रिपोर्ट के अनुसार म्यांमार में बौद्ध चरमपंथियों नें मुसलमानों के नरसंहार में कोई कसर नहीं छोड़ी है। सैंकड़ों मुसलमानों को मौत की घाट उतारने के अलावा हज़ारों मुसलमानों को घर छोड़ने पर मजबूर किया गया है जो लाचारी और बेबसी की ज़िन्दगी गुज़ार रहे हैं और खाने के लिये एक एक लुकमे को तरस रहे हैं।
अत्याचारों की हद यह है कि म्यांमार सरकार नें मुसलमानों के नाम जनगणना की सूची से निकालने का सिलसिला शुरू कर दिया है। जबकि ऐतिहासिक सुबूतों से साबित है कि म्यांमार के यह मुसलमान दूसरी सदी हिजरी से ही यहाँ आबाद हैं। इस्लामी सहयोग कमेटी नें रोहिंगा क़ौम के नाम जनगणना सूची से निकालने पर कड़ा विरोध जताते हुए म्यांमार की सरकार के इस ग़ैरक़ानूनी और अत्याचारी क़दम को खुल्लम खुल्ला मानवाधिकारों का उल्लंघन बताया है।
न्यूज़ नूर ने इस सिलसिले में रोंहिंगा मुसलमानों का नाम निकाले जाने की कड़े शब्दों में निंदा के शीर्षक से एक आर्टिकल पेश कर रहा है। इस्लामी सहयोग संगठन नें अपने एक बयान में म्यांमार सरकार के इस क़दम, जिसमें रोहिंगया मुसलमानों का नाम जनगणना की लिस्ट से निकाल दिया गया है, कि कड़े शब्दों में निंदा की है। इस्लामी सहयोग कमेटी के जनरल सिक्रेट्री अयाद अमीन मदनी नें म्यांमार सरकार के इस क़दम को इन्सानी और नागरिक अधिकारों का उल्लंघन बताया है।













