इमाम हादी अ.स.का ज़िक्र और उनके कथन हिदायत का एक महान स्रोत

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इमाम हादी अ.स.का ज़िक्र और उनके कथन हिदायत का एक महान स्रोत

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन हुसैनी ने कहा,हज़रत इमाम हादी अ.स.की शहादत को हज़ार साल से अधिक का समय बीत चुका है लेकिन आज भी शैतानी स्वभाव वाले लोग सोशल मीडिया और दुश्मनों के प्रचार माध्यमों में इमाम हादी अ.स.को अपशब्द कहते और उनका अपमान करते हैं क्योंकि जहां इमाम हादी अ.स. का ज़िक्र और उनके कथन हों वहां हिदायत का एक महान स्रोत मौजूद होता है। दुश्मन यही चाहता है कि लोग उन्हें न पहचानें।

एक रिपोर्ट के अनुसार ,हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद मीर हाशिम हुसैनी ने हरम ए मुतहर हज़रत मासूमा स.ल. क़ुम में ख़िताब करते हुए कहा,अहले-बैत अ.स. से हमें जो सबक मिलता है वह यह है कि घमंड और मायूसी से बचना चाहिए।

ज़िंदगी में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं अहले-बैत अ.स.ने हमें यह सिखाया है कि बुलंदी के समय घमंड न करें और हार के समय मायूस न हों।

उन्होंने कहा,हज़रत इमाम हादी अ.स.ने अपनी छोटी सी उम्र में हिदायत का महान कार्य अंजाम दिया उन्होंने ऐसे हालात में अपनी इमामत की ज़िम्मेदारी निभाई जब तमाम ज़ालिम और साम्राज्यवादी ताकतें इस कोशिश में थीं कि अहले बैत अ.स. और उनकी तालीमात का नामोनिशान मिटा दें लेकिन वे कामयाब नहीं हो सके।

हरम-ए-मुतहर हज़रत मासूमा स के इस खतीब ने कहा,आज भी अहले-बैत अ.स. के दुश्मन इमाम हादी अ.स.को बदनाम करने और उनकी पहचान मिटाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन जहां उनका ज़िक्र होता है वहां हिदायत के चश्मे फूटते हैं।

उन्होंने आगे कहा,अफ़सोस की बात यह है कि कभी कभी समाज में कुछ लोगों के कथन जैसे 'क़ौल  सादिक़', 'क़ौल रज़ा', 'क़ौल अलहादी' और अन्य इमामों के फरामीन से अधिक प्रचलित हो जाते हैं।

हुज्जतुल इस्लाम वल-मुस्लिमीन हुसैनी ने कहा,

इमाम हादी अ.स. और अन्य इमामों अ.स.से नज़दीकी में अनगिनत बरकतें हैं। यही वजह है कि दुश्मनों ने उनकी तालीमात को मिटाने के लिए हर संभव कोशिश की लेकिन नाकाम रहे।

उन्होंने कहा,दुनियावी दौलत और इच्छाओं की वजह से कुछ लोगों ने इमाम रज़ा, इमाम जवाद और इमाम हादी अ.स. को छोड़कर वाक़िफ़िया फिरके की तरफ रुख कर लिया इमाम हादी अ.स. ने ऐसे दौर में बड़े कारनामे अंजाम दिए, जब मुनाफ़िक़त साम्राज्यवाद और बड़ी ताकतें अहले-बैत अ.स. का नाम मिटाने की कोशिश कर रही थीं।

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