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रक्षा मामलों में रूसी राष्ट्रपति के सलाहकार ने कहा है कि एक S-300 मीज़ाईल शील्ड ईरान को दी जा चुकी है और साल के अंत तक कई और शील्ड उसे दी जाएंगी।

विलादिमीर कोजीन ने गुरुवार को बताया कि उनके देश ने ईरान को S-300 नामक एक प्रक्षेपास्त्रिक ढाल दे दी है और जारी वर्ष की समाप्ति से पहले उसे कई और प्रक्षेपास्त्रिक ढाल दी जाएगी। उन्होंने बताया कि S-300 मिलने में विलम्ब पर ईरान ने जो शिकायत की थी उसे फ़िलहाल उसने टाल दिया है लेकिन अभी यह ज्ञात नहीं है कि वह इस शिकायत को कब वापस लेगा?

ज्ञात रहे कि ईरान और रूस ने वर्ष 2007 में एक समझौता किया था जिसके अनुसार रूस ईरान को कम से कम पांच S-300 प्रक्षेपास्त्रिक ढाल देने वाला था लेकिन वर्ष 2010 में रूस ने इस बहाने से कि यह प्रक्षेपास्त्रिक ढाल ईरान को बेचने से संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव का उल्लंघन होगा, उसे तेहरान के हवाले करने से इन्कार कर दिया था। माॅस्को के इस निर्णय के बाद ईरान के रक्षा मंत्रालय ने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में शिकायत दर्ज कराके रूस से चार अरब डाॅलर के हर्जाने की मांग की थी। रूस के राष्ट्रपति ने इसी साल मार्च के महीने में एक आदेश जारी करके ईरान को S-300 बेचने पर लगी रोक समाप्त कर दी थी जिसके बाद यह प्रक्षेपास्त्रिक ढाल ईरान के हवाले करने का काम शुरू कर दिया गया था।  

इस्लामी देशों ने संयुक्त राष्ट्र संघ में इस्राईल द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी पर गहरी आपत्ती जताई।

 इस्लामी देशों ने संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्यालय में ज़ायोनी शासन द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी के उस पोर्ट्रेट पर आपत्ति जताई जिसमें अवैध अधिकृत बैतुल मुक़द्दस को ज़ायोनी शासन की राजधानी दर्शाया गया है।

संयुक्त राष्ट्र संघ में फ़िलिस्तीनी प्रतिनिधिमंडल ने बृहस्पतिवार को संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव बान की मून और महासभा के अध्यक्ष मोगेन्ज़ लिटकोफ़ को पत्र लिखकर ओआईसी के 57 सदस्य देशों की आपत्ति से अवगत करावाया और मांग की कि इस्रईल की इस प्रदर्शनी से उस तसवीर को फौरना हटाया जाना चाहिए।

फ़िलस्तीनी प्रतिनिधिमंडल ने अपने पत्र में कहा है कि एसी कोई भी चीज़ जो बैतुल मुक़द्दस पर ज़ायोनी शासन के दावे का समर्थन करे क़ानूनी, राजनैतिक और नैतिक रूप से ग़लत और अस्वीकार्य है।

फ़िलिस्तीनियों की मांग है कि वर्ष 1967 की सीमाओं के आधार पर फ़िलिस्तीन देश की स्थापना की जाए लेकिन इस्रईल लगातार अपनी अतिग्रहणकारी कार्यवाहियां जारी रखे हुए है।

ईरानी विदेश मंत्रालय ने नकबा दिवस के उपलक्ष्य में एक बयान जारी करके एक बार फिर अतिग्रहणकारी ज़ायोनी शासन के मुक़ाबले में फ़िलिस्तीनी राष्ट्र के समर्थन पर बल दिया है।

फ़िलिस्तीन पर ज़ायोनी शासन के अवैध क़ब्ज़े की बरसी या नकबा दिवस के उपलक्ष्य में जारी होने वाले बयान में ज़ायोनी काॅलोनी निर्माण जैसे इस शासन के अवैध व अमानवीय कार्यों के संसार में हो रहे भरपूर विरोध की सराहना करते हुए कहा गया है कि फ़िलिस्तीनी राष्ट्र के संबंध में ज़ायोनी शासन के षड्यंत्रों की समाप्ति के लिए विश्व स्तर पर कार्यवाही की जानी चाहिए। ईरानी विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि इस्लामी जगत के हृदय और फ़िलिस्तीन की अवैध अधिकृत धरती में अवैध ज़ायोनी शासन का गठन, फ़िलिस्तीन के इतिहास के सबसे दुखद दिनों और इस राष्ट्र पर पड़ने वाली असंख्य मुसीबतों की याद दिलाता है।

बयान में कहा गया है कि फ़िलिस्तीनी क्षेत्रों पर अवैध क़ब्ज़ा जारी रखना, निर्दोष फ़िलिस्तीनियों की हत्या, बैतुल मुक़द्दस के यहूदीकरण की कोशिश, मस्जिदुल अक़सा का अनादर, पश्चिमी तट में यहूदी काॅलोनियों का निर्माण और ग़ज़्ज़ा की दस वर्षों से जारी घेराबंदी ज़ायोनी शासन के एेसे अपराध हैं जिन्होंने पूरी विश्व की घृणा को भड़का दिया है। ज्ञात रहे कि 68 साल पहले 14 मई 1948 को ज़ायोनियों ने अंग्रेज़ों की सहायता से फ़िलिस्तीन की धरती पर अवैध रूप से क़ब्ज़ा करके वहां ज़ायोनी शासन का गठन कर दिया था। इस धरती के दसियों लाख निवासी अब भी शरणार्थियों का जीवन बिता रहा हैं।

अमरीकी कांग्रेस के एक आयोग ने सचेत किया है कि चीन अपने नये मीज़इल सिस्टम से प्रशांत क्षेत्र में मौजूद गुआम सैन्‍य ठिकाने को ध्वस्त कर सकता है।

प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका-चीन आर्थिक एवं सुरक्षा समीक्षा आयोग ने इस सप्ताह जारी रिपोर्ट में डीएफ़-26 बैलेस्टिक मिसाइल के खतरों को लेकर सचेत किया। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चीन की डीएफ़-26 मिसाइल से बीजिंग बहुत सशक्त हो गया है और अमेरिका के कई स्थान उसकी मारक क्षमता में आते हैं। इस मीज़ाइल की मारक क्षमता 5,500 किलोमीटर है। बीजिंग ने इस मीज़ाइल को पिछले वर्ष सितंबर में सैन्य शक्ति के प्रदर्शन के दौरान दुनिया के सामने पहली बार पेश किया था।

अमरीकी रक्षामंत्रालय ने चीन की सैन्य गतिविधियों पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट कांग्रेस में पेश किया जिसमें चीन की बढ़ती शक्ति पर चिंता व्यक्त की गयी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने दक्षिणी चीन सागर में 3200 एकड़ जमीन पर फिर से कब्‍जा कर लिया है। चीन के रक्षामंत्रालय ने अमरीका की इस रिपोर्ट का कड़ाई से खंडन किया है।

ज्ञात रहे कि चीन के अतिरिक्त दक्षिण-पूर्वी एशिया के कई देश ताइवान, फ़िलीपींस, वियतनाम और मलेशिया भी इस क्षेत्र पर अपना अपना दावा करते हैं। दक्षिणी चीन सागर के बारे में कहा जा है कि यहां तेल और गैस के बड़े भंडार हैं। अमेरिका अनुसार, इस क्षेत्र में 213 अरब बैरल तेल और 900 ट्रिलियन घनमीटर प्राकृतिक गैस का भंडार है।   

कुवैत के एक सांसद ने ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता की सराहना करते कहा है कि आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई के विचार मुसलमानों में एकता का उत्तरदायी है।

फारस समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार कुवैती संसद के सदस्य अब्दुल हमीद दश्ती ने कहा कि क्षेत्र में ईरान और प्रतिरोध आंदोलनों का समर्थन न करने के बारे में सऊदी अरब के तमाम दबावों के बावजूद कुवैत के शासक, ईरान की इस्लामी क्रांति वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई को क्षेत्र का महान नेता समझते हैं। उन्होंने अपने ट्विटर पेज पर आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई को बहुत महान व्यक्ति का मालिक बताया। 

यह ऐसी स्थिति में है कि कुछ समय पहले कुवैत में सऊदी अरब के राजदूत अब्दुल अल-फ़ाएज़ ने लेबनान और फ़िलिस्तीन में इस्लामी प्रतिरोध आंदोलनों का समर्थन एवं सीरियाई राष्ट्र और वहां की सरकार से एकजुटता व्यक्त करने पर कुवैत के इस सांसद के ख़िलाफ़ अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की धमकी दी थी।

उल्लेखनीय है कि कुवैत के सांसद अब्दुल हमीद दश्ती ने वहाबी विचारधारा को ख़त्म किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया था जिसके बाद उन्हें कुवैत के एक और सांसद हमद अल-हिरशानी की हिंसा का सामना करना पड़ा था। अब्दुल हमीद दश्ती, मध्यपूर्व में अतिक्रमणकारियों और आतंकवादियों तथा वहाबी विचारधारा के विरुद्ध प्रतिरोध आंदोलनों का समर्थन करते रहे हैं और सऊदी नीतियों के ख़िलाफ़ खड़े होने के कारण सऊदी अधिकारियों और सऊदी प्रभावित संचार माध्यमों द्वारा हमेशा उनकी आवाज़ दबाए जाने की कोशिश की जाती रही है।   

अमरीका के टेक्सास राज्य के गिरिजाघरों ने प्रतीकात्मक रूप में इस्लाम का समर्थन किया है।

टेक्सास के ऑस्टिन नगर के गिरिजाघरों ने एेसे बैनर लगाए जिन पर लिखा था कि ईसाई, अपने मुसलमान पड़ोसियों के साथ खड़े हैं।

ऑस्टिन में एक चर्च के पादरी रियो जॅान एलफोर्ड ने पहले बैनर के अनावरण के अवसर पर कहा कि इन बैनरों से बहुत असर हुआ है और अब तक चौदह गिरिजाघरों में एेसे बैनर लगाए जा चुके हैं।

 

उन्होंने बताया कि ऑस्टिन के मुसलमानों ने इस पहल का स्वागत किया है।

उन्होंने कहा कि यह बैनर, अमरीका में राष्ट्रपति चुनाव के खत्म होने तक गिरिजाघरों और युनिवर्सिटियों के सामने लगे रहेंगे ताकि मुस्लिम छात्रों को यह महसूस हो कि उनका हम समर्थन करते हैं।

याद रहे अमरीका में इस्लामोफोबिया की लहर में ट्रंप के राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी बनने की संभावना के बाद तेज़ी आयी है।  

शनिवार को तेहरान के धार्मिक शिक्षा केन्द्रों के धर्मगुरूओं और धार्मिक छात्रों ने वरिष्ठ नेता से भेंट की।

इस भेंट में ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई ने आज की दुनिया में धर्मगुरूओं और तानाशाही के विरुद्ध आंदोलनों की भूमिका को स्पष्ट किया। वरिष्ठ नेता ने समाज में धर्म और इस संबंध में धर्मगुरूओं की भूमिका के संदर्भ में कहा कि अगर समाज की हर ज़रूरत सही ढंग से मौजूद हो परंतु समाज में धर्म न हो तो वह राष्ट्र लोक- परलोक में वास्तविक घाटा उठायेगा और उसे समस्याओं का सामना होगा और समाज को एक धार्मिक समाज में बदलने की भारी ज़िम्मेदारी धर्मगुरूओं और धार्मिक छात्रों की है।

वरिष्ठ नेता ने विशुद्ध इस्लामी शिक्षाओं को बयान करने को धार्मिक मार्ग दर्शन बताया। वरिष्ठ नेता ने धार्मिक संदेहों की वृद्धि में साइबर स्पेस के प्रभावों और युवाओं के ज़ेहनों को खराब करने के पीछे राजनीतिक कारणों की ओर संकेत किया और कहा कि यह क्षेत्र वास्तव में रणक्षेत्र है और धर्मगुरूओं एवं धार्मिक छात्रों को चाहिये कि वे ज्ञान के हथियार से लैस होकर भ्रष्ट विचारों का मुकाबला करें।

वरिष्ठ नेता ने रूढ़ीवादी, धार्मांधी, आध्यात्मिक सच्चाई से दूर और संकीर्णता से ग्रस्त इस्लाम को भ्रष्ट विचारों का प्रतीक बताते हुए कहा कि क़ैंची के दूसरे फल में अमरीकी इस्लाम है जो शुद्ध इस्लाम के मुकाबले में खड़ा है। उन्होंने पैग़म्बरे इस्लाम के आचरण पर आधारित शुद्ध इस्लाम की समझ को धर्मगुरुओं का महत्वपूर्ण दायित्व बताते हुए कहा कि ईश्वरीय पैग़म्बर इसी शुद्ध विचार को फैलाने के लिए आए थे। आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनई ने जनता के व्यवहारिक मार्गदर्शन को उनके वैचारिक मार्गदर्शन का पूरक बताया।

उन्होंने धार्मिक छात्रों पर ख़ूब पढ़ाई करने और आत्म निर्माण पर बल दिया। वरिष्ठ नेता ने कहा कि मध्यपूर्व और उत्तरी अफ्रीका की जनक्रांति का विफलता का एक महत्वपूर्ण कारण सही व एक धार्मिक नेतृत्व का न होना है। वरिष्ठ के अनुसार इन देशों में धर्म लोगों को सड़कों पर ले आया परंतु चूंकि इन देशों के धार्मिक तंत्र बिखरे हुए थे इसलिए वहां पर इस्लामी जागरुकता न तो जारी रह सकी और न ही आवश्क परिणाम तक पहुंच सकी परंतु इस्लामी गणतंत्र ईरान में धर्मगुरूओं और जनता की उपस्थिति ने क्रांति के जारी रहने को संभव बना दिया है।

मिस्र की एक अदालत ने सरकार विरोधी प्रदर्शनों में भाग लेने के लिए 51 ‎कार्यकर्ताओं को दो वर्ष क़ैद की सज़ा सुनाई है। ‎

प्रदर्शनकारी कार्यकर्ताओं पर आरोप था कि उन्होंने देश के दो द्वीपों को सऊदी ‎अरब के हवाले किए जाने के सरकार के विवादित फ़ैसले का विरोध किया था। ‎ 

शनिवार को सरकारी वकील ने अदालत के इस फ़ैसले की पुष्टि करते हुए कहा, ‎इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ अपील की जा सकती है। ‎

उल्लेखनीय है कि फ़ैसला सुनाए जाने के वक़्त 33 कार्यकर्ता अदालत में मौजूद ‎थे, जबकि अन्य ज़मानत पर रिहा हैं। ‎

इन लोगों पर 2013 में बनने वाले उस क़ानून के उल्लंघन का आरोप था, ‎जिसके तहत सड़कों पर निकलकर प्रदर्शन करने और ट्राफ़िक में रुकावट डालने ‎पर प्रतिबंध है।   

एशिया की मंडी में ईरान के कच्चे तेल की मांग 50 प्रतिशत बढ़ी है। मार्च 2016 की पिछले साल इसी महीने से तुलना करने के बाद यह वास्तविकता सामने आयी है।

प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, ईरान ने मार्च 2016 में चीन, भारत, जापान और दक्षिण कोरिया को अवसतन 15 लाख 60000 बैरल प्रतिदिन निर्यात किया है जबकि पिछले साल मार्च में यह मात्रा लगभग 10 लाख 4000 बैरल प्रतिदिन थी।

मार्च 2016 में ईरान ने भारत को अवसतन हर दिन 5 लाख 6000 बैरल कच्चे तेल का निर्यात किया है जो पिछले पांच साल की तुलना में सबसे ज़्यादा है।

ईरान ने दक्षिण कोरिया को मार्च 2016 में हर दिन अवसतन 2 लाख 64000 बैरल तेल निर्यात किया है जो पिछले साल इसी महीने की तुलना में दक्षिण कोरिया द्वारा तेल के आयात में लगभग 95 फ़ीसद वृद्धि को दर्शाती है।

ईरान ने 2000 किलोमीटर तक मार करने वाली बैलेस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया। मेजर जनरल अली अब्दुल्लाही ने सोमवार को कहा कि हमने दो सप्ताह पूर्व 2000 किलोमीटर मारक क्षमता वाली बैलेस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया है।

उन्होंने कहा कि चीफ ऑफ़ आर्मी स्टाफ ने 10 प्रतिशत संसाधन अध्ययन के लिए क़रार दिये हैं जो ध्यान योग्य मात्रा है परंतु सरकारी क्षेत्र में इसके लिए एक प्रतिशत से भी कम बजट विशेष किया गया है।

चीफ ऑफ़ आर्मी स्टाफ के सहायक ने परीक्षण किये गये प्रक्षेपास्त्र के नाम का उल्लेख नहीं किया।

ईरान ने हालिया वर्षों में रक्षा के क्षेत्र में ध्यान योग्य उपलब्धियां अर्जित की हैं और वह बहुत से सैन्य उपकरणों के उत्पादन में आत्म निर्भर हो गया है।

इस्लामी गणतंत्र ईरान ने इसी प्रकार अपने सैनिकों की रक्षा क्षमता में वृद्धि के लिए कई बार बड़ा सैन्य अभ्यास आयोजित किया है।