तेहरान के इमाम ए जुमआ, हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद मोहम्मद हसन अबूतुराबी फ़रद ने 32वीं अंतर्राष्ट्रीय कुरआन प्रदर्शनी के उद्घाटन समारोह में कहा कि कुरआन शासन के उच्च सिद्धांत प्रदान करता है जिन्हें सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक मामलों में लागू किया जाना चाहिए।
तेहरान के इमाम ए जुमआ, हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद मोहम्मद हसन अबूतुराबी फ़रद ने 32वीं अंतर्राष्ट्रीय कुरआन प्रदर्शनी के उद्घाटन समारोह में कहा कि कुरआन शासन के उच्च सिद्धांत प्रदान करता है जिन्हें सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक मामलों में लागू किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि क़ुरआन सिर्फ़ एक किताब नहीं है बल्कि यह जीवन और सामाजिक व्यवस्था का संपूर्ण मार्गदर्शक है जैसा कि हज़रत फ़ातिमा (स.) ने फ़रमाया कि पैग़ंबर ए अकरम (स.) का चरित्र ही क़ुरआन था और अमीर-उल-मोमिनीन हज़रत अली (अ.) भी क़ुरआन का एक जीवंत उदाहरण थे।
तेहरान के अस्थायी इमामे जुमा ने क़ुरआन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस्लामी क्रांति और इस्लामी व्यवस्था की स्थापना के बाद अब इस्लामी शासन की ओर बढ़ना आवश्यक है जैसा कि रहबर-ए-इंक़िलाब ने भी इस पर ज़ोर दिया है उन्होंने हज़रत यूसुफ़ (अ.) के शासन की मिसाल देते हुए कहा कि सफल शासन व्यवस्था क़ानून की सर्वोच्चता और योग्य व्यक्तियों के चयन पर आधारित होती है।
उन्होंने आगे कहा कि आर्थिक स्थिरता के बिना विकास संभव नहीं है क़ुरआन अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने पर ज़ोर देता है और आज हमें एक न्यायसंगत वित्तीय प्रणाली की आवश्यकता है ताकि देश प्रगति के पथ पर अग्रसर हो सके।
अंत में उन्होंने क़ुरआनी प्रदर्शनी को धार्मिक शिक्षाओं के प्रसार का एक बेहतरीन अवसर क़रार दिया और उम्मीद जताई कि यह आयोजन समाज में क़ुरआनी मूल्यों को बढ़ावा देने का कारण बनेगा।