ग़ाज़ा को लेकर इज़राईल शासन का बड़ा झूठ

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ग़ाज़ा को लेकर इज़राईल शासन का बड़ा झूठ

ग़ाज़ा सरकार के सूचना कार्यालय के प्रमुख इस्माईल अलथवाबेह ने एक बयान में इस्राईल के उस झूठ को उजागर किया जिसमें दावा किया गया था कि ग़ाज़ा में इंसानी मदद भेजी जा रही है।

शहाब एजेंसी के हवाले से बताया कि इस्माईल अलथवाबेह ने कहा कि इस्राईली क़ब्जाधारियों ने 9 ट्रकों को ग़ाज़ा में इंसानी मदद ले जाने की अनुमति देने का दावा किया है, जबकि असल में ग़ाज़ा को हर दिन 500 से अधिक ट्रकों की मदद और 50 ट्रकों ईंधन की ज़रूरत होती है।

उन्होंने बताया कि ये चंद ट्रक सिर्फ़ बच्चों के लिए कुछ पोषण सामग्री लेकर आए हैं, जो ग़ाज़ा की तत्काल ज़रूरतों के महासागर में महज़ एक बूँद हैं।

थवाबेह ने स्पष्ट किया कि 2 मार्च से अब तक ग़ाज़ा के तमाम बार्डर बंद हैं और कोई भी असली मदद इस इलाके में नहीं पहुंची है।

उन्होंने कहा कि बीते 80 दिनों में, जब से नाकाबंदी और बार्डर बंद हैं, ग़ाज़ा में कम से कम 44,000 ट्रक इंसानी मदद के आने चाहिए थे।

उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि ग़ाज़ा में मानवीय मदद के लिए ठोस कदम उठाए जाएं, क्योंकि वहां बाज़ारों में खाने-पीने की चीजें बेहद दुर्लभ हो चुकी हैं।थवाबेह ने बताया कि हर दिन कई ग़ाज़ावासी कुपोषण और खाने की कमी के कारण जान गंवा रहे हैं।

फ़िलिस्तीन सूचना केंद्र की रिपोर्ट के अनुसार, क़ानूनी शोधकर्ता फ़ौआद बक्र ने अलअक़्सा टीवी से बात करते हुए कहा कि ज़ायोनी क़ब्ज़ा करने वाला शासन फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध का समर्थन करने वाली जनता को सज़ा देने के लिए जानबूझकर भुखमरी की नीति अपना रहा है। यह नीति इस्राईल के कट्टरपंथी वित्त मंत्री बेज़ालेल स्मोत्रिच की पहले से घोषित योजना का हिस्सा है।

उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत फ़िलिस्तीनियों के सामने तीन ही रास्ते हैं बिना अधिकारों के ज़िंदगी, जबरी पलायन, या मौत।बक्र ने ज़ोर देकर कहा कि यह नीति सिर्फ़ क़ैदियों के मसले पर दबाव डालने के लिए नहीं है, बल्कि एक व्यापक बदले की योजना का हिस्सा है जिसका मकसद फ़िलिस्तीनी क़ौम का सफाया करना और ग़ाज़ा तथा वेस्ट बैंक पर पूरी तरह क़ब्ज़ा जमाना है।

 

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