हौज़ात ए इल्मिया के निर्माण का मकसद ही लोगों की सेवा करना है

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हौज़ात ए इल्मिया के निर्माण का मकसद ही लोगों की सेवा करना है

हौज़ा ए इल्मिया के प्रमुख ने कहा,हौज़ा-ए-इल्मिया की स्थापना का मकसद जनता की सेवा करना और उनकी बौद्धिक व सांस्कृतिक ज़रूरतों को पूरा करना है। हमें हौज़ा-ए-इल्मिया को समाज और क्रांति के लक्ष्यों के अधीन करना चाहिए, और इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए सामंजस्य और बौद्धिक आदान-प्रदान की आवश्यकता है।

हौज़ा ए इल्मिया के प्रमुख आयतुल्लाह अली रज़ा अराफी ने मदरसा ए इल्मिया हज़रत अब्दुल अज़ीम हुसनी अ.स.के आयतुल्लाह बोरोजर्दी (रह.) हॉल में तेहरान प्रांत के सांस्कृतिक व प्रशासनिक अधिकारियों, मजलिस-ए-शूरा-ए-इस्लामी में तेहरान के प्रतिनिधियों और हौज़ा के प्रांतीय संस्थानों की समन्वय परिषद के सदस्यों से मुलाकात में कहा,हौज़ा ए इल्मिया की स्थापना का मकसद जनता की सेवा करना और उनकी बौद्धिक व सांस्कृतिक ज़रूरतों को पूरा करना है।

उन्होंने कहा,हौज़ा को समाज और क्रांति के लक्ष्यों के अनुरूप बनाना चाहिए और इसके लिए समन्वय और बौद्धिक सहयोग ज़रूरी है।आयतुल्लाह आराफी ने कहा,तेहरान देश के अन्य सभी क्षेत्रों से अलग है, इसलिए तेहरान के सांस्कृतिक संस्थान और हौज़ा भी अन्य सभी हौज़ात से अलग हैं।

उन्होंने आगे कहा,अतीत में भी हमारे पास बड़े और महान वैज्ञानिक हौज़ात थे जिन्हें फिर से पुनर्जीवित करना चाहिए। नीति यह है कि हौज़ात ए इल्मिया हर जगह विकास करें।

हौज़ा ए इल्मिया के प्रमुख ने कहा,मस्जिद के मामलों को पर्याप्त और विशेष महत्व देना चाहिए क्योंकि एक सशक्त और सक्रिय मस्जिद ही कई समस्याओं को सीधे और अप्रत्यक्ष रूप से हल कर सकती है।

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