ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनई ने सोमवार को ईरान की वायु सेना के वरिष्ठ अधिकारियों और कमांडरों से मुलाक़ात में 22 बहमन और चुनावों को ईरानी राष्ट्र की दो ईदें बताया है।
वरिष्ठ नेता ने 22 बहमन की रैली में बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति के महत्व पर बल दिया और कहा इसी प्रकार 26 फ़रवरी को होने वाले आम चुनावों में जनता की भागीदारी ईरान की शक्ति और मर्यादा की रक्षा की गारंटी होगी और राष्ट्र के दुश्मनों को निराश कर देगी।
ईरान की क्रांति के सफलता दिवस 22 बहमन की रैली और आम चुनावों में जनता की अधिक भागीदारी पर वरिष्ठ नेता का बल देना कुछ आयामों से बहुत महत्वपूर्ण है। वरिष्ठ नेता इस बिंदु पर इसलिए बल देते हैं कि इस्लामी क्रांति आज भी दुश्मनों के निशाने पर है और दुश्मन ईरान की इस्लामी व्यवस्था को बदलना चाहता है।
यह साज़िशें पहले भी की जाती रही हैं, लेकिन अब दुश्मन अप्रत्यक्ष रूप से इस प्रकार की साज़िशें रच रहा है, जो अधिक ख़तरनाक हैं।
यह बात ध्यान योग्य है कि आज ईरान के मुक़ाबले के लिए दुश्मन सॉफ़्ट वार का सहारा ले रहा है, ताकि इस्लामी व्यवस्था और ईरानी जनता को कमज़ोर कर सके।
वरिष्ठ नेता के अनुसार, इस ख़तरनाक स्थिति से मुक़ाबले का एकमात्र मार्ग, क्रांतिकारी विचारों की रक्षा है।
ईरान के प्रचानी दुश्मन अमरीका के संबंध में वरिष्ठ नेता का कहना था कि लोकतंत्र और मानवाधिकारों की रक्षा का अमरीकी दावा खोखला और झूठा है। अमरीका ख़ुद मानवता के विरुद्ध जघन्य अपराध करता है और लोगों के सामने अपना हंसता हुआ चेहरा पेश कर देता है। ऐसे दुश्मन के मुक़ाबले में अधिक होशियार रहने की ज़रूरत है।