फ्रांस में प्रतिदिन मुसलमानों के खिलाफ बढ़ती नफरत और कठोर नीतियों में इजाफा हो रहा है विभाजन-विरोधी कानून जैसे उपायों के कारण सार्वजनिक स्थानों से धार्मिक प्रतीकों को हटाने पर जोर दिया गया है आलोचकों का मानना है कि इस नीति से मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है।
फ्रांस में प्रतिदिन मुसलमानों के खिलाफ बढ़ती नफरत और कठोर नीतियों में इजाफा हो रहा है विभाजन-विरोधी कानून जैसे उपायों के कारण सार्वजनिक स्थानों से धार्मिक प्रतीकों को हटाने पर जोर दिया गया है आलोचकों का मानना है कि इस नीति से मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है।
एक रिपोर्टों के अनुसार, फ्रांस में एक-तिहाई से अधिक मुसलमान नौकरी, शिक्षा और सरकारी संस्थानों के साथ बातचीत में धार्मिक भेदभाव का सामना करते आ रहे हैं। विशेष रूप से हिजाब पहनने वाली महिलाएं इससे अधिक प्रभावित हैं।
इस भेदभाव का एक कारण फ्रांस सरकार की "इस्लामवाद" से निपटने की कठोर नीतियाँ हैं। विभाजन-विरोधी कानून जैसे उपायों के कारण सार्वजनिक स्थानों से धार्मिक प्रतीकों को हटाने पर जोर दिया गया है। आलोचकों का मानना है कि इस नीति से मुसलमानों को निशाना बनाया जाता है।
मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि ये नीतियाँ सामाजिक विभाजन को बढ़ावा देती हैं और मुसलमानों के अलगाव का कारण बनती हैं।उनका सुझाव है कि सरकार को दमनकारी उपायों के बजाय अंतर-धार्मिक संवाद और सामाजिक एकजुटता को मजबूत करना चाहिए।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी फ्रांस की इन नीतियों की आलोचना हो रही है, और मुसलमानों के खिलाफ सुनियोजित भेदभाव को रोकने का आग्रह किया जा रहा है।













