सीरिया के पूर्व राष्ट्रपति बश्शार असद ने जिन्होंने तहरीर अल-शाम के नेतृत्व में सशस्त्र विपक्ष द्वारा दमिश्क पर कब्ज़ा करने पर सरकार से इस्तीफ़ा दे दिया और मास्को चले गए, सोमवार को टेलीग्राम पर एक बयान जारी किया।
सीरियाई राष्ट्रपति पद के सरकारी टेलीग्राम चैनल पर जारी होने वाले बयान में उनका कहना था कि अंतिम क्षणों तक वह सीरिया में ही रहे और रविवार 8 दिसम्बर तक उन्होंने देश को नहीं छोड़ा।
पार्सटुडे के अनुसार, मॉस्को से जारी असद के हवाले से जारी किया गया गया इस तरह से:
पूरे सीरिया में आतंकवाद फैलने के साथ, जो अंततः शनिवार, 7 दिसम्बर, 2024 की शाम को दमिश्क तक पहुंच गया, राष्ट्रपति के ज़िंदा रहने और ठिकाने के बारे में सवाल उठाए गए।
यह ग़लत सूचनाओं और बयानों की बाढ़ के बीच हुआ जो सच्चाई से पूरी तरह से दूर थे, ऐसे बयान जिनका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद को सीरिया के लिए एक आज़ादी प्रदान करने वाले क्रांतिकारी आंदोलन के रूप में पेश करना था।
देश के इतिहास के इस महत्वपूर्ण क्षण में, जब सत्य को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, इन भ्रांति फैलाने वाले विषयों को दूर करना ज़रूरी है।
खेद की बात यह है कि उस समय के हालात, जिसमें सुरक्षा कारणों की वजह से पूर्ण ब्लैकआउट भी शामिल था, इस बयान को जारी करने में देरी की वजह बने। यह बयान घटनाओं के पूर्ण विवरण का विकल्प नहीं हैं और ये विवरण उचित समय पर प्रदान किए जाएंगे।
सबसे पहले, सीरिया से मेरा प्रस्थान न तो योजनाबद्ध था और न ही, जैसा कि कुछ लोगों ने दावा किया है, लड़ाई के अंतिम घंटों में किया था। इसके विपरीत, मैं दमिश्क में रहा और रविवार सुबह, 8 दिसम्बर 2024 तक अपनी ज़िम्मेदारियों पर अमल करता रहा।
दमिश्क में आतंकवादी तत्वों की घुसपैठ के साथ, मुझे हमारे रूसी सहयोगियों के साथ युद्ध के संचालन की निगरानी करने के लिए लताकिया या लाज़ेक़िया (हमीमिम बेस) स्थानांतरित कर दिया गया था।
उस सुबह हमीमिम एयर बेस पर पहुंचने पर, यह स्पष्ट हो गया कि हमारी सेनाएं सभी वॉर लाइनों से पूरी तरह से पीछे हट गई थीं और सेना का आख़िरी ठिकाना भी ढह गया था। जैसे-जैसे मैदान पर हालात बिगड़ते गए, रूसी सैन्य अड्डे पर भी भारी ड्रोन हमले होने लगे।
चूंकि बेस से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं था, मॉस्को ने अनुरोध किया कि बेस कमांड रविवार, 8 दिसम्बर की शाम को रूस की तरफ़ तुरंत प्रस्थान करने की व्यवस्था करे।
यह दमिश्क के पतन के एक दिन बाद और सैन्य ठिकानों के अंतिम पतन और शेष सभी सरकारी संस्थानों के निष्क्रिय होने के बाद हुआ।
इन घटनाओं के किसी भी चरण में मैंने इस्तीफ़ा देने या शरणार्थी पाने के बारे में नहीं सोचा था, और किसी भी व्यक्ति या ग्रुप द्वारा ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं दिया गया था। कार्रवाई का एकमात्र संभावित तरीक़ा आतंकवादी हमलों से संघर्ष जारी रखना था।
मैं इस बात पर ज़ोर देता हूं कि जिस व्यक्ति ने युद्ध के पहले दिन से ही अपने निजी हितों के लिए अपने देश की आज़ादी के लिए सौदेबाजी करने से इनकार कर दिया और कई प्रस्तावों और प्रलोभनों के बावजूद अपनी जनता को ख़तरे में डालने से इनकार कर दिया, यह वही व्यक्ति है जो सिर्फ़ एक है सबसे खतरनाक और भीषण युद्धक्षेत्र में आतंकवादियों से कुछ मीटर की दूरी पर, फ़्रंट लाइन पर सेना के अधिकारियों और सैनिकों के बग़ल में खड़ा था।
वह वह व्यक्ति हैं जिन्होंने युद्ध के सबसे बुरे वर्षों के दौरान देश नहीं छोड़ा, बल्कि अपने परिवार और अपनी जनता के साथ रहा और युद्ध के चौदह वर्षों के दौरान बमबारी और आतंकवादियों द्वारा राजधानी में घुसपैठ की बारम्बार दी जाने वाली धमकियों के बावजूद आतंकवाद का डटकर मुक़ाबला किया।
इसके अलावा, वह व्यक्ति जिसने कभी भी फ़िलिस्तीनी और लेबनानी प्रतिरोध का साथ नहीं छोड़ा है और अपने साथ खड़े सहयोगियों को धोखा नहीं दिया है, वह अपनी जनता को नहीं छोड़ सकता है या सेना और उस राष्ट्र को धोखा नहीं दे सकता है जिससे वह जुड़ा हुआ हुआ है।
मैंने कभी भी व्यक्तिगत हितों के लिए पोज़ीशन हासिल करने की कोशिश नहीं कीबल्कि मैंने हमेशा ख़ुद को एक राष्ट्रीय परियोजना का रक्षक माना है, एक ऐसी परियोजना जिस पर सीरियाई जनता को भरोसा था।
मुझे सरकार की रक्षा करने, उसके संस्थानों की रक्षा करने और अंतिम क्षण तक उनकी पसंद का समर्थन करने की उनकी सीरियाई जनता की इच्छा और क्षमता पर दृढ़ विश्वास है।
जब सरकार आतंकवादिय के हाथों में चली जाती है और सार्थक भूमिका निभाने की क्षमता खो जाती है, तो हर पद और पोज़ीशन अर्थ और उद्देश्य से ख़ाली हो जाती है और उस पर क़ब्ज़ा करना अर्थहीन हो जाता है।
यह किसी भी तरह से सीरिया और उसकी जनता से जुड़े होने की मेरी गहरी भावना को कम नहीं करता है, एक ऐसा बंधन जिसे किसी भी स्थिति या परिस्थिति से डगमगाया नहीं जा सकता। यह आशा से ओतप्रोत अपनेपन की भावना है, आशा है कि सीरिया फिर से स्वतंत्र और स्वाधीन होगा।