हमास और हिज़्बुल्लाह पहले से ज़्यादा मज़बूत हैं। हुज्जतुल इस्लाम सईदी फाज़िल

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हमास और हिज़्बुल्लाह पहले से ज़्यादा मज़बूत हैं। हुज्जतुल इस्लाम सईदी फाज़िल

जामिया अलमुस्तफा अलआलमिया खुरासान के प्रमुख प्रतिनिधि हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन रूहुल्लाह सईदी फाज़िल ने मशहद में छात्रों और धार्मिक विद्वानों की एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि हमास और हिज़्बुल्लाह न केवल बचे हुए हैं, बल्कि पहले से अधिक शक्तिशाली हो गए हैं।

जामिया अलमुस्तफा अलआलमिया खुरासान के प्रतिनिधि हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन रूहुल्लाह सईदी फाज़िल ने मशहद में छात्रों और धार्मिक विद्वानों की सभा को संबोधित करते हुए कहा कि हमास और हिज़्बुल्लाह न केवल बचे हुए हैं बल्कि पहले से ज़्यादा ताकतवर हो गए हैं। उन्होंने कहा कि गाजा और लेबनान की तबाही को युद्ध का मैदान समझना गलत है, असली मैदान ईमान और कुफ्र के बीच सभ्यतागत संघर्ष का है। 

उन्होंने ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह सैयद अली ख़ामेनेई के उस बयान का हवाला दिया जिसमें मौजूदा युद्ध को "अस्तित्व का युद्ध" बताया गया था, यानी ऐसा युद्ध जिसमें एक पक्ष का पूरी तरह खात्मा ज़रूरी है। 

हुज्जतुल इस्लाम सईदी फाज़िल ने दुश्मन की पांच बड़ी साजिशों की ओर इशारा किया: गाजा को तबाह करना, हिज़्बुल्लाह को निरस्त्र करने की कोशिश,ईरान पर बातचीत के लिए दबाव,सीरिया और यमन को कमज़ोर करना,इस्लामी प्रतिरोध को बेअसर दिखाना 

उन्होंने तीन खतरनाक बौद्धिक हथियारों की भी पहचान की,अर्जाफ़ (अफवाहें और डर फैलाना)साजिश (समझौते की कोशिश)तव्वीक़ (कार्रवाई में देरी)

उनके मुताबिक, ये तत्व इस्लामी उम्मत के भीतर से प्रतिरोध को कमज़ोर करते हैं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि प्रतिरोध सिर्फ सैन्य नहीं बल्कि बौद्धिक और प्रचार के मैदान में भी होना चाहिए। उन्होंने धार्मिक विद्वानों, छात्रों और मीडिया से इस मोर्चे पर सक्रिय भूमिका निभाने का आह्वान किया।

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