रोज़-ए-दुख्तर के अवसर पर अल्लामा सैय्यद मोहम्मद हुसैन तबातबाई रहमतुल्लाह अलैह के अपनी बेटियों के साथ स्नेहपूर्ण व्यवहार और प्रेमभरे रवैये को उजागर किया गया है। प्रसिद्ध कुरआन के मुफस्सिर अल्लामा तबातबाई रहमतुल्लाह अलैह न केवल अपनी बेटियों से विशेष स्नेह रखते थे बल्कि उनकी परवरिश, मानसिक सुकून और भविष्य के वैवाहिक जीवन को हमेशा प्राथमिकता देते थे।
अल्लामा तबातबाई रहमतुल्लाह अलैह की पारिवारिक जिंदगी में यह बात खास तौर पर सामने आती है कि वह बेटियों के साथ प्रेम सम्मान और नर्मी से पेश आते थे।
उनकी बेटी के अनुसार कई बार हम खाना बनाते जो कुछ ख़राब हो जाता लेकिन वालिद (पिता) कभी नाराज़ नहीं होते थे बल्कि उसकी तारीफ़ ही करते थे।वह अक्सर कहा करते थे बेटियाँ अल्लाह की अमानत होती हैं। उनके साथ मोहब्बत और इज़्ज़त से पेश आओ ताकि अल्लाह और उसके रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वआलिही वसल्लम) राज़ी हों।
अल्लामा तबातबाई रहमतुल्लाह अलैह इस बात पर ज़ोर देते थे कि बेटियों के साथ हुस्ने-सुलूक (अच्छा व्यवहार) उनके आत्मविश्वास, खुशी और एक बेहतर भविष्य की बुनियाद रखता है, ताकि वे एक नेक बीवी और अच्छी माँ बन सकें।
यह शिक्षाएँ आज के माता-पिता के लिए एक कीमती आदर्श हैं कि बेटियों को केवल प्यार ही नहीं, बल्कि सम्मान और गरिमा के साथ पाला जाए।
(स्रोत: किताब "जरआहाए जानबख्श", पृष्ठ 393)