رضوی

رضوی

माहे रमज़ानुल मुबारक की दुआ जो हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व.ने बयान फ़रमाया हैं।

اَللّهُمَّ ارْزُقْني فيہ طاعةَ الخاشعينَ وَاشْرَحْ فيہ صَدري بِانابَۃ المُخْبِتينَ بِأمانِكَ ياأمانَ الخائفينَ..

अल्लाह हुम्मर ज़ुक्नी फ़ीहि ताअतल ख़ाशिईन वश रह फ़ीहि सदरी बे इनाबतिल मुख़बितीन, बे अमानिका या अमानल ख़ाएफ़ीन (अल बलदुल अमीन, पेज 220, इब्राहिम बिन अली)

ख़ुदाया! मुझे इस महीने में ख़ुज़ूअ व ख़ुशूअ करने वालों जैसी इताअत और मेरे सीने को मुख़्लेसीन जैसी तौबा के लिए बड़ा कर दे, अपनी अमान के ज़रिए, ऐ ख़ौफ़ज़दा लोगों को अमान देने वाले...

अल्लाह हुम्मा स्वल्ले अला मुहम्मद व आले मुहम्मद व अज्जील फ़रजहुम.

मंगलवार, 26 मार्च 2024 18:12

बंदगी की बहार- 15

पवित्र रमज़ान का महीना, मनुष्य के सामाजिक व व्यक्तिगत जीवन में बहुत अधिक प्रभाव डालता है और बहुत अधिक लाभ पहुंचाता है।

इनमें से सबसे महत्वपूर्ण वह है जैसा कि पवित्र क़ुरआन के सूरए बक़रा की आयत संख्या 183 में बयान किया गया है, ईश्वरीय भय है। हे ईमान वालों तुम्हारे ऊपर रोज़े उसी प्रकार लिख दिए गये हैं जिस प्रकार तुम्हारे पहले वालों पर लिखे गये थे शायद तुम इसी प्रकार ईश्वरीय भय रखने वाले बन जाओ।

अब यहां पर महत्वपूर्ण बात यह है कि ईश्वरीय भय उस समय पैदा होता है जब मनुष्य धार्मिक आत्मविश्वास के स्वीकार्य योग्य स्तर तक पहुंच जाए। यह आत्मविश्वास रोज़े और रमज़ान की अन्य उपासनाओं और कर्मों की छत्रछाया में बेहतरीन ढंग से पलते बढ़ते हैं। इस बात को बेहतर ढंग से समझने के लिए सबसे पहले हमें यह समझने की आवश्यकता है कि आत्म विश्वास क्या है? आत्म विश्वास को, विश्वास, क्षमताओं पर संतुष्टता, स्वयं के पास वास्तव में क्या है और इनसे लाभ उठाने की कला का नाम दिया जा सकता है।

इस प्रकार से यह निर्धारित हो जाता है कि आत्म विश्वास का हर व्यक्ति के पालन पोषण में बहुत अधिक महत्व है और यह उसकी प्रतिष्ठा, परिपूर्णता और विकास का कारण बनता है। इस बारे में हज़रत अली अलैहिस्सलाम कहते हैं कि जो व्यक्ति भी स्वयं को ऊंचा नहीं समझता और स्वयं को ऊंचाई पर नहीं पहुंचाता तो कोई दूसरा उसे ऊंचाई तक नहीं पहुंचाएगा।

अब यहां पर सवाल यह पैदा होता है कि धार्मिक आत्म विश्वास क्या है? आत्म विश्वास के अर्थ के दृष्टिगत, उच्च धार्मिक मूल्यों की परिधि में आत्म विश्वास के पाए जाने को धार्मिक आत्मविश्वास का नाम दिया जाता है। जो व्यक्ति धार्मिक आत्मविश्वास के चरण तक पहुंच जाता है, उसे यह विश्वास होता है कि ईश्वर अपनी समस्त सृष्टि पर नज़र रखता है, और दुनिया की समस्त संभावनओं को उसके पास समझता है ताकि अपनी बुद्धि और अपने अधिकारों का प्रयोग करके उनसे बेहतरीन ढंग से लाभ उठा सके। स्वभाविक सी बात है कि जो व्यक्ति भी इस प्रकार का विचार रखता होगा वह अधिक से अधिक आत्म विश्वास से संपन्न होगा और इस्लामी शिक्षाओं के आधार पर वह अपने पालनहार ईश्वर के अतिरक्त किसी अन्य के आगे नतमस्तक नहीं होगा।

पवित्र रमज़ान का महीना, अध्यात्म, ईमान तथा धार्मिक आस्थाओं की की मज़बूती का महीना है।  इस विभूती भरे महीने में धार्मिक आत्मविश्वास में विकास और उसमें निखार के लिए बेहतरीन भूमि प्रशस्त होती है।

 

आत्म विश्वास के लिए ज़रूरी चीज़ों में से एक सफलता तक पहुंचने के लिए परेशानियों और कठिनाइयों को सहन करने की शक्ति से संपन्न होना है।  जिस किसी को अपनी क्षमताओं पर भरोसा है और उसे बढ़ाने का प्रयास करता रहता है वह अपने आत्मविश्वास में भी वृद्धि करता है। पवित्र रमज़ान का महीना, वैध मांगों के मुक़ाबले में प्रतिरोध का अभ्यास है जिसे ईश्वर ने रोज़े के दिनों प्रतिबंधित किया है।

रोज़ेदार व्यक्ति यह सीखते हैं कि सफलता और कल्याण के मार्ग में उसे अस्थाई रूप से दिल बहलाने वाली कुछ चीज़ों से आंख बंद करनी होगी, रोज़ा इंसान के इरादों को मुश्किलों के मुक़ाबले में बढ़ाते हैं। जो लोग, अपनी क्षमताओ पर पहले से अधिक भरोसा पैदा करते हैं, उनमें आत्म विश्वास अधिक पैदा होता है किन्तु रोज़े में महत्वपूर्ण बिन्दु, ईश्वर पर आस्था और उसके ईमान को मज़बूत करना है।

जो व्यक्ति धार्मिक आस्थाओं के मार्ग पर क़दम बढ़ाता है, इसका व्यवहारिक होना, ईश्वर पर आस्था और उसके आदेशों पर अमल किए बिना संभव नहीं है। यही कारण है कि जो व्यक्ति पूरे दिन सिर्फ़ और सिर्फ़ अल्लाह की प्रसन्नता हासिल करने के लिए खाने पीने और कुछ दूसरे कर्मों से, भारी कठिनाइयों के साथ, दूर रहता है, स्पष्ट रूप से पता चलता है कि ईश्वर पर आस्था, उसके आत्मविश्वास और स्वयं पर भरोसे का केन्द्र है क्योंकि ईश्वर पर ईमान और मज़बूत आस्था, उसके लिए मज़बूत सहारा है जो उसके लिए शांति का उपहार लाता है। इसी प्रकार सूरए राद की आयत संख्या 28 में ईश्वर कहता है कि यह वह लोग हैं जो ईमान लाए हैं और उनके दिलों को अल्लाह की याद से संतुष्टि हासिल होती है और अवगत हो जाओ कि संतुष्टि ईश्वर की याद से ही प्राप्त होती है।

ईश्वर की महत्वपूर्ण उपासनाओं में सबसे महत्वपूर्ण ईश्वरीय किताब क़ुरआन की तिलावत है। पवित्र रमज़ान के महीने में पवित्र क़ुरआन की तिलावत पर बहुत अधिक बल दिया गया है। पैग़म्बरे इस्लाम (स) कहते हैं कि मुसलमानों इस महीने में अधिक से अधिक क़ुरआन पढ़ो। पैग़म्बरे इस्लाम के पौत्र हज़रत इमाम मुहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम का भी यह कहन है कि हर चीज़ की एक बहार है और क़ुरआन की बहार, पवित्र रमज़ान का महीना है।

पवित्र क़ुरआन, ईश्वर का दिल में उतर जाने वाला बोल है और इसको पढ़ने से मनुष्य में सुख व शांति की भावना पैदा होती है और उसमें धार्मिक आत्मविश्वास बढ़ता है। ईश्वर का यह चमत्कार बारम्बार बल देकर कहता हे कि मनुष्य का भविष्य उसके ही हाथ में है, वही है जो अपना सौभाग्य और दुर्भाग्य स्वयं ही लिखता है। सूरए मुदस्सिर की आयत संख्या 38 में आया है कि व्यक्ति अपने कर्मों में फंसा हुआ है। इस आधार पर एक मुस्लिम को पता है कि वह स्वयं अपने प्रयास और कोशिशों से सफलता के मार्ग पर आगे बढ़ता है। दूसरी ओर ईश्वर ने मनुष्यों को वचन दिया है कि उनके भले और नेक काम के पुण्य, उनकी ग़लतियों और पापों से अधिक हैं। सूरए अनआम की आयत संख्या 160 में ईश्वर फ़रमाता है कि जो व्यक्ति भी नेकी करेगा उसे दस गुना पारितोषिक मिलेगा और जो बुराई करेगा उसे केवल उतनी ही सज़ा मिलेगी और कोई अत्याचार न किया जाएगा।

ईश्वर पवित्र क़ुरआन के सूरए ज़ारियात की 55वीं आयत में अपने पैग़म्बर को आदेश देता है कि लोगों को उपदेश दें क्योंकि उपदेश मनुष्य के लिए बहुत ही लाभदायक है। पैग़म्बरे इस्लाम (स) ने स्वयं भी लोगों के मार्गदर्शन के लिए इस शैली का प्रयोग किया और लोगों को भी उपदेश की सभाओं के आयोजन के लिए प्रेरित करते थे। वे लोगों को संबोधित करते हुए कहते थे कि हे लोगो होशियार हो जाओ कि बुद्धिजीवियों और ज्ञानियों की सभाएं स्वर्ग के बाग़ों में से एक बाग़ है, इस अवसर से लाभ उठाओ कि विभूतियां और क्षमायाचना वर्षा की भांति उस सभा पर पड़ती है और पापों को धो देती है और जब तक आप उनके पास बैठे रहेंगे, फ़रिश्ते आप के लिए पापों की क्षमा याचना करते रहेंगे, ईश्वर भी उस ओर देखता है और ज्ञानी, छात्र, दर्शक और उसके दोस्तों को क्षमा कर देता है।

रमज़ान क्षमा के स्वीकार होने और ईश्वर की ओर पलटकर जाने का महीना है। जिन लोगों ने अपने जीवन में पाप किए हैं, वे रोज़े द्वारा अपना शुद्धिकरण कर सकते हैं। पैग़म्बरे इस्लाम (स) के परिजनों के अनुसार, इस महीने में पाप माफ़ कर दिए जाते हैं और यह उन लोगों के लिए बड़ी शुभ सूचना है जिनसे ग़लतियां हुई हैं। निःसंदेह जो पापी अपने पापों पर शर्मिंदा है अगर वह इस महीने में ईश्वर के लिए रोज़ा रखे और अपने कृत्यों के लिए तोबा करे तो ईश्वर उसके पापों को माफ़ कर देगा।

पवित्र क़ुरआन उन लोगों पर चीख़ता चिल्लाता है जो अपनी ग़लतियों को दूसरों की गर्दन पर डालने का प्रयास करते हैं बल्कि उसे अपनी ज़िम्मेदारियां स्वीकार करनी चाहिए। इसीलिए सूरए असरा की आयत संख्या 15 में आया है कि जो व्यक्ति भी मार्गदर्शन हासिल करता है वह अपने लाभ के लिए करता है और जो पथभ्रष्टता अपनाता है वह भी अपना ही नुक़सान करता है और कोई किसी का बोझ उठाने वाला नहीं है और हम तो उस समय तक प्रकोप करने वाले नहीं हैं जब तक कोई रसूल न भेज दें।

इस्लाम धर्म में विशेषकर रमज़ान के महीने में एक मुसलमान यह सीखता है कि वह अपना वास्तविक मूल्य पहचाने क्योंकि ईश्वर ने उसका सम्मान किया है और ईश्वर की मेहमान नवाज़ी की उसको कृपा प्रदान की है। उसको यह अवसर मिला है ताकि वह अपने ईश्वर से अधिक से अधिक निकट हो सके। इस्लाम धर्म में मनुष्य को यह संभावना रहती है कि वह ईश्वर का उतराधिकार बन जाए। इसके लिए शर्त यह है कि उसे अपनी क्षमताओं पर विश्वास हो और उसे अपने मार्ग दर्शन और सफलता के मार्ग में प्रयोग करे।

इसी प्रकार इस्लाम धर्म मनुष्यों को सचेत करता है कि पाप, उसके मानवीय मूल्यों को कम कर देते हैं और जो धार्मिक आस्थाओं तक पहुंचना चाहता है तो उसे वह काम अंजाम देने चाहिए जिससे अल्लाह ख़ुश होता है और उसे काम से बचना चाहिए जिससे अल्लाह अप्रसन्न होता है। इसी संबंध में हज़रत अली अलैहिस्सलाम कहते हैं कि मनुष्य के बंदे न बनो कि ईश्वर ने तुम्हें स्वतंत्र पैदा किया है। पवित्र क़ुरआन मुसलमानों को यह विश्वास दिलाते हुए सूरए तलाक़ में कहता है कि जो भी अल्लाह पर भरोसा करता है तो अल्लाह उसके लिए काफ़ी है।

पैग़म्बरे इस्लाम ने फ़रमाया है, रमज़ान मुबारक में ईश्वर पापियों के इतने पापों को क्षमा कर देता है कि उसके अलावा कोई और उसका हिसाब नहीं जानता है और रमज़ान की अंतिम रात जितने पापों को उसने पूरे महीने में क्षमा किया होता है उतने ही लोगों को नरक से मुक्ति प्रदान करता है और जो कोई रमज़ान में रोज़ा रखता है और जिन चीज़ों को ईश्वर ने हराम किया है उनसे परहेज़ करता है तो स्वर्ग को उसके लिए अनिवार्य कर देता है।

मंगलवार, 26 मार्च 2024 18:11

ईश्वरीय आतिथ्य- 15

हमें ईश्वर की ओर से हर साल मेहमानी के लिए बुलाया जाता है।

यह मेहमानी किसी एक दिन की नहीं बल्कि पूरे महीने की होती है।  यह अवसर, स्वयं को सुधारने का उचित अवसर है।  एक महीने की ईश्वरीय मेहमानी में लोगों के हृदय नर्म हो जाते हैं, आत्मशुद्धि का अवसर प्राप्त होता है और लोग आत्मनिर्माण के लिए अधिक तैयार होते हैं।  हर व्यक्ति, अपनी योग्यता और क्षमता के अनुसार ईश्वर की मेहमानी से लाभ उठाने के प्रयास करता है।  इसमें मेहमानों के मन, से पाप दूर होने लगते हैं जिसके कारण दिल प्रकाशमान होते हैं।

यह मेहमानी वास्तव में रमज़ान का पवित्र महीना है।  यह महीना मनुष्य के भीतर सुधार के लिए है।  रमज़ान का महीना एसा अवसर है जिसमें मनुष्य के पास यह मौक़ा होता है कि वह आत्मसुधार कर सके।  इस महीने में मनुष्य, ईश्वर की कृपा का साक्षी होता है।  रमज़ान का महीना इसलिए भी है कि ज़रूरतमंद लोगों की सहायता की जाए।  यदि हमारे हाथ से किसी के मन को ठेस पहुंची है तो उससे क्षमा मांग ली जाए।  विगत में जो बुराइयां की हैं उनकी भरपाई, उपासना के माध्यम से की जाए।  यह इतना विभूतियों वाला महीना है जिसमें सांस लेना भी इबादत है।

वे लोग जो किसी भी पद पर आसीन हैं उनके लिए भांति-भांति से पाप में पड़ने की संभावना पाई जाती है।  उदाहरण स्वरूप वे लोग जो आर्थिक गतिविधियों में लगे रहते हैं उनके बारे में यह संभावना पाई जाती है कि वे आर्थिक मामलों से संबन्धित किसी बुराई में पड़ जाएं।  इसी प्रकार से अन्य क्षत्रों में कार्यरत लोगों के उस क्षेत्र से संबन्धित बुराई में पड़ने की संभावना पाई जाती है।  यहां पर विशेष बात यह है कि अगर कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार का पाप करता है और समय गुज़रने के साथ पाप करना उसके लिए सामान्य सी बात हो जाती है तो यह स्थिति मनुष्य के लिए बहुत ख़तरनाक स्थिति है।  इस्लामी शिक्षाओं में हर प्रकार के पाप से रूकने की बात कही गई है।  मनुष्य को चाहिए कि वह पापों से बचने की कोशिश करता रहे।

कुछ लोग ऐसे होते हैं कि वे पाप करते हैं और बाद में प्रायश्चित कर लेते हैं।  इसके विपरीत कुछ एसे लोग भी होते हैं जो इतना अधिक पाप कर लेते हैं कि उनके लिए पाप करना एक सामान्य सी बात होती है।  ऐसा व्यक्ति जिसके लिए पाप करना एक सामान्य बात है वह धीरे-धीरे ईश्वर की रहमत से दूर होता जाता है।  इस प्रकार से वह ग़लत रास्ते पर बढ़ता जाता है।  यही कारण है कि मनुष्य को सदैव बुराइयों से बचते रहना चाहिए।  सदैव ही स्वयं को बुराइयों से दूर करने की प्रक्रिया को ही तक़वा या ईश्वरीय भय कहा जाता है।  एसा व्यक्ति जो अपनेआप को हमेशा बुराइयों से दूर रखता है उसे "मुत्तक़ी" कहते हैं।

इस बारे में इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई कहते हैं कि ईश्वर से निकट होने का सबसे अच्छा रास्ता, पापों से दूरी है।  मुख्य मार्ग यही है।  इसके अतिरिक्त किसी भी मार्ग को प्रमुख मार्ग नहीं कहा जा सकता।  ख़ास बात यह है कि हर स्थिति में पापों से बचा जाए।  यही वास्तविक तक़वा है।  तक़वा प्राप्त करने या उसे मज़बूत करने का सबसे अच्छा अवसर रमज़ान है।  जैसाकि पवित्र क़ुरआन के सूरे बक़रा की आयत संख्या 183 में ईश्वर कहता है कि हे ईमान लाने वालो! तुम्हारे लिए रोज़ा अनिवार्य किया गया जिस प्रकार तुमसे पहले वाले लोगों पर अनिवार्य किया गया था ताकि शायद तुम पवित्र और भले बन सको।

तक़वा या ईश्वरीय भय के बारे में पवित्र क़ुरआन में जो आयतें हैं उनके आधार पर यह कहा जा सकता है कि तक़वा, एक बार में प्राप्त होने वाली चीज़ नहीं है बल्कि यह धीरे-धीरे हासिल होता है।  मनुष्य, कठिन अभ्यास करके ही ईश्वरीय भय को अपने मन में स्थान दे सकता है।  रमज़ान के पवित्र महीने में मनुष्य के पास यह अवसर होता है कि वह इस दौरान तक़वा हासिल करके उसे मज़बूत बनाए।  इस दौरान मनुष्य को आत्मज्ञान प्राप्त करने के प्रयास करने चाहिए।  ऐसा व्यक्ति अपनी आंतरिक पहचान करके उन बुराइयों को स्वयं से दूर कर सकता है जो उसके भीतर मौजूद हैं।  इसके लिए थोड़ा प्रयास तो करना पड़ेगा किंतु यह कोई असंभव काम नहीं है।

इस बारे में इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई कहते हैं कि मेरे दोस्तो, आइए हम अपनी बुराइयों पर ग़ौर करें।  इन बुराइयों को हमें सूचिबद्ध करना चाहिए।  रमज़ान के महीने में हमारे पास यह अवसर रहता है कि हम अपनी इन बुराइयों को स्वंय से दूर करें।  हम अगर ईर्ष्यालु हैं तो ईर्ष्या को, अगर ज़िद्दी हैं तो ज़िद को, अगर आलसी हैं तो आलस को और अगर किसी के प्रति द्वेष है तो द्वेष को समाप्त किया जाए।  इस प्रकार हमें अपने भीतर पाई जाने वाली बुराइयों को दूर करने के प्रयास करने चाहिए।  हमे अपने भीतर की सारी नैतिक बुराइयों को दूर करना चाहिए।  हमको यह जानना चाहिए कि यदि रजमज़ान के महीने में हम अपनी बुराइयों को दूर करने के प्रयास करेंगे तो ईश्वर हमारी सहायता करेगा।  ईश्वर सुधार के मार्ग में हमारी सहायता अवश्य करेगा।

तक़वे का शाब्दिक अर्थ होता है ईश्वरीय भय लेकिन यह भय से पहले स्वयं को हर प्रकार की बुराई और पाप से दूर करने के अर्थ में है।  मनुष्य को केवल बाहरी तक़वे को पर्याप्त नहीं समझना चाहिए बल्कि आंतरिक तक़वे की ओर अवश्य ध्यान देना चाहिए।  इसका अर्थ होता है कि रमज़ान के पवित्र महीने में अपने भीतर से ईर्ष्या, क्रोध, मोह, भ्रष्टाचार, छल-कपट, धोखाधड़ी, उत्पीड़न, विश्वासघात और शोषण सहित अन्य नैतिक बुराइयों को दूर करके अच्छी विशेषताओं को अपनाना चाहिए।  मनुष्य के भीतर पाई जाने वाली अच्छी बातें स्वस्थ मन की परिचायक हैं।  नैतिकशास्त्र के गुरूओं का कहना है कि यदि कोई अपने भीतर से बुरी बातों को नहीं निकालता तो दिखावे की बातों से कुछ होने वाला नहीं है।  कितना अच्छा हो कि मनुष्य रमज़ान के पवित्र महीने में स्वयं से मन की बीमारियों को दूर करते हुए तक़वे को अधिक मज़बूत बनाए।

आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई तक़वे के बारे में कहते हैं कि दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि तक़वा एक एसी स्थिति का नाम है जो मनुष्य को हर प्रकार की बुराइयों से रोके रखती है ताकि वह ग़लत रास्ते पर अग्रसर न होने पाए।  यह एक कवच की भांति है जो मनुष्य को हर हमले से बचाए रखती है।  यह बात केवल धार्मिक या आध्यात्मि मामलों तक सीमित नहीं है बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में मनुष्य को सुरक्षित करती है।

वास्तविकता यह है कि हर वह मुत्तक़ी व्यक्ति, ईश्वर के भय से बुरे कामों से बचे तो ईश्वर भी उसकी सहायता करता है।  ईश्वर एसे व्यक्ति के लिए समस्याओं के समय मुक्ति के मार्ग पैदा करता है।  एसे व्यक्ति के लिए ईश्वर उन स्थानों से उसके लिए मदद पहुंचाता है जिसके बारे में उसने सोचा भी नहीं होगा।  वह व्यक्ति जो कल्याण और परिणपूर्णता के मार्ग पर अग्रसर हो एसा व्यक्ति, अपने प्रयास से पीछे नहीं हटता।

 

नैतिक विषय के जानकारों का कहना है कि तक़वा प्राप्त करने का प्रमुख मार्ग, अपनी ज़बान पर नियंत्रण रखना है।  इस बारे में हज़रत अली अलैहिस्सलाम कहते हैं कि ईश्वर की सौगंध, ईश्वर का भय रखने वाले उस व्यक्ति के लिए तक़वा कभी भी लाभदाय नहीं हो सकता जो अपनी ज़बान पर लगाम न रखता हो।  आपका एक अन्य कथन यह है कि मोमिन की ज़बान उसके हृदय के पीछे होती है जबकि मुनाफ़िक़ की ज़बान उसके हृदय के आगे होती है।  अर्थोत मोमिन पहले सोचता है फिर बोलता है और मुनाफ़िक़ पहले बोलता है फिर सोचता है।

एक मुसलमान का कर्तव्य बनता है कि वह सदैव अपनी ज़बान के बारे में सचेत रहे।  इस्लामी शिक्षाओं में बताया गया है कि ज़बान मनुष्य के कल्याण का कारण बनती है और ज़बान ही उसे विनाश की ओर ले जाती है।  इसलिए मनुष्य को बहुत ही सोच-समझकर बात करनी चाहिए।  सूरे क़ाफ़ की आयत संख्या 18 में ईश्वर कहता है कि मनुष्य जो भी बात करता है उसे ईश्वर का फ़रिश्ता लिखता जाता है।

पैग़म्बरे इस्लाम (स) कहते हैं कि वह व्यक्ति जो अपनी ज़बान को बुरी बातों से बचाए रखे मैं उसके लिए स्वर्ग की गारेंटी देता हूं।  अगर ग्यारह महीनों तक हम अपनी ज़बान पर नियंत्रण नहीं कर पाए तो कम से कम हमें रमज़ान के महीने में अपनी ज़बान पर ध्यान रखना चाहिए।  यदि कोई रोज़ेदार रोज़े की स्थिति में अपनी ज़बान पर नियंत्रण नहीं कर पाए तो उसका रोज़ा ही व्यर्थ चला जाएगा।  ज़बान पर नियंत्रण का अर्थ है स्वंय को झूठ, गाली-गलौज, ग़ीबत अर्थात दूसरों की बुराई आरोप लगाने, उकसावे की बातें करने, दूसरों का मज़ाक उड़ाने और इसी प्रकार की बातों से बचाना है।  हमको पूरा प्रयास करना चाहिए कि रोज़े के दौरान हर प्रकार की बुराई से बचते हुए एसे रोज़ा रखें जैसा ईश्वर चाहता है।

 

 

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम के शुभ जन्म दिवस की पूर्व संध्या पर शायरों और फ़ारसी ज़बान के उस्तादों और साहित्यकारों से सोमवार की रात मुलाक़ात की।

इस मुलाक़ात में, अयातुल्लाहिल उज़मा सैयद अली खामेनेई ने फ़ारसी शेरों की निरंतर प्रगति और उसके शिखर पर पहुंचने को संतोष जनक क़रार दिया और शेर को मीडिया वॉर के दौर में एक अहम व प्रभावी मीडिया बताते हुए कहा कि इस मैदान में एक ताक़तवर, प्रभावी और ठोस मीडिया की हैसियत से फ़ारसी शेर व साहित्य की मूल्यवान विरासत से बेहतरीन तरीक़े से फ़ायदा उठाया जाना चाहिए।

सुप्रीम लीडर का कहना था कि उचित व लाभदायक संदेश के चयन को शेर के प्रभाव और उसके बाक़ी रहने की शर्त बताते हुए कहा कि शेर के मीडिया को धर्म, अख़लाक़, शिष्टाचार, संस्कृति और ईरानी परंपरा के पैग़ाम को पहुंचाना चाहिए।

फ़ारसी शायरों, कवियों और सहित्यकारों से मुलाक़ात

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने विश्व के मुंहज़ोरों के ज़ुल्म व विस्तारवाद और उसके प्रतीकों यानी अमरीका और ज़ायोनियों के मुक़ाबले में ईरानी क़ौम के बहादुरी से भरे प्रतिरोध के संदेश को बेहतरीन व पहुंचाने के योग्य संदेश बताया और कहा कि ईरानी राष्ट्र के प्रतिरोध का संदेश और उसकी ओर से साम्राज्यवादियों के ख़िलाफ़ अपने दो टूक व ठोस नज़रिये का बयान बहुत अहम और दुनिया के लोगों में शौक़ पैदा करने वाला है और इन नज़रियों के स्वागत किए जाने के नमूने ईरानी राष्ट्राध्यक्षों के विदेशी दौरों और अवामी सभाओं में उनकी तक़रीरों के दौरान देखने में आए।

उन्होंने शायरों और फ़ारसी शायरी व साहित्य के क्षेत्र में सक्रिय लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि अच्छे शेर से विश्व जनमत को भी फ़ायदा पहुंचना चाहिए और इसके लिए अनुवाद का अभियान शुरू किया जाना चाहिए ताकि शेर को शायराना और प्रभावी गद्य की परिधि में दूसरों के सामने पेश किया जा सके।

सुप्रीम लीडर ने लोगों की साहित्यिक स्मृति को मज़बूत बनाने और युवाओं के दिमाग़ और मन को कविताओं के सही और अच्छे उपयोग में रचनात्मक बनाने तथा बड़े शायरों और कवियों की काव्य रचनाओं का अध्ययन करने और उससे सीखने की सिफ़ारिश की।

ईरान की कुछ महिला शायर

सुप्रीम लीडर ने इस बात पर खेद व्यक्त करते हुए कि विदेशी शब्दों के आने की वजह से फ़ारसी भाषा मज़लूम साबित हो रही है, सिफ़ारिश की कि इस मनमोहक और विकास योग्य भाषा का संरक्षण किया जाना चाहिए।

उनका कहना था कि इन हमलों के मुक़ाबले में फ़ारसी तत्सम शब्दों का प्रयोग किया जाना चाहिए जो कभी-कभी अधिक सुन्दर और उपयोग में आसान होते हैं तथा विदेशी शब्दों को कम करके फ़ारसी भाषा की शुद्धता बढ़ाई जानी चाहिए।

इस मुलाक़ात के आग़ाज़ में इमाम हसन अलैहिस्सलाम और इमाम महदी अलैहिस्सलाम की शान सहित ग़ज़ा की जनता ख़ास तौर पर ग़ज़ा के बच्चों और औरतों की मज़लूमियत, माँ - बाप की प्रशंसा और इसी तरह कुछ राजनैतिक व सामाजिक विषयों पर शेर पढ़े गए।

इस मुलाक़ात से पहले सुप्रीम लीडर की इमामत में मग़रिब और इशा की नमाज़े जमाअत से अदा की गयी।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने करीमे अहलेबैत इमाम हसन अलैहिस्सलाम के शुभ जन्म दिवस की पूर्व संध्या पर शायरों और फ़ारसी ज़बान के उस्तादों और साहित्यकारों से सोमवार की रात मुलाक़ात की।

इस मुलाक़ात में, जिसमें 40 जवान और बुज़ुर्ग शायरों ने अपने शेर पेश किए, आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने शेर को मीडिया वॉर के दौर में एक अहम व प्रभावी मीडिया बताते हुए कहा कि इस मैदान में एक ताक़तवर, प्रभावी और ठोस मीडिया की हैसियत से फ़ारसी शेर व साहित्य की मूल्यवान विरासत से बेहतरीन तरीक़े से फ़ायदा उठाया जाना चाहिए।

उन्होंने उचित व लाभदायक संदेश के चयन को शेर के प्रभाव और उसके बाक़ी रहने की शर्त बताते हुए कहा कि शेर के मीडिया को धर्म, अख़लाक़, शिष्टाचार, संस्कृति और ईरानी परंपरा के पैग़ाम को पहुंचाना चाहिए।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने विश्व के मुंहज़ोरों के ज़ुल्म व विस्तारवाद और उसके प्रतीकों यानी अमरीका और ज़ायोनियों के मुक़ाबले में ईरानी क़ौम के बहादुरी से भरे प्रतिरोध के संदेश को बेहतरीन व पहुंचाने के योग्य संदेश बताया।

आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने इस सिलसिले में कहा कि ईरानी क़ौम के प्रतिरोध का संदेश और उसकी ओर से साम्राज्यवादियों के ख़िलाफ़ अपने दो टूक व ठोस नज़रिये का बयान बहुत अहम और दुनिया के लोगों में शौक़ पैदा करने वाला है और इन नज़रियों के स्वागत किए जाने के नमूने ईरानी राष्ट्राध्यक्षों के विदेशी दौरों और अवामी सभाओं में उनकी तक़रीरों के दौरान देखने में आए।

उन्होंने शायरों और फ़ारसी शायरी व साहित्य के क्षेत्र में सक्रिय लोगों से ख़ेताब करते हुए कहा कि अच्छे शेर से विश्व जनमत को भी फ़ायदा पहुंचना चाहिए और इसके लिए अनुवाद का अभियान शुरू किया जाना चाहिए ताकि शेर को शायराना और प्रभावी गद्य के पैराए में दूसरों के सामने पेश किया जा सके।

इस मुलाक़ात के आग़ाज़ में इमाम हसन अलैहिस्सलाम और इमाम महदी अलैहिस्सलाम-अल्लाह उन्हें जल्द से जल्द ज़ाहिर करे- की शान सहित ग़ज़ा के अवाम ख़ास तौर पर ग़ज़ा के बच्चों और औरतों की मज़लूमियत, माँ- बाप की प्रशंसा और इसी तरह कुछ राजनैतिक व सामाजिक विषयों पर शेर पढ़े गए।

ईरान का अंतरिक्ष उद्योग ने पिछले हिजरी शम्सी वर्ष 1402 के दौरान 7 अंतरिक्ष प्रक्षेपण कर ज़बरदस्त उपलब्धियां हासिल कीं जबकि उम्मीद है कि 20 उपग्रहों और अंतरिक्ष स्टेशनों का निर्माण करके नये साल में भी कामयाबियों की और भी चोटियां सर की जाएंगी।

ईरान की सर्वोच्च अंतरिक्ष परिषद में देश के दस साल के अंतरिक्ष उद्योग कार्यक्रम की तैयारी और मंज़ूरी, नए उपग्रहों का अनावरण, 7 अंतरिक्ष अनुसंधान और परिचालन प्रक्षेपण, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी वाले देशों के साथ अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष सहयोग विकसित करना, चाबहार में देश के सबसे बड़े अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण शुरू करना और शहीद सुलैमानी उपग्रह प्रणाली की डिज़ाइनिंग और निर्माण प्रक्रिया, पिछले वर्ष ईरान के अंतरिक्ष उद्योग के विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों की उपलब्धियों में रहा है।

नूर-3 उपग्रह को जो एक जासूस और परखने वाला उपग्रह था, हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम की इमाम शुरु होने के समय यानी 8 रबीउल अव्वल को अंतरिक्ष में लॉन्च किया गया था। इस उपग्रह को तीन चरणों वाले संयुक्त उपग्रह वाहक (सैटेलाइल कैरियर) क़ासिद द्वारा 7.3 की गति से लांच किया गया। बताया जाता है कि पिछले हिजरी शम्सी वर्ष के सातवें महीने में कक्षा में लॉन्च होने के बाद यह धरती से 450 किलोमीटर की दूरी पर स्थापित हो गया था।

10  वर्षों के बाद पहली बार अंतरिक्ष में ज़िदगी को फिर से शुरु करना, हिजरी शम्सी वर्ष 1402 की अंतरिक्ष उपलब्धियों में था। इसीलिए ईरान के "कावूस" नामक नवीनतम जैविक कैप्सूल को स्वदेशी लांचर "सलमान" के साथ सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में लॉन्च किया गया था।

यह बायो-कैप्सूल मनुष्यों को अंतरिक्ष में भेजने की योजना को साकार बनाने के लिए एक वैज्ञानिक, अनुसंधानिक और तकनीकी कार्गो है जिसे इसमें आवश्यक प्रौद्योगिकियों को हासिल करने और विकसित करने के लिए पृथ्वी की सतह से 130 किलोमीटर की ऊंचाई पर लॉन्च किया गया।

इस 500 किलोग्राम कैप्सूल के सफल प्रक्षेपण की वजह से जो ईरान अंतरिक्ष संगठन के अनुरोध पर तैयार किया गया और विज्ञान, अनुसंधान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एयरोस्पेस रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा निर्मित किया गया था, लॉन्च, रिकवरी सहित अंतरिक्ष मिशन योजना की विभिन्न प्रौद्योगिकियों के विकास, गति नियंत्रण प्रणाली और नुक़सान को बचाने की ढाल, एरोडायनमिक कैप्सूल और अंब्रेला की डिज़ाइनिंग, जैविक स्थितियों के नियंत्रण और निगरानी से संबंधित सिस्टम्स का परीक्षण किया गया।

क़ायम-100 नामक सैटेलाइट कैरियर, ईरान अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान द्वारा निर्मित एसआरआई अनुसंधान के उपग्रह श्रृंखला का स्वेदशी सुरईया उपग्रह, पिछले हिजरी शम्सी वर्ष के दसवें महीने में 750 किमी की कक्षा में सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था जो ईरान में उपग्रह प्रक्षेपण की ऊंचाई के लेहाज़ से एक नया रिकॉर्ड था।

यह ठोस ईंधन से चलने वाला उपग्रह, लगभग 500 किमी की कक्षा में 100 किलोग्राम वजनी वस्तुओं को ले जाने की क्षमता रखता है जिसने अपने तीसरे परीक्षण प्रक्षेपण में एक नया रिकॉर्ड बनाते हुए लगभग 50 किग्रा भार वाले सुरईया उपग्रह को 750 किमी की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित करने में सक्षम रहा।

इस प्रक्षेपण को उपग्रहों को उच्च कक्षाओं में स्थापित करने की क्षमता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना गया। पिछले हिजरी शम्सी वर्ष के 11वें महीने में पहली बार ईरान के अंतरिक्ष विशेषज्ञों ने स्वदेशी उपग्रह वाहक यानी सैटेलाइट कैरियर के साथ ही तीन घरेलू उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करने में सफलता हासिल की थी।

"मेहदा", "केहान-2" और "हातिफ़-1" जैसे3  ईरानी उपग्रहों को पहली बार सिमुर्ग़ उपग्रह कैरियर से एक साथ लॉन्च किया गया था जिसे देश के रक्षामंत्रालय द्वारा बनाया गया था। इन तीनों सैटेलाइट्स को धरती की 450 किमी की कक्षा में स्थापित किया गया।

यह लेख मेहर समाचार एजेंसी से लिया गया है।

 

 

गाजा में संघर्ष विराम प्रस्ताव की मंजूरी के बावजूद, निरंकुश ज़ायोनी सरकार ने गाजा में फिलिस्तीनियों का नरसंहार जारी रखा है और मध्य गाजा में दीर अल-बलाह और राफा पर भारी बमबारी की है।

अल जजीरा चैनल की रिपोर्ट के मुताबिक, दीर उल बलाह में आक्रामक इजरायली सेना की बमबारी में 22 लोगों की शहादत के अलावा, उत्तर में इजरायली सेना की बमबारी में छह और फिलिस्तीनी शहीद हो गए. दक्षिणी गाजा के खान यूनिस - फिलिस्तीनी रेड क्रिसेंट ने घोषणा की। ऐसा कहा जाता है कि कब्जा करने वाले ज़ायोनी सैनिकों ने शहर खान यूनिस में अलामल अस्पताल और रेड क्रिसेंट सोसाइटी को घेर लिया है और उनका रास्ता रोक दिया है।

कब्ज़ा करने वाली ज़ायोनी सेना ने रफ़ा के आवासीय क्षेत्र में एक इमारत पर हमला किया और बच्चों सहित कम से कम 15 फ़िलिस्तीनियों को मार डाला। वहीं अल-जजीरा चैनल के मुताबिक, खान यूनिस के अब्बासन इलाके में कब्जा करने वाले सैनिकों के हमले के बाद कई घायल लोगों को गाजा के यूरोपीय अस्पताल में स्थानांतरित किया गया है और यह ऐसी स्थिति में है कि फिलीस्तीनी सूत्रों ने घोषणा की है कि गाजा में अल-शफा अस्पताल फंस गया है। विस्थापित फिलिस्तीनी, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं, ज़ायोनी शासन द्वारा लगाए गए आठ दिनों की घेराबंदी के खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं और ज़ायोनी सेना के हमलों से बचने और भागने की कोशिश कर रहे हैं। खाना।

फ़िलिस्तीन के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कल घोषणा की है कि गाजा के निवासियों पर आक्रामक ज़ायोनी सेना के 170 दिनों तक लगातार हमलों के परिणामस्वरूप शहीद फ़िलिस्तीनियों की संख्या 32 हज़ार 226 है और इस अवधि के दौरान घायलों की संख्या है। बढ़कर चौहत्तर हजार पांच सौ अठारह हो गया।

फ़िलिस्तीनी आंदोलन हमास ने सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव को अपनाने का स्वागत किया है और कहा है कि वह युद्धविराम के संबंध में अपनी पिछली स्थिति पर कायम है।

अल जज़ीरा के संबंध में आईआरएनए की रिपोर्ट के अनुसार, फिलिस्तीनी आंदोलन हमास ने घोषणा की है कि विपरीत पक्ष को बताया गया है कि हम अपनी पिछली स्थिति के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिसमें पूर्ण युद्धविराम, गाजा से ज़ायोनी सैनिकों की वापसी शामिल है जिसमें फ़िलिस्तीनी शरणार्थियों की वापसी, स्वदेश वापसी और कैदियों की अदला-बदली शामिल है। फिलिस्तीनी आंदोलन हमास ने कहा है कि गाजा में संघर्ष विराम की अब तक की विफलता नेतन्याहू और उनके चरमपंथी मंत्रिमंडल के साथ-साथ हड़पने वाले ज़ायोनी शासन के क्रूर अपराधों के लिए अमेरिकी समर्थन रही है।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर आम आदमी पार्टी ने आज प्रधानमंत्री आवास का घेराव करने का ऐलान किया है.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के विरोध में हो रहे प्रदर्शन के चलते पुलिस ने कई आप नेताओं को भी हिरासत में लिया है.

दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ आम आदमी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता आज राजधानी दिल्ली में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। पटेल चौक मेट्रो स्टेशन के बाहर प्रदर्शन कर रहे आप नेताओं और कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है. जबकि आप नेता आरोप लगा रहे हैं कि पुलिस उनके कार्यकर्ताओं के घर जा रही है और उन्हें घरों में ही नजरबंद कर रही है.

  प्रदर्शनकारियों ने सड़क पर लेटकर 'चक्का जाम' करने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। इस दौरान आप कार्यकर्ता 'केजरीवाल को रिहा करो' के नारे लगा रहे थे।

उधर, बीजेपी कार्यकर्ताओं ने भी केजरीवाल के इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शन किया. बीजेपी के लोग केजरीवाल के इस्तीफे की मांग को लेकर अरुण जेटली स्टेडियम (फिरोज शाह कोटला) से दिल्ली सचिवालय तक मार्च निकाल रहे हैं. इस मामले में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है, जबकि सचिवालय के पास बीजेपी कार्यकर्ताओं को तितर-बितर करने के लिए वॉटर कैनन का भी इस्तेमाल किया गया है.

दूसरी ओर, इंडिया अलायंस ने 31 मार्च (रविवार) को दिल्ली के रामलीला मैदान में AAP के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के समर्थन में एक मेगा रैली की घोषणा की है। इस महारैली में इंडिया अलायंस देश की जनता के साथ एकजुट होकर लोकतंत्र की रक्षा करेगा. इस मेगा रैली में इंडिया अलायंस के गठबंधन दलों के ज्यादातर बड़े नेता शामिल होंगे.

फिलिस्तीनी सूत्रों ने बताया है कि गाजा के उत्तर में स्थित ज़ायोनी ठिकानों पर कई रॉकेट हमले हुए हैं।

अल जज़ीरा को लेकर IRNA की रिपोर्ट के मुताबिक, ये रॉकेट हमले अश्कलोन और सुदिरुत पर हुए. इससे पहले, रॉकेट हमलों से पहले, इन क्षेत्रों में अलार्म सायरन बज गए, जिससे कब्जा करने वाले ज़ायोनीवादियों के बीच अफरा-तफरी मच गई।

फिलिस्तीनी सूत्रों ने प्रतिरोध आंदोलन में शामिल समूहों की युद्ध और मिसाइल शक्ति को स्वीकार करते हुए घोषणा की है कि फिलिस्तीन का इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन, हमास, कब्जे वाली भूमि के सभी क्षेत्रों पर मिसाइलों और रॉकेटों से हमला करने की शक्ति रखता है।

सोमवार को भी, इज़राइल के रेडियो टीवी ने फिलिस्तीनी स्रोतों का हवाला देते हुए बताया कि हमास आंदोलन के पास जवाबी हमलों के साथ कब्जे वाले फिलिस्तीन के सभी क्षेत्रों को निशाना बनाने की शक्ति है।