ईरान में पहली मार्च को 12वीं संसद और विशेषज्ञ एसेंबली के 6वें कार्यकाल के चुनाव बहुत ही शांतिपूर्ण ढंग से आयोजित हुए और कहीं से भी किसी अप्रिय घटना की ख़बर प्राप्त नहीं हुई।
मतदान केन्द्रों के दरवाज़े सुबह 8 बजे खुल गये लेकिन उससे पहले ही मतदान केन्द्रों पर लंबी लंबी क़तारे दिखाई देने लगी थीं। बर्फ़बारी और कड़ाके की ठंडक के बावजूद बूढ़े और जवान हर एक अपनी ज़िम्मेदारियों को अदा करने के लिए मतदान केन्द्रों पर हाज़िर हुआ।
मतदान सुबह 8 बजे से 5 बजे तक होना था लेकिन जनता की भरपूर भागीदारी की वजह से चुनाव आयोग ने 8 बजे रात तक समय बढ़ा दिया ताकि सभी लोग अपने अपने मताधिकारों का प्रयोग कर सकें लेकिन उसके बावजूद भी लोग क़तारों में खड़े नज़र आए और उसके बावजूद गृहमंत्रालय की ओर से एक बयान जारी करके मतदान प्रक्रिया को 10 बजे रात तक बढ़ा दिया गया लेकिन यह भी अपर्याप्त था जिसके बाद रात 12 बजे तक के लिए मतदान का समय बढ़ाया गया।
मतदान प्रक्रिया पूरी होने के बाद मतगणना शुरु हुई और कुछ क्षेत्रों के परिणाम पूरी तरह से आ गये और जीते हुए प्रत्याशियों के नामों का एलान भी हो गया जबकि कुछ प्रत्याशियों में कांटे की टक्कर हुई हमेशा की तरह इस बार का चुनाव भी अहम था क्योंकि जनता सबसे बेहतरीन और सबसे योग्य प्रत्याशी को चुनने की कोशिश कर रही थी। जिसके बाद चुनाव दूसरे चरण में चला गया।
मौजूदा संसद का कार्यकाल मई में समाप्त हो रहा है। संसद की 290 सीटों के लिए 15200 उम्मीवारों के नामों को निरीक्षण संस्था की ओर से मंज़ूरी मिली थी। यह वर्ष 1979 में इस्लामी क्रांति की सफलता के बाद से उम्मीवारों की सबसे बड़ी संख्या है।
उम्मीदवारों में 1713 महिलाएं थीं जो वर्ष 2020 के संसदीय चुनाव में भाग लेने वाली 819 महिला उम्मीदवारों की तुलना में दो गुना थी।
संसद के चुनाव के साथ ही विशेषज्ञ असेंबली की 88 सीटों के लिए 144 धर्मगुरुओं के बीच मुक़ाबला हुआ। यह संस्था देश के सुप्रीम लीडर के कामकाज पर नज़र रखती है और अगला सुप्रीम लीडर चुनने का अधिकार उसे होता है।
ईरान की जनता सांसदों, राष्ट्रपति और शहर और गांव परिषद के सदस्यों और इस्लामी परिषदों के सदस्यों की नियुक्ति करती है इसीलिए ईरान की राजनीतिक व्यवस्था में लोगों की प्रमुख भूमिका और स्थान है। इस्लामी व्यवस्था ने हमेशा जनता की अधिकतम भागीदारी पर ज़ोर दिया है और यह न केवल व्यवस्था के अधिकार के स्तर को बढ़ाने के लिए है बल्कि ईरानी जनता की मानवीय गरिमा का सम्मान और रक्षा करने के लिए भी है।
जहां एक ओर मतदान केन्द्रों पर जनता भव्य रूप से हाज़िर हुई और उसने अपनी ज़िम्मेदारियों पर अमल करते हुए अपने अधिकारों का प्रयोग किया वहीं दुश्नमों की साज़िशें भी शुरु हुईं और उनके प्रोपेगैंडे जो मतदान के पहले से शुरु हुए अब तक जारी हैं।