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अमरीका के टेक्सास राज्य के गिरिजाघरों ने प्रतीकात्मक रूप में इस्लाम का समर्थन किया है।

टेक्सास के ऑस्टिन नगर के गिरिजाघरों ने एेसे बैनर लगाए जिन पर लिखा था कि ईसाई, अपने मुसलमान पड़ोसियों के साथ खड़े हैं।

ऑस्टिन में एक चर्च के पादरी रियो जॅान एलफोर्ड ने पहले बैनर के अनावरण के अवसर पर कहा कि इन बैनरों से बहुत असर हुआ है और अब तक चौदह गिरिजाघरों में एेसे बैनर लगाए जा चुके हैं।

 

उन्होंने बताया कि ऑस्टिन के मुसलमानों ने इस पहल का स्वागत किया है।

उन्होंने कहा कि यह बैनर, अमरीका में राष्ट्रपति चुनाव के खत्म होने तक गिरिजाघरों और युनिवर्सिटियों के सामने लगे रहेंगे ताकि मुस्लिम छात्रों को यह महसूस हो कि उनका हम समर्थन करते हैं।

याद रहे अमरीका में इस्लामोफोबिया की लहर में ट्रंप के राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी बनने की संभावना के बाद तेज़ी आयी है।  

शनिवार को तेहरान के धार्मिक शिक्षा केन्द्रों के धर्मगुरूओं और धार्मिक छात्रों ने वरिष्ठ नेता से भेंट की।

इस भेंट में ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई ने आज की दुनिया में धर्मगुरूओं और तानाशाही के विरुद्ध आंदोलनों की भूमिका को स्पष्ट किया। वरिष्ठ नेता ने समाज में धर्म और इस संबंध में धर्मगुरूओं की भूमिका के संदर्भ में कहा कि अगर समाज की हर ज़रूरत सही ढंग से मौजूद हो परंतु समाज में धर्म न हो तो वह राष्ट्र लोक- परलोक में वास्तविक घाटा उठायेगा और उसे समस्याओं का सामना होगा और समाज को एक धार्मिक समाज में बदलने की भारी ज़िम्मेदारी धर्मगुरूओं और धार्मिक छात्रों की है।

वरिष्ठ नेता ने विशुद्ध इस्लामी शिक्षाओं को बयान करने को धार्मिक मार्ग दर्शन बताया। वरिष्ठ नेता ने धार्मिक संदेहों की वृद्धि में साइबर स्पेस के प्रभावों और युवाओं के ज़ेहनों को खराब करने के पीछे राजनीतिक कारणों की ओर संकेत किया और कहा कि यह क्षेत्र वास्तव में रणक्षेत्र है और धर्मगुरूओं एवं धार्मिक छात्रों को चाहिये कि वे ज्ञान के हथियार से लैस होकर भ्रष्ट विचारों का मुकाबला करें।

वरिष्ठ नेता ने रूढ़ीवादी, धार्मांधी, आध्यात्मिक सच्चाई से दूर और संकीर्णता से ग्रस्त इस्लाम को भ्रष्ट विचारों का प्रतीक बताते हुए कहा कि क़ैंची के दूसरे फल में अमरीकी इस्लाम है जो शुद्ध इस्लाम के मुकाबले में खड़ा है। उन्होंने पैग़म्बरे इस्लाम के आचरण पर आधारित शुद्ध इस्लाम की समझ को धर्मगुरुओं का महत्वपूर्ण दायित्व बताते हुए कहा कि ईश्वरीय पैग़म्बर इसी शुद्ध विचार को फैलाने के लिए आए थे। आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनई ने जनता के व्यवहारिक मार्गदर्शन को उनके वैचारिक मार्गदर्शन का पूरक बताया।

उन्होंने धार्मिक छात्रों पर ख़ूब पढ़ाई करने और आत्म निर्माण पर बल दिया। वरिष्ठ नेता ने कहा कि मध्यपूर्व और उत्तरी अफ्रीका की जनक्रांति का विफलता का एक महत्वपूर्ण कारण सही व एक धार्मिक नेतृत्व का न होना है। वरिष्ठ के अनुसार इन देशों में धर्म लोगों को सड़कों पर ले आया परंतु चूंकि इन देशों के धार्मिक तंत्र बिखरे हुए थे इसलिए वहां पर इस्लामी जागरुकता न तो जारी रह सकी और न ही आवश्क परिणाम तक पहुंच सकी परंतु इस्लामी गणतंत्र ईरान में धर्मगुरूओं और जनता की उपस्थिति ने क्रांति के जारी रहने को संभव बना दिया है।

मिस्र की एक अदालत ने सरकार विरोधी प्रदर्शनों में भाग लेने के लिए 51 ‎कार्यकर्ताओं को दो वर्ष क़ैद की सज़ा सुनाई है। ‎

प्रदर्शनकारी कार्यकर्ताओं पर आरोप था कि उन्होंने देश के दो द्वीपों को सऊदी ‎अरब के हवाले किए जाने के सरकार के विवादित फ़ैसले का विरोध किया था। ‎ 

शनिवार को सरकारी वकील ने अदालत के इस फ़ैसले की पुष्टि करते हुए कहा, ‎इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ अपील की जा सकती है। ‎

उल्लेखनीय है कि फ़ैसला सुनाए जाने के वक़्त 33 कार्यकर्ता अदालत में मौजूद ‎थे, जबकि अन्य ज़मानत पर रिहा हैं। ‎

इन लोगों पर 2013 में बनने वाले उस क़ानून के उल्लंघन का आरोप था, ‎जिसके तहत सड़कों पर निकलकर प्रदर्शन करने और ट्राफ़िक में रुकावट डालने ‎पर प्रतिबंध है।   

एशिया की मंडी में ईरान के कच्चे तेल की मांग 50 प्रतिशत बढ़ी है। मार्च 2016 की पिछले साल इसी महीने से तुलना करने के बाद यह वास्तविकता सामने आयी है।

प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, ईरान ने मार्च 2016 में चीन, भारत, जापान और दक्षिण कोरिया को अवसतन 15 लाख 60000 बैरल प्रतिदिन निर्यात किया है जबकि पिछले साल मार्च में यह मात्रा लगभग 10 लाख 4000 बैरल प्रतिदिन थी।

मार्च 2016 में ईरान ने भारत को अवसतन हर दिन 5 लाख 6000 बैरल कच्चे तेल का निर्यात किया है जो पिछले पांच साल की तुलना में सबसे ज़्यादा है।

ईरान ने दक्षिण कोरिया को मार्च 2016 में हर दिन अवसतन 2 लाख 64000 बैरल तेल निर्यात किया है जो पिछले साल इसी महीने की तुलना में दक्षिण कोरिया द्वारा तेल के आयात में लगभग 95 फ़ीसद वृद्धि को दर्शाती है।

ईरान ने 2000 किलोमीटर तक मार करने वाली बैलेस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया। मेजर जनरल अली अब्दुल्लाही ने सोमवार को कहा कि हमने दो सप्ताह पूर्व 2000 किलोमीटर मारक क्षमता वाली बैलेस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया है।

उन्होंने कहा कि चीफ ऑफ़ आर्मी स्टाफ ने 10 प्रतिशत संसाधन अध्ययन के लिए क़रार दिये हैं जो ध्यान योग्य मात्रा है परंतु सरकारी क्षेत्र में इसके लिए एक प्रतिशत से भी कम बजट विशेष किया गया है।

चीफ ऑफ़ आर्मी स्टाफ के सहायक ने परीक्षण किये गये प्रक्षेपास्त्र के नाम का उल्लेख नहीं किया।

ईरान ने हालिया वर्षों में रक्षा के क्षेत्र में ध्यान योग्य उपलब्धियां अर्जित की हैं और वह बहुत से सैन्य उपकरणों के उत्पादन में आत्म निर्भर हो गया है।

इस्लामी गणतंत्र ईरान ने इसी प्रकार अपने सैनिकों की रक्षा क्षमता में वृद्धि के लिए कई बार बड़ा सैन्य अभ्यास आयोजित किया है।