पहलगाम कांड की घटना निंदाय है

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पहलगाम कांड की घटना निंदाय है

तारागढ़ अजमेर में जुमआ के खुत्बे में मौलाना नकी मेंहदी ज़ैदी ने औलाद के हुक़ूक़ और इंसाफ़ की अहमियत पर ज़ोर दिया और पहलगाम कांड की कड़ी निंदा की, आतंकवाद को इस्लाम से जोड़े जाने पर जताई गहरी चिंता

तारागढ़/अजमेर हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सैयद नकी मेहदी जै़दी ने जामा मस्जिद में नमाज़-ए-जुमा के खुत्बे के दौरान नमाज़ियों को अल्लाह का तक़वा अपनाने की नसीहत की उन्होंने इमाम हसन अस्करी (अ.स.) के वसीयतनामे की तफ़सीर पेश करते हुए औलाद के अधिकारों पर रौशनी डाली और कहा कि माता-पिता का फर्ज़ है कि वे अपनी संतानों के बीच अदल व इंसाफ़ न्याय से व्यवहार करें।

उन्होंने कहा कि माता-पिता को चाहिए कि वे अपनी संतानों के बीच इंसाफ और बराबरी से पेश आएं रसूल-ए-ख़ुदा स.ल.व. ने फ़रमाया,अपनी औलाद के बीच तोहफों और उपहारों में इंसाफ करो, जैसे तुम चाहते हो कि वे नेकियों और मेहरबानियों में तुम्हारे साथ इंसाफ करें।

हज़रत अली (अ.स.) ने फ़रमाया:रसूल अल्लाह (स.) ने एक आदमी को देखा कि उसके दो बेटे थे, उसने एक को चूमा और दूसरे को नहीं चूमा। तो आप स.ल.व. ने फ़रमाया,'क्या तुमने दोनों के साथ समान व्यवहार नहीं किया?

इमाम जुमआ तारागढ़ ने आगे कहा कि औलाद के अधिकारों में सबसे महत्वपूर्ण अधिकार उनकी शिक्षा और तरबियत है। माता-पिता को चाहिए कि वे अपनी संतान को हर संभव तरीके से दीन के उसूल व फरूउ से परिचित कराएं, खासकर कुरआन मजीद की तिलावत और हिफ़्ज़ के लिए प्रेरित करें।

शरीयत के आदाब और अख़लाक़ सिखाने में कोताही न करें, भले ही इसके लिए कभी-कभी सख्ती भी करनी पड़े। लेकिन इस सख्ती में 'अम्र बिल मअरूफ' और 'नही अनिल मुनकर' के मरातिब का ध्यान रखना ज़रूरी है।

हज़रत अली (अ.स.) ने फ़रमाया,सबसे बेहतरीन चीज़ जो माता-पिता अपनी औलाद को विरासत में दे सकते हैं, वह है अच्छा अदब।हज़रत रसूल-ए-ख़ुदा (स.) ने फ़रमाया,अपनी औलाद की इज़्ज़त करो और उनके आदाब को बेहतर बनाओ ताकि तुम्हारे गुनाह माफ किए जाएं।

हज़रत अली (अ.स.) ने अपने बेटे इमाम हसन (अ.स.) से कहा,नवयुवक का दिल खाली ज़मीन की तरह होता है, उसमें जो कुछ बोया जाए वह उसे कबूल कर लेता है। इसलिए मैंने तुम्हारे दिल के कठोर होने और अक़्ल के परिपक्व होने से पहले ही तुम्हें अदब सिखाने में जल्दी की।

इमाम जाफर सादिक (अ.स.) ने फ़रमाया,जब आयत 'ऐ ईमान वालों! खुद को और अपने घर वालों को आग से बचाओ' नाज़िल हुई, तो लोगों ने पूछा 'ऐ रसूल अल्लाह! हम खुद को और अपने घर वालों को कैसे बचाएं?' आप (स.) ने फरमाया: 'खुद नेक अमल करो और अपने घरवालों को उसकी याद दिलाते रहो और अल्लाह की इताअत पर आधारित अदब सिखाओ।

इमाम अली रज़ा (अ.स.) ने फ़रमाया,अपने बच्चे को आदेश दो कि वह अपने हाथ से चाहे एक टुकड़ा रोटी हो या एक मुट्ठी अनाज या कुछ भी थोड़ा बहुत ही सही, खुद अपने हाथ से सदक़ा दे। क्योंकि अल्लाह के लिए दी गई हर चीज़, चाहे वह कितनी भी छोटी क्यों न हो, अगर नीयत सच्ची हो तो वह बहुत महान मानी जाती है।

मौलाना नकी मेहदी जैदी ने कश्मीर के पहलगाम की घटना पर अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि इस्लाम अमन, सुलह और भाईचारे का धर्म है। इसमें कत्ल, बर्बरता और आतंकवाद की कोई जगह नहीं है।

कुरआन मजीद में इस्लाम का साफ ऐलान है कि जिसने एक बेगुनाह इंसान की हत्या की, ऐसा है जैसे उसने पूरी इंसानियत की हत्या कर दी।इस्लामी लिबास पहनकर कश्मीर घाटी में मासूम सैलानियों की हत्या कर इस्लाम की छवि को धूमिल करने की जो कोशिश दुश्मनों ने की है, वह हर लिहाज़ से निंदनीय और अक्षम्य अपराध है।

हम इस जघन्य अपराध और निर्दोष सैलानियों की हत्या की कड़ी निंदा करते हैं और भारत सरकार से मांग करते हैं कि दोषियों को जल्द से जल्द उनके अपराधों की सज़ा दी जाए।इस दर्दनाक हादसे में मारे गए और घायल लोगों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं, घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की दुआ करते हैं और आतंकवादियों की कड़ी भर्त्सना करते हैं।

हमें उम्मीद है कि देश की सुरक्षा और प्रशासनिक एजेंसियां इस हमले के कारणों और आतंकवादियों के संबंध में पूरी जानकारी सामने लाकर देश को सही स्थिति से अवगत कराएंगी।

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