ईरानी ईसाइयों की भूमिका से लेकर एकेश्वरवादी धर्मों में रोज़ा रखने के रहस्यों की समीक्षा

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ईरानी ईसाइयों की भूमिका से लेकर एकेश्वरवादी धर्मों में रोज़ा रखने के रहस्यों की समीक्षा

ईरान के ऊरूमिया क्षेत्र के गिरजाघर के ईसाई पादरी ने धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रतिनिधियों के साथ न्यायपालिका के प्रमुख से भेंट में कहा कि ईरानी ईसाई साफ़्ट युद्ध में पूरी क्षमता के साथ रणक्षेत्र में आ गये हैं।

पिछले गुरूवार को ईरान की न्यायपालिका के प्रमुख के साथ ईरान के पश्चिमी आज़रबाइजान प्रांत में धर्मगुरूओं, धार्मिक शिक्षा केन्द्रों के छात्रों और धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक आयोजित हुई जिसमें इराक़ द्वारा ईरान पर थोपे गये युद्ध के दौरान ईरानी ईसाइयों की भूमिका की ओर संकेत किया गया।

अज़ीज़ियान ने कहा कि इराक़ द्वारा ईरान पर थोपे गये युद्ध के दौरान ईरानी ईसाइयों ने ईरानी मुसलमानों के साथ मिलकर पूरी निष्ठा और ईमान के साथ देश की रक्षा की यहां तक कि युद्ध समाप्त होने के बाद भी देश के पुनर्निर्माण, विकास और पूरी गम्भीरता के साथ दुश्मन से साफ़्ट वार से मुक़ाबले में डटे रहे।

अज़ीज़ियान ने कहा कि ईरानी ईसाइयों ने अपनी संभावनाओं से लाभ उठाकर दुश्मनों के मानसिक और सांस्कृतिक षडयंत्रों के मुक़ाबले में प्रभावी भूमिका निभाई है और उन्होंने दर्शा दिया है कि वे ईरान की इस्लामी व्यवस्था और ईरानी लोगों के साथ हैं।

इस्लाम और एकेश्वरवादी धर्मों में रोज़ा रखने का उद्देश्य और उसका रहस्य

ईरानी शिक्षाकेन्द्र के एक उस्ताद हुज्जतुल इस्लाम मोहम्मद हायेरी शीराज़ी ने इस्लाम और दूसरे आसमानी धर्मों में रोज़ा रखने के उद्देश्यों के बारे में कहा कि इस्लाम में रोज़ा एक मुख्य इबादत व उपासना है और रोज़े को धर्म के पांच स्तंभों में से एक समझा जाता है।

यहूदी धर्म में भी रोज़े को एक महत्वपूर्ण इबादत समझा जाता है जबकि ईसाई धर्म में चालिस दिन का रोज़ा होता है और उसे Easter की आत्मिक तत्परता की भूमिका समझकर रखा जाता है। रोज़े के समय ईसाई मोमिन कुछ खाने- पीने और सांसारिक लज़्ज़तों से परहेज़ करते हैं।

नारांज नामक ईरान का सबसे बड़ा फ़ेस्टिवल

10 इस्फ़ंद को नारांज नामक ईरान का सबसे बड़ा फ़ेस्टिवल शीराज़ नगर में ज़रतुश्तियों यानी पारसियों के धार्मिक और सांस्कृतिक केन्द्र में आयोजित हुआ।

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