अख्लाक वह गौहर है जो अमल की कद्र बढ़ा देता है

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अख्लाक वह गौहर है जो अमल की कद्र बढ़ा देता है

आयतुल्लाह अली रज़ा अराफी ने कहा, अख्लाक वह आमिल है जो कर्म का स्तर ऊँचा करता है।अल्लाह से लेन-देन ऐसी आध्यात्मिक खुशियाँ और आशीर्वाद देता है जो कहीं और नहीं मिलती। हर काम में इंसान को अल्लाह के साथ लाभ-हानि की भावना के साथ उपस्थित होना चाहिए।

हौज़ा ए इल्मिया के प्रमुख आयतुल्लाह अली रज़ा आराफी ने मराकिज़-ए जिहाद-ए दानिशगाही की सांस्कृतिक संस्थाओं के सांस्कृतिक मामलों के प्रमुखों और ज़िम्मेदारों के साथ आयोजित 93वें सम्मेलन में संबोधित किया।

उन्होंने अपने संबोधन के दौरान कहा,अल्लाह तआला क़ुरआन-ए करीम की सूरह यूसुफ की आयत नंबर 108 में फ़रमाता है:
«قُلْ هَذِهِ سَبِیلِی أَدْعُو إِلَی اللَّهِ عَلَی بَصِیرَةٍ أَنَا وَمَنِ اتَّبَعَنِی وَسُبْحَانَ اللَّهِ وَمَا أَنَا مِنَ الْمُشْرِکِینَ» यानी "कह दो: यह मेरा रास्ता है कि मैं और मेरे अनुयायी समझ-बूझ के साथ अल्लाह की ओर बुलाते हैं, और अल्लाह पवित्र है, मैं मुशरिकों में से नहीं हूँ।"

आयतुल्लाह अराफी ने कहा, यह आयत धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यों के सिद्धांतों का स्रोत है और पैग़म्बरी के रास्ते की बुनियादों को बयान करती है।

उन्होंने सांस्कृतिक मामलों के तीन महत्वपूर्ण तत्व बताते हुए कहा, इन मामलों के तीन महत्वपूर्ण तत्व हैं:

  1. सांस्कृतिक मामलों का संबंध पवित्र लोक अलम-ए कुद्स से हो यानी सांस्कृतिक गतिविधि सिर्फ़ भौतिक दायरे में सीमित न रहे बल्कि पवित्र और ईश्वरीय उद्देश्यों से जुड़ी होनी चाहिए। ईश्वर को सर्वोच्च लक्ष्य बनाना वह भावना है जो इंसान को संघर्ष और गति की ओर ले जाती है।

 

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