ईरान का परमाणु कार्यक्रम वैज्ञानिकों के दिमाग में है ज़मीन पर नहीं

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ईरान का परमाणु कार्यक्रम वैज्ञानिकों के दिमाग में है ज़मीन पर नहीं

ईरानी विदेश मंत्री ने कहा,अमेरिका द्वारा ईरान की जब्त संपत्तियों की बहाली विश्वास बहाली की दिशा में पहला कदम साबित होगी।

ईरानी विदेश मंत्री ने कहा,अमेरिका द्वारा ईरान की जब्त संपत्तियों की बहाली विश्वास बहाली की दिशा में पहला कदम साबित होगी।

ईरानी विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराक़ची ने कहा कि यदि अमेरिका ईरान की जब्त की गई संपत्तियों को बहाल करता है तो यह विश्वास बहाली की दिशा में पहला कदम होगा उन्होंने यह भी कहा कि ईरान और अमेरिका के बीच लंबे समय से अविश्वास की स्थिति बनी हुई है, जिसे केवल शब्दों से खत्म नहीं किया जा सकता।

  1. अमेरिका की नई सरकार की नीति पर नजर:

अराक़ची ने कहा कि ईरान अमेरिकी नीतियों पर कड़ी नजर रखे हुए है और जो बाइडेन प्रशासन ईरान, परमाणु समझौते और ईरानी परमाणु कार्यक्रम को लेकर क्या नीति अपनाता है उसी के अनुसार ईरान अपनी रणनीति तय करेगा।

  1. ईरान का परमाणु कार्यक्रम अविनाशी:

ईरानी विदेश मंत्री ने कहा कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम ईरानी वैज्ञानिकों के दिमाग में है, ज़मीन पर नहीं इसे बमबारी या हवाई हमलों से नष्ट नहीं किया जा सकता। ईरान की परमाणु सुविधाएं केवल एक या दो स्थानों तक सीमित नहीं हैं बल्कि कई जगहों पर फैली हुई हैं और उनकी सुरक्षा बेहद कड़ी है, जिससे उन पर हमला करना आसान नहीं।

  1. परमाणु हमले की स्थिति में ईरान की कड़ी प्रतिक्रिया:

अराक़ची ने चेतावनी दी कि यदि ईरानी परमाणु स्थलों पर हमला किया गया, तो ईरान तत्काल और निर्णायक प्रतिक्रिया देगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका और इजराइल जानते हैं कि ईरान किन लक्ष्यों को निशाना बना सकता है।

  1. परमाणु हथियार बनाना हराम

अराक़ची ने कहा कि ईरान के पास परमाणु हथियार नहीं हैं और यह उसके सैन्य सिद्धांत का हिस्सा भी नहीं है ईरान की सुरक्षा अन्य तरीकों से सुनिश्चित की जाती है और परमाणु हथियार हमारे लिए इस्लामी दृष्टि से हराम हैं।

ईरान के सर्वोच्च नेता ने एक स्पष्ट फतवा जारी किया है जिसमें परमाणु हथियारों समेत सभी विध्वंसक हथियारों के निर्माण, भंडारण और उपयोग को इस्लाम में निषिद्ध (हराम) बताया गया है।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हमारे पास परमाणु हथियार बनाने की तकनीकी क्षमता है लेकिन क्या हम इसे बनाएंगे? बिल्कुल नहीं। न पहले हमारा ऐसा इरादा था न अब है, और न ही भविष्य में होगा।

 

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