेगा और इससे खतरनाक कार्यवाहियों के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।... अंतरराष्ट्रीय कानूनों और अंतरराष्ट्रीय संबंधों की रेड लाइन को बार- बार पार किया गया है और इसी प्रकार मानवीय अखलाक का अंत है जिसका इस प्रकार उल्लंघन किया गया। मानवीय अंतरआत्मा की बारमबार की पराजय है।

 सीरिया और ईरान की संप्रभुता के उल्लंघन के बारे में UnCover साइट का पोस्ट

 दूसरे यूज़र्स ने भी इस्राईल के अपराधों पर पश्चिमी देशों की चुप्पी की भर्त्सना की आलोचना की।

 ज़ैनब आर Zainab R नाम की एक यूज़र्स लिखती हैं कि इस बात को ध्यान में रखिये कि अब कोई अंतरराष्ट्रीय कंवेन्शन नहीं है। इस्राईल ने ग़ज़्ज़ा पट्टी और पश्चिमी किनारे पर समस्त अंतरराष्ट्रीय कानूनों और कंवेन्शनों का उल्लंघन कर दिया है।

पश्चिमी देशों द्वारा इस्राईल के अपराधों की भर्त्सना न किये जाने के बारे में एक यूज़र का ट्वीट

 कुछ यूज़र्स ने लिखा है कि इस्राईल विश्वयुद्ध आरंभ होने का कारण है। जेस्सी इंटरनेश्नल Jesse International नामक यूज़र ने लिखा कि अमेरिकी प्रतिनिधि सभा का एक सदस्य माइक टर्नर कहता है कि अब इस्राईल ने एक दूसरे देश (ईरान) के दूतावास पर बमबारी कर दी। क्या यह कानूनी लक्ष्य है? क्या यह अकलमंदी वाला कार्य है? क्या यह विश्व युद्ध छिड़ने का कारण नहीं बनेगा? अंतरराष्ट्रीय कानून क्या कहते हैं। पूर्ण पागलपन!

तेहरान में इस्लामिक क्रांति के नेता ग्रैंड अयातुल्ला सैय्यद अली खामेनेई के नेतृत्व में ईद-उल-फितर की मुख्य नमाज अदा की गई।

इस्लामिक क्रांति के नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने अपने ईद-उल-फितर उपदेश में ईरानी लोगों और मुस्लिम विद्वानों को ईद-उल-फितर की बधाई दी और गाजा की स्थिति पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि कब्ज़ा करने वाली ज़ायोनी सरकार ने न केवल रमज़ान में अपने हमले रोके, बल्कि उनकी तीव्रता और दायरा भी बढ़ा दिया।

इस्लामिक क्रांति के नेता ग्रैंड अयातुल्ला सैय्यद अली खामेनेई ने गाजा को लेकर पश्चिमी सरकारों के पाखंड की कड़ी आलोचना की और कहा। गाजा के मामले में पश्चिमी सरकारों ने पश्चिमी सभ्यता की वास्तविकता के साथ-साथ उसकी प्रकृति को भी छिपा दिया। उन्होंने कहा कि पश्चिमी सरकारों ने न केवल उत्पीड़ित फ़िलिस्तीनी लोगों पर क्रूर हमलों, महिलाओं और बच्चों के नरसंहार को रोकने की कोशिश नहीं की, बल्कि फ़िलिस्तीनी लोगों के नरसंहार में ज़ायोनी सरकार की मदद और समर्थन भी किया।

इस्लामी क्रांति के नेता ने दमिश्क में ईरानी दूतावास पर ज़ायोनी सरकार द्वारा किए गए आतंकवादी हवाई हमले की ओर इशारा किया और कहा कि इस हमले के लिए कब्ज़ा करने वाली ज़ायोनी सरकार को दंडित किया जाना चाहिए और यह सज़ा उसे दी जाएगी। अपने उपदेश के अंत में उन्होंने मुसलमानों के बीच एकता के महत्व पर जोर दिया और मुसलमानों से अपनी एकता को मजबूत करने की अपील की।

ईरान के राष्ट्रपति सैय्यद इब्राहिम रायसी ने ईद-उल-फितर के अवसर पर सभी मुस्लिम देशों के नेताओं और लोगों को बधाई दी है और इस बात पर जोर दिया है कि गाजा पर ज़ायोनी आक्रमण को रोकने के लिए तत्काल उपाय करना इस्लामी देशों का इस्लामी और मानवीय कर्तव्य है।

राज्य के राष्ट्रपति सैयद इब्राहिम रईसी ने मुस्लिम देशों के प्रमुखों और लोगों को ईद-उल-फितर की बधाई देते हुए इस ईद को खुदा की इबादत, खुदा से निकटता और उसके सवाब और इनाम का दिन बताया. ईमानदार और वफादार सेवकों के उपवास.

अपने बधाई संदेश में उन्होंने इस शुभ दिन के आशीर्वाद के साथ मुस्लिम जगत, विशेषकर गाजा और फिलिस्तीन के लोगों की सफलता के लिए प्रार्थना की और कहा कि इस समय फिलिस्तीनी आंदोलन का समर्थन करना न केवल शरिया है, बल्कि धार्मिक और धार्मिक भी है. सभी मुसलमानों का नैतिक कर्तव्य। ईरान के राष्ट्रपति ने अल-कुद्स दिवस के जुलूसों और रैलियों को फिलिस्तीनियों के समर्थन की अभिव्यक्ति के रूप में वर्णित किया और इस बात पर जोर दिया कि उत्पीड़ित फिलिस्तीनी लोगों के खिलाफ आक्रामकता को रोकने और गाजा की घेराबंदी को समाप्त करने के लिए एक मजबूत प्रयास करने की आवश्यकता है। , साथ ही मानवीय सहायता प्रदान करना सरल बनाया जाना चाहिए।

राष्ट्रपति ने गाजा में भुखमरी खत्म करने के लिए सभी इस्लामी देशों और मुसलमानों के प्रयासों में हर तरह का सहयोग और समर्थन प्रदान करने की ईरान की इच्छा की घोषणा की और कहा कि विश्व अल-कुद्स दिवस का उपयोग गाजा के लोगों और फिलिस्तीनियों की मदद के लिए किया जाना चाहिए सभी मुसलमानों के बीच एकता और एकजुटता की अभिव्यक्ति होनी चाहिए ताकि उनके खिलाफ आक्रामकता और घेराबंदी का समर्थन किया जा सके और फिलिस्तीनियों की मदद की जा सके।

हमास आंदोलन ने फिलिस्तीनी राष्ट्र, फिलिस्तीनी दृढ़ता, मुस्लिम उम्माह और अरब देशों को ईद-उल-फितर की बधाई दी है।

हमास आंदोलन ने एक बयान जारी कर ईद-उल-फितर की बधाई दी और इस बात पर जोर दिया कि ईद एकता और एकजुटता और अत्याचारियों को बाहर निकालने और नष्ट करने की दृढ़ता का समय होना चाहिए। बयान में कहा गया है कि यह ईद-उल-फितर है वर्ष ऐसी स्थिति में आ गया है कि फिलिस्तीनी राष्ट्र और उसकी दृढ़ता छह महीने से अमेरिका समर्थित नरसंहार हड़पने वाली इजरायली सेना से लड़ रही है और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय मूक दर्शक बना हुआ है और ये सभी मानवीय मूल्य, सार्वभौमिक कानूनों और शिक्षाओं के खिलाफ हैं।

हमास आंदोलन ने कहा कि हम गाजा के धैर्यवान, बहादुर और दृढ़ लोगों को इस ईद पर बधाई देते हैं और उन शहीदों को आशीर्वाद देते हैं जिन्होंने इस युद्ध में अल-अक्सा मस्जिद की रक्षा में अपने जीवन का बलिदान दिया और घायलों और बीमारों के उपचार के लिए प्रार्थना करते हैं। कहते हैं हमास के बयान में कहा गया है कि हमें उम्मीद है कि दुश्मन की जेलों से कैदियों को जल्द रिहा किया जाएगा और फिलिस्तीनी राष्ट्र और दृढ़ता सफल होगी.

इस बयान में आगे कहा गया है कि हम एक बार फिर सभी फ़िलिस्तीनियों के बीच सूदखोरों के ख़िलाफ़ लड़ाई और दुश्मन के अपराधों और युद्ध को रोकने के लिए बातचीत में भी एकता और एकजुटता पर ज़ोर देते हैं।

ग़ाज़ा पर कब्ज़ा करने वाले ज़ायोनी शासन के हमले जारी हैं।

फ़िलिस्तीनी सूत्रों से प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार, उत्तरी और मध्य गाजा के विभिन्न क्षेत्रों पर ज़ायोनी सरकार की ताज़ा बमबारी में कम से कम उन्नीस फ़िलिस्तीनी शहीद हो गए। एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया है कि ज़ायोनी युद्धक विमानों द्वारा नुसीरत शिविर में एक आवासीय घर पर बमबारी में चौदह लोग शहीद हो गए, जिनमें से अधिकांश महिलाएँ और बच्चे हैं।

इस रिपोर्ट के मुताबिक जबालिया कैंप पर ज़ायोनी सेना की बमबारी में एक ही घर के पांच लोग शहीद हो गये. इससे पहले मंगलवार शाम को गाजा में फिलिस्तीनी स्वास्थ्य विभाग ने घोषणा की कि पिछले चौबीस घंटों में गाजा पर ज़ायोनी सरकार के हमलों में एक सौ तिरपन फिलिस्तीनी शहीद हो गए और साठ घायल हो गए।

वहीं, फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय ने घोषणा की कि गाजा पर ज़ायोनी सरकार के बर्बर हमलों में शहीदों की संख्या 193,360 और घायलों की संख्या 575,993 हो गई है।

लगभग 60,000 फिलिस्तीनी येरुशलम में अल-अक्सा मस्जिद पहुंचे और ईद-उल-फितर की नमाज अदा की।

बेइत अल-मकदीस के अवकाफ इंस्टीट्यूशन ने घोषणा की है कि ज़ायोनी बाधाओं के बावजूद, हजारों फिलिस्तीनी अल-अक्सा मस्जिद पहुंचे, जहां मस्जिद के प्रांगण भी फिलिस्तीनियों से भरे हुए थे और उन्होंने ईद की नमाज़ अदा की।

फ़िलिस्तीनी ज़ायोनी बाधाओं को पार करके अल-अक्सा मस्जिद तक पहुँचने में सफल रहे। ईद-उल-फितर की नमाज ख़त्म होते ही ज़ायोनी सरकार की हमलावर सेना ने मस्जिद पर हमला कर दिया। ईद की नमाज के मौके पर अल-अक्सा मस्जिद में फिलिस्तीनियों के जमावड़े का बेहतरीन नजारा देखने को मिला.

 

आयतुल्लाह ख़ामेनेईः दूतावास देश की सरज़मीन के अर्थ में है जब हमारी काउंसलेट पर हमला किया तो समझिए उन्होंने हमारी सरज़मीन पर हमला किया है। यही दुनिया की आम समझ है।  इस्राईल ने ग़लती कर दी, इस मामले में उसे सज़ा मिलनी चाहिए और सज़ा मिलेगी।