इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने बल दिया है कि ईरान की परमाणु नीति वही है जिसे बारंबार बयान किया गया है।
बुधवार को राष्ट्रपति और संसद मजलिसे शूराए इस्लामी के सांसदों ने वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई से भेंट की। इस मुलाक़ात में वरिष्ठ नेता ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों विशेषकर परमाणु मामले में इस्लामी गणतंत्र ईरान की मूलभूत नीति, व्यवस्था के अधिकारियों को लिखित और मौखिक रूप से बता दी गयी है। उन्होंने कहा कि अधिकारी विभिन्न मैदानों में पूरी गंभीरता के साथ अपने कार्य और प्रयास में व्यस्त हैं और उन्हें अपनी नितियों पर आग्रह करना चाहिए ताकि देश के हितों की पूर्ति हो सके।
उन्होंने कहा कि परमाणु मुद्दे के लिए समाधान के कई मार्ग हैं जिनमें से हर एक आंतरिक क्षमताओं पर भरोसा करना और उत्पादन को मज़बूत करने पर निर्भर है। वरिष्ठ नेता ने कहा कि वे मुद्दे जिनको लेकर ईरान, अमरीका, पश्चिम और ज़ायोनिज़्म के सामने डटा हुआ है, परमाणु मुद्दे के अतिरिक्त मानवाधिकार जैसे मुद्दे भी हैं किन्तु यदि आंतरिक क्षमताओं पर केन्द्रित रहकर समस्याओं का समाधान कर लिया जाए तो इन मामलों का हल भी सरल होगा। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ ने संसद सहित देश की अन्य पालिकाओं द्वारा सरकार से सहयोग पर बल दिया और कहा कि ईरान के समस्त आर्थिक मामलों का समाधन, इसी प्रकार परमाणु मुद्दे का समाधान, भीतरी क्षमताओं पर भरोसा करके तथा प्रतिरोधक अर्थव्यवस्था पर विश्वास रखकर ही संभव है।
उनका कहना था कि देश में बंद गली का कोई अस्तित्व नहीं है और समस्याओं के निवारण का मार्ग, आंतरिक उत्पादन को मजब़ूत करना और वित्तीय सिद्धांतों का पालन करना है। उनका कहना था कि सरकार की ज़िम्मेदारी है कि वह देश की पालिकाओं और अन्य संस्थाओं के मध्य संतुलन स्थापित करे। आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने कहा कि यदि संसद सदैव इस्लामी गणतंत्र व्यवस्था की मूल व सैद्धांतिक नीतियों पर आग्रह करती रहे तो सम्राज्यवादी व्यवस्था का विध्वंसक ख़तरा समाप्त हो जाएगा और ईश्वर न करे यदि ऐसा प्रतिरोध न रहे तो बहुत ज़्यादा ख़तरा है।